Kamleshwar in Hindi: कमलेश्वर स्वातंत्र्योत्तर काल में हिंदी जगत के विख्यात साहित्यकारों में से एक माने जाते हैं। इसके साथ ही वह आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘नई कहानी आंदोलन’ के प्रमुख रचनाकारों में एक थे जिनमें ‘राजेंद्र यादव’ और ‘मोहन राकेश’ जैसे प्रतिष्ठित रचनाकार शामिल थे, जिन्होंने मिलकर ‘नई कहानी आंदोलन’ को एक नया आयाम दिया। कमलेश्वर जी ने हिंदी गद्य साहित्य में कई विधाओं में साहित्य का सृजन किया हैं जिसमें कहानी, उपन्यास, नाटक, संस्मरण, स्तंभ लेखन व पटकथा लेखन शामिल हैं। बता दें कि वह दूरदर्शन के महानिदेशक के रूप में अपनी सेवाएं देने के साथ ही कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कार्य भी कर चुके हैं जिनमें दैनिक जागरण, सारिका व गंगा प्रमुख हैं।
वहीं आधुनिक हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’ और ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका हैं। बता दें कि उनकी कई रचनाओं को स्कूल के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। इसके साथ ही बहुत से साहित्य के शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की हैं।
वहीं UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी कमलेश्वर जी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार व पत्रकार कमलेश्वर (Kamleshwar in Hindi) जी का संपूर्ण जीवन और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना |
विख्यात | कमलेश्वर (Kamleshwar) |
जन्म | 06 जनवरी, 1932 |
जन्म स्थान | मैनपुरी, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | श्री जगदंबा प्रसाद |
माता का नाम | श्रीमती शांतिदेवी |
पत्नी का नाम | श्रीमती गायत्री |
शिक्षा | एम.ए (हिंदी) |
पेशा | लेखक, पत्रकार, दूरदर्शन के महानिदेशक (सेवानिवृत) |
भाषा | हिंदी |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, नाटक, संस्मरण, पटकथा लेखन आदि। |
उपन्यास | एक सड़क सत्तावन गलियाँ, डाक बंगला, समुद्र में खोया हुआ आदमी, तीसरा आदमी आदि। |
कहानी-संग्रह | जॉर्ज पंचम की नाक, इतने अच्छे दिन, मांस का दरिया आदि। |
नाटक | रेत पर लिखे नाम, अधूरी आवाज |
संस्मरण | जो मैंने जिया, जलती हुई नदी, यादों के चिराग |
विशेष | कमलेश्वर जी ने कई हिंदी फिल्मों में पटकथा, संवाद व कहानियां लिखी जिनमें राम बलराम, सौतन की बेटी, मौसम, आंधी जैसी कई फिल्में शामिल हैं। |
पुरस्कार | ‘पद्म भूषण’ व ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ |
निधन | 27 जनवरी, 2007 फरीदाबाद, हरियाणा |
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कमलेश्वर का प्रारंभिक जीवन
हिंदी जगत के प्रसिद्ध लेखक कमलेश्वर का जन्म 6 जनवरी, 1932 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘श्री जगदंबा प्रसाद’ व माता का नाम ‘श्रीमती शांतिदेवी’ था। वह सात भाई थे जिनमें कमलेश्वर ही सबसे छोटे थे। बता दें कि जब कमलेश्वर मात्र 3 वर्ष के थे तभी उनके पिता का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अल्प आयु में पिता का निधन होने से उन्हें अपने पिता का चेहरा भी ठीक से याद न रहा। वहीं इसके बाद पूरे घर की जिम्मेदारी उनके बड़े भाई ‘सिद्दार्थ’ पर आ गयी किंतु कुछ समय बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। जिससे उनके परिवार पर समस्याओं का पहाड़ टूट पड़ा और उनका बचपन कई कठिनाइयों का सामना करते बीता।
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हिंदी साहित्य में किया एम.ए
कमलेश्वर (Kamleshwar) की प्रारंभिक शिक्षा मैनपुरी के गवर्मेंट हाईस्कूल से शुरू हुई थी, किंतु उन्हें शिक्षा के दौरान आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ा और इन तकलीफों से जूझते हुए उन्होंने अपनी बी.ए की परीक्षा पास की। इसके पश्चात् उन्होंने वर्ष 1954 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय (वर्तमान प्रयागराज विश्वविद्यालय) से हिंदी साहित्य में एम.ए की डिग्री हासिल की। इसी समय उनका लेखन के क्षेत्र में पर्दापण हुआ जो उनके जीवन के अंत तक जारी रहा।
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वैवाहिक जीवन
कमलेश्वर जी की पत्नी का नाम ‘गायत्री’ है, जिनसे उनका विवाह वर्ष 1958 में उत्तर प्रदेश के फतेहगढ़ में हुआ था। बता दें कि जब उनका विवाह हुआ तब वह 27 वर्ष के थे। वह अपनी पत्नी का अपना सबसे घनिष्ट मित्र मानते थे वहीं जो स्थान उनके जीवन में उनकी माँ व उनके मित्र ‘मोहन राकेश’ व ‘दुष्यंत कुमार’ का था वही स्थान उनकी पत्नी का भी था।
विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र
कमलेश्वर जी (Kamleshwar) ने लेखन कार्य के साथ कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कार्य भी किया जिनमें ‘दैनिक जागरण’, ‘नई कहानी’, ‘सारिका’, ‘श्रीवर्षा’, ‘इंगित’ जैसी लोकप्रिय पत्रिकाएं शामिल हैं। इसके साथ ही उन्होंने तकरीबन 99 फिल्मों में कहानियां, संवाद व पटकथाएं लिखी हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध फिल्मों के नाम है, ‘राम बलराम’, ‘आँधी’, ‘मौसम’, ‘रंग बिरंगी’, ‘यह देश’ आदि। बता दें कि कमलेश्वर जी ने कई वर्षों तक सरकारी नौकरी की इसके साथ ही उन्होंने दूरदर्शन के महानिदेशक भी रहे।
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कमलेश्वर की साहित्यिक रचनाएँ
कमलेश्वर (Kamleshwar in Hindi) हिंदी साहित्य जगत में वह मशहूर नाम नाम है जिनकी रचनाओं को छठे दशक में सबसे अधिक पढ़ा गया। वहीं स्वातंत्र्योत्तर काल में हिंदी कथा साहित्य में उनका विशेष योगदान रहा है जहाँ उन्होंने साहित्य की कई विधाओं में साहित्य का सृजन किया है। यहाँ उनकी संपूर्ण रचनाओं को विस्तार से बताया जा रहा है, जो कि इस प्रकार हैं:-
उपन्यास
- एक सड़क सत्तावन गलियाँ- वर्ष 1957
- तीसरा आदमी- वर्ष 1976
- डाक बंगला – वर्ष 1959
- समुद्र में खोया हुआ आदमी- वर्ष 1967
- काली आँधी- वर्ष 1974
- आगामी अतीत – वर्ष 1976
- सुबह दोपहर शाम – वर्ष 1982
- रेगिस्तान- वर्ष 1988
- लौटे हुए मुसाफ़िर- वर्ष 1961
- वही बात- वर्ष 1980
- एक और चंद्रकांता
- कितने पाकिस्तान- वर्ष 2000
कहानी-संग्रह
- राजा निरबंसिया
- कस्बे का आदमी
- जॉर्ज पंचम की नाक
- खोई हुई दिशाएँ
- मांस का दरिया
- इतने अच्छे दिन
- जिंदा मुर्दे
- कोहरा
- बयान
- मेरी प्रिय कहानियाँ
- कमलेश्वर की श्रेष्ठ कहानियाँ
- कथा प्रस्थान
- दस प्रतिनिधि कहानियाँ
नाटक
- अधूरी आवाज
- रेत पर लिखे नाम
- चारुलता
यात्रा वृतांत
- कश्मीर: रात के बाद
- देश-देशांतर
समीक्षा ग्रंथ
- नयी कहानी की भूमिका
- मेरा पन्ना
आत्मकथात्मक संस्मरण
- आधार शिलाएँ – 1
- जो मैंने किया
संपादन
- मेरा हमदम: मेरा दोस्त
- समांतर – 1
साक्षात्कार
- मेरे साक्षात्कार
संस्मरण
- अपनी निगाह में
पत्रकारिता
- दैनिक जागरण – समाचार पत्र
- इंगित – साप्ताहिक
- नई कहानी – मासिक
- सारिका – मासिक
- श्रीवर्षा – साप्ताहिक
- गंगा – मासिक
- कथामात्रा – मासिक
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पुरस्कार एवं सम्मान
कमलेश्वर जी (Kamleshwar in Hindi) को आधुनिक हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- पद्म भूषण
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
निधन
कमलेश्वर जी अपने युग के सत्य को अपनी रचनाओं के माध्यम से बखूबी व्यक्त किया है। एक लेखक के रूप में उन्हें जितनी प्रसिद्धि मिली उतनी ही ख्याति उन्हें एक संपादक के रूप में भी मिली। वहीं उनके अधिकतर उपन्यासों पर कई फिल्में भी बनी जिन्हें दर्शकों में बहुत पसंद किया। कमलेश्वर जी ने अपना संपूर्ण जीवन साहित्य की साधना में लगा दिया था जो उनके जीवन के अंतिम समय तक जारी रहा। किंतु इस महान रचनाकार ने 74 वर्ष की आयु में 27 जनवरी 2007 को फरीदाबाद में अपने निवास स्थान सदा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन हिंदी साहित्य में जगत में उन्हें और उनकी अनुपम कृतियों को हमेशा याद किया जाएगा।
FAQs
उनका का मूल नाम ‘कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना’ था लेकिन उन्हें हिंदी जगत में ‘कमलेश्वर’ के नाम से ही जाना जाता था।
कमलेश्वर का जन्म 6 जनवरी, 1932 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था।
यह कमलेश्वर जी का बहुचर्चित उपन्यास है जिसका प्रकाशन वर्ष 2000 में हुआ था।
बता दें कि यह कमलेश्वर जी का चर्चित कहानी-संग्रह है।
प्रसिद्ध लेखक व पत्रकार कमलेश्वर का निधन 27 जनवरी 2007 को फरीदाबाद, हरियाणा में हुआ था।
आशा है कि आपको हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार ‘कमलेश्वर’ (Kamleshwar in Hindi) का संपूर्ण जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।