Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay: माखनलाल चतुर्वेदी आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘छायावादी युग’ के अग्रणी कवि और पत्रकार माने जाते हैं। वहीं माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) छायावाद युग में ‘जयशंकर प्रसाद’, ‘सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला‘, ‘सुमित्रानंदन पंत’ और ‘महादेवी वर्मा’ के बाद उन चुनिंदा कवियों में से एक थे जिनके कारण वह युग विशेष हो गया। क्या आप जानते हैं कि माखनलाल चतुर्वेदी को हिंदी साहित्य जगत में ‘एक भारतीय आत्मा’ के रूप में भी जाना जाता है।
वहीं आधुनिक हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें वर्ष 1963 में गणतंत्र दिवस के विशेष अवसर पर भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन’ ने उन्हें “पद्मभूषण” की उपाधि से सम्मानित किया था। इसके अलावा उन्हें कई कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं जिनमें “साहित्य अकादमी पुरस्कार”, “देव पुरस्कार” व “साहू जगदीश पुरस्कार” शामिल हैं।
बता दें कि माखनलाल चतुर्वेदी जी कई काव्य रचनाएँ जिनमें ‘पुष्प की अभिलाषा’, ‘वीणा का तार’, ‘टूटती जंजीर’, ‘नई-नई कोपलें’, ‘हिमालय का उजाला’ व ‘वर्षा ने आज विदाई ली’ आदि रचनाओं को स्कूल के साथ ही बीए.और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की हैं।
वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं, इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम आधुनिक हिंदी साहित्य के विख्यात कवि और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय (Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) |
जन्म | 4 अप्रैल 1889 |
जन्म स्थान | होशंगाबाद, मध्य प्रदेश |
पिता का नाम | श्री नंदलाल चतुर्वेदी |
माता का नाम | श्रीमती सुकर बाई |
पेशा | कवि, लेखक, पत्रकार |
भाषा | हिंदी |
साहित्य काल | आधुनिक काल (छायावादी युग) |
विद्याएँ | कविता, कहानी, निबंध, पत्रकारिता |
काव्य-संग्रह | ‘हिमकिरीटिनी’, ‘हिमतरंगिनी’, ‘युग चरण’, ‘समर्पण’, ‘मरण ज्वार’ आदि। |
संपादन | प्रभा (मासिक पत्रिका), कर्मवीर, प्रताप आदि। |
पुरस्कार | “पद्मभूषण”, “साहित्य अकादमी पुरस्कार”, “देव पुरस्कार” आदि। |
निधन | 30 जनवरी 1968, भोपाल, मध्य प्रदेश |
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मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ जन्म
राष्ट्रीय भावना और ओज के कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 04 अप्रैल, 1889 को होशंगाबाद से 14 मील दूर ‘बाबई’ ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘श्री नंदलाल चतुर्वेदी’ था जो कि पेशे से प्राइमरी स्कूल के अध्यापक थे तथा माता का नाम ‘श्रीमती सुकर बाई’ था जो कि एक गृहणी थीं। अल्प आयु में ही पिता का देहांत होने के कारण परिवार के भरण-पोषण और उनकी शिक्षा-दीक्षा का भार उनकी माता पर आ गया। वहीं उनका बाल्यकाल कई उतार-चढ़ावों के साथ बीता।
माखनलाल चतुर्वेदी की शिक्षा
माखनलाल चतुर्वेदी की आरंभिक शिक्षा घर से ही हुई। किंतु बाबई जैसी छोटी से बस्ती में प्राथमिक शिक्षा की उचित व्यवस्था ने होने के कारण उनकी माता ने उन्हें उनकी बुआ के पास ‘सिरमनी’ नामक कस्बे में भेज दिया। यहीं रहकर माखनलाल चतुर्वेदी ने लगभग 10 वर्षों तक रहकर शिक्षा पाई और वहीं से उन्हें काव्य रचना की प्रेरणा मिली। इसके बाद उन्होंने स्वाध्याय से ही संस्कृत, बांग्ला, गुजराती, मराठी व अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया।
15 वर्ष की आयु में हुआ विवाह
जिस समय माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) स्वाध्याय ही कई विषयों का अध्ययन कर रहे थे उसी दौरान उनका वर्ष 1904 में 15 वर्ष की आयु में ‘ग्यारसी बाई’ से विवाह हो गया। किंतु कुछ वर्षों के वैवाहिक जीवन के बाद उनकी पत्नी का गंभीर बीमारी के कारण स्वर्गवास हो गया।
अध्यापन कार्य से की करियर की शुरुआत
माखनलाल चतुर्वेदी ने वर्ष 1905 में बंबई (वर्तमान मुंबई) के निकट देहात ‘मसन’ में अध्यापक के रूप में नौकरी की। बता दें कि ये वो दौर था जब संपूर्ण भारत में हर जगह ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन हो रहे थे। इसी समय उनका भी परिचय कई क्रांतिकारियों से हुआ। इसके साथ ही उनकर ‘स्वामी रामतीर्थ’, ‘पंडित माधवराव सप्रे’, ‘सैयद अलीमीर’ व ‘माणकचंद्र जैन’ के विचारों का व्यापक प्रभाव पड़ा।
जब उनका तबादला वर्ष 1907 में खंडवा जिले में हुआ तब तक वह हिंदी काव्य जगत में एक प्रतिष्ठित कवियों के रूप में अपना स्थान बना चुके थे। वहीं अब वह साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में इतने विख्यात हो चुके थे कि उन्होंने 08 वर्षों तक अध्यापन कार्य के बाद उस नौकरी से इस्तीफा दें दिया और अपना संपूर्ण जीवन साहित्य के सृजन में लगा दिया।
राजद्रोह के आरोप में जाना पड़ा जेल
वर्ष 1913 में माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) ने ‘प्रभा’ पत्रिका का संपादन शुरू किया और इसी दौरान उनका संपर्क ‘गणेश शंकर विधार्थी’ से हुआ जिससे उनके जीवन में एक नया मोड आया। वहीं उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन और साहित्य देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। एक तरफ जहाँ वह क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लेते थे थो दूसरी तरफ अपनी कविताओं और पत्रिकाओं के माध्यम से राष्ट्रभक्ति की भावना को व्यक्त व ब्रिटिश शासन का पुरजोर विरोध करते रहे।
इसी कारण ब्रिटिश हुकूमत ने घबराकर उनपर राजद्रोह का अभियोग लगा दिया जिसके कारण उन्हें कुछ वर्ष जेल में भी रहना पड़ा। वहीं वर्ष 1919-1920 के बीच भारतीय राजनीति में ‘महात्मा गांधी’ का आगमन होने के बाद उनपर गांधी जी के विचारों का भी गहरा प्रभाव पड़ा। बता दें कि जेल से रिहा होने के बाद भी ब्रिटिश हुकूमत द्वारा उनपर कड़ी नजर रखी जाती थी। एक बार जब वह जबलपुर की एक सभा में ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना भाषण दे रह थे। तब उनपर परिणास्वरूप पुनः 12 मई 1930 को राजद्रोह का अभियोग लगाकर 1 वर्ष के लिए जेल में कैद कर दिया।
किंतु वह ब्रिटिश शासन के इस शोषण व अत्याचारों से तनिक भी विचलित नहीं हुए और मुखर स्वर में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अपनी रचनाएँ करते रहे। इसके बाद माखनलाल चतुर्वेदी ने वर्ष 1924 में गणेश शंकर विद्यार्थी की गिरफ़्तारी होने के बाद ‘प्रताप’ पत्रिका के संपादन का कार्यभार सँभाला। जिसके बाद वह कालांतर में ‘संपादक सम्मेलन’ और ‘हिंदी साहित्य सम्मेलन’ के अध्यक्ष भी रहे।
माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक परिचय
माखनलाल चतुर्वेदी जी (Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay) ने छायावादी युग में कई अनुपम काव्य रचनाएँ हिंदी साहित्य जगत को दी हैं। वहीं उन्होंने हिंदी साहित्य में काव्य, नाटक और निबंध विधा में मुख्य रूप से रचनाएँ की हैं। यहाँ माखनलाल चतुर्वेदी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:
काव्य संग्रह
काव्य संग्रह | प्रकाशन |
हिमकिरीटिनी | वर्ष 1943 |
हिमतरंगिनी | वर्ष 1949 |
माता | वर्ष 1951 |
युग चरण | वर्ष 1956 |
समर्पण | वर्ष 1956 |
वेणु लो गूँजे धरा | वर्ष 1960 |
बीजुरी काजल आँज रही | वर्ष 1980 |
गद्यात्मक रचनाएँ
- कृष्णार्जुन युद्ध
- साहित्य के देवता
- समय के पाँव
- अमीर इरादे: ग़रीब इरादे
- रंगों की बोली
पुरस्कार एवं सम्मान
माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay) को आधुनिक हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:
- वर्ष 1947 में माखनलाल चतुर्वेदी को “साहित्य वाचस्पति” की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
- पद्मभूषण – वर्ष 1963 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन’ द्वारा सम्मानित किया गया।
- देव पुरस्कार – वर्ष 1951
- साहित्य अकादमी पुरस्कार – वर्ष 1954
- भारत सरकार द्वारा माखनलाल चतुर्वेदी जी के सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया गया था।
निधन
माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) ने अपना संपूर्ण जीवन साहित्य और पत्रकारिता को समर्पित कर दिया था। वहीं जीवन में आयी किसी भी समस्या से वह तनिक भी विचलित नहीं हुए और उनका डट कर सामना करते हुए आगे बढ़ते रहे। किंतु 30 जनवरी 1968 को अपने निवास स्थान खंडवा पर उनका निधन हो गया। लेकिन उनकी अनुपम काव्य रचनाओं के लिए उन्हें हिंदी जगत में हमेशा याद किया जाता रहेगा।
पढ़िए हिंदी साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ विख्यात साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय (Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay) के साथ ही हिंदी साहित्य के अन्य साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 04 अप्रैल, 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था।
माखनलाल चतुर्वेदी को ‘छायावादी युग’ के प्रमुख कवि माने जाते हैं।
बता दें कि माखनलाल चतुर्वेदी को हिमतरंगिनी काव्य रचना के लिए वर्ष 1954 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
हिंदी साहित्य के महान रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी का निधन 30 जनवरी 1968 को उनके निवास स्थान खंडवा में हुआ था।
यह माखनलाल चतुर्वेदी जी की बहुचर्चित काव्य रचना है जिसका प्रकाशन वर्ष 1980 में हुआ था।
आशा है कि आपको हिंदी के विख्यात कवि और पत्रकार ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ (Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay) का संपूर्ण जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।