कृष्णा सोबती हिंदी कथा साहित्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखती है। उनकी सयमित और साफ-सुथरी रचनात्मकता लेखनी ने हिंदी कथा साहित्य जगत में अपना एक नया पाठक वर्ग बनाया है। यही कारण था कि उनकी कई लंबी कहानियों, उपन्यासों और संस्मरणों ने हिंदी साहित्य में अपनी दीर्घजीवी उपस्थिति दर्ज कराई है। आइए जानते हैं कृष्णा सोबती का जीवन परिचय साहित्यक कृतियाँ और उपलब्धियों की सभी अहम जानकारी।
कृष्णा सोबती की रचनाओं को हिंदी साहित्य जगत के पाठक वर्ग के साथ-साथ अन्य भाषाओं के पाठक भी बड़े उत्साह से साथ पढ़ते हैं। इसीलिए भारतीय भाषाओं के साथ ही विदेशी भाषाओं जैसे कि स्वीडिश, रूसी, जर्मन और अंग्रेजी में भी उनकी कई रचनाओं का अनुवाद किया गया हैं।
लेखिका का नाम | कृष्णा सोबती |
जन्म तिथि | 18 जनवरी 1925 |
जन्म स्थान | गुजरात (पश्चिमी वर्तमान में पाकिस्तान) |
पिता का नाम | श्री दीवान पृथ्वीराज सोबती |
माता का नाम | श्रीमती दुर्गा देवी |
भाई का नाम | जगदीश सोबती |
प्रसिद्ध कहानियां संग्रह | डार से बिछुड़ी, मित्रो मरजानी, यारों के यार |
प्रसिद्ध उपन्यास | जिंदगीनामा, सूरजमुखी अँधेरे के, दिलोंदानिश |
पति का नाम | शिवनाथ |
मृत्यु | 25 जनवरी 2019 |
जीवनकाल | 94 वर्ष |
कृष्णा सोबती का जीवन परिचय | Krishna Sobti Ka Jivan Parichay
कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को गुजरात में हुआ था। भारत के विभाजन के समय गुजरात का वह हिस्सा पाकिस्तान में चले जाने के बाद उनका परिवार दिल्ली आकर बस गया। इनके परिवार के कुछ लोग औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार के मुलाजिम थे।
कृष्णा सोबती ने तीन भाई बहनों के साथ स्कूल में अपनी शुरुआती शिक्षा की पढ़ाई शुरू की। उनकी शुरूआती शिक्षा दिल्ली और शिमला में हुई थी। इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा ‘फतेहचंद कॉलेज’, लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में शुरू की थी लेकिन भारत के विभाजन होने पर वह लोग दिल्ली लौट आए। विभाजन के तुरंत बाद इनका परिवार 2 साल तक ‘महाराजा तेज सिंह’ के संरक्षण में भी रहा था जो सिरोही, राजस्थान के महाराजा थे। कृष्णा सोबती 23 वर्ष की आयु से ही लेखन में सक्रिय रही हैं। उन्होंने अपने जिंदगी के 70वें जन्मदिवस के बाद डोंगरी लेखक शिवनाथ जी से विवाह किया था।
अपने पति शिवनाथ के गुज़र जाने तक दोनों दिल्ली के मयूर विहार में तक़रीबन डेढ़ दशक तक साथ रहे और दिल्ली ही अंत तक उनका निवास स्थान रहा। लंबी बीमारी की वजह कृष्णा सोबती की मृत्यु दिल्ली में उनके घर पर 25 जनवरी 2019 को हुई।
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कृष्णा सोबती का साहित्यिक परिचय
यहां कृष्णा सोबती का जीवन परिचय के साथ साथ संपूर्ण साहित्यक परिचय के बारे में भी बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
कहानी संग्रह
कहानी संग्रह | प्रकाशन वर्ष |
बादलों के घेरे | सन 1980 |
लंबी कहानी (आख्यायिका/उपन्यासिका)
लंबी कहानियां | प्रकाशन वर्ष |
सिक्का बदल गया | सन 1948 |
डार से बिछुड़ी | सन 1958 |
मित्रो मरजानी | सन 1967 |
यारों के यार | सन 1968 |
तिन पहाड़ | सन 1968 |
ऐ लड़की | सन 1991 |
जैनी मेहरबान सिंह | सन 2007 |
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उपन्यास
उपन्यास का नाम | प्रकाशन वर्ष |
सूरजमुखी अँधेरे के | सन 1972 |
ज़िन्दगी़नामा | सन 1979 |
दिलोदानिश | सन 1993 |
समय सरगम | सन 2000 |
गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिंदुस्तान | सन 2017 |
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विचार-संवाद-संस्मरण
- हम हशमत (तीन भागों में)
- सोबती एक सोहबत
- शब्दों के आलोक में
- सोबती वैद संवाद
- मुक्तिबोध : एक व्यक्तित्व सही की तलाश में -2017
- लेखक का जनतंत्र -2018
- मार्फ़त दिल्ली -2018
यात्रा-आख्यान
- बुद्ध का कमंडल: लद्दाख़
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कृष्ण सोबती की साहित्यिक उपलब्धियां
यहां कृष्णा सोबती का जीवन परिचय की जानकारी के साथ ही उनके जीवन की साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में भी बताया जा रहा है, जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
- कृष्णा सोबती को सन 1980 में जिंदगीनामा, उपन्यास के लिए “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।
- कृष्णा सोबती को सन 1981 में “शिरोमणि पुरस्कार” के अतिरिक्त “मैथिली शरण गुप्त सम्मान” से सम्मानित किया गया।
- कृष्णा सोबती को सन 1982 में “हिंदी अकादमी पुरस्कार” से पुरस्कृत किया गया।
- कृष्णा सोबती को सन 1996 में “साहित्य अकादमी फेलोशिप” से पुरस्कृत किया गया।
- सन 1999 में “लाइफटाइम लिटरेरी अचीवमेंट अवार्ड” के साथ कृष्णा सोबती प्रथम महिला लेखिका बनीं जिन्हें कथा “चूड़ामणि अवार्ड” से सम्मानित किया गया था।
- कृष्णा सोबती को सन 2008 में हिंदी अकादमी दिल्ली का “शलाका अवार्ड” से भी सम्मानित किया गया है।
- कृष्णा सोबती को सन 2017 में भारतीय साहित्य के सर्वोच्च सम्मान “ज्ञानपीठ पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है।
कृष्णा सोबती का जीवन परिचय जानने के साथ ही उनकी साहित्यिक रचनाओं के लिए हिंदी जगत में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। ऐसे ही प्रसिद्ध साहित्यकारों के बारे में ज्ञानवर्धक लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।
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