सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय

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Sarojini Naidu Biography in Hindi

कोकिला जिसने अपनी कालातीत रचनाओं के साथ एक लाख दिलों को छुआ, सरोजिनी नायडू भारत में भयंकर स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थी। वह अघोरनाथ चट्टोपाध्याय की बेटी थीं- एक वैज्ञानिक और बरदा सुंदरी देवी- एक बंगाली कवयित्री। अपने बचपन से, सरोजिनी नायडू एक साहित्यिक कौतुक थी और हिंदी, अंग्रेजी, फारसी, उर्दू, तेलुगु और बंगाली में कुशल थी। Sarojini Naidu Biography in Hindi में सब विस्तार से पढ़ेगें।

उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय, किंग्स कॉलेज लंदन में अध्ययन किया, और कैम्ब्रिज के गिर्टन कॉलेज में अपनी पढ़ाई भी आगे बढ़ाई। एक असाधारण बच्चा होने के अलावा, सरोजिनी नायडू एक स्वतंत्र भारत की इच्छा थी। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और गांधी के सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होकर बहादुर प्रयास किए; और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला भी बनीं और भारतीय राज्य की गवर्नर नियुक्त की गईं। सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधी को नमक सत्याग्रह में भी साथ दिया था। उनकी काव्य आकर्षण और राजनीतिक भक्ति हमें बहुत कुछ हासिल करने के लिए देती है।  इस ब्लॉग में Sarojini Naidu Biography in Hindi के बारे में संपूर्ण जानकारी दी जाएगी।

पूरा नाम सरोजिनी चट्टोपाध्याय
जन्म 13 फरवरी 1879
जन्म स्थान हैदराबाद
माता  वारद सुंदरी देवी
पिता डॉक्टर अघोरनाथ चट्टोपाध्याय
विवाह डॉक्टर गोविंद राजुलू नायडू
बेटे बेटी पद्मजारणधीरलीलामणिजय सूर्या
मृत्यु 2 मार्च 1949
पुरस्कार उपाधि केसर ए हिंद
रचनाएं द गोल्डन थ्रेसोल्ड बोर्ड ऑफ टाइम ब्रोकन विंग
विद्यालय मद्रास विश्वविद्यालय किंग कॉलेज लंदन गर्टन कॉलेज कैंब्रिज

सरोजिनी नायडू का प्रारंभिक जीवन

13 फरवरी 1879 को सरोजिनी नायडू का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था , वह  एक वैज्ञानिक और शिक्षा शास्त्री थे। उनके पिता ने हैदराबाद के निजाम कॉलेज की स्थापना की थी। सरोजिनी नायडू की माता का नाम वरदा  सुंदरी था, वह कवियत्री थी और इसके साथ बांग्ला भाषा में कविता भी लिखती थी। सरोजिनी नायडू अपने आठ भाई बहनों में से सबसे बड़ी थी।  

सरोजिनी नायडू परिवार के सभी सदस्य देश प्रेमी थे। उनके एक भाई का नाम धीरेंद्र नाथ था जो क्रांतिकारी थे। उनके दूसरे भाई का नाम हरिंद्रनाथ था ,वह कवि, कथाकार और कलाकार थे। सरोजिनी नायडू बहुत ही होनार छात्रा थी , वह उर्दू ,इंग्लिश ,बांग्ला ,तेलुगू ,फारसी जैसे अन्य भाषाओं में निपुण थी। 

“कोई भी भारतीय देश के प्रति वफादार नहीं हो सकता है और फिर भी आत्मा में संकीर्ण और सांप्रदायिक हो सकता है … कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह मंदिर या मस्जिद, चर्च या अग्नि तीर्थ है, उन्हें उन बाधाओं को पार करें जो आदमी को आदमी से विभाजित करते हैं।”

  • सरोजिनी नायडू जब  12 वर्ष की थी तब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी।
  • सरोजिनी नायडू में मद्रास प्रेसिडेंसी में पहला स्थान हासिल किया था।
  • सरोजिनी नायडू के पिता की यह  इच्छा थी कि वह बड़ी होकर गणितज्ञ या वैज्ञानिक बनें।
  • परंतु सरोजिनी नायडू की रुचि कविता में ही थी।
  • इंग्लैंड जाकर सरोजिनी नायडू मैं सबसे पहले किंग कॉलेज लंदन में दाखिला लिया था।
  • फिर उसके बाद आगे जाकर कैंब्रिज के ग्रीटिंग कॉलेज में शिक्षा हासिल की थी।
  • लंदन में अर्थर साइमन और एंडमंड गोडसे प्रतिष्ठित कवि से सरोजिनी नायडू  मिली थी।
  • सरोजिनी नायडू को इडमंड ने भारतीय विषय को ध्यान में रखकर लिखने की सलाह दी थी।
  • इंडमंडंं ने सरोजिनी नायडू को भारत देश के पर्वतों, मंदिरों, नदियों और उनके सामाजिक परिवेश के बारे में अपनी कविता में समाहित करने के लिए प्रेरणा दी थी।

यह सिर्फ सरोजिनी नायडू का प्रारंभिक जीवन परिचय था आगे Sarojini Naidu Biography in Hindi में उस कृतज्ञ महिला के करियर के बारे में आगे बताया गया है, Sarojini Naidu Biography in Hindi पढ़ना जारी रखें-

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सरोजिनी नायडू का करियर

सरोजिनी नायडू जब 15 साल की थी तब वो डॉक्टर गोविंदराजुलू नायडू से मिली थी। उस समय उनको उनसे प्यार हो गया था। डॉक्टर गोविंदराजुलू एक गैर ब्राह्मण और पेशे से डॉक्टर थे। 19 साल की उम्र में सरोजिनी नायडू ने अपना विवाह कर लिया था। उन्होंने अंतरजातीय विवाह किया था जो उस समय के दौर में माननीय  नहीं था। यह एक प्रकार का क्रांतिकारी कदम था परंतु इस कदम में उनके पिता ने उन्हें पूरे पूरा सहयोग किया था।

  • द गोल्डन थेशहोल्ड 1905
  • द वर्ल्ड ऑफ टाइम 1912
  • द ब्रोकन विंग 1912

Sarojini Naidu का वैवाहिक जीवन बहुत ही बहुत सुखमय था , उन्होंने 4 बच्चों को जन्म दिया था।

  • जय सूर्या
  • पदमज
  • रणधीर
  • लीलामणि
Source: mkgandi.org

1905 वर्ष में Sarojini Naidu बंगाल विभाजन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुई थी। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान वह कई सारे लोगों से मिली थी।

  • गोपाल कृष्ण गोखले
  • रवींद्रनाथ टैगोर
  • मोहम्मद अली जिन्ना
  • एनी बेसेंट
  • सीपी रामास्वामी अयर
  • गांधीजी
  • जवाहरलाल नेहरू

“जब तक मेरे पास जीवन है, जब तक मेरा यह हाथ रक्त बहता है, तब तक मैं स्वतंत्रता का कारण नहीं छोड़ूंगा … मैं केवल एक महिला हूं, केवल एक कवि हूं। लेकिन एक महिला के रूप में, मैं आपको विश्वास और साहस के हथियार और भाग्य की ढाल देता हूं। और एक कवि के रूप में, मैं गीत और ध्वनि के बैनर को तोड़ता हूं, लड़ाई के लिए बिगुल बुलाता हूं। मैं उस लौ को कैसे सुलझाऊंगा जो तुम लोगों को गुलामी से जगाएगी … ”

Sarojini Naidu ने भारत की महिलाओं के लिए सशक्तिकरण और अधिकार के लिए आवाज भी उठाई थी। उन्होंने भारत देश में छोटे गांव से लेकर बड़े शहरों तक पूरे राज्य में हर जगह महिलाओं को जागरूक किया था। Sarojini Naidu वर्ष 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अध्यक्ष के पद पर चुनी गई थी। गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में वह उनके साथ  जेल भी गई थी। भारत छोड़ो आंदोलन में वर्ष 1942 मैं Sarojini Naidu हो 21 महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा था। Sarojini Naidu का महात्मा गांधी जी के साथ बहुत ही मधुर प्रकार का संबंध था, वह उन्हें मिकी माउस कह कर पुकारती थी। Sarojini Naidu  एक पहली महिला थी जो स्वतंत्रा के बाद राज्यपाल बनी थी। उत्तर प्रदेश राज्य के राज्यपाल घोषित होने के बाद वह लखनऊ राज्य में बस गई थी। 

Source: National Film Archive of India

Sarojini Naidu  का राजनीति जीवन

  • शादी के बाद भी Sarojini Naidu मैं अपना लिखने का काम जारी रखा था।
  • वह बहुत ही सुंदर कविताएं लिखा करती थी , जिसे लोग गाने के रूप में इस्तेमाल करते थे।
  • उनकी कविता बुलबुले वर्ष 1905 मैं बहुत ही प्रकाशित हुई थी।
  • Sarojini Naidu अंग्रेजी भाषा में भी कविता लिखा करती थी परंतु उनकी कविताओं में भारत देश की रूपरेखा झलकती थी।
  • Salt Satyagraha के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी जी के साथ मिलकर आंदोलन चलाया था।
  • जब महात्मा गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया था उसके बाद Sarojini Naidu ने अपने ऊपर पूरी जिम्मेदारी ले ली थी ,वह उनका सब काम संभालती थी।
  • भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होने अपनी भूमिका निभाई थी।

Sarojini Naidu Biography in Hindi में Sarojini Naidu की शादी

 Sarojini Naidu जब इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई करने गई थी तब उनकी मुलाकात गोविंद राजुलू नायडू से हुई थी , उस समय उनको उनसे प्यार हो गया था।  Sarojini Naidu तभी इंग्लैंड में फिजिशियन की पढ़ाई कर रही थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वह भारत लौटे उसके बाद उन्होंने अपने परिवार जनों से आशीर्वाद के साथ गोविंद राजुलू नायडू के साथ 19 साल की उम्र में शादी कर ली थी।

ब्राह्मण मैरिज एक्ट के तहत 1898 में मद्रास में उनका विवाह हुआ था।उन्होंने अंतरजातीय विवाह किया था इसका यह अर्थ है कि दूसरे कासट  के अंदर विवाह करना। क्या एक तरह का क्रांतिकारी कदम था, इसकी वजह से इन्हें जीवन में काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ा था । परंतु इनके पिता ने समाज की परवाह बिल्कुल भी नहीं की उन्होंने अपने नीडर बेटी को पूरे पूरा सहयोग किया था।

Sarojini Naidu का वैवाहिक जीवन बहुत ही सुख में रहा था, उनके चार बच्चे भी हुए थे।

  • जय सूर्या
  • पदमज
  • रणधीर
  • लीलामणि

Sarojini Naidu के जन्मदिन पर क्यों मनाते हैं महिला दिवस

 भारत में हर साल 13 फरवरी को  सरोजिनी नायडू की जयंती को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। वह हमारे  देश की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा  थी। सरोजिनी नायडू एक स्वतंत्रता आंदोन की एक राजनीतिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ कवियत्री भी थीं। उन्हें भारत कोकिला (नाइटिंगेल ऑफ इंडिया) कहा जाता है‌। सरोजिनी नायडू एक महिला थीं जिन्होंने महिलाओं की मुक्ति के लिए गहराई से समझा और विद्रोह किया और जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया। उन्होंने राजनीतिक और विधायी निकायों में महिलाओं के खिलाफ अन्याय देखा। उन्होंने 1917 में महिला भारतीय संघ (WIA) की स्थापना में मदद की जिसने महिलाओं के लिए वोट प्राप्त किए और विधायी कार्यालय रखने का अधिकार प्राप्त किया। यह सरोजिनी नायडू द्वारा योगदान वाली भारत की महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। हमारा देश निश्चित रूप से महिलाओं को उनके अधिकार प्रदान करने के लिए विकसित हुआ है, जिसके वे हकदार हैं। फिर भी, हमें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है।

Sarojini Naidu Biography in Hindi में बताए अनुसार महिला सशक्तिकरण की बहुत बड़ी मिसाल है।

अपने करियर में भावुक सरोजिनी नायडू

12 साल की उम्र में, सरोजिनी नायडू ने हैदराबाद के निज़ाम को अपने नाटक- महेर मुनीर के साथ फारसी में लिखा। एक शिक्षित और प्रोत्साहित परिवार होने के बाद, वह अपने जुनून में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए हर अवसर का उपयोग करती थी। उसने खोजबीन की और राजनीतिक दुनिया में अपनी छाप छोड़ी लेकिन अपने करियर के किसी भी हिस्से में अपनी छाप को कम किए बिना, लगातार लिखती रही। उनके साहित्यिक कार्यों को दुनिया भर में विभिन्न लोगों द्वारा सराहा जाता है। उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में “हैदराबाद के बाज़ारों में”, “द गोल्डन थ्रेशोल्ड”, द बर्ड ऑफ़ टाइम, द क्वीन्स राइवल, द रॉयल टम्ब्स ऑफ़ गोलकोंडा आदि शामिल हैं। 

Source: Prasar Bharati Archives

Sarojini Naidu Biography in Hindi सरोजिनी नायडू की भावुकता की मिसाल है।

“हम मकसद की गहरी ईमानदारी, भाषण में अधिक साहस और कार्रवाई में ईमानदारी चाहते हैं” 

Sarojini Naidu Biography in Hindi :कविताएं

Source: Pinterest

(Poem1) The Gift of India – Patriotic Poem by Sarojini Naidu

क्या यह जरूरी है कि मेरे हाथों में
अनाज या सोने या परिधानों के महंगे उपहार हों?

ओ ! मैंने पूर्व और पश्चिम की दिशाएं छानी हैं
मेरे शरीर पर अमूल्य आभूषण रहे हैं

और इनसे मेरे टूटे गर्भ से अनेक बच्चों ने जन्म लिया है
कर्तव्य के मार्ग पर और सर्वनाश की छाया में

ये कब्रों में लगे मोतियों जैसे जमा हो गए।
वे पर्शियन तरंगों पर सोए हुए मौन हैं,

वे मिश्र की रेत पर फैले शंखों जैसे हैं,
वे पीले धनुष और बहादुर टूटे हाथों के साथ हैं

वे अचानक पैदा हो गए फूलों जैसे खिले हैं
वे फ्रांस के रक्त रंजित दलदलों में फंसे हैं

क्या मेरे आंसुओं के दर्द को तुम माप सकते हो
या मेरी घड़ी की दिशा को समझ करते हो

या मेरे हृदय की टूटन में शामिल गर्व को देख सकते हो
और उस आशा को, जो प्रार्थना की वेदना में शामिल है?

और मुझे दिखाई देने वाले दूरदराज के उदास भव्य दृश्य को
जो विजय के क्षति ग्रस्त लाल पर्दों पर लिखे हैं?

जब घृणा का आतंक और नाद समाप्त होगा
और जीवन शांति की धुरी पर एक नए रूप में चल पड़ेगा,

और तुम्हारा प्यार यादगार भरे धन्यवाद देगा,
उन कॉमरेड को जो बहादुरी से संघर्ष करते रहे,
मेरे शहीद बेटों के खून को याद रखना!

Poem 2

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Poem 3

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Poem 4

Source: Pinterest

The Village Song in Hindi -Sarojini Naidu

प्रिय बच्ची प्रिय बच्ची तुम कहां जा रही हो?
क्या तुम अपने सारे गहने बहती हुई हवा में फेंक दोगी?
क्या तुम उस मां को छोड़ कर चली जाओगी जिसने तुम्हें सोने के समान अनाज खिलाए हैं?

मां मेरी मैं उस जंगली बन मे जा रही हूं जहां पर चंपा की कलियां, चम्पा की टहनियों पर खिल रही है। 
और उन नदी के टापूओं पर जहां कोयल गाती है और कमल की कलियां चमक रही है।
और परियों  ‘ओ सुनो’ कहकर बुला रही हैं।

बच्ची संसार आनंद, शहनाई के गीत, लोरिया के गीत तथा चंदन से सुगंधित विलासिता से भरपूर है।
तुम्हारे विवाह के चांदी और केसरिया रंग के चमकते हुए कपड़े करघे पर हैं।
तुम्हारे विवाह के केक भट्टीपर हैं। “ओ सुनो” तुम कहां जा रही हो?

विवाह के गीतों और लोरियों के गीतों में दुख का अलाप है। आज आनंदमय दिन है कल मृत्यु की हवा चलेगी अर्थात आज की खुशी कल दुख का कारण बनेगी। क्योंकि इन सब चीजों से जहां पर झरने गिरते हैं, स्वर कहीं अधिक मधुर है। हे मां मेरी, मैं नहीं रुक सकती, परियों का समूह मुझे बुला रहा है।

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Sarojini Naidu Biography in Hindi Quotes

  • हम मकसद की गहरी ईमानदारी, भाषण में अधिक साहस और कार्रवाई में ईमानदारी चाहते हैं।
  • एक देश की महानता उसके प्रेम और त्याग के आदर्श आदर्शों में निहित है जो दौड़ की माताओं को प्रेरित करती है।
  • जब अत्याचार होता है, तो केवल आत्म-सम्मान की बात उठती है और कहते हैं कि यह आज समाप्त हो जाएगा, क्योंकि मेरा अधिकार न्याय है। यदि आप मजबूत हैं, तो आपको खेलने और काम दोनों में कमजोर लड़के या लड़की की मदद करनी होगी।
  • ऐसी आशा जगेगी जहाँ पर घोर नफ़रत व्याप्त हो, शाल मधुर प्रेम समृद्धि या उच्च स्वप्नों ने आम्रवृन्द के झगड़े में जगह बना ली है ‘द्विज प्राचीन पंथ,’ द्विज जाति और प्राचीन जाति, जो कि कब्रों का निर्माण करती है, जीवन के सुखद उद्देश्य, कोई शरण नहीं बचाती। तेरा सक्सेस फेस?
  • एक देश की महानता उसके प्रेम और त्याग के आदर्श आदर्शों में निहित है जो दौड़ की माताओं को प्रेरित करती है।
  • मैं कहता हूं कि यह आपका अभिमान नहीं है कि आप मद्रासी हैं, यह आपका गौरव नहीं है कि आप ब्राह्मण हैं, यह आपका गौरव नहीं है कि आप दक्षिण भारत के हैं, बल्कि यह आपका गौरव नहीं है कि आप हिंदू हैं, कि यह आपका है गर्व है कि आप एक भारतीय हैं।
  • एक देश की महानता उसके प्रेम और त्याग के आदर्श आदर्शों में निहित है जो दौड़ की माताओं को प्रेरित करती है।
  • हम मकसद की गहरी ईमानदारी, भाषण में अधिक साहस और कार्रवाई में ईमानदारी चाहते हैं।
  • अपनी लालसा को बुझाने के लिए मैं नींद की भूमि में उस जादुई लकड़ी में प्रवाहित होने वाली शांति की आत्माओं की धाराओं द्वारा मुझे नीचे झुकाता हूं।
  • किसी को कोई फायदा होने के लिए सीर के विजन और एंजेल की आवाज की जरूरत होती है। मुझे आज किसी भी भारतीय पुरुष या महिला के बारे में नहीं पता है जिनके पास अपने सबसे पूर्ण माप में वे उपहार हैं।
  • मेरा दिल बहुत थका हुआ है और उदास और अकेला है, क्योंकि उसके सपनों की तरह झड़ते पत्ते चले गए हैं, और मुझे पीछे क्यों कहना चाहिए।
  • ओह, हम चाहते हैं कि भारत में पुरुषों की एक नई नस्ल को उसकी बीमारी से बचाया जा सके।
  • न्याय की भावना इस्लाम के आदर्शों में से एक है, क्योंकि जैसा कि मैंने कुरान पढ़ा है मुझे लगता है कि जीवन के वे गतिशील सिद्धांत पूरे विश्व के लिए जीवन के दैनिक आचरण के लिए रहस्यवादी नहीं बल्कि व्यावहारिक नैतिकता हैं।
  • जहाँ आशा है कि घृणास्पद संस्कार है, वहाँ प्रबल होगा।
  • मेरे पति बहुत व्यस्त हैं। कुछ समय के लिए उनके जाने की चर्चा सुस्त हो गई थी, लेकिन अभी फिर से उन्हें सामने भेजने के लिए एक कदम लगता है!
  • 2 मार्च 1949 को हृदयगति रूक जाने से उनकी मृत्यु हो गई थी। 
  • 13 फरवरी 1964 को भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में 15 नए पैसे का एक डाकटिकट भी जारी किया। 
  • अपने मधुर वाणी, सुंदर कविताओं और प्रभावशाली भाषण के ही कारण वो ‘भारत कोकिला’ और ‘भारत की बुलबुल’ कहलाती हैं।
  •  ‘द गोल्डन थ्रेशोल्ड’, ‘द बर्ड ऑफ टाइम’ और ‘द ब्रोकन विंग’ उनके लिखे प्रसिद्ध ग्रंथ हैं।

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Sarojini Naidu Books in Hindi

S.No. Books प्रकाशित होने का वर्ष
1. स्वर्णिम दहलीज 1905
2. समय का पंछी: जीवन, मृत्यु और
बसंत के गीत
1912
3. द ब्रोकन विंग: सांग्‍स
ऑफ लव, डेथ एंड डेस्टिनी
1915-1916
4. Speeches and Writings
of Sarojini Naidu
1919
5. इन द बाज़ार्स ऑफ़ हैदराबाद 1912
6. Songs of Nature – With an Introduction by Edmund Gosse
7. सरोजिनी नायडू, सिलेक्टेड
पोएट्री एंड प्रोज़सरोजिनी नायडू
द्वारा पुस्तक
1993
8. The Bird of Time – Songs of
Life, Death & The Spring:
With a Chapter from ‘Studies of Contemporary Poets’ by
Mary C. Sturgeon
1912

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Sarojini Naidu Biography in Hindi में कठिन समय जब Sarojini Naidu की मृत्यु

देश को आजादी मिलने के बाद वर्ष 1947 उनको उत्तर प्रदेश का गवर्नर बनाया था। पूरे भारत देश के पहली महिला थी जो गवर्नर बनी थी। ऑफिस में काम करते समय उन्हें अचानक से हार्ट अटैक आया और 2 मार्च 1949 को चल बसी थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत देश को न्यौछावर किया था। वह हमेशा महिलाओं के लिए लड़की थी। 

“यहाँ एक महान प्रतिभा का व्यक्ति था – महत्वपूर्ण और विशद। उसने कलात्मकता और कविता को हमारे राष्ट्रीय संघर्ष में उलझा दिया … उसने अपने आप में एक समृद्ध संस्कृति का प्रतिनिधित्व किया जिसमें विभिन्न धाराएँ बहती हैं जिन्होंने भारतीय संस्कृति को उतना ही महान बना दिया है। “
– सरोजिनी नायडू को श्रद्धांजलि देते हुए जवाहरलाल नेहरू।

15 Important Question for Sarojini Naidu Biography in Hindi-

Being Hindi World

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सरोजिनी नायडू से कुछ जुड़ी बातें

  • सरोजिनी नायडू की प्रथम कविता संग्रह “द गोल्डन थ्रेडहोल्ड” था।
  • सरोजिनी नायडू को द नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया भी कहा जाता था।
  • सरोजिनी नायडू ने 13 वर्ष की आयु में “लेडी ऑफ दी लेक” नामक कविता की रचना की।
  • सरोजिनी की कविता “बर्ड ऑफ टाइम” तथा “ब्रोकन विंग” ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री का खिताब दे दिया।
  • सरोजिनी नायडू ने 1898 में डॉ॰ गोविंदराजुलू नायडू से विवाह किया।
  • 12 वर्ष की आयु में उन्होंने 12वीं कक्षा पास कर ली थी।
  • सरोजिनी नायडू का मेहर मुनीर फारसी नाटक सुप्रसिद्ध था।

पुरस्कार और सम्मान

  • ब्रिटिश सरकार ने सरोजनी नायडू को Plague महामारी से लोगों को बचाने के लिए उन्हें कैसर ए हिंद पुरस्कार से नवाज़ा था।
  • 13 फरवरी 1964 को भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में 15 नए पैसे का एक डाकटिकट भी जारी किया था।

फियरलेस इंडियन पॉलिटिकल एक्टिविस्ट से सीखने योग्य 10 बातें 

  1. अपने कैरियर के बारे में भावुक हो 
  2. देश प्रेम 
  3. दृढ़ निश्चय करना चाहिए
  4. महिला सशक्तिकरण 
  5. अपनी आवाज का प्रयोग करें
  6. एकता की शक्ति को जानें
  7. ताकतवर लोगों के सामने सही कहने की क्षमता होनी चाहिए।
  8. कृतज्ञता
  9. दूसरों की मदद करनी चाहिए
  10. निष्ठा

सरोजिनी नायडू पर निबंध (250 शब्दों में)

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था। कोकिला, जिन्होंने अपनी कालातीत रचनाओं के साथ एक लाख दिलों को छू लिया, सरोजिनी नायडू भारत की सबसे भयंकर स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थीं। वह अघोरनाथ चट्टोपाध्याय की बेटी थीं- एक वैज्ञानिक और बरदा सुंदरी देवी- एक बंगाली कवयित्री। बचपन से ही, सरोजिनी एक साहित्यिक कौतुक थी और हिंदी, अंग्रेजी, फारसी, उर्दू, तेलुगु और बंगाली में कुशल थी। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय, किंग्स कॉलेज लंदन में अध्ययन किया, और कैम्ब्रिज के गिर्टन कॉलेज में आगे की पढ़ाई भी की। एक असाधारण बच्चा होने के अलावा, सरोजिनी नायडू एक स्वतंत्र भारत के लिए इच्छुक थीं। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और गांधी के सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होकर बहादुर प्रयास किए; और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला भी बनीं और उन्हें भारतीय राज्य राज्यपाल नियुक्त किया गया। उनकी काव्यात्मक आकर्षण और राजनीतिक भक्ति हमें बहुत कुछ हासिल करती है।

12 साल की उम्र में, सरोजिनी नायडू ने हैदराबाद के निज़ाम को अपने नाटक- महेर मुनीर के साथ फारसी में लिखा। एक शिक्षित और प्रोत्साहित परिवार होने के बाद, वह अपने जुनून में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए हर अवसर का उपयोग करती थी। उसने खोजबीन की और राजनीतिक दुनिया में अपनी छाप छोड़ी लेकिन अपने करियर के किसी भी हिस्से में अपनी छाप कम किए बिना, लिखती रही। उनके साहित्यिक कार्यों को दुनिया भर में विभिन्न लोगों द्वारा सराहा जाता है। उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में “हैदराबाद के बाज़ारों में”, “द गोल्डन थ्रेशोल्ड”, द बर्ड ऑफ टाइम, द क्वीन्स राइवल, द रॉयल टॉब्स ऑफ गोलकोंडा आदि शामिल हैं। 

FAQ

प्रश्न 1: सरोजिनी नायडू का उपनाम क्या है?

उत्तर: सरोजिनी नायडू एक मशहूर कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और अपने दौर की महान वक्ता भी थीं। उन्हें भारत कोकिला के नाम से भी जाना जाता था।

प्रश्न 2: सरोजिनी नायडू राज्यपाल कब बनी?

उत्तर: 1947 से 1949 तक संयुक्त प्रांत की राज्यपाल बनी।

प्रश्न 3: भारत कोकिला के नाम से कौन प्रसिद्ध है?

उत्तर: ‘भारत कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध श्रीमती सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था।

प्रश्न 4: सरोजिनी नायडू कौन से राज्य की राज्यपाल थी?

उत्तर: सरोजिनी नायडू ने देश की आजादी के संघर्ष में शिरकत की और आजादी के बाद उन्हें यूनाइटेड प्राविंसेज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) का राज्यपाल बनाया गया।

प्रश्न 5: सरोजिनी नायडू भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष कब बने?

उत्तर: 1925 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और वे इस संगठन की प्रथम महिला अध्यक्ष थीं। साल 1931 में लंदन में आयोजित हुई भारतीय गोलमेज सम्मेलन की प्रतिनिधि रहीं।

प्रश्न 6: स्वतंत्रता आंदोलन में सरोजिनी नायडू का क्या योगदान रहा?

उत्तर: सरोजिनी नायडू ने गांधीजी के अनेक सत्याग्रहों में भाग लिया और ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में वे जेल भी गईं।

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