MA जिसे हम मास्टर ऑफ़ आर्ट्स भी कह सकते हैं, एक पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम है जो आप अपनी ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद कर सकते हैं। यह डिग्री आप को कई तरह की विशेषज्ञताओं में देखने को मिल सकती है। इतना ब्रॉड कोर्स होने के कारण आपको इस डिग्री की मौजूदगी देश-विदेश के कई सारे कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ में मिलेगी जहाँ से आप इस डिग्री को अपनी सहूलियत और पसंद अनुसार कर सकतें हैं। ज़्यादातर मास्टर डिग्रीयों की तरह ये डिग्री भी दो साल तक चलने वाली डिग्री है। अपनी प्रेफरेंस के अनुसार आप इस डिग्री को फुल टाइम भी कर सकतें हैं, पार्ट टाइम भी कर सकते हैं, साथ ही कॉरेस्पोंडेंस और डिस्टेंस मोड से भी पूरा कर सकते हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से हम उन सभी फैक्टर्स पर नज़र डालेंगे जो MA करने के इच्छुक छात्रों के लिए इफेक्टिव साबित हो सकते हैं। MA ke baad kya kare जानने के लिए ब्लॉग को आखिर तक ज़रूर पढ़ें।
कोर्स का नाम | मास्टर ऑफ़ आर्ट्स |
प्रोग्राम के टाइप्स | MA in History, MA in Anthropology, MA in Philosophy, MA in International Relations, MA in Film Studies, MA in Communication आदि। |
अवधि | दो वर्ष |
एंट्रेंस एग्ज़ाम | GRE ,GMAT ,IELTS ,TOEFL ,DET,SAT ,LSAT ,PTE |
टॉप रिक्रूटर्स | ITC लिमिटेड,TCS, मिंत्रा ,ऐमेज़ॉन ,BMW, हिंदुस्तान टाइम्स, ICICI बैंक, टाइम्स ऑफ़ इंडिया |
This Blog Includes:
- MA क्या है?
- MA क्यों चुनें?
- एमए के बाद कोर्सेज
- MA में विषय और सिलेबस
- एमए के बाद सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्सेज
- MA में प्रसिद्ध कोर्स (विशेषज्ञता)
- MA के बाद क्या करें?
- टॉप विदेशी यूनिवर्सिटीज़
- टॉप भारतीय यूनिवर्सिटी
- योग्यता
- आवेदन प्रक्रिया
- आवश्यक दस्तावेज़
- प्रसिद्ध प्रवेश परीक्षाएं
- करियर स्कोप
- टॉप रिक्रूटर्स
- टॉप जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- FAQs
MA क्या है?
मास्टर ऑफ़ आर्ट्स, ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद करने वाली डिग्री है जिसे आप किसी भी फील्ड में ग्रेजुएशन पास करने के बाद कर सकते हैं। इस डिग्री की अवधि कुल दो साल है। आम तौर पर BA यानी बैचलर ऑफ़ आर्ट्स करने वाले विद्यार्थी उच्च शिक्षा और डिग्री के लिए MA को चुनते हैं। विषयों की अगर बात करें तो BA और MA दोनों ही आर्ट फील्ड से जुड़ी डिग्री होने के कारण इनके सब्जेक्ट्स में ज़्यादा अंतर देखने को नहीं मिलता जिससे ग्यारहवीं में ही आर्ट्स से पढ़ने वाले छात्र को दिक्कत नहीं आती। हालाकि आपके चुने गए कोर्स का आपके सिलेबस में आने वाले सब्जेक्ट्स पर अंतर पड़ता है। इस कोर्स में आपको थ्योरी के अलावा प्रैक्टिकल और रिसर्च से जुड़े कार्यों का समावेश भी मिल सकता है।
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MA क्यों चुनें?
मास्टर ऑफ़ आर्ट्स में कोर्सिज़ की अनगिनत वैराइटी आपको अपनी पसंद जान्ने, समझने और चुनने का अवसर देती है जिससे भविष्य में आपका काम का दायरा बढ़ जाता है और आप एक ही फील्ड में न बंधकर वैराइटी ट्राई कर सकतें है। MA ke baad kya kare जानने के साथ साथ यह जानना ज़रूरी है कि इस कोर्स को क्यों चुनें और MA करने के बाद क्या फायदे आपको भविष्य में मिल सकते है-
- MA में विशेषज्ञताओं की बात करें तो आप अपने पसंद के विषय में MA करने का निर्णय लेकर उसी में बेहतर करियर विकल्प पा सकतें हैं।
- MA लैंग्वेज एक बेहतरीन विकल्प है अगर आप किसी भाषा में उच्च डिग्री और ज्ञान पाकर उसमें महारथ हासिल करना चाहते हैं। भाषाएं जैसे इंग्लिश, फ्रेंच, जर्मन, हिंदी, स्पेनिश, चाइनीज़, ग्रीक, जापानी, लैटिन किसी भी भाषा में MA करके भविष्य में टीचर से लेकर विदेश में ट्रांसलेटर के तौर पर भी नौकरी के विकल्प पा सकतें हैं।
- MA के ब्रॉड नेचर के कारण इसकी लोकप्रियता ज़्यादा है। अगर आप अपनी ग्रेजुएशन के बाद अपनी फील्ड बदलने का भी विचार करते है तो ये विकल्प आपके लिए एक बेहतर फैसला रहेगा जिसमें आप ज्ञान के साथ-साथ दो साल की मास्टर डिग्री और भरमार मौकें पा सकतें हैं।
- जॉब प्रोफाइल की बात की जाए तो आप टीचिंग, एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, सोशल वर्कर, जर्नलिस्ट और कॉउंसलर जैसे फैले हुए और बहुमुखी प्रोफाइल्स में नौकरी पा सकते हैं।
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एमए के बाद कोर्सेज
एमए के बाद किये जाने वाले कुछ टॉप कोर्सेज के बारे नीचे बताया गया है:
बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.Ed.)
B.Ed. दो साल का बैचलर डिग्री कोर्स है इस कोर्स में बच्चों को पढ़ाने के अलग-अलग तरीकों के बारे में पढ़ाया जाता है। एमए करने के बाद B.Ed. करने से पीजीटी पूरी मानी जाती है। यह एक प्रकार का टीचर बनने का ट्रेनिंग कोर्स है।
मास्टर ऑफ फिलासफी (M.Phil.)
एम.फिल एक रिसर्च आधारित 2 साल का कोर्स है, जिसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों तरह का की नॉलेज मिलती है।M.Phil. की पूरी करने के बाद छात्र किसी संस्थान से जुड़ कर रिसर्च कर सकता है।
डॉक्टर ऑफ फिलासफी (PhD)
PhD सर्वोच्च डिग्री मानी जाती है। इसमें विद्यार्थी को अपने चुने हुए विषय में थ्योरी पढ़ना होता है और रिसर्च पूरी करनी होती है। PhD 3 से 5 साल की होती है।
बैचलर ऑफ सोशल वर्क (B.S.W)
जो छात्र सोशल वर्कर बनना चाहते हैं, वे एमए के बाद B.S.W की पढ़ाई कर सकते हैं। यह 3 साल का कोर्स है, जिसमें सोशल वर्क के बारे में पढ़ाया जाता है।
MA में विषय और सिलेबस
डिग्री का विषय और सिलेबस छात्र के चुने गए प्रोग्राम और मोड पर निर्भर करता है। जिसकी वजह से दिए गए सिलेबस और विषय में कुछ फेर बदल हो सकता है। फिर भी एक अंदाज़ा देने के लिए आपको विषयों और सिलेबस की लिस्ट प्रोग्राम अनुसार नीचे दी गई है-
एमए के बाद सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्सेज
एमए के बाद सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्सेज की लिस्ट यहाँ दी गई है:
- रेडियो जॉकी डिप्लोमा कोर्स (DRPM / DRJ )
- होटल मैनेजमेंट
- मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA)
- बैचलर ऑफ लॉ (LLB)
- पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा इन मैनेजमेंट (PGDM)
- ट्रैवल एंड टूरिज्म कोर्स
- जर्नलिज्म कोर्स
- इवेंट मैनेजमेंट कोर्स
- इंटीरियर डिजाइनिंग कोर्स
- फैशन डिजाइनिंग कोर्स
MA इंग्लिश
इंट्रोडक्शन टू लिंगविस्टिक्स | पोएट्री III (हॉपकिंस टू टेड ह्यूग्स) |
पोएट्री 1 (चौसर टू ब्लेक) | ड्रामा III (ट्वेंटिएथ सेंचरी ड्रामा) |
ड्रामा 1 (मार्लो टू वाइल्ड एक्सक्लूडिंग शेक्सपियर) | लिटरेरी क्रिटिसिज़्म एंड थ्योरी 1 |
परोस | इंडियन लिटरेचर इन इंग्लिश I / अमेरिकन लिटरेचर-II |
लिंगविस्टिक्स एंड इंग्लिश लैंग्वेज टीचिंग | फिक्शन II |
पोएट्री II (वर्ड्सवर्थ टू आर्नोल्ड) | लिटरेरी क्रिटिसिज़्म एंड थ्योरी II |
ड्रामा II (शेक्सपियर) | इंडियन लिटरेचर इन इंग्लिश II / अमेरिकन लिटरेचर II |
फिक्शन I (डेफो टू हार्डी) | इंडियन लिटरेचर इन ट्रांसलेशन/न्यू लिट्रेचर्स इन इंग्लिश/वीमन राइटिंग |
MA फ्रैंच
हिस्ट्री ऑफ़ फ्रैंच लिटरेचर फ्रॉम इट्स ऑरिजन अपटू XIXth सेंचरी | इंट्रोडक्शन टू लिंग्विस्टिक्स |
फ्रैंच नॉवेल एंड फ्रैंच पोएट्री (20th सेंचरी) | यूज़ ऑफ़ फ्रैंच |
इंट्रोडक्शन टू लिटरेरी एनालिसिस ऑफ़ फिक्शन एंड पोएट्री | लिंग्विस्टिक्स अप्रोच टू ट्रांसलेशन |
हिस्ट्री ऑफ़ फ़्रांस | फ्रैंच ड्रामा (20th सेंचरि) |
ऑरिजन ऑफ़ लिटरेचर इन फ्रैंच | इवोल्यूशन ऑफ़ फ्रैंच पोएट्री एंड नॉवेल एस जॉनर |
कम्पेरेटिव लिटरेचर | स्टडी ऑफ़ लिटरेरी स्कूल्स और मूवमेंटस |
डिडेक्टिक ऑफ़ फ्रैंच एस अ फॉरेन लैंग्वेज | कैनेडियन लिटरेचर |
हिस्ट्री ऑफ़ आर्ट इन फ्रांस | इंट्रोडक्शन टू ट्रांसलेशन स्टडीज़ |
MA डिज़र्टेशन | मौखिक परीक्षा |
इंट्रोडक्शन टू फ्रैंकोफोन लिटरेचर | इंटरप्रेटेटिव थ्योरी ऑफ़ ट्रांसलेशन |
MA जर्मन
एन इंट्रोडक्शन टू द स्टडी ऑफ़ लिटरेचर – I | द डेवलपमेंट ऑफ़ ड्रामा फ्रॉम लेसिंग टू हेबल – I |
इंट्रोडक्शन टू मॉडर्न जर्मन लिंग्विस्टिक – I | पोएट्री ऑफ़ क्लासिकल पीरियड्स |
इंडिया इन जर्मन लिटरेचर – II / जर्मन लिटरेरी ट्रेंड्स (रिअलिस्म एंड नैचरलिज़म) | द डेवलपमेंट ऑफ़ ड्रामा फ्रॉम हेबल टू ब्रेक्ट -II |
एन इंट्रोडक्शन टू द स्टडी ऑफ़ लिटरेचर-II | ट्रेनिंग ऑफ़ ओरल इंटरप्रेटेशन स्किल |
इंट्रोडक्शन टू मॉडर्न जर्मन लिंग्विस्टिक्स-II | मेजर इलेक्टिव कोर्स |
MA चाइनीज़ /मैंडरिन
एडवांस्ड चाइनीज़ | इंटेंसिव रीडिंग्स इन चाइनीज़ लिटरेचर I |
एडवांस्ड चाइनीज़ II | मॉडर्न लिटरेरी ट्रेंड्स एंड क्रिटिसिज़्म |
रीडिंग इन लिटररी चाइनीज़ I | रीडिंग्स इन साईनो- इंडियन इंटरेक्शन्स |
एडवांसड रीडिंग्स इन पॉलिटिकल एंड इकोनॉमिक डॉक्युमेंट्स इन चाइनीज़ I | ट्वेंटिएथ-सेंचरी चाइना |
एडवांस्ड चाइनीज़ III | वुमन इन चाइनीज़ लिटरेचर |
एडवांस्ड चाइनीज़ IV | सेमीनार इन मॉडर्न चाइनीज़ लैंगुएज , लिटरेचर एंड कल्चर |
रीडिंग्स इन लिटरेरी चाइनीज़ II | इंटरप्रिटेशन एंड मैथड्स ऑफ़ टीचिंग |
एडवांस्ड रीडिंग्स इन बिज़नेस एंड साइंटिफिक डॉक्युमेंट्स इन चाइनीज़ II | मॉडर्न चाइनीज़ लिटरेचर इन ट्रांसलेशन |
लिटरेचर ऑफ़ पीपल रिपब्लिक ऑफ़ चाइना | इंटेंसिव रीडिंग्स इन चाइनीज़ लिटरेचर II |
पॉलिटिकल एंड कल्चरल हिस्ट्री प्री-मॉडर्न चाइना | इंटेंसिव रीडिंग्स इन चाइनीज़ लिटरेचर III |
रीडिंग्स इन कम्पेरेटिव लिटरेचर | एडवांस्ड स्टडी इन चाइनीज़ ग्रामर |
MA इकोनॉमिक्स
मैक्रोइकॉनॉमिक्स एनालिसिस | इकोनॉमिक्स ऑफ़ ग्रोथ |
मॉनेटरी इकोनॉमिक्स | पब्लिक इकोनॉमिक्स |
एलिमेंट्री स्टैटिक्स | इशूज़ इन द इंडियन इकॉनमी |
इंटरनैशनल ट्रेड | इकोनॉमिक्स ऑफ़ इंडस्ट्री |
ऑप्शनल पेपर – I | ऑप्शनल पेपर – II |
थ्योरी ऑफ़ प्राईज़िंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन | ग्रोथ मॉडल्स इन इकोनॉमिक्स |
मैक्रोइकॉनॉमिक्स एनालिसिस | इंडियन पब्लिक फाइनैंस |
क्वांटिटेटिव मेथड्स | सेलेक्टेड प्रॉब्लम्स ऑफ़ द इंडियन इकॉनमी |
इंटरनेशनल फायनेंस | इकोनॉमिक्स ऑफ़ एग्रीकल्चर |
MA पोलिटिकल साइंस
मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट | कम्पेरेटिव पॉलिटिकल एनालिसिस |
इंटरनेशनल रिलेशन्स-थ्योरी एंड प्रैक्टिस | वेस्टर्न पॉलिटिकल थॉट |
इंडियन पॉलिटिक्स-मेजर इशूज़ एंड डिबेट्स | सेमीनार ऑन फील्ड प्रोजेक्ट |
कंटेम्पोरेरी पॉलिटिकल थ्योरी | डिज़र्टेशन – I |
सॉफ्ट स्किल्स | टीचिंग एंड रिसर्च एप्टीट्यूड-I |
पॉलिटिकस ऑफ़ डेवलपिंग कंट्रीज़ | डिपार्टमेंटल इलेक्टिव 2 |
कंटेम्प्ररी पोलिटिकल इशूज़ | डिपार्टमेंटल इलेक्टिव 3 |
मेजर आइडियाज़ एंड इश्यूज़ इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन | स्टेट पॉलिटिकस इन इंडिया |
रिसर्च मेथड्स इन पॉलिटिकल साइंस | डिज़र्टेशन- II |
डिपार्टमेंटल इलेक्टिव 3 | टीचिंग एंड रीसर्च एप्टीट्यूड – II |
MA पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन
कांसेप्ट एंड आइडिआज़ ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन | कम्पेरेटिव लोकल गवर्नमेंट नेचर एंड सिग्नीफिकेन्स |
ऐडमिनिस्ट्रेटिव थेओरीज़ एंड थिंकर्स : क्लासिकल एरा | कम्पेरेटिव एडमिनिस्ट्रेशन |
पब्लिक पर्सोनल एडमिनिस्ट्रेशन : थ्योरी एंड प्रैक्टिस | पब्लिक पॉलिसी |
इवोल्यूशन एंड फ्रेमवर्क ऑफ़ इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन | फाइनेंशियल एडमिनिस्ट्रेशन इन इंडिया: कांसेप्ट एंड स्ट्रक्चर |
सिटिज़न एंड एडमिनिस्ट्रेशन: कांसेप्टस एंड इशूज़ | फंडामेंटल्स ऑफ़ कम्प्यूटर्स/इंटरनैशनल पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन- I |
प्रिंसिपल्स एंड प्रक्टिसिज़ ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन | कम्पेरेटिव लोकल गवर्नमेंट : प्रोसेस एंड इश्यूज़ |
एडमिनिस्ट्रेटिव थेओरीज़ एंड थिंकर्स: मॉडर्न एरा | डेवलपमेंट एडमिनिस्ट्रेशन |
पब्लिक पर्सोनल एडमिनिस्ट्रेशन:कॉन्सेप्ट्स एंड इशूज़ | थ्योरी एंड प्रैक्टिस ऑफ़ मैनेजमेंट |
इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन: स्टेट एंड डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन | फाइनैंशियल एडमिनिस्ट्रेशन इन इंडिया : प्रोसेस |
MA रूरल स्टडीज़
प्रिंसिपल्स एंड प्रक्टिसिज़ ऑफ़ रूरल डेवेलपमेंट | रिसोर्स इकोनॉमिक्स |
इकोनॉमिक्स एनालिसिस फॉर रूरल मैनेजमेंट – I | ऑपरेशंस रिसर्च टेक्निक्स |
मैनेजमेंट एकाउंटिंग एंड फाइनैंस | एनवायरनमेंट एंड एनर्जी मैनेजमेंट |
क्वांटिटेटिव एनालिसिस फॉर रूरल मैनेजमेंट | प्रोजेक्ट मैनेजमेंट-I : प्लानिंग एंड इम्प्लीमेंटेशन ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स |
अग्रिबिज़्नेस , अग्रिप्रिन्योरशिप एंड स्किल डेवलपमेंट | रूरल प्रोडक्ट मार्केटिंग |
रूरल लाइवलीहुड सिस्टमस | जिओग्रफ़िकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स फॉर रूरल डेवलपमेंट |
रिसर्च मेथोडोलॉजी फॉर रूरल स्टडीज़ | रूरल डेवेलपमेंट इंटरवेंशंस |
कंप्यूटर एप्लीकेंशंस फॉर रूरल मैनेजमेंट | रूरल डेवेलपमेंट प्रोग्राम्स एंड पॉलिसीज़ |
इकोनॉमिक एनालिसिज़ फॉर रूरल मैनेजमेंट -II | बिज़नेस बजेटिंग |
सोशल पॉलिसी , प्लानिंग एंड डेवलपमेंट | साइंस एंड टेक्नॉलजी फॉर रूरल डेवलपमेंट |
ट्रेड लिब्रलाइज़ेशन एंड ग्लोबल बिज़नेस लॉजिस्टिक्स | को-ऑपरेटिव थॉट्स एंड कलेक्टिव एक्शन्स |
रिस्क मैनेजमेंट एंड रूरल इंश्योरेंस | फाइनैंस मैनेजमेंट |
इंट्रोडक्शन टू बायोनॉमिक्स | सोशल कॉर्पोरेट रिस्पॉन्सिबिलिटी |
प्रोजेक्ट मैनेजमेंट -II मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स | |
MA आर्केयोलॉजी
फॉउंडेशन ऑफ़ सोशल एंथ्रोपोलॉजी | सोशल इकोलॉजी |
आर्केयोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी | एंथ्रोपोलॉजी ऑफ़ पिज़ेन्ट्स सोसाइटीज़ |
एथनोलॉजी एंड कम्पेरेटिव एथनोग्राफी | एंथ्रोपोलॉजी ऑफ़ अर्बन एंड कॉम्प्लेक्स सोसाइटी |
प्रैक्टिकल – आर्केयोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी | थेओरीज़ ऑफ़ कल्चर एंड सोशल स्ट्रक्चर |
इंडियंस ओवरसीज़ | ह्यूमन बायोलॉजी |
क्वालिटेटिव मेथड्स एंड रिसर्च | इकोनॉमिक्स एंथ्रोपोलॉजी |
फिज़िकल एंथ्रोपोलॉजी | पॉलिटिकल एंथ्रोपोलॉजी |
मेथडोलॉजी ऑफ़ ऐंथ्रोपोलॉजिकल रिसर्च | माइनोरिटीज़, शेड्यूल कास्ट्स एंड शेड्यूल्ड ट्राइब्स |
अप्लाइड एंथ्रोपोलॉजी | एंथ्रोपोलॉजी ऑफ़ फोकलोर |
प्रैक्टिकल- फिज़िकल एंथ्रोपोलॉजी | प्रोजेक्ट, फील्ड वर्क, डिज़र्टेशन एंड वाइवा |
MA सोशल वर्क
हिस्ट्री एंड फिलॉसोफी ऑफ़ सोशल वर्क | स्टेटिस्टिक्स एंड कम्प्यूटर ऍप्लिकेशन |
साइकोसोशल डाइनामिक्स ऑफ़ ह्यूमन बिहेवियर | डायनामिक्स ऑफ़ सोशिओ-पॉलिटिकल इंस्टीट्यूशंस एंड ऑर्गनाइज़ेशन |
मैथड्स ऑफ़ वर्किंग विद पीपल : माइक्रो-अप्रोचस | सोशल पॉलिसी एंड प्लानिंग |
सोशल वेलफेयर एडमिनिस्ट्रेशन | डेमोग्राफी एंड पॉप्युलेशन स्टडीज़ |
रिसर्च मेथडोलॉजी | कॉम्युनिकेशन एंड सोशल वर्क प्रैक्टिस |
मैन एंड सोसाइटी | लेबर प्रॉब्लम एंड लेबर वेलफेयर |
अप्रोचिस एंड फील्डस ऑफ़ सोशल वर्क | डाइनामिक्स ऑफ़ सोशल डेवलपमेंट |
ह्यूमन ग्रोथ एंड डेवलपमेंट | सोशल इकोलॉजी एंड मैनेजमेंट ऑफ़ एनवायरनमेंट |
मैथड्स ऑफ़ वर्किंग विद पीपल: मैक्रो अप्रोचिज़ | कॉउंसलिंग एंड सोशल वर्क प्रैक्टिस |
मैनेजमेंट ऑफ़ NGO’s एंड डिज़ास्टर रिलीफ सर्विसिज़ | लेबर लेजिस्लेशन एंड सोशल वर्क प्रैक्टिस |
MA एंथ्रोपोलॉजी
इंट्रोडक्शन टू सोशल एंथ्रोपोलॉजी | थियोरीज़ ऑफ़ सोशल स्ट्रक्चर |
फिज़िकल एंथ्रोपोलॉजी | अप्लाइड एंथ्रोपोलॉजी एंड ट्राइबल वेलफेयर |
आर्किओलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी | इंडियन सोसाइटी |
क्वांटिटेटिव रिसर्च मैथड्स | एंथ्रोपोलॉजी ऑफ़ कॉम्प्लेक्स सोसाइटी |
क्वालिटेटिव रिसर्च मैथड्स | थेओरीज़ ऑफ़ कल्चर |
MA इन इंग्लिश एंड कम्पेरेटिव लिट्रेचर
पोएट्री I | कम्पेरेटिव लिटरेचर |
ड्रामा I | लिटरेरी थ्योरी I |
लिटरेरी क्रिटिसिज़्म I | न्यू लिट्रेचर्स इन इंग्लिश |
फिक्शन I | इंग्लिश लैंगुएज टीचिंग |
इंग्लिश फॉर स्पेसिफिक पर्पस | फिलॉस्फी एंड लिटरेचर |
इंडियन लिटरेचर इन इंग्लिश | इंडियन नॉवल इन इंग्लिश ट्रांसलेशन |
लिटरेरी क्रिटिसिज़्म | राइटर्स ऑफ़ द डायस्पोरा |
पोएट्री ऑफ़ द नाइंटींथ सेंचरी | लिटरेरी थ्योरी II |
क्रिएटिव -रायटिंग ( इंटरडिसिप्लिनरी ) | अमरीकन लिटरेचर II |
ट्वेन्टीयथ-सेंचरी लिटरेचर इन इंग्लिश | लिंग्विस्टिक्स |
पोएट्री ऑफ़ द नाइंटींथ सेंचरी साइंस एंड लिटरेचर (इंटरडिसिप्लिनरी) |
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MA में प्रसिद्ध कोर्स (विशेषज्ञता)
MA में आपको बड़ी रेंज में प्रोग्राम्स देखने को मिलेंगे जिसमें आप अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी कर सकते है। जिसमें से कुछ प्रसिद्ध नाम नीचे दिए गए हैं-
- MA in History
- MA in Anthropology
- MA in Philosophy
- MA in International Relations
- MA in Film Studies
- MA in Communication
- MA in Journalism
- MA in Cultural Studies
- MA in Political Science
- MA in Psychology
- MA in Theology
- MA in Economics
- MA in Language Studies ( English, French, German, Hindi, Spanish, Chinese/ Mandarin, Greek, Japanese and Latin)
- MA in Sociology
- MA in Social Work
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MA के बाद क्या करें?
MA ke baad kya kare के बारे में गहन चर्चा के साथ-साथ हमें ये भी जानना आवश्यक है कि इस डिग्री की प्राप्ति के बाद कौनसे विकल्पों को चुना जा सकता है और वह विकल्प हमारे भविष्य के लिए कैसे लाभ दायक साबित हो सकते हैं। नीचे दिए गए कुछ विकल्पों को समझकर आप अपनी पसंद अनुसार एक का चयन कर सकते है और अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं –
- बैचलर ऑफ़ एज्युकेशन (B.Ed) : B.Ed एक दो साल का डिग्री कोर्स है जिसे MA के बाद किया जा सकता है। कैंडिडेट्स जो भविष्य में शिक्षक बनने का प्लान कर रहें है वे MA के बाद इस विकल्प को चुन सकते हैं। MA+बी.एड के बाद उम्मीदवार सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के स्कूल में 12वीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए योग्य माना जाता है।
- मास्टर ऑफ़ फिलॉसफी (M.Phil) : यह दो साल की डिग्री मुख्यतः आपके चुनें गए विषय में थ्योरी और प्रैक्टिकल के साथ साथ रिसर्च के माध्यम से आपको प्रोफेशनल बनाने के बारे में है। आप M.Phil की पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी संस्थान से जुड़कर रिसर्च कर सकते हैं या किसी संस्थान में हायर क्लासिज़ के बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
- डॉक्टर ऑफ़ फिलॉसफी (PhD) : PhD M.Phil से ऊंचे लेवल की पढ़ाई होती है। इसमें मूल रूप से आपके चुनें गए विषय पर रिसर्च की जाती है और उस पर रिपोर्ट तैयार की जाती है। यह डिग्री का अवधि लगभग तीन से छः साल हो सकती है। यह आपकी स्पीड और परफेक्शन पर निर्भर करता है कि आप इस डिग्री की प्राप्ति कितने वर्ष में कर पाएंगे। अगर विद्यार्थी जल्दी रिसर्च से जुड़ी सभी मांगोंको पूर्ण कर लेता है तो उसी अनुसार डिग्री का हक़दार हो जाता है। इस डिग्री की प्राप्ति के बाद आप कॉलेजेस या यूनिवर्सिटीज़ में बच्चों को पढ़ाने का अवसर पा सकते हैं।
- नौकरी की तैयारी : अगर आप उच्च शिक्षा के विकल्प को महत्व न देकर नौकरी करना चाहते है तो MA के बाद यह ऑप्शन भी चुना जा सकता है। आप सरकारी और प्राइवेट दोनों की क्षेत्रों में अपना सिक्का आज़मां सकते हैं। सरकारी नौकरी के लिए आपको अपने चुनें गए विषय अनुसार नियमित रूप से फॉर्म और पोस्ट्स का अपडेट इंटरनेट के माध्यम से चेक करते रहना होगा और तैयारी करनी होगी। वहीं प्राइवेट में सिलेक्शन के लिए आपको पोस्ट अनुसार इंटरव्यू और अन्य स्टेप्स को पास करना होगा और आप नौकरी के हक़दार होंगे। हमने आपकी सहायता के लिए इस ब्लॉग के अंत में MA के बाद मिलने वाली पोस्ट्स और दुनिया की टॉप कंपनीज़ के नाम दिए हैं जो MA पास विद्यार्थियों कको नौकरी प्रदान करने में सक्षम हैं।
टॉप विदेशी यूनिवर्सिटीज़
अपनी मास्टर्स के लिए कौनसा प्रोग्राम चुना जाए इसके बाद सवाल आता है कि कौनसी यूनिवर्सिटी बेस्ट रहेगी जिससे आप अपने चुने गए कोर्स में भविष्य बना सकते हैं। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिसका फैसला हर एक छात्र को सोच समझकर लेना बहुत ज़रूरी है। कोर्स को चुनने के बाद एक बेस्ट कॉलेज ढूंढ़ना भी उतना ही महत्वपूर्ण स्टेप है आपकी आसानी के लिए हमने MA करने के लिए विदेश के बेस्ट कॉलेजों की लिस्ट नीचे दी है-
यूनिवर्सिटी का नाम | औसत सालाना फीस (INR) |
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी , USA | $ 49575 (38.05 लाख INR) |
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी USA | $ 66042 (50.69 लाख INR) |
यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सस ,USA | $ 24819 (19.05 लाख INR ) |
कोलम्बिया यूनिवर्सिटी ,USA | $ 55792 (42.82 लाख INR) |
कैंटरबरी क्राइस्ट चर्च यूनिवर्सिटी , UK | £ 16793 (16.80 लाख INR) |
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी , UK | £ 23080 (23.10 लाख INR) |
कोवेंट्री यूनिवर्सिटी ,UK | £ 11040 (11.04 लाख INR) |
यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन ,UK | £ 7365 (7.37 लाख INR) |
यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो , कनाडा | 38615 CAD (23.27 लाख INR) |
यूनिवर्सिटी ऑफ़ अल्बर्टा, कनाडा | 16256 CAD (9.80 INR) |
यूनिवर्सिटी ऑफ़ ब्रिटिश कोलम्बिया , कनाडा | 8211 CAD (4.95 INR) |
टॉप भारतीय यूनिवर्सिटी
MA करने के लिए भारत के बेस्ट कॉलेजों की लिस्ट नीचे गई है। जिसमें आप एडमिशन ले सकते है और अपनी मास्टर्स की डिग्री पूरी कर सकते है-
- लेडी श्री राम कॉलेज फॉर वीमेन,नई दिल्ली
- लोयोला कॉलेज,चेन्नई
- एहमदाबाद यूनिवर्सिटी, अमृतमोदी स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट,एहमदाबाद
- सेंट ज़ेवियर कॉलेज, मुंबई
- क्राइस्ट यूनिवर्सिटी,बंगलौर
- मिरांडा हाउस,नई दिल्ली
- प्रेसीडेंसी कॉलेज,चेन्नई
- मद्रास क्रिस्चियन कॉलेज,चेन्नई
- हिन्दू कॉलेज, नई दिल्ली
- हंसराज कॉलेज, नई दिल्ली
- फर्गसन कॉलेज, पुणे
- के.जे. सोमैया कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड कॉमर्स, मुंबई
योग्यता
MA ke baad kya kare ये जानने से पहले उससे जुड़े प्रकारों में रूचि रखने वाले विद्यार्थियों का यह जानना ज़रूरी है कि MA एक स्पेशलाइज्ड कोर्स है जिसमें आप अपनी पसंद के अनुसार प्रोग्राम चुनकर अपना करियर उसी क्षेत्र में बना सकतें है। MA करने के लिए योग्यताओं में निम्नलिखित चीज़े शामिल है जो MA में आने वाले सभी प्रोग्राम्स के लिए आवश्यक मानी गई हैं-
- कैंडिडेट के पास किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से बैचलर डिग्री होना अनिवार्य है।
- कैंडिडेट के ग्रेजुएट लेवल पर कम से कम 55% मार्क्स होना अनिवार्य है।
- विदेश की यूनिवर्सिटी में अप्लाई कर रहे छात्र को इंग्लिश प्रोफिशिएंसी टेस्ट जैसे TOEFL, IELTS, PTE क्लियर करना आवश्यक हैं।
- GRE/GMAT के अंक भी अनिवार्य हैं।
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आवेदन प्रक्रिया
MA में एडमिशन के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करना आवश्यक है। यह एप्लीकेशन प्रोसेस आपको आपके मन चाहे कॉलेज में एडमिशन दिलाने के लिए महत्वपूर्ण है-
- पहले MA से जुड़े सभी कोर्सेज को जानें और अपने लिए एक बेहतर विकल्प चुनें।
- उसके बाद कौनसे कॉलेजेस आपका चुना कोर्स उपलब्ध करातें है पता लगाएं।
- ध्यान से कोर्स और कॉलेज के लिए दी गई योग्यता को पढ़ें।
- MA में आपके चुनें विकल्प के लिए देने वाले एंट्रेंस एग्ज़ाम्स का पता लगाएं और आपके कॉलेज द्वारा स्वीकार किया जाने योग्य एग्ज़ाम चुनें।
- MA प्रोग्राम के लिए एनरोल कर रहे कैंडिडेट का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करना आवश्यक है क्योंकि मास्टर डिग्री देने वाली ज़्यादातर यूनिवर्सिटीजऔर इंस्टिट्यूट्स एंट्रेंस टेस्ट के स्कोर के हिसाब से ही एडमिशन लेते है।
- कई यूनिवर्सिटीस आपके एंट्रेंस एग्ज़ाम रिज़ल्ट अनुसार डायरेक्ट एडमिशन भी देतीं हैं जबकि कुछ उसके बाद भी एडिशनल चीज़ों के मुताबिक़ सेलेक्शन करतीं हैं जिसमें ज़्यादातर ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू शामिल होतें हैं।
- रिजल्ट आने के बाद,काउंसिलिंग के लिए रजिस्टर करें और प्रोसेस फॉलो करें।
- अपने चुनें गए कॉलेज और कोर्स को काउंसिलिंग में सेलेक्ट करें।
- रजिस्टर करें और दस्तावेज़ जमा कराएं।
विदेश में आवेदन प्रक्रिया
विदेश के विश्वविद्यालयों में आवेदन करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अपनी आवेदन प्रक्रिया का ख़ास ध्यान रखना होगा, नीचे दिए गए स्टेप्स को ध्यान से पढ़ें-
- कोर्सेज़ और यूनिवर्सिटीज को शॉर्टलिस्ट करें: आवेदन प्रक्रिया में पहला स्टेप आपके शैक्षणिक प्रोफ़ाइल के अनुसार कोर्सेज़ और यूनिवर्सिटीज को शॉर्टलिस्ट करना है। छात्र AI Course Finder के माध्यम से कोर्स और यूनिवर्सिटी को शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं और उन यूनिवर्सिटीज की एक लिस्ट तैयार कर सकते हैं, जहां उन्हें अप्लाई करना सही लगता है। यह प्रक्रिया थोड़ी लम्बी और मुश्किल हो सकती है इसलिए आप Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800572000 पर सम्पर्क कर सकते हैं वे आपकी एडमिशन प्रोसेस में हैल्प करेंगे।
- अपनी समय सीमा जानें: अगला कदम विदेश में उन यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों की समय सीमा जानना है, जिनमें आप आवेदन करने का सोच रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आवेदन प्रक्रिया के लिए काफी पहले (वास्तविक समय सीमा से एक वर्ष से 6 महीने पहले) ध्यान देना होता है। यह सुनिश्चित करता है कि छात्र कॉलेज की सभी आवश्यकताओं जैसे SOP, सिफारिश के पत्र, फंडिंग / स्कॉलरशिप का विकल्प और आवास को पूरा कर सकते हैं।
- प्रवेश परीक्षा लें: विदेशी यूनिवर्सिटीज़ के लिए आवेदन प्रक्रिया के तीसरे स्टेप मे छात्रों को IELTS, TOEFL, PTE और यूनिवर्सिटी क्लिनिकल एप्टीट्यूड टेस्ट (यूसीएटी) जैसे टेस्ट देने होते हैं। इंग्लिश प्रोफिशिएंसी टेस्ट में एक नया Duolingo टेस्ट है जो छात्रों को अपने घरों से परीक्षा में बैठने की अनुमति देता है और दुनिया भर में स्वीकार किया जाता है।
- अपने दस्तावेज़ कंप्लीट करें: अगला कदम आवेदन प्रक्रिया के लिए सभी आवश्यक दस्तावेजों और स्कोर को पूरा करके एक जगह पर संभल लें। इसका मतलब है कि छात्रों को अपना SOP लिखना शुरू कर देना चाहिए, शिक्षकों और सुपरवाइज़र्स से सिफारिश के पत्र प्राप्त करना चाहिए और अपने फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स को अन्य दस्तावेज़ों जैसे टेस्ट स्कोरकार्ड के साथ सिस्टेमैटिक तरह से रखलें। COVID-19 महामारी के साथ, छात्रों को अपना वैक्सीन प्रमाणपत्र डाउनलोड करना होगा।
- अपने आवेदन करने की प्रक्रिया प्रारंभ करें: एक बार जब आपके पास सभी दस्तावेज़ मौजूद हों, तो छात्र सीधे या UCAS के माध्यम से आवेदन प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। विदेश की यूनिवर्सिटीज में आवेदन करने वाले छात्र जो सीधे आवेदन स्वीकार करते हैं, वे यूनिवर्सिटी वेबसाइट के माध्यम से आवेदन करके शुरू कर सकते हैं। उन्हें कोर्सेज़ का चयन करना होगा, आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा और ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
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आवश्यक दस्तावेज़
MA ke baad kya kare जानने के साथ साथ उससे जुड़े कोर्स में अप्लाई करने के लिए छात्र को नीचे दिए गए दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी-
- 10वीं और 12वीं उत्तीर्ण की मार्कशीट।
- ग्रेजुएशन उत्तीर्ण की मार्कशीट।
- कॉलेज छोड़ने का सर्टिफिकेट।
- भारतीय नागरिकता का प्रमाण जिसमें जन्म पत्री या पासपोर्ट हो सकता है।
- किसी मान्यता प्राप्त डॉक्टर द्वारा दिया गया ‘फिज़िकल फिटनेस सर्टिफिकेट’
- कैंडिडेट की 5 पासपोर्ट साइज़ फोटो।
- लैंग्वेज टेस्ट स्कोर शीट IELTS, TOEFL आदि।
- Statement of Purpose (SOP) जमा कराएं।
- Letters of Recommendation (LORs) जमा कराएं।
प्रसिद्ध प्रवेश परीक्षाएं
भारत की प्रसिद्ध प्रवेश परीक्षाओं की लिस्ट निम्नलिखित है-
विदेश की प्रसिद्ध प्रवेश परीक्षाएं
विदेश की प्रसिद्ध प्रवेश परीक्षाओं की लिस्ट निम्नलिखित है:
करियर स्कोप
MA ke baad kya kare यह जानने के लिए आखरी कदम करियर स्कोप जानना है तो आइये जानते हैं करियर स्कोप। मास्टर्स ऑफ़ आर्ट्स आपको भविष्य में कई विकल्प उपलब्ध कराता है। आपके सभी विकल्प इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि आपने मास्टर्स के दौरान कौनसा प्रोग्राम चुना था। एक मास्टर डिग्री होने के कारण MA आपको एक वाइड रेंज देता है जहाँ आप नौकरी पा सकते हैं। अगर आपने एक प्रसिद्ध एवं योग्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से अपनी डिग्री पाई है तो ये रेंज आपके लिए और बढ़ जाती है और आपको एक बेहतर वातावरण और सैलरी पैकेज दे सकती है। आप चाहें तो MA के बाद अपने चुनें गए विषय में M.PHIL और PhD करने का विकल्प भी चुन सकते हैं। MA के बाद नौकरी के विकल्प में आपका विषय आपका क्षेत्र निर्धारित करता है। कुछ क्षेत्र जो एक MA पास को नौकरी उपलब्ध करातें हैं निम्नलिखित हैं:
- एम्बेसीज़
- गवर्नमेंट ऑफिस
- अकैडमिक्स
- लॉ फर्मस
- न्यूज़ एंड मीडिया
- फॉरेन अफेयर्स
- कंसल्टैंसीज़
- फॉरेन अफेयर्स
टॉप रिक्रूटर्स
कुछ रिक्रूटर्स जो MA पास किए कैंडिडेट को हायर करनें में सक्षम हैं निम्नलिखित हैं:
- ITC लिमिटेड
- TCS
- मिंत्रा
- ऐमेज़ॉन
- BMW
- हिंदुस्तान टाइम्स
- ICICI बैंक
- टाइम्स ऑफ़ इंडिया
टॉप जॉब प्रोफाइल और सैलरी
MA के बाद आप किन जॉब प्रोफाइल्स के लिए जाएंगे ये पूरी तरह आपके चुने गए प्रोग्राम और विषय पर निर्भर करता है। लेकिन फ़िर भी छात्रों के मन में ये सवाल हमेशा रहता है कि MA ke baad kya kare तो आइए जानते है कुछ मेजर करियर विकल्प जो आप अपनी मास्टर डिग्री पाने के बाद चुन सकते हैं भारत में मुख्य तौर पर मिलने वाली टॉप जॉब प्रोफाइल्स और उनमें मिलने वाली औसत सैलरी निम्नलिखित हैं:
जॉब प्रोफाइल | औसत सैलरी (LPA) |
कंटेंट राइटर | 2.87 |
जर्नलिस्ट | 3.46 |
सोशल वर्कर | 3.88 |
टीचर | 5 |
कंसलटेंट | 5.5 |
FAQs
MA के बाद B.Ed करने का विकल्प उन छात्रों के लिए बेहतर साबित होगा जो टीचर बनने की और अपना ध्यान केंद्रित करने में इच्छुक हैं। समय की बात करें तो आप MA करने के दौरान भी B.Ed करने का ऑप्शन चुन सकतें हैं जो आपका समय बचाएगा और आप दोनों डिग्री साथ में हासिल कर पाएंगे। फिर उसके बाद अगर आप चाहें तो अपने चुने गए विषय में PhD कर लेक्चरर बनने की और फोकस कर सकते हैं। यह तरीका आपको टीचिंग के क्षेत्र में जल्दी उन्नति की और ले जाएगा।
MA का पूरा नाम मास्टर ऑफ आर्ट्स है। यह एक पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स होता है जो 2 वर्ष का होता है। यह कोर्स BA के बाद किया जाता है।
MA में सबसे पसंदीदा विषय इतिहास है अगर आपको विश्व के इतिहास और अपने देश के इतिहास के बारे में बहुत रुचि है और आप इतिहास को पढ़ना चाहते हैं और उस पर सर्च करना चाहते हैं तो आपको हिस्ट्री सब्जेक्ट से MA कोर्स करना चाहिए इसमें आपको अंतरराष्ट्रीय देश के इतिहास के बारे में पढ़ाया जाता है।
अगर आप किसी सरकारी कॉलेज से भी MA करते हैं तो आपको फीस के रूप में 4,000 से 5,000 की रकम चुकानी होती है। कुछ प्राइवेट कॉलेजों में भी MA की फीस 10,000 से 15,000 होती है। अलग-अलग कॉलेज में इसका निर्धारण अलग-अलग होता है।
बीएड में प्रवेश प्राप्त करनें हेतु आवश्यक न्यूनतम योग्यता कोर्स बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए), बैचलर ऑफ साइंस (बीएससी) या बैचलर ऑफ कॉमर्स (बीकॉम) व अन्य स्नातक कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ एक मान्यता प्राप्त बोर्ड/विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
बैचलर ऑफ़ एज्युकेशन (B.Ed) : B.Ed एक दो साल का डिग्री कोर्स है जिसे MA के बाद किया जा सकता है। कैंडिडेट्स जो भविष्य में शिक्षक बनने का प्लान कर रहें है वे MA के बाद इस विकल्प को चुन सकते हैं। MA+बी.एड के बाद उम्मीदवार सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के स्कूल में 12वीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए योग्य माना जाता है।
मास्टर ऑफ़ फिलॉसफी (M.Phil) : यह दो साल की डिग्री मुख्यतः आपके चुनें गए विषय में थ्योरी और प्रैक्टिकल के साथ साथ रिसर्च के माध्यम से आपको प्रोफेशनल बनाने के बारे में है। आप M.Phil की पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी संस्थान से जुड़कर रिसर्च कर सकते हैं या किसी संस्थान में हायर क्लासिज़ के बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
डॉक्टर ऑफ़ फिलॉसफी (PhD) : PhD M.Phil से ऊंचे लेवल की पढ़ाई होती है। इसमें मूल रूप से आपके चुनें गए विषय पर रिसर्च की जाती है और उस पर रिपोर्ट तैयार की जाती है। यह डिग्री का अवधि लगभग तीन से छः साल हो सकती है। यह आपकी स्पीड और परफेक्शन पर निर्भर करता है कि आप इस डिग्री की प्राप्ति कितने वर्ष में कर पाएंगे। अगर विद्यार्थी जल्दी रिसर्च से जुड़ी सभी मांगोंको पूर्ण कर लेता है तो उसी अनुसार डिग्री का हक़दार हो जाता है। इस डिग्री की प्राप्ति के बाद आप कॉलेजेस या यूनिवर्सिटीज़ में बच्चों को पढ़ाने का अवसर पा सकते हैं।
नौकरी की तैयारी : अगर आप उच्च शिक्षा के विकल्प को महत्व न देकर नौकरी करना चाहते है तो MA के बाद यह ऑप्शन भी चुना जा सकता है। आप सरकारी और प्राइवेट दोनों की क्षेत्रों में अपना सिक्का आज़मां सकते हैं। सरकारी नौकरी के लिए आपको अपने चुनें गए विषय अनुसार नियमित रूप से फॉर्म और पोस्ट्स का अपडेट इंटरनेट के माध्यम से चेक करते रहना होगा और तैयारी करनी होगी। वहीं प्राइवेट में सिलेक्शन के लिए आपको पोस्ट अनुसार इंटरव्यू और अन्य स्टेप्स को पास करना होगा और आप नौकरी के हक़दार होंगे। हमने आपकी सहायता के लिए इस ब्लॉग के अंत में MA के बाद मिलने वाली पोस्ट्स और दुनिया की टॉप कंपनीज़ के नाम दिए हैं जो MA पास विद्यार्थियों कको नौकरी प्रदान करने में सक्षम हैं।
उम्मीद है आपको हमारा MA ke baad kya kare पर ब्लॉग पसंद आया होगा। यदि आप विदेश में MA करना चाहते हैं तो हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800 572 000 पर कांटेक्ट कर आज ही 30 मिनट का फ्री सेशन बुक कीजिए।
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मनोज जी आपका शुक्रिया, ऐसी ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
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7 comments
thanks
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Good afternoon Maine MA sociology se Kiya hai . 2014 main . Ab mujhe kya kerna chahiye
ज़ेबा जी, आप आगे संबंधित विषय में पीएचडी कर सकते है। एमए सोशियोलॉजी के बाद एमबीए भी बेहतरीन विकल्प है।
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