Shridhar Pathak Ka Jivan Parichay: श्रीधर पाठक आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘द्विवेदी युग’ (Dwivedi Yug) के प्रतिष्ठित कवि एवं अनुवादक थे। उन्हें स्वच्छंद काव्य-धारा का प्रवर्तक भी माना जाता है। वह ‘हिंदी साहित्य सम्मलेन’ के पांचवे अधिवेशन (वर्ष 1915, लखनऊ) के सभापति थे। उन्हें ‘कवि भूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था। हिंदी, संस्कृत, उर्दू, फ़ारसी और अंग्रेजी भाषा पर पाठक जी का समान अधिकार था। ‘वनाश्टक’, ‘काश्मीर सुषमा’, ‘देहरादून’, ‘मनोविनोद’ और ‘गोपिका गीत’ उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ मानी जाती हैं।
बता दें कि श्रीधर पाठक की कुछ काव्य रचनाओं को बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए श्रीधर पाठक का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब समादृत कवि-अनुवादक श्रीधर पाठक का जीवन परिचय (Shridhar Pathak Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | पंडित श्रीधर पाठक (Pandit Shridhar Pathak) |
जन्म | 11 जनवरी 1859 |
जन्म स्थान | आगरा, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | पंडित लीलाधर |
पेशा | कवि, लेखक, अनुवादक, अधिकारी |
भाषा | हिंदी, फ़ारसी, संस्कृत, अंग्रेजी |
साहित्य काल | आधुनिक काल (द्विवेदी युग) |
विधाएँ | कविता, अनुवाद |
मुख्य रचनाएँ | ‘वनाश्टक’, ‘काश्मीर सुषमा’, ‘देहरादून’, ‘मनोविनोद’ व ‘गोपिका गीत’ आदि। |
सम्मान | ‘कवि भूषण’ |
निधन | 13 सितंबर 1928 |
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आगरा में हुआ था जन्म – Shridhar Pathak Ka Jivan Parichay
श्रीधर पाठक का जन्म 11 जनवरी, 1858 को उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के जौंधरी नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित ‘लीलाधर पंडित’ था। बताया जाता है कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी जहाँ उन्होंने संस्कृत, फ़ारसी और हिंदी भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। तदुपरांत औपचारिक रूप से विद्यालयी शिक्षा लेते हुए वे वर्ष 1875 में हिंदी प्रवेशिका और वर्ष 1879 में अंग्रेजी मिडिल परीक्षा में सर्वप्रथम रहे। इसके बाद एंट्रेंस परीक्षा भी प्रथम श्रेणी से पास की।
विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र
शिक्षा के उपरांत श्रीधर पाठक की नियुक्ति सरकारी सेवा में हो गई। सर्वप्रथम उन्होंने जनगणना आयुक्त (Census Commissioner) के रूप में कलकत्ता (अब कोलकाता) के कार्यालय में कार्य किया। उस समय तत्कालीन ब्रिटिश भारत के अधिकांश सरकारी कार्यालय कलकत्ता में ही होते थे। वहीं जनगणना के काम के लिए पाठक जी को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जाना पड़ता था। जिसके कारण उन्हें पर्वतीय प्रदेशों तथा प्रकृति-सौंदर्य का निकट से अवलोकन करने का अवसर मिला। माना जाता है कि यहीं से उनकी काव्य प्रवृति जागृत हुई। कालांतर में उन्होंने सरकार के कई अन्य विभागों में भी अपनी सेवाएँ दी थी।
श्रीधर पाठक का साहित्यिक परिचय
श्रीधर पाठक, आधुनिक हिंदी साहित्य के निर्माता भारतेंदु हरिश्चंद्र एवं आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के समकालीन रहे हैं, जिससे उन्होंने ब्रज तथा खड़ी बोली दोनों भाषाओं में अपनी प्रतिभा का उपयोग किया है। इसके साथ ही उन्होंने ‘खड़ी बोली आंदोलन’ को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है। हिंदी साहित्य के कुछ विद्वान उन्हें खड़ी बोली का प्रथम कवि भी मानते है।
श्रीधर पाठक ने ‘द्विवेदी युग’ में अनुमप काव्य कृतियों का सृजन किया था। वहीं उनकी काव्य रचनाओं में स्वदेश प्रेम, प्राकृतिक सौंदर्य और समाज सुधार की भावना का सजीव चित्रण देखने को मिलता हैं। काव्य सृजन के अतिरिक्त उन्होंने संस्कृत और पाश्चात्य रचनाओं का हिंदी भाषा में अनुवाद किया है।
श्रीधर पाठक की प्रमुख रचनाएँ – Shridhar Pathak Ki Pramukh Rachnaye
श्रीधर पाठक को मुख्यतः कवि के रूप में प्रसिद्धि मिली हैं। लेकिन उन्होंने अनुवाद के क्षेत्र में भी अहम कार्य किया है। श्रीधर पाठक की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:-
काव्य रचनाएँ
- वनाश्टक
- आराध्य शोकांजलि
- काश्मीर सुषमा
- देहरादून
- भारत गीत
- गोपिका गीत
- ‘मनोविनोद
- जगत सच्चाई-सार
- बाल विधवा
- भारत प्रशंसा भारतोत्थान
- गुनवंत हेमंत
- स्वर्गीय वीणा
अनुदित रचनाएँ
- एकांतवासी योगी – (आयरिश लेखक ओलिवर गोल्डस्मिथ की काव्य -रचना ‘The hermit’ का हिंदी अनुवाद)
- उजड़ ग्राम – (आयरिश लेखक ओलिवर गोल्डस्मिथ की काव्य-रचना ‘The Deserted Village’ का हिंदी अनुवाद)
- श्रांत पथिक – (आयरिश लेखक ओलिवर गोल्डस्मिथ की काव्य-रचना ‘The Traveller’ का हिंदी अनुवाद)
- ऋतुसंहार – संस्कृत के महान कवि कालिदास की नाट्य रचना का अनुवाद
निधन
श्रीधर पाठक ने दशकों तक हिंदी साहित्य में श्रेष्ठ काव्य कृतियों का सृजन किया था। किंतु 13 सितंबर, 1928 को उनका निधन हो गया। लेकिन आज भी उनकी लोकप्रिय रचनाओं के लिए उन्हें जाना जाता है।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ श्रीधर पाठक का जीवन परिचय (Shridhar Pathak Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
श्रीधर पाठक, ‘द्विवेदी युग’ के प्रतिष्ठित कवि एवं अनुवादक थे।
उनका जन्म 11 जनवरी, 1858 को उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के जौंधरी नामक गांव में हुआ था।
एकांतवासी योगी, श्रीधर पाठक की अनुदित रचना है।
वनाश्टक, आराध्य शोकांजलि, काश्मीर सुषमा, देहरादून, भारत गीत, गोपिका गीत और मनोविनोद श्रीधर पाठक की प्रमुख काव्य रचनाएँ मानी जाती हैं।
उनके पिता का नाम ‘पंडित लीलाधर’ था।
13 सितंबर, 1928 को उनका निधन हो गया था।
आशा है कि आपको श्रीधर पाठक का जीवन परिचय (Shridhar Pathak Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।