Manglesh Dabral Ka Jeevan Parichay: मंगलेश डबराल हिंदी साहित्य में आठवें दशक के प्रतिष्ठित गद्यकार, कवि, अनुवादक और संपादक माने जाते हैं। उन्होंने आधुनिक हिंदी साहित्य में अनुपम काव्य रचनाओं का सृजन करने के साथ-साथ गद्य लेखन व संपादन के क्षेत्र में भी अपना अहम योगदान दिया था। क्या आप जानते हैं कि मंगलेश डबराल एक कुशल अनुवादक भी थे। बता दें कि उन्होंने मशहूर लेखिका ‘अरुंधती राय’ के दूसरे उपन्यास ‘The Ministry of Utmost Happiness’ का अनुवाद किया था जिसे बहुत सराहा गया।
वहीं मंगलेश डबराल को उनके काव्य संग्रह ‘हम जो देखते हैं’ के लिए वर्ष 2000 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। बता दें कि मंगलेश डबराल की कई कविताएं जिनमें ‘संगतकार’, ‘पिता की तस्वीर’, ‘खोई हुई चीज’, ‘सपने की कविता’ व ‘नींद की कविता’ आदि को विद्यालय के साथ ही को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं।
वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं, इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी मंगलेश डबराल का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी के प्रख्यात गद्यकार और कवि मंगलेश डबराल का जीवन परिचय (Manglesh Dabral Ka Jeevan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral) |
जन्म | 16 मई, 1948 |
जन्म स्थान | काफलपानी गाँव, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड |
शिक्षा | देहरादून, उत्तराखंड |
पेशा | कवि, लेखक, संपादक, अनुवादक |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | कविता, पटकथा लेखन, समीक्षा, अनुवाद |
कविता-संग्रह | ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’, ‘आवाज़ भी एक जगह है’ आदि। |
गद्य-संग्रह | ‘लेखक की रोटी’, ‘कवि का अकेलापन’ |
यात्रा-डायरी | ‘एक बार आयोवा’ |
संपादन | रेतघड़ी, कविता उत्तरशती, जनसत्ता, सहारा समय, |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘श्रीकांत वर्मा पुरस्कार’, ‘ओमप्रकाश स्मृति सम्मान’ आदि। |
निधन | 09 दिसंबर, 2020 |
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उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में हुआ जन्म
प्रतिष्ठित साहित्यकार मगलेश डबराल का जन्म 16 मई, 1948 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में काफलपानी नामक गाँव में हुआ था। वहीं उनकी प्रारंभिक और उच्च शिक्षा देहरादून से हुई। अल्प आयु में ही पिता के आकस्मिक निधन के बाद परिवार की आजीविका हेतु वह दिल्ली आ गए।
पत्रकारिता के साथ लेखन कार्य की शुरुआत
परिवार की प्रतिकूल आर्थिक स्थिति के कारण उन्होंने पहले दिल्ली में ‘हिंदी पेट्रियट’, ‘प्रतिपक्ष’ और ‘आसपास’ पत्रिकाओं में कार्य किया। इसके बाद वह भोपाल में भारत भवन से प्रकाशित होने वाले ‘पूर्वग्रह’ में सहायक संपादक के रूप में नौकरी करने लगे। फिर उन्होंने कुछ समय तक लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाले ‘अमृत प्रभात’ पत्रिका में भी कार्य किया।
इस दौरन ही उनके साहित्यिक लेखन की शुरुआत भी हो गई थी। वर्ष 1983 में उन्होंने हिंदी के लोकप्रिय अखबार ‘जनसत्ता’ में साहित्य संपादक का कार्यभार संभाला। वहीं कुछ समय तक सहारा समय में संपादक का कार्य करने के बाद वे ‘राष्ट्रीय पुस्तक न्यास’ (NBT) से भी जुड़े रहे।
एक कुशल अनुवादक
क्या आप जानते हैं कि मंगलेश डबराल की ख्याति एक कुशल अनुवादक के रूप में भी हैं। उन्होंने कई विदेशी साहित्यकारों की कविताओं का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया हैं। इनमें ‘पाब्लो नेरूदा’, ‘अर्नेस्टो कार्डेनल’, ‘स्तांका पेंचेवा’ और ‘हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर’ जैसे विख्यात कवियों की काव्य रचनाएँ शामिल हैं। इसके साथ ही वह मशहूर लेखिका ‘अरुंधति रॉय’ के उपन्यास ‘अपार ख़ुशी का घराना’ के अनुवादक व बंगला भाषा के विख्यात कवि ‘नबारुण भट्टाचार्य’ के संग्रह ‘यह मृत्यु उपत्यका नहीं है मेरा देश’ के सह-अनुवादक रहे थे।
वहीं मंगलेश डबराल की कई काव्य रचनाओं का आधुनिक भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी, जापानी, रूसी, जर्मन, पोल्स्की और बल्गारी भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं।
मंगलेश डबराल की साहित्यिक रचनाएँ
मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral Ka Jeevan Parichay) ने हिंदी साहित्य में कई अनुपम काव्य रचनाओं का सृजन करने के अतिरिक्त हिंदी गद्य साहित्य को भी समृद्ध किया। यहाँ मंगलेश डबराल की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
काव्य-संग्रह
काव्य-संग्रह | प्रकाशन |
पहाड़ पर लालटेन | 1981 |
हम जो देखते हैं | 1995 |
आवाज़ भी एक जगह है | 2000 |
नए युग में शत्रु | 2013 |
घर का रास्ता | 2017 |
स्मृति एक दूसरा समय है | 2020 |
गद्य-संग्रह
- लेखक की रोटी
- कवि का अकेलापन
यात्रा-डायरी
- एक बार आयोवा
संपादन
- हिंदी पेट्रियट
- प्रतिपक्ष
- पूर्वग्रह
- आसपास
- जनसत्ता
- अमृत प्रभात
- रेतघड़ी
- कविता उत्तरशती
पुरस्कार एवं सम्मान
मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral Ka Jeevan Parichay) को हिंदी काव्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
- ओम् प्रकाश स्मृति सम्मान
- शमशेर सम्मान
- पहल सम्मान
- साहित्यकार सम्मान – हिंदी अकादमी, दिल्ली
- कुमार विकल स्मृति सम्मान
- गजानन माधव मुक्तिबोध राष्ट्रीय साहित्य सम्मान
- श्रीकांत वर्मा पुरस्कार
निधन
कई दशकों तक हिंदी काव्य और गद्य साहित्य को समृद्ध करने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकार मंगलेश डबराल का 09 दिसंबर, 2020 को निधन हो गया। किंतु उनकी अनुपम रचनाओं के लिए हिंदी साहित्य जगत में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ हिंदी के प्रख्यात गद्यकार और कवि मंगलेश डबराल का जीवन परिचय (Manglesh Dabral Ka Jeevan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
मगलेश डबराल का जन्म 16 मई, 1948 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में काफलपानी नामक गाँव में हुआ था।
मंगलेश डबराल को उनके बहुचर्चित काव्य-संग्रह ‘हम जो देखते हैं’ के लिए वर्ष 2000 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
यह मंगलेश डबराल की गद्य रचना है।
बता दें कि मंगलेश डबराल का 09 दिसंबर, 2020 को निधन हो गया था।
आशा है कि आपको हिंदी के प्रख्यात गद्यकार और कवि मंगलेश डबराल का जीवन परिचय (Manglesh Dabral Ka Jeevan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।