PV Narasimha Rao Biography in Hindi : भारत के 9वें प्रधानमंत्री और ‘भारत रत्न’ पीवी नरसिम्हा राव का जीवन परिचय

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PV Narasimha Rao Biography in Hindi

भारत के 9वें प्रधानमंत्री पामुलापर्ती वेंकट नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून, 1921 को तत्कालीन आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) में हुआ था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक कार्यकाल पूरा किया था। 1991 से 1996 तक छह वर्षों के कार्यकाल के लिए भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पी. वी. नरसिम्हा राव का कदम एक मील का पत्थर के रूप में चिह्नित किया गया। 9 फरवरी 2024 को केंद्र सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने का ऐलान किया। इसलिए इस ब्लाॅग PV Narasimha Rao Biography in Hindi में हम आपको पीवी नरसिम्हा राव के शानदार व्यक्तित्व से परिचित कराते हैं।

नामपामुलापार्ती वेंकट (पीवी) नरसिम्हा राव
जन्म28 जून 1921
जन्म स्थानकरीम नगर गांव, हैदराबाद
माता का नामरुकमनीअम्मा
पिता का नामपी रंगा राव
पत्नी का नामसत्याम्मा राव
निधन23 दिसंबर 2004, नई दिल्ली
राजनैतिक पार्टीइंडियन नेशनल कांग्रेस
पुरस्कार और सम्मानदेश के 9वें प्रधानमंत्री
प्रतिभा मूर्ति लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कारभारत रत्न।

पीवी नरसिम्हा राव का शुरुआती जीवन

पी.वी. नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर (हैदराबाद) में हुआ था। उनके पिता का नाम पी. रंगा राव और माता का नाम रुकमनीअम्मा था। शुरुआती पढ़ाई के बाद अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए आगे बढ़े जहां बाद में वे अपनी पुस्तकों और भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में स्वतंत्रता की खोज दोनों के साथ गहराई से जुड़ गए। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से कला में स्नातक की डिग्री और मुंबई विश्वविद्यालय के फर्ग्यूसन कॉलेज से कानून में मास्टर डिग्री प्राप्त की। 

पी. वी. नरसिम्हा राव की शादी सत्यम्मा राव से हुई थी और उनके आठ बच्चे थे। आपको बता दें कि उनके सबसे बड़े बेटे, स्वर्गीय पी. वी. रंगा राव, कोटला विजया भास्कर रेड्डी के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री थे और हनामाकोंडा निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य भी थे। उनके दूसरे पुत्र स्वर्गीय पी.वी. राजेश्वर राव 11वीं लोकसभा के लिए 15 मई 1996 से 4 दिसंबर 1997 तक सिकंदराबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रहे।

इन भाषाओं पर थी अच्छी पकड़

पीवी नरसिम्हा राव की मातृभाषा तेलुगु थी, लेकिन नरसिम्हा बहुत धाराप्रवाह मराठी बोल सकते थे। उनकी आठ भारतीय भाषाओं के अलावा उनकी अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी, स्पेनिश, जर्मन, ग्रीक, लैटिन और फारसी पर भी अच्छी पकड़ थी। उन्होंने 1940 के दशक में दूर के चचेरे भाई पामुलपर्ती सदाशिव राव चौधरी के साथ काकतीय पत्रिका नामक एक तेलुगु साप्ताहिक पत्रिका का संपादन शुरू किया था।

राजनीति में प्रवेश

नरसिम्हा राव ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी के रूप में कार्य किया और भारत को स्वतंत्रता मिलने के तुरंत बाद वे पूर्णकालिक राजनीति में शामिल हो गए। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। 1951 में वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सदस्य बने और उसके बाद 1957 में राज्य विधान सभा के सदस्य बने। 

आंध्र प्रदेश सरकार के अधीन राव ने कई महत्वपूर्ण विभाग संभाले- जैसे 1962-64 तक कानून और सूचना मंत्री, कानून और 1964-67 तक बंदोबस्ती, 1967 में स्वास्थ्य और चिकित्सा और 1968-71 तक शिक्षा। आंध्र प्रदेश में विभिन्न मंत्री पदों पर रहने के बाद नरसिम्हा को 1971 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया।

1985 तक इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनों के मंत्रिमंडलों के तहत कई विभागों को संभालने के लिए उन्होंने पूरे भारत में काफी लोकप्रियता हासिल कर ली थी। उन्होंने 1980-84 तक विदेश मंत्री, 1984 में गृह मंत्री और 1984-85 तक रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने 1985 में मानव संसाधन विकास मंत्री का पद संभाला था।

प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल

विभिन्न मंत्रालयों को संभालने के बाद नरसिम्हा ने 1991 में राजनीति से संन्यास ले लिया। हालांकि तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद नरसिम्हा को पद मिल गया। 1991 के चुनावों में कांग्रेस ने सबसे अधिक सीटें जीती थीं और इससे उन्हें अल्पमत सरकार पर शासन करने की अनुमति मिली। नरसिम्हा ने 21 जून 1991 को सत्ता संभाली और लगातार पांच वर्षों तक देश की सेवा करने वाले नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के पहले व्यक्ति बने। वह ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले पहले दक्षिण भारतीय और आंध्र प्रदेश के पहले व्यक्ति भी थे। 

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड में शामिल हुई थी ये चीज

राव ने आम चुनाव नहीं लड़ा था। चूंकि वे आंध्र प्रदेश के पहले प्रधानमंत्री थे, इसलिए विपक्ष उनके खिलाफ खड़ा नहीं हुआ और ऐसे में उन्होंने नांदयाल से रिकॉर्ड तोड़कर 5 लाख वोटों से सफलता हासिल की थी और इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। उन्होंने शरद पवार को अपना रक्षा मंत्री और मनमोहन सिंह को अपना वित्त मंत्री चुना।

एक प्रधानमंत्री के रूप में इन चुनौतियों के साथ तय किया सफर

नरसिम्हा राव उस समय भारत के प्रधानमंत्री बने जब देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। ऐसे में उन्होंने गिरते पूंजी बाजार की कमान संभालने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया। इसी अवधि के दौरान मनमोहन ने विदेशी निवेश खोला, पूंजी बाजारों में सुधार किया, घरेलू व्यापार को विनियमन किया और व्यापार व्यवस्था में सुधार किया। 

आर्थिक सुधारों में उपलब्धियां

नरसिम्हा राव द्वारा अपने नेतृत्व में हासिल की गई कई उपलब्धियों में से भारतीय अर्थव्यवस्था का उदारीकरण प्रमुख माना जाता है। इन सुधारों को 1991 में आगामी अंतर्राष्ट्रीय डिफ़ॉल्ट को रोकने के लिए अपनाया गया था। इस प्रकार उन्होंने विदेशी निवेश, पूंजी बाजार में सुधार, घरेलू व्यापार को विनियमित करने, व्यापार व्यवस्था को संशोधित करने सहित कई क्षेत्रों में प्रगति की। उनका लक्ष्य राजकोषीय घाटे को कम करना, सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाना था। राव द्वारा अपनाई गई कुछ प्रमुख आर्थिक नीतियों में 1992 के सेबी अधिनियम और सुरक्षा कानून (संशोधन) को लागू करना, 1992 में पूंजीगत मुद्दों के नियंत्रक को समाप्त करना, 1992 में विदेशी निवेशकों द्वारा निवेश के लिए भारत के इक्विटी बाजारों को खोलना, 1994 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत करना शामिल था।

लुक ईस्ट नीति की भी शुरुआत की

नई आर्थिक नीति के अलावा पी. वी. नरसिम्हा राव ने शीत युद्ध के बाद के अस्थिर काल में देश की कूटनीति नीति को संश्लेषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति की भी शुरुआत की जिसने भारत को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ बेहतर निकटता में ला दिया।

1996 तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया

1996 में नरसिम्हा राव के भारत के प्रधान मंत्री के रूप में पांच वर्ष पूरे करने के बाद कांग्रेस पार्टी आम चुनावों में हार गई थी। उन्होंने सितंबर 1996 तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और बाद में सीताराम केसरी ने उनकी जगह ली। 

पुरस्कार एवं सम्मान 

राव को भारत की अर्थव्यवस्था में सुधारक के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें प्रतिभा मूर्ति लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 9 फरवरी 2024 को केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की।

पीवी नरसिम्हा राव का निधन

PV Narasimha Rao Biography in Hindi : 9 दिसंबर 2004 को नरसिम्हा राव को दिल का दौरा पड़ा और उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया। उन्होंने 14 दिनों तक संघर्ष किया और 23 दिसंबर को अंतिम सांस ली। 

पीवी नरसिम्हा राव के जीवन से जुड़ीं कुछ उपलब्धियां

पीवी नरसिम्हा राव का जीवन परिचय (PV Narasimha Rao Biography in Hindi: जानने के साथ ही पीवी नरसिम्हा राव के जीवन से जुड़ीं कुछ उपलब्धियां समझना जरूरी हैं जोकि इस प्रकार दी जा रही हैंः

  • राव ने 1940 के दशक में काकतीय पत्रिका में संपादन शुरू किया था।
  • राव 1951 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सदस्य बने।
  • राव 1957 में राज्य विधान सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए थे।
  • राव 1962-64 में आंध्र सरकार के तहत कानून और सूचना मंत्री बने थे।
  • राव ने 1964-67 में आंध्र सरकार के तहत कानून और बंदोबस्ती मंत्री के रूप में कार्य किया था।
  • 1967 में वह आंध्र सरकार के तहत स्वास्थ्य और चिकित्सा मंत्री के रूप में चुने गए।
  • 1968-71 में उन्होंने आंध्र सरकार के तहत शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।
  • 1971 में वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।
  • 1980-84 में वह केंद्र सरकार के तहत विदेश मंत्री के रूप में चुने गए थे।
  • 1984 में उन्होंने केंद्र सरकार के तहत गृह मामलों के मंत्री के रूप में कार्य किया था।
  • 1984-85 में वह केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री बने थे।
  • 1985 में उन्हें केंद्र सरकार के तहत मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में चुना गया था।
  • 1991 में राव भारत के 9वें प्रधान मंत्री के रूप में चुने गए।
  • 1992 में उनके कार्यकाल में सेबी अधिनियम और प्रतिभूति कानून (संशोधन) पेश किया गया।
  • 1992 में उनके कार्यकाल में इजराइल के साथ संबंध तोड़ दिए गए और नई दिल्ली में इजराइली दूतावास खोला गया।
  • 1993 में उनके कार्यकाल में 1993 के बंबई बम विस्फोटों की जांच के आदेश दिए गए थे।
  • 1994 में उनके कार्यकाल में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की शुरुआत हुई थी।
  • 1996 में प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल 16 मई को समाप्त हुआ था।
  • 1996 में वह कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने थे।
  • 9 दिसंबर 2004 को उनका दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था।

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

पीवी नरसिम्हा राव का जीवन परिचय (PV Narasimha Rao Biography in Hindi) जानने के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेनामवर सिंह सरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा

FAQs

पीवी नरसिम्हा राव ने भारत के लिए क्या किया?

राव को भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए जाना जाता है।

1991 में देश का प्रधानमंत्री कौन था?

1991 में देश के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव थे।

पीवी नरसिम्हा राव भारत के प्रधानमंत्री कब बने?

1991 में पीवी नरसिम्हा राव भारत के प्रधानमंत्री बने थे।

पीवी नरसिंह राव का पूरा नाम क्या है?

पीवी नरसिम्हा राव का पूरा नाम पामुलापार्ती वेंकट था।

नरसिम्हा राव कितनी भाषाएं जानते थे?

पीवी नरसिम्हा राव की मातृभाषा तेलुगु थी, लेकिन नरसिम्हा बहुत धाराप्रवाह मराठी बोल सकते थे। उनकी आठ भारतीय भाषाओं के अलावा उनकी अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी, स्पेनिश, जर्मन, ग्रीक, लैटिन और फारसी पर भी अच्छी पकड़ थी।

आशा है कि आपको भारत के 9वें प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का जीवन परिचय (PV Narasimha Rao Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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