नमक आंदोलन क्यों था भारत की आज़ादी के लिए ज़रूरी?

1 minute read
1.7K views
Namak Andolan

भारत में वैसे तो आज़ादी दिलाने के लिए कई आंदोलन हुए थे, लेकिन उनमें से एक ऐसा आंदोलन हुआ था जिसने ब्रिटिश हुकूमत की जड़े हिला के रख दी थी। इस आंदोलन का नाम था नमक आंदोलन। यह 12 मार्च से 6 अप्रैल 1930 के बीच गांधीजी ने जब नमक पर लगाए जाने वाले विरोध पर नया सत्याग्रह चलाया वह Namak Andolan के नाम से प्रचलित हुआ। Namak Andolan लगातार 24 दिनों तक चला था। यह आंदोलन अहमदाबाद साबरमती आश्रम से दांडी गुजरात में 400 किलोमीटर तक चलाया गया था। नमक एक ऐसी चीज है जो अमीर से लेकर गरीब तक हर एक मनुष्य इस्तेमाल करता है। साथ ही पशुओं को खिलाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसी कारण से  महात्मा गांधी ने Namak Andolan और दांडी कूच के बारे में लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।

Check it: Indian Freedom Fighters (महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी)

नमक आंदोलन कब हुआ था?

Namak Andolan कब हुआ था नीचे इसके बारे में बताया गया है-

  • Namak Andolan देश की सबसे पहली राष्ट्रवादी गतिविधि थी जिसके अंदर कहीं संख्या में औरतों ने भी हिस्सा लिया था।
  • 6 अप्रैल 1930 को वह दांडी पहुंचे, वहां पहुंचने के बाद मुट्ठी भर नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन किया।
  • कानून की नजर में अपने आप को अपराधी बना दिया।
  • तो यहीं से स्थानीय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई थी।
  • Namak Andolan के दौरान महात्मा गांधी के साथ – साथ 60,000 लोगों को भी उनके साथ गिरफ्तार किया था।
  • गांधी जी और इरविन के बीच 5 मार्च 1931 को एक समझौता हुआ था।
  • यह समझौता गांधी इरविन समझौता या दिल्ली पैक्ट के नाम से भी जाना गया था।
  • समुद्र के किनारे रहते लोगों को नमक बनाने की छूट दी गई थी इस बात का समझौता किया गया था।
Source: PIB India

Check it: Indian National Movement (भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन)

30 जनवरी महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि के अवसर पर भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दांडी में राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह स्मारक National Namak Andolan memorial राष्ट्र को समर्पित किया था।

  • गुजरात के नवसारी जिले में दांडी स्थित है।
  • महात्मा गांधी और उनके साथ ऐतिहासिक दांडी में उनके साथ सत्यग्राहीयो की प्रतिमा है।
  • यह सभी लोग ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ समुद्र के पानी से नमक बनाया था।
  • 1930 के 24 कथात्मक भित्ति चित्र ऐतिहासिक Namak Andolan से जुड़े सभी प्रकार की घटनाओं और कथाओं को दर्शाते हैं।
Source : dalmia Bharat group

Check it: Mahatma Gandhi Essay in Hindi

नमक कानून पर विरोध किसलिए हुए थे?

नमक एक ऐसी वस्तु है जो गरीब से लेकर अमीर तक हर एक के उपयोग में आती है। परंतु ब्रिटिश लोग ने नमक बनाने से रोक लगा दी गई थी, जिसके कारण उन्हें दुकानों से उच्च भाव से नमक खरीदने पड़ते थे। उस समय के दौरान बिना कर ( जो कभी भी नमक के मूल्य का 14 गुना हुआ  करता था), जिसके कारण नमक के प्रयोग को रोकने के लिए सरकार उस समय नमक को नष्ट कर दिया करती थी जिसे वह लाभ पर नहीं बैठ पाती थी।

क्या था नमक आंदोलन?

Namak Andolan महात्मा गांधी द्वारा 12 मार्च 1930 अहमदाबाद के पास साबरमती आश्रम से चालू हुआ था। ब्रिटिश लोगों ने भारत लोगों पर चाय, कपड़ा अन्य सारी चीजों के साथ नमक जैसी चीज पर अपना अधिकार स्थापित कर दिया था। उस समय भारतीय लोगों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था। इंग्लैंड से आने वाले नमक के लिए भारतियों को कई गुना ज्यादा पैसे देने पड़ते थे। इसी कारण बापू ने Namak Andolan नमक का कानून हटाने के लिए यह सत्याग्रह चलाया।

Source: bookboxinc

Check It: Simon commission (साइमन कमीशन)

नमक आंदोलन के लिए नमक क्यों?

गांधी जी के साथ Namak Andolan के लिए कई सारे सहयोगी उनके साथ असहमत थे। उनका यह कहना था कि नमक के ऊपर सत्याग्रह ही क्यों? कई नेताओं का यह मानना था कि नमक के अलावा कई सारे मुद्दों पर भी सत्याग्रह किया जा सकता है। इस बात से वह असहमत थे कि नमक के ऊपर सत्याग्रह करना भारतियों के लिए फायदेमंद नहीं होगा। परंतु महात्मा गांधी जी के मन में नमक एक महत्वपूर्ण मनुष्य के जीवन में हिस्सा है। क्योंकि नमक भोजन और कहीं सारे जगह पर उपयोग में आता है। इसी कारण से महात्मा गांधी ने Namak Andolan चलाया था।

क्यों अनोखा था यह नमक आंदोलन?

नमक आंदोलन इसलिए अनोखा था क्योंकि यह दांडी मार्च के दौरान लोगों ने किसी भी प्रकार की तख्ती या झंडा का उपयोग नहीं किया था। प्रेस का भी बहुत ही बड़ा कवरेज भी मिला था। जिसके कारण पूरे देश में आजादी की लहर और लोगों के मन में जागरूकता फैल गई थी। नमक आंदोलन ने अंग्रेजों को पूरी तरीके से हिला दिया था। लोगों के मन में उत्सुकता बढ़ गई थी और कई सारे देशों में नमक बनाना शुरू कर दिया था। नमक आंदोलन के दौरान गांधीजी के साथ कई सारे लोगों गिरफ्तार भी हुए थे।

देश हो गया था एकजुट

नमक आंदोलन महात्मा गांधी और कई सारे लोगों के द्वारा साबरमती आश्रम से चलकर दाडी तक 240 मिली लंबी यात्रा हुई थी। यह सत्याग्रह भारतीय महिलाओं के लिए सबसे बड़ा और शक्तिशाली मुद्दा था क्योंकि वह अपने परिवार के पेट भरने के लिए संघर्ष कर रही थी। इस मुद्दे ने पूरे देश में जाति, राज्य, भाषा सभी की दीवारें तोड़ दी थी। दांडी तट पर पहुंचने के बाद महात्मा गांधी ने नमक बनाकर नमक का कानून तोड़ा था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन

सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत 1930 महात्मा गांधी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से  हुई थी। 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी जी बाकी सब सदस्यों के साथ मिलकर साबरमती आश्रम अहमदाबाद से चलकर दांडी तक 241 मील दूर स्थित गांव में नमक का कानून तोड़ा था। 6 अप्रैल 1930 को यह सभी लोग दांडी पहुंचने के बाद अपने हाथों से नमक बनाया और नमक का कानून तोड़ा था। उस समय किसी को भी नमक बनाने का अधिकार नहीं था। Namak Andolan के बाद ही पूरे देश में Civil Disobedience Movement सविनय अवज्ञा आंदोलन का  प्रसार फैल गया।

रोचक तथ्य

हम आपके सामने ला रहे हैं Namak Andolan से जुड़े वो रोचक तथ्य जिन्हें पढ़कर आपको इस आंदोलन के बारे में जानकारी मिलेगी। नीचे रोचक तथ्य दी गए हैं-

  • इस ऐतिहासिक सत्याग्रह में महात्मा गांधी समेत 78 लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गांव दांडी तक पैदल यात्रा की जो 390 किलोमीटर की थी।
  • गांधी जी ने आज के दिन नमक हाथ में लेकर कहा था कि इसके साथ मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला रहा हूं। इस आंदोलन ने Martin Luther King Jr. और James Bevel जैसे दिग्गजों को प्ररित किया था।
  • सत्याग्रह इससे आगे भी जारी रहा था और एक साल बाद महात्मा गांधी की रिहाई के साथ खत्म हुआ था।
  • दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली आंदोलनों में ‘नमक सत्याग्रह’ भी शामिल है।
  • 8,000 भारतीयों को नमक सत्याग्रह के उसी दौरान जेल में डाल दिया गया था।

FAQs

दांडी यात्रा कितने दिन चली?

महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 में अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था।

नमक कानून कब तोड़ा था?

दांडी यात्रा यानि नमक सत्याग्रह की शुरुआत 12 मार्च 1930 को हुई थी। महात्मा गांधी के नेतृत्व में 24 दिन का यह अहिंसा मार्च 6 अप्रैल को दांडी पहुंचा और अंग्रेजों का बनाया नमक कानून तोड़ा।

बिहार में नमक सत्याग्रह कब हुआ था?

बिहार में नमक सत्याग्रह 16 अप्रैल 1930 को चंपारण और सारण में प्रारंभ हुआ था।

पटना में नमक सत्याग्रह कब हुआ था?

6 नवंबर 1932 को पटना और अंजुमान इसलामिया हॉल में अस्पृश्यता निवारण से संबंधित एक सम्मेलन आयोजित किया गया था।

महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा क्यों की थी?

नमक का कानून तोड़ने के लिए महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा की थी।

नमक यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था?

इसका मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजों द्वारा बनाए गए ‘नमक कानून को तोड़ना’। गांधीजी ने साबरमती में अपने आश्रम से समुद्र की ओर चलना शुरू किया। इस आंदोलन की शुरुआत में 78 सत्याग्रहियों के साथ दांडी कूच के लिए निकले बापू के साथ दांडी पहुंचते-पहुंचते पूरा आवाम जुट गया था।

दांडी यात्रा की दूरी कितनी थी?

24 दिनों तक चली यह पद-यात्रा अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से शुरू होकर नवसारी स्थित छोटे से गांव दांडी तक गई थी। गांधीजी के साथ, उनके 79 अनुयायियों ने भी यात्रा की और 240 मील (लगभग 400 किलोमीटर) थी।

नमक यात्रा क्यों महत्वपूर्ण थी?

वहां पहुंचकर गांधीजी के नेतृत्व में हजारों लोगों ने अंग्रेजों ने नमक कानून को तोड़ा। यह एक अहिंसात्मक आंदोलन और पद यात्रा थी। देश के आजादी के इतिहास में दांडी यात्रा को खासा महत्व दिया जाता है।

दांडी यात्रा के समय भारत का वायसराय कौन था?

दांडी यात्रा के समय भारत के वायसराय लार्ड इरविन थे।

दांडी यात्रा कहाँ से शुरू हुई?

बापू ने मार्च 1930 में अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से 24 दिन की यात्रा शुरू की थी। यह यात्रा समुद्र के किनारे बसे शहर दांडी के लिए थी जहां जा कर बापू ने औपनिवेशिक भारत में नमक बनाने के लिए अंग्रेजों के एकछत्र अधिकार वाला कानून तोड़ा और नमक बनाया था।

नमक आंदोलन का मुख्य केंद्र?

नमक आंदोलन का मुख्य केंद्र साबरमती आश्रम था।

उम्मीद हैं कि Namak Andolan के इस ब्लॉग से आपको इस आंदोलन के बारे में पता चल गया होगा। अगर आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते है तो आज ही हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800 572 000 पर कॉल करके 30 मिनट का फ्री सेशन बुक कीजिए।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*

10,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today.
Talk to an expert