नामवर सिंह: हिंदी के विख्यात साहित्यकार का जीवन परिचय – Namvar Singh Ka Jivan Parichay

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Namvar Singh Ka Jivan Parichay

Namvar Singh Ka Jivan Parichay: नामवर सिंह हिंदी साहित्यिक आलोचना के प्रकाश स्तंभ माने जाते हैं। वह प्रगतिवादी आलोचक के साथ ही नए आलोचकों में भी अपना अग्रणी स्थान रखते हैं। नामवर सिंह ने आधुनिक हिंदी साहित्य में आलोचना, संपादन, शोध, व्याख्यान और अनुवाद के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान दिया था। यहीं कारण है कि उन्हें  हिदी साहित्य में आलोचना के रचना पुरुष के नाम से भी जाना जाता हैं। 

हिंदी साहित्य और आलोचना को समृद्ध करने वाले नामवर सिंह को ‘कविता के नए प्रतिमान’ रचना के लिए वर्ष 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। वहीं नामवर सिंह की कई रचनाएँ जिनमें ‘कविता के नए प्रतिमान’, ‘कहानी नई कहानी’, ‘छायावाद’, ‘दूसरी परंपरा की खोज’ (आलोचना) ‘बक़लम ख़ुद’, ‘आलोचक के मुख से’, ‘प्रेमचंद और भारतीय समाज’, ‘महादेवी और पंत’ (व्याख्यान) आदि को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। 

इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी नामवर सिंह का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी के विख्यात साहित्यकार और आलोचना के प्रकाश स्तंभ नामवर सिंह का जीवन परिचय (Namvar Singh Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम नामवर सिंह (Namvar Singh) 
जन्म 28 जुलाई, 1926
जन्म स्थान जीयनपुर गाँव, बनारस, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम श्री नागर सिंह 
माता का नाम श्रीमती बागेश्वरी देवी 
शिक्षा एम.ए (हिंदी), पीएचडी 
पेशा लेखक, प्रोफेसर, संपादक, साहित्यिक सलाहकार 
भाषा हिंदी 
विधाएँ आलोचना, व्याख्यान, संपादन, साक्षात्कार, पत्र-संग्रह  
आलोचना ‘कविता के नए प्रतिमान’, ‘इतिहास और आलोचना’, ‘नयी कहानी’, ‘दूसरी परंपरा की खोज’ आदि। 
व्याख्यान ‘बक़लम ख़ुद’, ‘आलोचक के मुख से’, ‘प्रेमचंद और भारतीय समाज’, ‘महादेवी और पंत’ आदि। 
साक्षात्कार‘कहना न होगा’
पुरस्कार एवं सम्मान ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान’, ‘शलाका सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’ आदि। 
निधन 19 फरवरी, 2019

काशी में हुआ जन्म 

हिंदी के प्रकाश स्तंभ नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई, 1926 को उत्तर प्रदेश के बनारस जिले में जीयनपुर नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘श्री नागर सिंह’ था जो कि पेशे से गांव के एक स्कूल में मास्टर थे। माता ‘श्रीमती बागेश्वरी देवी’ एक गृहणी थीं। नामवर सिंह तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। बता दें उनके मझले भाई का नाम  ‘राम सिंह’ व छोटे भाई का नाम ‘काशीनाथ सिंह’ हैं, जो हिंदी के शीर्ष कथाकारों में से एक हैं। 

स्कूली शिक्षा के दौरान की लेखन की शुरुआत 

नामवर सिंह की प्रारंभिक शिक्षा जीयनपुर के निकट गांव आवाजांपुर से हुई। इसके बाद उन्होंने बनारस के ‘हीवेट क्षत्रिय स्कूल’ से मैट्रिक और ‘उदयप्रताप कालेज’ से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। वर्ष 1941 में स्कूली शिक्षा के दौरान ही उन्होंने कविता से लेखन की शुरुआत की। वर्ष 1949 में ‘बनारस हिंदू विश्विद्यालय’ से बी.ए और वर्ष 1951 में हिंदी साहित्य से एम.ए करने के बाद उन्होंने ‘पृथ्वीराज रासो की भाषा’ विषय पर पीएचडी की डिग्री हासिल की। वहीं अपने अध्ययन के दौरान ही उनकी पहली कविता बनारस की ‘क्षत्रियमित्र’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। 

विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र 

वर्ष 1953 में नामवर सिंह को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में अस्थायी पद पर नौकरी मिली गई थी। किंतु कुछ वर्ष तक अध्यापन कार्य करने के बाद उन्होंने वर्ष 1959 में चंदौली की लोकसभा सीट से ‘भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी’ (CPI) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। लेकिन चुनाव में असफलता मिलने के बाद पुनः अध्यापन और साहित्य जगत की ओर रुख किया। 

वर्ष 1959-1960 तक नामवर सिंह ने ‘सागर विश्विद्यालय’ के हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के रूप कार्य किया। इसके बाद उन्होंने लगभग पांच वर्षो तक स्वतंत्र लेखन के रूप में कार्य किया। वर्ष 1965 में नामवर सिंह दिल्ली आ गए और ‘जनयुग’ साप्ताहिक पत्रिका के संपादक के रूप में कार्यभार संभाला। इसी दौरान नामवर सिंह तकरीबन दो वर्षों तक ‘राजकलम प्रकाशन’, दिल्ली के साहित्यिक सलाहकार भी रहे। 

वर्ष 1967 में नामवर सिंह ने ‘आलोचना’ त्रैमासिक का संपादन किया। फिर वह वर्ष 1970 में ‘जोधपुर विश्वविद्यालय’ के हिंदी विभाग में अध्यक्ष और प्रोफेसर नियुक्त हुए। वहीं कुछ समय के लिए नामवर सिंह ‘क.मा.मुं. हिंदी विद्यापीठ, आगरा के निदेशक भी रहे। वर्ष 1974 में वह ‘जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय’, दिल्ली के भारतीय भाषा केंद्र में हिंदी के प्रोफ़ेसर नियुक्त हुए और वर्ष 1987 में यहीं से सेवानिवृत हुए। 

इसके बाद भी उनका कार्य निरंतर जारी रहा बता दें कि उन्होंने वर्ष 1993 से 1996 तक वह ‘राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन’ के अध्यक्ष और लगभग आठ वर्षों तक ‘महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय’, वर्धा के चांसलर के पद को सुशोभित किया। इसके साथ ही नामवर सिंह की निरंतर साहित्यिक साधना जारी रही। 

नामवर सिंह की साहित्यिक रचनाएँ 

नामवर सिंह (Namvar Singh Ka Jivan Parichay) ने हिंदी साहित्य में आलोचना, संपादन, शोध, व्याख्यान और अनुवाद के क्षेत्र में कई अनुपम रचनाएँ की हैं। यहाँ नामवर सिंह की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं (Namvar Singh Books) के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

आलोचना 

  • आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ
  • छायावाद 
  • इतिहास और आलोचना 
  • कहानी: नयी कहानी 
  • कविता के नए प्रतिमान 
  • दूसरी परंपरा की खोज 
  • वाद विवाद संवाद 

व्याख्यान 

  • बक़लम ख़ुद 
  • आलोचक के मुख से 
  • कविता की ज़मीन ज़मीन की कविता
  • हिन्दी का गद्यपर्व 
  • ज़माने से दो दो हाथ
  • प्रेमचद और भारतीय समाज 
  • साहित्य की पहचान 
  • आलोचना और विचारधारा 
  • सम्मुख 
  • साथ-साथ 
  • आलोचना और संवाद 
  • पूर्वरंग 

शोध 

  • हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग
  • पृथ्वीराज रासो की भाषा

साक्षात्कार

  • कहना न होगा 
  • बात बात में बात 

पत्र-संग्रह 

  • काशी के नाम 

संपादन 

  • संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो – (आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के साथ)
  • पुरानी राजस्थानी 
  • चिंतामणि भाग-3 
  • कार्ल मार्क्स: कला और साहित्य चिंतन 
  • नागार्जुन: प्रतिनिधि कहानियाँ 
  • मलयज की डायरी 
  • आधुनिक हिंदी उपन्यास भाग-2 
  • जनयुग 
  • आलोचना 

पुरस्कार एवं सम्मान 

नामवर सिंह (Namvar Singh Ka Jivan Parichay) को हिंदी साहित्य और आलोचना को समृद्ध करने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार – वर्ष 1971 में ‘कविता के नए प्रतिमान’ (आलोचना) के लिए सम्मानित किया गया। 
  • शलाका सम्मान – हिंदी अकादमी, दिल्ली 
  • साहित्य भूषण सम्मान – उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान 
  • महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान 

निधन 

कई दशकों तक हिंदी साहित्य और आलोचना को समृद्ध करने वाले नामवर सिंह का 93 वर्ष की आयु में ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’, दिल्ली में 19 फरवरी, 2019 को निधन हो गया। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ हिंदी के विख्यात साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह का जीवन परिचय (Namvar Singh Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा

FAQs 

नामवर सिंह का जन्म कहाँ हुआ था?

नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई, 1926 को उत्तर प्रदेश के बनारस जिले में जीयनपुर नामक गाँव में हुआ था। 

नामवर सिंह के माता पिता का क्या नाम था?

नामवर सिंह के माता का नाम श्रीमती बागेश्वरी देवी और पिता का नाम श्री नागर सिंह था। 

‘कविता के प्रतिमान’ किसकी रचना है?

यह हिंदी साहित्य के विख्यात आलोचक नामवर सिंह की बहुचर्चित रचना है। 

नामवर सिंह ने किस पत्रिका का संपादन किया था?

बता दें कि नामवर सिंह ने ‘जनयुग’ और ‘आलोचना’ पत्रिका का संपादन किया था। 

नामवर सिंह का निधन कब हुआ था?

नामवर सिंह का 93 वर्ष की आयु में एम्स, दिल्ली में 19 फरवरी, 2019 को निधन हो गया था। 

आशा है कि आपको हिंदी के विख्यात साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह का जीवन परिचय (Namvar Singh Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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