सरोजिनी नायडू एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, सुप्रसिद्ध कवयित्री और राजनीतिज्ञ थीं। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की उन अग्रणी महिलाओं में थीं, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया। वह एक महान कवयित्री भी थीं। उनकी काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें ‘भारत कोकिला’ की उपाधि दी गई थी। भारत में प्लेग महामारी के दौरान उनकी समाजसेवा के लिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ‘कैसर-ए-हिंद’ पदक से सम्मानित किया था।
क्या आप जानते हैं कि वर्ष 1925 में सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बनी थीं? हालांकि कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष एनी बेसेंट थीं, किंतु वह इस पद तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला थीं। स्वतंत्र भारत में उन्हें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल नियुक्त किया गया और वे इस पद पर आसीन होने वाली भारत की पहली महिला बनीं। भारत में हर वर्ष 13 फरवरी को उनकी जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय महिला दिवस’ मनाया जाता है। इस ब्लॉग में ‘भारत कोकिला’ सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय और उनके कार्यों की जानकारी दी गई है।
| नाम | सरोजिनी नायडू |
| उपनाम | ‘भारत कोकिला’ व ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ |
| जन्म | 13 फरवरी 1879 |
| जन्म स्थान | हैदराबाद, तेलंगाना |
| शिक्षा | किंग्स कॉलेज, लंदन, निज़ाम कॉलेज |
| पिता का नाम | अघोरनाथ चट्टोपाध्याय |
| माता का नाम | वरदा सुंदरी देवी |
| पति का नाम | डॉ. गोविंदराजालु नायडू |
| संतान | जयसूर्या नायडू, पद्मजा नायडू, रणधीर नायडू, लीलामणि नायडू, निलावर नायडू |
| संगठन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-INC |
| आंदोलन | भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन |
| रचनाएँ | ‘इन द बज़ार्स ऑफ हैदराबाद’, ‘द गोल्डन थ्रेशोल्ड’, ‘द बर्ड ऑफ टाइम’ व ‘द ब्रोकन विंग’ आदि |
| सम्मान | ‘कैसर-ए-हिंद’ |
| प्रमुख उपलब्धियां | कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष, देश की पहली महिला राज्यपाल |
| निधन | 2 मार्च, 1949 लखनऊ |
| जीवनकाल | 70 वर्ष |
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हैदराबाद में हुआ था जन्म
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय, एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे, जबकि माता वरदा सुंदरी देवी एक कवयित्री थीं, जो बंगाली भाषा में कविताएँ लिखती थीं। सरोजिनी नायडू आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनके एक भाई, विरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय, एक क्रांतिकारी थे, जबकि दूसरे भाई हरिद्रनाथ चट्टोपाध्याय, कवि, कथाकार और अभिनेता थे।
सरोजिनी नायडू की शिक्षा
सरोजिनी नायडू बचपन से ही एक मेधावी छात्रा थीं और उर्दू, फ़ारसी, अंग्रेज़ी, बांग्ला तथा तेलुगु भाषाओं में निपुण थीं। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से मैट्रिक परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था। 16 वर्ष की आयु में वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चली गईं। वहाँ उन्होंने पहले किंग्स कॉलेज, लंदन में और बाद में गिर्टन कॉलेज, कैंब्रिज में तीन वर्षों तक अध्ययन किया।
सरोजिनी नायडू का व्यक्तिगत जीवन
सरोजिनी नायडू उच्च शिक्षा के उपरांत जब इंग्लैंड से लौटीं तब सन 1898 में 19 साल की उम्र में उनका विवाह पेशे से डॉ. गोविंदराजालु नायडू से हो गया। इनकी पांच संताने हुईं जयसूर्या नायडू, पद्मजा नायडू, रणधीर नायडू, लीलामणि नायडू, निलावर नायडू।
महात्मा गांधी से पहली मुलाकात
बताया जाता है कि सरोजिनी नायडू की महात्मा गांधी से पहली मुलाकात सन 1914 में लंदन में हुई थी। गांधीजी से मिलने के बाद उनके जीवन की दिशा बदल गई। यहीं से वह देश की आजादी के आंदोलन से जुड़ गईं। वहीं गांधीजी के भारत आने से पहले वह दक्षिण अफ्रीका में उनकी सहयोगी रही थीं। बाद में वह सन 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हो गईं।

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भागीदारी
सरोजिनी नायडू ने वर्ष 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और विभिन्न स्वतंत्रता गतिविधियों में शामिल होने के कारण वे कई बार गिरफ्तार भी हुईं। इसके बाद वर्ष 1930 में भारत में नमक उत्पादन पर ब्रिटिश एकाधिकार के खिलाफ अहिंसक विरोध, नमक सत्याग्रह में भी उन्होंने हिस्सा लिया था।
वर्ष 1942 में सरोजिनी नायडू को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया और गांधीजी के साथ 21 महीने के लिए जेल में डाल दिया गया। किंतु उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और भारत के संघर्ष के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने के लिए उन्होंने अमरीका व यूनाइटेड किंगडम सहित विभिन्न देशों की यात्राएं की। वर्ष 1931 में वह भारतीय-ब्रिटिश सहयोग हेतु ‘गोलमेज सम्मेलन’ के अनिर्णायक दूसरे सत्र के लिए गांधीजी के साथ लंदन गई थीं।
भारत की पहली महिला राज्यपाल बनीं
वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद सरोजिनी नायडू को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया, जो भारत में राज्यपाल का पद संभालने वाली पहली महिला बनीं। उन्हें यह पद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सौंपा था। वे अपने निधन तक इस पद पर रहीं।
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सरोजिनी नायडू की रचनाएं
सरोजिनी नायडू भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक महान कवयित्री भी थीं। बताया जाता है कि उन्होंने अल्प आयु में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उनकी अनुपम काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें ‘भारत कोकिला’ (Nightingale of India) की उपाधि दी गई थी।
सरोजिनी नायडू का प्रथम कविता संग्रह ‘The Golden Threshold’ वर्ष 1905 में प्रकाशित हुआ था, जो आज भी साहित्य प्रेमियों के बीच लोकप्रिय है। नीचे उनकी कुछ प्रमुख काव्य रचनाओं की सूची दी गई है:-
| क्रम संख्या | पुस्तकें | प्रकाशित होने का वर्ष |
| 1. | स्वर्णिम दहलीज | 1905 |
| 2. | समय का पंछी: जीवन, मृत्यु और बसंत के गीत | 1912 |
| 3. | द ब्रोकन विंग: सांग्स ऑफ लव, डेथ एंड डेस्टिनी | 1917 |
| 4. | Speeches and Writings of Sarojini Naidu | 1919 |
| 5. | इन द बाज़ार्स ऑफ़ हैदराबाद | 1912 |
| 6. | Songs of Nature – With an Introduction by Edmund Gosse | – |
| 7. | सरोजिनी नायडू, सिलेक्टेड पोएट्री एंड प्रोज़सरोजिनी नायडू द्वारा पुस्तक | 1993 |
| 8. | The Bird of Time – Songs of Life, Death & The Spring: With a Chapter from ‘Studies of Contemporary Poets’ by Mary C. Sturgeon | 1912 |
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पुरस्कार एवं सम्मान
ब्रिटिश सरकार ने भारत में प्लेग महामारी के दौरान सरोजिनी नायडू की उत्कृष्ट सेवा के लिए उन्हें ‘कैसर-ए-हिंद’ पदक से सम्मानित किया था। वहीं, 13 फरवरी 1964 को भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर सम्मान स्वरूप 15 पैसे का एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था।

सरोजिनी नायडू की मृत्यु
सरोजिनी नायडू का 2 मार्च, 1949 को हार्ट अटैक से 70 वर्ष की आयु में लखनऊ में निधन हुआ था। किंतु अपने अतुलनीय कार्यों के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।
राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत
क्या आप जानते हैं कि 13 फरवरी, 2014 को सरोजिनी नायडू की 135वीं जयंती के अवसर पर भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। तब से हर वर्ष उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में 13 फरवरी को ‘राष्ट्रीय महिला दिवस’ मनाया जाता है।
FAQs
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद के एक बंगाली परिवार में हुआ था।
सरोजिनी नायडू, एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, सुप्रसिद्ध कवयित्री और राजनीतिज्ञ थीं।
सरोजिनी नायडू 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष चुनी गईं थीं।
सरोजिनी नायडू को ‘भारत कोकिला’ (नाइटिंगेल ऑफ इंडिया) के नाम से भी जाना जाता है।
आशा है कि आपको कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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