भीष्म साहनी: आधुनिक हिंदी साहित्य के विख्यात साहित्यकार का जीवन परिचय – Bhisham Sahni in Hindi

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Bhisham Sahni in Hindi

Bhisham Sahni in Hindi: भीष्म साहनी हिंदी साहित्य की ‘प्रगतिशील धारा’ के प्रमुख रचनाकारों में से एक माने जाते हैं। वहीं, आज शायद ही कोई हिंदी साहित्य प्रेमी ऐसा होगा जो उनकी रचनाओं से परिचित न हो। बता दें कि भीष्म साहनी एक प्रतिष्ठित साहित्यकार होने के साथ साथ कुशल अनुवादक, संपादक और अध्यापक भी थे। उनके विभाजन की त्रासदी पर लिखें कालजयी उपन्यास ‘तमस’ पर फिल्म भी बन चुकी है, जिसमें भारत के विभाजन की दुर्लभ तस्वीर को उकेरा गया है। ‘तमस’ उपन्यास के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया था। 

बता दें कि भीष्म साहनी मुंशी प्रेमचंद के बाद सबसे महत्वपूर्ण कथाकारों में से एक माने जाते हैं। इसके साथ ही उनकी कई रचनाओं को जिनमें ‘चीफ़ की दावत’, ‘अमृतसर आ गया है’, ‘वाङ्चू’, ‘मरने से पहले’ (कहानियां) ‘तमस’, ‘मय्यादास की माड़ी’, ‘झरोखे’ (उपन्यास) व ‘कबीरा खड़ा बाजार में’, ‘हानूश’, ‘मुआवजे’ (नाटक) आदि को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। 

वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं, इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी भीष्म साहनी (Bhisham Sahni in Hindi) और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम आधुनिक हिंदी साहित्य के विख्यात साहित्यकार भीष्म साहनी का जीवन परिचय और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम भीष्म साहनी (Bhisham Sahni) 
जन्म 8 अगस्त 1915
जन्म स्थान रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान)
पिता का नाम श्री हरवंशलाल 
माता का नाम श्रीमती लक्ष्मी देवी 
शिक्षा पीएचडी 
पेशा साहित्यकार, अध्यापक, अनुवादक, संपादक 
भाषा हिंदी, अंग्रेजी, रशियन 
विधाएँ कहानी, उपन्यास, नाटक, आत्मकथा, बाल साहित्य आदि। 
साहित्य काल आधुनिक 
उपन्यास तमस, मय्यादास की माड़ी, झरोखे, कुंतो, कड़ियां 
कहानी- संग्रह वाङ्चू, पहला पाठ, भाग्यरेखा, भटकती राख, शोभायात्रा 
नाटक कबीरा खड़ा बाजार में, हानूश, माधवी, मुआवज़े 
आत्मकथा आज के अतीत 
पुरस्कार एवं सम्मान पद्मभूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, शलाका सम्मान, शिरोमणि लेखक अवार्ड, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार आदि।  
निधन 11 जुलाई, 2003

रावलपिंडी में हुआ जन्म 

आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त 1915 में रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘श्री हरवंशलाल साहनी’ व माता का नाम ‘श्रीमती लक्ष्मी देवी’ था। बता दें कि मशहूर अभिनेता रहे ‘बलराज साहनी’ उनके बड़े भाई थे। मध्यवर्गीय परिवार में जन्में भीष्म साहनी का आरंभिक बचपन रावलपिंडी में ही बीता। यहीं उन्हें जीवन की सभी प्रवृत्तियों की झलक देखने को मिलती है, जिनका उनके व्यक्तित्व निर्माण में बहुत बड़ा योगदान रहा। 

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गुरुकुल से हुआ शिक्षा का आरंभ

भीष्म साहनी की आरंभिक शिक्षा गुरुकुल में हुई। यहाँ उन्होंने हिंदी और संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने स्थनीय ‘डी.ए.वी कॉलेज’ में दाखिला ले लिया और यहाँ से वर्ष 1931 में मैट्रिक और वर्ष 1933 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की।  

फिर वह उसी वर्ष लाहौर चले गए और वहाँ गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर में दाखिला लिया। यहीं से उन्होंने बी.ए और वर्ष 1937 में अंग्रेजी साहित्य से एम.ए की डिग्री हासिल की। बता दें कि अपने कॉलेज के दिनों में ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। 16 वर्ष की किशोरावस्था में ही उन्होंने कहानियाँ, लेख, नाटक व संस्मरण लिखने शुरू कर दिए थे। 

बता दें कि ये वो दौर था जब संपूर्ण भारत में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन हो रहे थे। वहीं शिक्षा के क्षेत्र में उन दिनों अंग्रेजी भाषा का बोल बाला था। इसी राष्ट्रीय उथल पुथल के समय उन्होंने अपनी पीएचडी की उपाधि हासिल की थी। 

विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र 

भीष्म साहनी का कार्य क्षेत्र भी बहुत विस्तृत रहा। जहाँ उन्होंने अपनी इच्छाअनुसार कई नौकरियाँ बदली। अपनी एम.ए की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने कुछ वर्षों तक अपने पिताजी के साथ व्यापार कार्य भी किया। किंतु उनका व्यापार में मन न लगा जिसके बाद रावलपिंडी के एक कॉलेज में पढ़ाने लगे। फिर वह मुंबई में अपने बड़े भाई बलराज साहनी के साथ भी रहे जहाँ उन्हें कुछ समय तक कोई नाम नहीं मिला। 

देश का विभाजन होने के बाद उन्होंने अंबाला के एक कॉलेज और अमृतसर के ‘खालसा कॉलेज’ में अध्यापन का कार्य किया। इसके साथ ही वह ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ व ‘अफ्रो-एशियाई लेखक संघ’ के सदस्य भी थे। 

रुसी पुस्तकों का किया अनुवाद 

भीष्म साहनी रुसी भाषा में कुशल थे। बता दें कि वर्ष 1957 में भारत सरकार की ओर से उनका चुनाव सोवियत संघ में अनुवादक के रूप में हुआ। यहाँ वह तकरीबन सात वर्षों तक रहे और कई रुसी पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद किया। वर्ष 1963 में भारत लौटने के बाद उन्होंने स्थायी रूप से ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ के ‘जाकिर हुसैन कॉलेज’ में साहित्य का अध्यापन किया। 

यहीं वह ‘इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन’ (इप्टा) से भी जुड़े और इप्टा की नाटक मंडली में काम भी किया। वर्ष 1965 से 1967 तक उन्होंने ‘नयी कहानियां’ का कुशल संपादन किया। वहीं, वर्ष 1980 में अध्यापन कार्य से सेवानिवृत होने के बाद स्वतंत्र रूप से साहित्य सृजन में जुट गए। वह वर्ष 1993 से 1997 तक साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य भी रहे थे। 

वैवाहिक जीवन 

बता दें कि भीष्म साहनी का अठाईस वर्ष की आयु में ‘सीमा’ नामक कन्या से विवाह हुआ। जिसके बाद उनकी दो संताने हुई बेटा ‘वरुण’ और बेटी ‘करुणा’। 

भीष्म साहनी की साहित्यिक रचनाएँ 

भीष्म साहनी (Bhisham Sahni in Hindi) ने आधुनिक हिंदी साहित्य की कई विधाओं में कई अनुपम रचनाओं का सृजन किया। इनमें मुख्य रूप से कहानी, उपन्यास, नाटक, आत्मकथा, बाल-साहित्य और अनुवाद विधा शामिल हैं। यहाँ भीष्म साहनी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

उपन्यास 

  • तमस 
  • झरोखे 
  • मय्यादास की माड़ी
  • बसंती 
  • कुंतो 
  • नीलू निलिमा नीलोफर 
  • कड़ियाँ 

कहानी-संग्रह 

  • भाग्यरेखा 
  • पहला पाठ 
  • भटकती राख 
  • पटरियां 
  • वाङ्चू
  • शोभा यात्रा 
  • निशाचर 
  • पाली 
  • डायन 

नाटक 

  • हानूश – वर्ष 1977 
  • माधवी – वर्ष 1984 
  • कबीरा खड़ा बाजार में – वर्ष 1985 
  • मुआवजे – वर्ष 1993 

बाल-साहित्य 

  • गुलेल का खेल 
  • वापसी 

आत्मकथा 

  • आज के अतीत 

पुरस्कार एवं सम्मान 

भीष्म साहनी (Bhisham Sahni in Hindi) को आधुनिक हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार – (वर्ष 1975 में ‘तमस’ उपन्यास के लिए सम्मानित किया गया।) 
  • शलाका सम्मान – हिंदी अकादमी, दिल्ली 
  • शिरोमणि लेखक अवार्ड (वर्ष 1975 में ‘पंजाब सरकार’ द्वारा सम्मानित किया गया।)
  • लोटस अवार्ड – (वर्ष 1980 में ‘अफ्रो-एशियाई लेखक संघ’ द्वारा पुरस्कृत किया गया।)
  • सोवियत नेहरू लैंड अवार्ड – वर्ष 1983 
  • पद्म भूषण – वर्ष 1998 में भारत सरकार द्वारा अलंकृत किया गया। 

निधन 

कई दशकों तक हिंदी साहित्य में अनुपम कृतियों की रचना करने वाले भीष्म साहनी का 88 वर्ष की आयु में 11 जुलाई, 2003 को निधन हो गया। किंतु उनकी कृतियों के लिए साहित्य जगत में उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा। 

पढ़िए हिंदी साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ आधुनिक हिंदी साहित्य के विख्यात साहित्यकार भीष्म साहनी का जीवन परिचय (Bhisham Sahni in Hindi) के साथ ही हिंदी साहित्य के अन्य साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 

FAQs 

भीष्म साहनी का जन्म कहाँ हुआ था?

भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त 1915 में रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था।

भीष्म साहनी के माता-पिता का क्या नाम था?

भीष्म साहनी की माता का नाम ‘श्रीमती लक्ष्मी देवी’ और पिता का नाम ‘श्री हरवंशलाल साहनी’ था। 

भीष्म साहनी के बड़े भाई का क्या नाम था?

बता दें कि भीष्म साहनी के बड़े भाई का नाम ‘बलराज साहनी’ था जो कि फ़िल्मी जगत के एक दिग्गज अभिनेता थे। 

तमस को 1975 में कौन सा पुरस्कार मिला?

वर्ष 1975 में भीष्म साहनी को उनके कालजयी उपन्यास ‘तमस’ के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 

भीष्म साहनी की आत्मकथा का क्या नाम है?

भीष्म साहनी की आत्मकथा का नाम ‘आज के अतीत’ है। 

भीष्म साहनी का निधन कब हुआ था?

भीष्म साहनी का 88 वर्ष की आयु में 11 जुलाई, 2003 को निधन हो गया था। 

आशा है कि आपको आधुनिक हिंदी साहित्य के विख्यात साहित्यकार भीष्म साहनी का जीवन परिचय (Bhisham Sahni in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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