साहिर लुधियानवी: हिंदी फ़िल्म जगत के मशहूर गीतकार – Sahir Ludhianvi Biography in Hindi

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साहिर लुधियानवी

Sahir Ludhianvi Biography in Hindi: साहिर लुधियानवी 20वीं सदी के सबसे लोकप्रिय गीतकार और कवियों में से एक थे जिन्होंने अपनी अपनी शायरी के माध्यम से युवाओं के दिल को छुआ। यहीं वजह है कि उन्हें ‘युवा जोश का शायर’ की संज्ञा दी गई। क्या आप जानते हैं कि साहिर लुधियानवी फिल्मी दुनिया में उर्दू के पहले शायर व गीतकार थे। जहाँ उन्होंने फिल्मी जगत के लिए कई सदाबहार नगमे लिखे। वहीं गुलाम भारत के पंजाब राज्य में जन्मे साहिर भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय वह पाकिस्तान चले गए थे लेकिन कुछ समय बाद ही वापस भारत आ गए।  

वर्ष 1949 में बॉम्बे से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत करने के बाद साहिर लुधियानवी ने बहुत संघर्षों से अपनी एक अलग पहचान बनाई। वहीं भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1970 में ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया। इसके साथ ही वर्ष 2013 में भारतीय डाक विभाग ने उनके नाम से एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया था। आइए अब हम हिंदी फ़िल्म जगत के मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी का जीवन परिचय (Sahir Ludhianvi Biography in Hindi) और उनकी लोकप्रिय रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मूल नाम अब्दुल हई फ़ज़ल मुहम्मद
उपनाम ‘साहिर’
जन्म 08 मार्च 1921
जन्म स्थान करीमपुरा, लुधियाना, पंजाब
पिता का नाम चौधरी फ़ज़ल मुहम्मद
माता का नाम सरदार बेग़म
शिक्षा खालसा हाई स्कूल, लुधियाना 
पेशा गीतकार, लेखक
भाषा हिंदी, उर्दू 
विधाएँ कविता, गीत 
पुरस्कार पद्मश्री, सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड, ‘फिल्म फेयर अवॉर्ड’ आदि। 
निधन 25 अक्टूबर 1980, मुंबई 

पंजाब के लुधियाना में हुआ जन्म – Sahir Ludhianvi Biography in Hindi

अपनी शायरी से युवाओं के दिलों को छूने वाले साहिर लुधियानवी का जन्म 08 मार्च 1921 को करीमपुरा, लुधियाना पंजाब में हुआ था। बता दें कि ये केवल एक इत्तफाक है कि इस दिन पूरी दुनिया में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ भी मनाया जाता है। 

साहिर का जन्म एक पंजाबी मुस्लिम परिवार में हुआ था। क्या आप जानते हैं कि उनका मूल नाम ‘अब्दुल हई फ़ज़ल मुहम्मद’ था किंतु साहित्य और फ़िल्मी जगत में उन्हें ‘साहिर लुधियानवी’ के नाम से जाना गया। 

साहिर के वालिद का नाम ‘चौधरी फ़ज़ल मुहम्मद’ था जो लुधियाना के एक रईस जागीरदार थे। साहिर की वालिदा ‘सरदार बेगम’ के अतिरिक्त भी चौधरी फजल मुहम्मद की कई बीवियां थीं। किंतु उनके जन्म के बाद वह दोनों व्यक्तिगत कारणों से अलग हो गए जिसके बाद उनकी परवरिश उनके नानिहाल में हुई। 

नहीं कर पाए ग्रेजुएशन 

साहिर लुधियानवी की प्रारंभिक शिक्षा लुधियाना के ‘खालसा हाई स्कूल’ से हुई थी व यहीं से उन्होंने मैट्रिक का इम्तिहान पास किया। ये वो दौर था जब भारत पर ब्रिटिश हुकूमत का शासन था। वहीं उस ज़माने में लुधियाना उर्दू का गतिशील और सरगर्म केंद्र हुआ करता था। फलस्वरूप यहीं से साहिर को शायरी का शौक पैदा हुआ और उन्होंने उर्दू और फारसी की सैकड़ों नज़्में और ग़ज़लें पढ़ डाली। इनमें ‘मिर्जा ग़ालिब’, ‘मीर तकी मीर’, ‘मिर्ज़ा मुहम्मद रफी सौदा’, ‘मोहम्मद इब्राहिम ज़ौक़’ व ‘अल्लामा इक़बाल’ की शायरी हुआ करती थीं। 

वर्ष 1939 में उन्होंने गर्वनमेंट कॉलेज लुधियाना में दाखिला लिया और यहीं से उनके लेखन की भी शुरुआत हुई। कॉलेज के दिनों में ही वे अपने शेर और शायरी के लिए मशहूर हो गए थे। इसके साथ ही वह देश की आजादी व राजनितिक आंदोलनों के कारण कम्युनिस्ट आंदोलन व छात्र संघ की ओर आकर्षित हुए। 

वहीं अपने कॉलेज की ही एक सहपाठी से प्रेम के चर्चे मशहूर होने के कारण उन्हें अंग्रेज प्रिंसिपल द्वारा कॉलेज से निकाल दिया गया। इसके बाद वह लाहौर चले गए और वहाँ के ‘दयाल सिंह कॉलेज’ में दाखिला लिया। किंतु यहाँ भी सियासी सरगर्मीयों के कारण अपनी पढ़ाई पूरी न कर सके और इस तरह उनकी ग्रेजुएशन कंप्लीट न हो सकी। 

यह भी पढ़ें – पढ़िए साहिर लुधियानवी की वो कविताएं, जिन्होंने उन्हें अजातशत्रु बनाया

मुशायरों के लोकप्रिय शायर 

साहिर लुधियानवी कॉलेज में पढ़ाई के साथ साथ उनका लेखन कार्य भी चलता रहा। इसके साथ ही वह लुधियाना के मुशायरों में भी शायर की हैसियत से शिरकत करने लगे। ये वो जगह थी जहाँ हिंदू और सिख अधिक तादाद में रहते थे। वहीं उनकी बोली पंजाबी थी जो उस जमाने में फ़ारसी लिपि में लिखी जाती थी। साहिर की भी मात्र भाषा पंजाबी थी इसके साथ ही उन्हें ‘गुरुवाणी’ भी कंठस्थ थी। 

वर्ष 1944 में उनका पहला संग्रह ‘तल्ख़ियां’ प्रकाशित हुआ जिसने उन्हें कम ही समय में बहुत लोकप्रिय बना दिया। फलस्वरूप उनकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी और उन्होंने अमृतसर के मुशायरों में भी भाग लेना शुरू किया। ये वो समय था जब उनके बिना कोई भी मुशायरा अधूरा माना जाने लगा। इसी दौरान उन्होंने ‘ताजमहल’ नाम से नज्म लिखी जिसे लोगों द्वारा बहुत सराहा गया।  

पाकिस्तान से वापस आए भारत 

क्या आप जानते हैं कि साहिर लुधियानवी उन प्रमुख लेखकों और शायरों में से एक थे जिन्होंने 1947 में पाकिस्तान की स्थापना के बाद भारत से पाकिस्तान की ओर रुख किया था। यहाँ वह अपनी माता के साथ करीब डेढ़ वर्षों तक रहे। उसी बीच उन्हें लाहौर की प्रसिद्ध उर्दू पत्रिका ‘सवेरा’ के संपादन का कार्य मिला। इस नौकरी से उन्हें महीने के लगभग 40 से 50 रुपये मिल जाते थे लेकिन इस कार्य में उनका ज्यादा मन नहीं लगा। वहीं वेतन में इजाफा होने के भी कोई आसार नहीं थे। 

नए मुल्क की स्थापना के बाद अब उन्हें यह शहर बिल्कुल पराया से लगने लगा था। इसके बाद उन्होंने दुबारा भारत आने का निर्णय लिया। उस दौरान, भारत आने के लिए वीजा या पासपोर्ट की जरूरत नहीं हुआ करती थी इसलिए उन्होंने अपना वेश बदला और फर्जी नाम से टिकट खरीदकर विमान में सवार हो गए। 

अपनी माता के साथ दिल्ली आने के बाद साहिर लुधियानवी को कुछ समय बाद ही प्रगतिशील साहित्यिक पत्रिका ‘शाहराह’ के संपादन का कार्य मिल गया। इस पत्रिका के कुछ अंक ही प्रकाशित हुए थे कि उन्हें ‘सरदार ग़ौर बख़्श’ की पत्रिका ‘प्रीत लड़ी’ का भी संपादन का कार्य मिल गया। किंतु आर्थिक तंगी कम न हुई और कुछ समय तक दिल्ली में रहने के बाद वह अपनी माता के साथ वर्ष 1949 में बॉम्बे चले गए। जहाँ एक सुनहरा भविष्य उनका इंतजार कर रहा था। 

फिल्मी दुनिया का सफर 

हर नए फनकार की तरह ही साहिर लुधियानवी के पास भी शुरूआती दिनों में काम नहीं था। वहीं, बहुत से संघर्षों का सामना करने के बाद उन्होंने फ़िल्मी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई और भारत के सबसे लोकप्रिय फ़िल्मी शायर बन गए। उनके फ़िल्मी करियर की शुरूआत वर्ष 1949 में आई फिल्म आजादी की राह से हुई। इस फिल्म में उन्होंने चार गीत लिखे। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मो के लिए गीत लिखे लेकिन उनकी जिंदगी में नया मोड़ तब आया जब उन्होंने वर्ष 1951 में आई फिल्म ‘नौजवान’ के गीत लिखे। 

इस फिल्म के संगीतकार ‘एस.डी. बर्मन’ थे। फिल्म के सभी गीत हिट हुए इसके बाद ‘गुरुदत’ और ‘एस.डी. बर्मन’ ने उन्हें अपनी आने वाली फिल्म के लिए भी गीत लिखने का निमंत्रण दिया। उनकी जोड़ी ने मिलकर बहुत से लोकप्रिय गाने दिए जिसे दर्शकों का बहुत प्यार मिला। किंतु वर्ष 1957 में ‘गुरुदत्त’ के निर्देशन में बनी फिल्म प्यासा साहिर और वर्मन की आखिरी फिल्म रही। इस फिल्म के दौरान बर्मन और साहिर के बीच कुछ मतभेद पैदा हो गया जिसके बाद दोनों के रास्ते हमेशा के लिए अलग हो गए। 

वहीं, साहिर लुधियानवी ने कई फिल्मो को अपने सदाबहार गीतों से सजाया इनमें ‘ताजमहल’, ‘बाजी’, ‘नौजवान’, ‘अलिफ लैला’, ‘इज्जत’, ‘मिलाप’, ‘दाग’, ‘चंद्रकांता’, ‘दास्तान’ और ‘अंगारे’ आदि फिल्में शामिल हैं। बता दें कि फिल्म ‘ताजमहल’ के लिए साहिर को ‘फिल्म फेयर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था। 

साहिर लुधियानवी की रचनाएँ 

साहिर लुधियानवी  (Sahir Ludhianvi Biography in Hindi) ने अपनी शायरी और गीतों से हिंदी साहित्य और फ़िल्मी जगत में अपनी एक विशिष्ठ पहचान बनाई थी। यहाँ उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में बताया जा रहा है, जो कि इस प्रकार हैं:-

शायरी संग्रह 

  • तल्ख़ियां
  • परछाइयां
  • गाता जाए बंजारा 
  • आओ कि कोई ख़्वाब बुनें

अनुवाद 

  • साहिर लुधियानवी ने ‘सामराज’ और ‘कार्ल मार्क्स’ नामक दो किताबों का अंग्रेज़ी से उर्दू में अनुवाद भी किया था।

संपादन 

  • अदब-ए-लतीफ़
  • शाहराह
  • सवेरा 
  • प्रीत लड़ी

पुरस्कार एवं सम्मान 

साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi Biography in Hindi) को आधुनिक हिंदी साहित्य और फ़िल्मी जगत में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • ‘पद्मश्री’ – वर्ष 1971 में भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया। 
  • वर्ष 1972 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें ‘जस्टिस आफ़ पीस’ अवार्ड से नवाजा था। 
  • ‘आओ कि कोई ख़्वाब बुनें’ गजल-संग्रह के लिए उन्हें वर्ष 1973 में ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 
  • वर्ष 1973 में उन्हें ‘महाराष्ट्र स्टेट लिट्रेरी अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। 
  • वर्ष 1974 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें ‘स्पेशल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट’ मनोनीत किया। 
  • बता दें कि 8 मार्च 2013 को उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था 
  • ‘फिल्म फेयर अवार्ड’ 

मुंबई में हुआ निधन 

कई दशक तक अपने गीतों और शायरी से लोगों के दिलों को छूने वाले साहिर लुधियानवी का दिल का दौरा पड़ने से 25 अक्टूबर 1980 को मुंबई में निधन हो गया। किंतु उनकी सदाबहार गीतों और शायरी को लोग आज भी पढ़ते और गुनगुनाते हैं। 

साहिर लुधियानवी की कुछ लोकप्रिय शायरी 

यहाँ साहिर लुधियानवी का जीवन परिचय (Sahir Ludhianvi Biography in Hindi) की जानकारी के साथ ही उनकी कुछ चुनिंदा लोकप्रिय शायरी (Sahir Ludhianvi Shayari in Hindi) के बारे में भी बताया जा रहा है, जो कि इस प्रकार हैं:-

देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से 
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से 
– साहिर लुधियानवी

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को 
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
– साहिर लुधियानवी

कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त 
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया 
– साहिर लुधियानवी

मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
– साहिर लुधियानवी

दुनिया ने तजरबात ओ हवादिस की शक्ल में 
जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं 
– साहिर लुधियानवी

माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके 
कुछ ख़ार कम तो कर गए गुज़रे जिधर से हम 
– साहिर लुधियानवी

पढ़िए हिंदी साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ हिंदी फ़िल्म जगत के मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी का जीवन परिचय (Sahir Ludhianvi Biography in Hindi) के साथ ही हिंदी साहित्य के अन्य साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिन्हें आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी आचार्य रामचंद्र शुक्ल आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
रामानुजनभारतेंदु हरिश्चंद्रमहादेवी वर्मा

FAQs 

साहिर लुधियानवी का मूल नाम क्या था?

साहिर लुधियानवी का मूल नाम ‘अब्दुल हई फ़ज़ल मुहम्मद’ था। 

साहिर लुधियानवी का जन्म कहाँ हुआ था?

साहिर लुधियानवी का जन्म 08 मार्च 1921 को करीमपुरा, लुधियाना पंजाब में हुआ था। 

साहिर लुधियानवी के माता-पिता का क्या नाम था?

साहिर लुधियानवी की माता का नाम ‘सरदार बेगम’ और पिता का नाम ‘चौधरी फ़ज़ल मुहम्मद’ था। 

साहिर लुधियानवी की मृत्यु कब हुई थी?

बता दें कि दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी 25 अक्टूबर 1980 को मुंबई में मृत्यु हो गई थी। 

साहिर लुधियानवी को किस वर्ष ‘पद्मश्री’ पुरस्कार मिला था?

साहिर लुधियानवी को वर्ष 1971 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

आशा है कि आपको हिंदी फ़िल्म जगत के मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी का जीवन परिचय (Sahir Ludhianvi Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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