Chandradhar Sharma Guleri: आधुनिक हिंदी साहित्य के विख्यात साहित्यकार चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का जीवन परिचय 

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चन्द्रधर शर्मा गुलेरी

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी (Chandradhar Sharma Guleri) आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘द्विवेदी युग’ के महान साहित्यकार माने जाते हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुलेरी जी को संस्कृत, पाली, प्राकृत, हिंदी, अंग्रेजी और अपभ्रंश भाषा के साथ साथ कई विदेशी भाषाओं का भी ज्ञान था। गुलेरी जी एक लेखक होने के साथ ही पत्रकार व अध्यापक भी थे लेकिन उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन साहित्य की साधना में लगा दिया। वहीं हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में उन्होंने साहित्य का सृजन किया। उनकी कहानी ‘उसने कहा था’ हिंदी कथा साहित्य में ‘मील का पत्थर’ मानी जाती है। 

बता दें कि चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की विभिन्न रचनाओं को विद्यालय व बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। इसके साथ ही हिंदी साहित्य के अनेकों विधार्थियों ने गुलेरी जी के साहित्य पर पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की हैं। वहीं UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्यनन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ (Chandradhar Sharma Guleri) जी के संपूर्ण जीवन और उनकी कृतियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ (Chandradhar Sharma Guleri)
जन्म 7 जुलाई 1883
जन्म स्थान पुरानी बस्ती, जयपुर 
पिता का नाम पंडित शिवराम शास्त्री 
माता का नाम लक्ष्मी देवी 
शिक्षा बी.ए 
भाषा संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी व प्राकृत 
पेशा लेखक, अध्यापक, पत्रकार, भाषाविद 
विधाएँ कहानी, निबंध, कविता, आलोचना, व्यंग्य आदि। 
संपादन समालोचक, मर्यादा, नागरी प्रचारिणी सभा 
निबंध कछुआ धर्म, आँख, देवकुल, पुरानी हिंदी आदि। 
कविताएँ भारत की जय, झुकी कमान, एशिया की विजय दशमी, स्वागत आदि।  
कहानी संग्रह उसने कहा था, बुद्धु का काँटा, सुखमय जीवन 
प्रसिद्धि ‘उसने कहा था’ (कहानी)
सम्मान इतिहास दिवाकर 
निधन 12 सितंबर 1922 

चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ जी का प्रारंभिक जीवन 

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी का जन्म 7 जुलाई 1883 का जन्म पुरानी बस्ती, जयपुर में हुआ था। लेकिन उनके पूर्वज हिमाचल प्रदेश के कागंड़ा क्षेत्र में गुलेर गाँव के निवासी थे। उनके पिता का नाम ‘पंडित शिवराम शास्त्री’ था जो राजसम्मान पाकर जयपुर में बस गए थे। उनकी माता का नाम ‘लक्ष्मी देवी’ था जो कि एक गृहणी थी। गुलेरी जी को बचपन से ही घर में संस्कृत भाषा, वेद और पुराण आदि का अध्ययन एवं पूजा पाठ का वातावरण मिला। बता दें कि गुलेरी जी मात्र 10 वर्ष की अल्प आयु में ही संस्कृत भाषा के ज्ञान और भाषण में निपुण हो गए थे। 

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चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी की शिक्षा 

बहुमुखी प्रतिभा के धनी चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी (Chandradhar Sharma Guleri) ने वर्ष 1893 में जयपुर के ‘महाराजा कॉलेज’ में दाखिला लिया और प्रथम श्रेणी से पास हुए। इसके बाद वह कोलकाता चले गए और ‘कलकत्ता विश्चविद्यालय’ से वर्ष 1899 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की। स्कूली शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने प्राकृत, पाली, अपभ्रंश, अवधी, मराठी, बंगाली, राजस्थानी, पंजाबी और गुजराती का अध्ययन किया। इसके साथ ही गुलेरी जी ने कुछ विदेशी भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया जिनमें अंग्रेजी, फ्रेंच, लैटिन भाषाएँ शामिल हैं।

वर्ष 1904 में गुलेरी जी ने ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ से प्रथम श्रेणी के साथ बी.ए की परीक्षा पास की। इसके बाद वह अपनी उच्च शिक्षा की पढ़ाई जारी रखना चाहते थे किंतु व्यक्तिगत कारणों की वजह से अपनी आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सके। लेकिन गुलेरी जी का लेखन कार्य और अध्ययन जारी रहा। 

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पत्रकार के रूप में की करियर की शुरुआत 

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी ने अपने शिक्षा के साथ ही वर्ष 1900 में जयपुर की ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ में अपना विशेष योगदान दिया था। गुलेरी जी कुछ वर्ष ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ के संपादक मंडल के सदस्य और बाद में इस सभा के सभापति भी रहे। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1903 से 1906 तक मासिक ‘समालोचक’ पत्रिका में संपादन का कार्य किया। तीन वर्ष ‘समालोचक’ पत्रिका का संपादन करने के बाद उन्होंने कई अन्य महत्वपूर्ण पत्रिकाओं का संपादन किया जिनमें ‘मर्यादा’ (1911-1912) और ‘प्रतिभा’ (1918-1920) पत्रिका शामिल हैं। इन पत्रिकाओं में गुलेरी जी का रचनाकार व्यक्तित्व उभरकर सामने आया।  

‘पंडित मदनमोहन मालवीय’ ने दिया प्रोफेसर बनने का प्रस्ताव 

वर्ष 1904 में चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी ने ‘मेयो कॉलेज’, अजमेर में अध्यापक के रूप में भी कार्य किया। उनका अध्यापक के रूप में कॉलेज में सम्मान किया जाता था। वहीं गुलेरी जी अपने विधार्थियों के बीच बहुत ही लोकप्रिय थे। गुलेरी जी की बहुमुखी प्रतिभा से प्रभावित होकर ‘पंडित मदनमोहन मालवीय’ जी ने उन्हें वर्ष 1920 में बनारस आने का आमंत्रण दिया और ‘काशी हिंदू विश्वविद्यालय’ (Banaras Hindu University) में प्राच्यविधा विभाग में प्रिंसिपल का प्रस्ताव दिया। इसके बाद गुलेरी जी ने वर्ष 1922 में प्राचीन इतिहास विभाग में कुछ समय तक प्रोफ़ेसर के रूप में भी कार्यभार संभाला। 

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चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी की साहित्यिक रचनाएँ 

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी (Chandradhar Sharma Guleri) का अध्यनन बहुत ही विस्तृत्त रहा उन्होंने अपने संपूर्ण जीवनकाल में भारतीय व पश्चिमी साहित्य, दर्शन, प्राचीन भारतीय इतिहास, भाषा विज्ञान व ज्योतिष विधा का गहन अध्यनन किया। जिसकी छाप उनकी रचनाओं में भी देखने को मिलती हैं। गुलेरी जी को निबंधकार के रूप में विशेष प्रसिद्धि मिली बता दें कि उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन में 200 से भी ज्यादा निबंध लिखें थे। जो मुख्य रूप से दर्शन, इतिहास, पुरातत्व और मनोविज्ञान विषयों पर आधारित होते थे। 

वहीं समालोचक में प्रकाशित उनकी कहानी ‘उसने कहा था’ आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘मील का पत्थर’ मानी जाती है जिसने गुलेरी जी को हिंदी साहित्य में हमेशा के लिए अमर कर दिया। आइए अब हम चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ जी की संपूर्ण  साहित्यिक रचनाओं के बारे में जानते है, जो कि इस प्रकार हैं:-

निबंध

  • शैशुनाक की मूर्तियाँ
  • आँख 
  • कछुआ धर्म 
  • संगीत 
  • पुरानी हिंदी 
  • देवकुल 
  • मोरेसि मोहिं कुठाऊँ

कहानियाँ 

  • उसने कहा था 
  • सुखमय जीवन 
  • बुद्धु का काँटा 

कविताएं 

  • भारत की जय 
  • एशिया की विजय दशमी 
  • आहितागिन 
  • स्वागत 
  • झुकी कमान 
  • ईश्वर से प्रार्थना 
  • वेनॉक  बर्न 

लघु निबंध 

  • बालक बच गया 
  • घड़ी के पुर्जें 
  • ढेले चुन लो 

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अल्प आयु में ही कह दिया दुनिया का अलविदा 

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी (Chandradhar Sharma Guleri) ने आधुनिक हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में साहित्य का सृजन किया। वहीं अपना संपूर्ण जीवन साहित्य की साधना में लगा दिया। गुलेरी जी ने ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ जी के कथन “कम लिखो, मगर अच्छा लिखो” को सार्थक किया। किंतु पीलिया जैसी गंभीर बीमारी के कारण उन्होंने मात्र 39 वर्ष की अल्प आयु में ही 12 सितंबर 1922 को सदा के लिए अपनी आँखें मूंद ली। हिंदी साहित्य जगत में चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी की रचनाओं के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। वहीं ‘उसने कहा था’ कहानी ही गुलेरी जी का पर्याय ही बन चुकी है। 

FAQs

चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी का जन्म कहाँ हुआ था?

चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ जी का जन्म 7 जुलाई 1883 का जन्म पुरानी बस्ती, जयपुर में हुआ था। 

चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी के माता-पिता का क्या नाम था?

चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी की माता का नाम लक्ष्मी देवी और पिता का नाम पंडित शिवराम शास्त्री था। 

चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी ने कितनी कहानियां लिखी है?

चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी हिंदी कथा साहित्य में तीन ही कहानियां लिखी हैं। जिनका नाम सुखमय जीवन, उसने कहा था और बुद्धु का काँटा हैं। 

चंद्रधर शर्मा गुलेरी का निधन कब हुआ था?

बता दें कि गुलेरी जी का निधन 12 सितंबर 1922 को पीलिया की बीमारी के कारण हुआ था। 

उसने कहा था कहानी के लेखक का नाम क्या है?

उसने कहा था कहानी चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी की चर्चित कहानी है। 

आशा है कि आपको आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार चन्द्रधर शर्मा गुलेरी (Chandradhar Sharma Guleri) का संपूर्ण जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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