KR Narayanan in Hindi: आईएफएस से भारत के दसवें राष्ट्रपति बनने तक का सफर 

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KR Narayanan in Hindi

KR Narayanan in Hindi: भारत के 10वें राष्ट्रपति के.आर. नारायणन (K.R. Narayanan) की सफलता की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत मानी जाती हैं। उनका जन्म केरल एक छोटे से गांव उझावूर, त्रावणकोर में हुआ था। उनका आरंभिक जीवन कई कठिनाइयों से गुजरा था लेकिन उन्होंने अपने जीवन की राह स्वयं बनाई और सफलता का शिखर हासिल किया और देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए। 

क्या आप जानते हैं कि उन्होंने इंटरमीडिएट की शिक्षा त्रावणकोर के शाही परिवार द्वारा मिली स्कॉलरशिप के माध्यम से पूर्ण की थी इसके साथ ही वह ‘त्रावणकोर यूनिवर्सिटी’ से टॉप करने वाले पहले दलित छात्र थे। के. आर. नारायणन देश के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए अपनी सेवाएं दें चुके हैं। आइए अब हम KR Narayanan in Hindi के इस लेख में उनका संक्षिप जीवन परिचय और उनकी उपलब्धियों के बारे में जानते हैं। 

नाम श्री के.आर. नारायणन (K.R. Narayanan)
जन्म 27 अक्टूबर 1920
जन्म स्थान पेरुमथॉनम उझावूर गाँव, जिला त्रावणकोर, केरल
पिता का नामश्री कोचेरिल रामारी वैद्यन
माता का नाम श्रीमती पुन्नाथथुरवीतिल पापियाम्मा 
शैक्षिक योग्यताएम.ए. (अंग्रेजी साहित्य), बी.एस सी. (अर्थशास्त्र) 
वैवाहिक स्थितिविवाहित
पत्नी का नामश्रीमती उषा नारायणन
धारित पदव्याख्याता, भारत के राजदूत, केंद्रीय मंत्री, कुलाधिपति, विजिटर, चेयरमैन
राष्ट्रपति10वें (25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002)
राजनैतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
किताबें “इंडिया एंड अमेरिका : एस्सेज इन अंडरस्टैंडिंग”, “इमेजेज़ एंड इनसाइट्स” और “नॉन-एलाइनमेंट इन कंटेम्परेरी इंटरनेशल रिलेशन्स” । 
सम्मान ‘वर्ल्ड स्टेट्समैन अवार्ड’, डाक्टर ऑफ साईंस, डाक्टर ऑफ लॉज (मानद),  जवाहर लाल नेहरू फेलोशिप आदि। 
निधन 9 नवंबर 2005

के.आर. नारायणन का आरंभिक जीवन 

के.आर. नारायणन का पूरा नाम ‘कोचेरिल रमन नारायणन’ था। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार उनका जन्म 27 अक्टूबर 1920 को केरल के एक छोटे से गांव पेरुमथॉनम उझावूर, त्रावणकोर में हुआ था। क्योंकि उनके चाचा जब स्कूल में एडमिशन के लिए गए तो उन्होंने सही जन्मतिथि याद नहीं थी। 

इसलिए उनके चाचा ने अनुमान के तौर पर यह जन्मतिथि लिखवा दी लेकिन के.आर. नारायणन ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया और इस तिथि को ही आधिकारिक रहने दिया। के.आर. नारायणन के पिता का नाम ‘कोचेरिल रमन वैद्यर’ था जो आयुर्वेद के चिकित्स्क थे और उनकी माता का नाम ‘पुन्नाथथुरवीतिल पापियाम्मा’ था। वह अपने माता-पिता की सात सन्तानों में चौथे थे। 

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के.आर. नारायणन की शिक्षा 

के.आर. नारायणन का जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ था इसलिए उन्हें बचपन में कई आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उझावूर के ‘अवर प्राथमिक विद्यालय’ से हुई। जहाँ पर्याप्त संसाधन ने होने के कारण उन्हें 15 किलोमीटर चल कर जाना पड़ता था। इसके बाद के.आर.नारायणन (K.R. Narayanan) ने ‘सेंट मेरी हाई स्कूल’ से 1936-37 में मैट्रिक परीक्षा पास की। 

क्या आप जानते हैं कि त्रावणकोर के शाही परिवार ने उन्हें इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी थी। इसके बाद उन्होंने त्रावणकोर विश्‍वविद्यालय (वर्तमान केरल विश्‍वविद्यालय) से बीए ऑनर्स और इंग्लिश लिटरेचर में एम.ए किया। बता दें कि उन्होंने विश्‍वविद्यालय में फर्स्ट क्लास से मास्टर्स डिग्री में टॉप किया था और ऐसा करने वाले वह पहले दलित छात्र थे। 

पत्रकार के रूप में भी किया कार्य 

ये वो समय था जब के.आर. नारायणन का परिवार आर्थिक सकंट से जूझ रहा था। तब उन्होंने वर्ष 1944-45 के बीच दिल्ली का रुख किया और यहाँ कुछ समय तक बतौर पत्रकार ‘द हिन्दू’ और ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में कार्य किया। इस बीच ही के.आर. नारायणन ने वर्ष 1945 में मुंबई में ‘महात्मा गांधी का इंटरव्यू लिया। 

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जे.आर.डी. टाटा ने दी थी स्कॉलरशिप 

इसके बाद के.आर. नारायणन (K.R. Narayanan) सन 1945 में हायर स्टडी के लिए इंग्लैंड चले गए। यहाँ उन्होंने ‘लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ में राजनीति विज्ञान और इकोनॉमिक्स का अध्ययन किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी उच्च शिक्षा के लिए “जे.आर.डी. टाटा” ने उन्हें 16 हजार की स्कॉलरशिप दी थी। ताकि वह लंदन जाकर अपनी स्टडी पूरी कर सके। 

इंडियन फॉरेन सर्विस में प्रवेश 

क्या आप जानते हैं कि के. आर.नारायणन (K.R. Narayanan) ने लंदन में ‘के. एन. मुंशी’ द्वारा प्रकाशित किए जाने वाले ‘द सोशल वेलफेयर’ नामक वीकली समाचार पत्र में संवाददाता के रूप में भी कार्य किया था। इसके कुछ समय बाद वह अपने देश भारत लौट आए और ‘पंडित जवाहरलाल नेहरूने उन्हें ‘भारतीय विदेश सेवा’ (IFS) के लिए नियुक्त कर दिया। फिर नारायणन बर्मा (म्यांमार), टोक्यो, लंदन, कैनबरा, टर्की और हनोई के दूतावासों में बतौर राजनयिक के रूप में कार्य किया। वर्ष 1978 में भारतीय विदेश सेवा से सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने दिल्ली के ‘जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय’ में कुलपति का पदभार ग्रहण किया इस पद पर वह 1979-80 तक रहें। 

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विवाह के लिए मिली थी विशेष अनुमति 

बहुत काम लोग जानते हैं कि नारायणन की भारतीय विदेश सेवा की पहली नियुक्ति बर्मा (म्यांमार) में हुई थी तब उनकी मुलाकात वहाँ की स्थानीय नागरिक ‘मा टिंट टिंट’ हुई। तब लोक सेवा के नियमों के अनुसार कोई भारतीय राजनयिक विदेशी महिला से विवाह नहीं कर सकता था। ऐसे में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें विवाह की विशेष अनुमति दी। इसके बाद नारायणन और मा टिंट टिंट का 8 जून 1951 को विवाह हो गया। इसके बाद ‘मा टिंट टिंट’ ने अपना नाम ‘उषा नारायणन’ रख लिया। 

भारत के राजदूत

इसके बाद भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री ‘इंदिरा गांधी’ के सत्ता में आने के बाद उन्होंने के. आर.नारायणन को रिटायरमेंट से वापस बुला लिया और उन्हें सयुंक्त राज्य अमेरिका में भारत का राजदूत नियुक्त कर दिया। वह वर्ष 1980 से 1984 तक अमेरिका में भारत के राजदूत रहे। इसके बाद उन्होंने थाइलैंड और चीन जनवादी गणराज्य में भी भारतीय राजदूत के रूप में काम किया। KR Narayanan in Hindi के इस लेख में अब हम भारत के राजदूत के रूप में उनके कार्यकाल के बारे में जानेंगे। जिसे नीचे दी गई तालिका में बताया गया हैं:-

देश वर्ष 
थाइलैंड1967 से 1969
टर्की1973 से 1975
चीन जनवादी गणराज्य1976-1978
संयुक्त राज्य अमरीका1980-1984
सचिव, विदेश मंत्रालय1976

इन विश्वविद्यालयों के रह चुके हैं कुलाधिपति

के.आर. नारायणन इंडिया फॉरेन सर्विस (IFS) से सेवानिवृत होने के बाद भारत के कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी रह चुके हैं। यहाँ आप उन विश्वविद्यालयों की सूची देख सकते हैं:-

  • जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय
  • दिल्ली विश्वविद्यालय
  • पंजाब विश्वविद्यालय
  • पांडिचेरी विश्वविद्यालय
  • असम विश्वविद्यालय
  • नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी
  • गांधी ग्राम रूरल इंस्टीट्यूट (मानद विश्‍वविद्यालय)

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के.आर. नारायणन का राजनीति में प्रवेश 

बता दें कि KR Narayanan in Hindi का राजनीति में प्रवेश तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा संभव हुआ। वह ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ में शामिल होने के बाद केरल की ‘ओट्टपालम’(Ottapalam) सीट से लगातार तीन बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। फिर वह भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ‘राजीव गांधी’ की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने और उन्होंने योजना आयोग, विदेश मामले व विज्ञान एवं तकनीकी विभाग का कार्यभार संभाला। 

किंतु जब कांग्रेस वर्ष 1989 से 91में सत्ता से बाहर हुई तो वह विपक्षी सांसद की भूमिका में रहे। लेकिन जब कांग्रेस की दुबारा सत्ता में एंट्री हुई तो नारायणन को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया। 

भारत के उपराष्ट्रपति 

इसके बाद 21 अगस्त 1992 को नारायणन भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए। बता दें कि उनके नाम की सिफारिश भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल के लीडर ‘वीपी सिंह’ ने की थी जिसका पी.वी.नरसिंह राव की सरकार ने भी समर्थन किया था। इस चुनाव में वाम दलों ने भी के.आर नारायणन का समर्थन किया और सर्वसम्मति से उन्हें ‘डॉ. शंकर दयाल शर्मा’ के राष्ट्रपतित्व काल में उपराष्ट्रपति चुन लिया गया। 

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भारत के 10वें राष्ट्रपति 

वर्ष 1997 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘डॉ. शंकर दयाल शर्मा’ का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की ओर से के.आर. नारायणन का नाम अगले राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में चुना गया। इस नाम का समर्थन भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी किया। जिसके बाद के.आर. नारायणन रिकॉर्ड मतों से राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए और उन्होंने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ‘टीएन शेषन’ को भारी मतों के अंतर से हराया। इसके बाद उन्हें 25 जुलाई 1997 को भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस ‘जेएस वर्मा’ ने उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई थी। 

पुरस्कार और सम्मान 

KR Narayanan in Hindi के इस लेख में अब हम उन्हें मिले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान के बारे में जानेंगे। जिसे नीचे दिए गए बिंदुओं में बताया गया हैं:-

  • वर्ष 1998 में के.आर. नारायणन को ‘द अपील ऑफ कॉनसाइंस फाउंडेशन’, न्यूयार्क की ओर से ‘वर्ल्ड स्टेट्समैन अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था। 
  • संयुक्त राज्य अमरीका के टोलेडो यूनिवर्सिटी ने नारायण को ‘डाक्टर ऑफ साईस’ (मानद) की उपाधि से सम्मानित किया था। 
  • वहीं ऑस्ट्रेलिया की ‘आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी’, केनबरा ने नारायणन को ‘डाक्टर ऑफ लॉ’ (मानद) की उपाधि से नवाजा था। 
  • तुर्की के ‘सेन कार्लोस यूनिवर्सिटी’ की तरफ से नारायणन को पॉलिटिकल साइंस में डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था। 
  • वहीं “नेहरू का गुट-निरपेक्ष” के अध्ययन के लिए नारायणन को 1970-72 में ‘जवाहर लाल नेहरू फेलोशिप’ से सम्मानित किया गया था। 

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के.आर. नारायणन की प्रकाशित पुस्तकें 

के.आर. नारायणन (K.R. Narayanan in Hindi) एक गंभीर व्यक्तित्व वाले इंसान थे, उन्होंने कुछ पुस्तकें भी लिखी थी (Books of KR Narayanan) जिनके बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं में बताया गया हैं:-

  • “इंडिया एंड अमेरिका : एस्सेज इन अंडरस्टैंडिंग”
  • “इमेजेज़ एंड इनसाइट्स”
  • “नॉन-एलाइनमेंट इन कंटेम्परेरी इंटरनेशल रिलेशन्स”(संयुक्त लेखन)

के.आर. नारायणन का निधन 

वर्ष 2002 में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद के.आर. नारायणन अपने परिवार के साथ सेंट्रल दिल्ली के अपने निवास में शिफ्ट हो गए। वहीं कुछ समय बाद निमोनिया की बीमारी के कारण उनका 9 नवंबर 2005 को आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। 

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FAQs 

के.आर. नारायणन का जन्म कहाँ हुआ था?

सरकारी दस्तावेजों के अनुसार के.आर. नारायणन का जन्म 27 अक्टूबर 1920 को केरल के एक छोटे से गांव पेरुमथॉनम उझावूर, त्रावणकोर में हुआ था। 

के.आर. नारायणन का पूरा नाम क्या था?

के.आर. नारायणन का पूरा नाम ‘कोचेरिल रमन नारायणन’ था।

के आर नारायण भारत के राष्ट्रपति कब बने थे?

के आर नारायण 25 जुलाई 1997 को भारत के 10वें राष्ट्रपति बने थे।  

के. आर.नारायणन किन देशों के राजदूत रहे थे?

के. आर.नारायणन चीन, टर्की, अमेरिका और थाईलैंड के राजदूत रहे थे।

 के आर नारायणन का निधन कब हुआ था?

के आर नारायणन का 9 नवंबर 2005 को आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में 85 वर्ष की आयु में निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको भारत के 10वें राष्ट्रपति के.आर. नारायणन का जीवन परिचय (KR Narayanan Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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