Chand Bardai Ka Jivan Parichay : महाकवि चंदबरदाई का जीवन परिचय, साहित्यिक रचनाएँ व भाषा शैली  

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Chand Bardai Ka Jivan Parichay

Chand Bardai Ka Jivan Parichay : महाकवि चंदबरदाई को हिंदी का प्रथम महाकवि माना जाता है। ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ ने चंदबरदाई को दिल्ली नरेश ‘पृथ्वीराज चौहान’ का सामंत और राजकवि माना है। वहीं चंदबरदाई के जन्म के संबंध में प्रचलित जनश्रुति के अनुसार उनका और पृथ्वीराज चौहान का जन्म तथा मृत्यु एक साथ हुई थी। चंदबरदाई की प्रसिद्धि का आधार ‘पृथ्वीराजरासो’ (Prithviraj Raso) ग्रंथ है जो कि एक चरित काव्य है। इसकी भाषा को भाषा-शास्त्रियों ने ‘पिंगल’ कहा है, जो राजस्थान में ब्रजभाषा का पर्याय है। इसमें 69 समय या सर्ग है। पृथ्वीराज चौहान इस ग्रंथ का नायक है। 

आपको बता दें कि चंदबरदाई की रचनाओं को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी चंदबरदाई का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। 

आइए अब महाकवि चंदबरदाई का जीवन परिचय (Chand Bardai Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम चंदबरदाई (Chand Bardai)
जन्म 1168 ई. 
जन्म स्थान लाहौर, पाकिस्तान 
पेशा कवि एवं सामंत 
आश्रयदाता पृथ्वीराज चौहान 
विधा काव्य 
भाषा पिंगल व ब्रजभाषा 
प्रमुख रचना पृथ्वीराजरासो (Prithviraj Raso)
मृत्यु 1200 ई. 

लौहार में हुआ था जन्म – Chand Bardai Ka Jivan Parichay

महामहोपाध्याय हरप्रसाद शास्त्री के अनुसार चंदबरदाई का जन्म लाहौर, पाकिस्तान में हुआ था। वहीं आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने उनका जन्म 1168 ई. माना है। चंदबरदाई के संबंध में यह जनश्रुति प्रसिद्ध है कि उनका जन्म और मृत्यु दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान के साथ हुई थी। चंदबरदाई, पृथ्वीराज चौहान के सखा, राजकवि और सहयोगी थे। ‘पृथ्वीराज चौहान’ का शासनकाल 1165 से 1192 तक माना जाता है, इस दौरान उन्होंने वर्तमान राजस्थान से लेकर दिल्ली पर राज किया था। इसी कालावधि में चंदबरदाई भी रचनात्मक रूप से सक्रिय थे और उन्होंने अपने काव्य ग्रंथ ‘पृथ्वीराज रासो’ (Prithviraj Raso) की रचना की थी।

हिंदी के प्रथम महाकवि 

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपनी पुस्तक ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ (Hindi Sahitya ka Itihas) में लिखा है कि   चंदबरदाई हिंदी के प्रथम महाकवि माने जाते हैं। वहीं उनके द्वारा रचित ‘पृथ्वीराज रासो’ हिंदी का प्रथम महाकाव्य है। पृथ्वीराज रासो लगभग ढाई हजार पृष्ठों का एक वृहद ग्रंथ है। इसमें 69 समय या सर्ग है। इस महाकाव्य में चंदबरदाई ने संस्कृत, प्राकृत, मागधी, शौरसेनी, अपभ्रंश और पैशाची आदि छ: भाषाओं का प्रयोग किया हैं। बता दें कि चंदबरदाई ने इस महाकाव्य में ‘पृथ्वीराज चौहान’ के वीर चरित्र का वर्णन किया है। इस काव्य के दो प्रमुख रस हैं- युद्धों के वर्णन में वीर रस तथा शृंगार रस में ‘पृथ्वीराज चौहान’ के विवाह और विलासपूर्ण जीवन की प्रधानता देखी जा सकती है। 

चंदबरदाई की प्रमुख रचनाएं – Chand Bardai Ki Rachna

चंदबरदाई का महाकाव्य ‘पृथ्वीराज रासो’ हिंदी साहित्य की अनुपम रचना है। इस रचना को कालजयी का दर्जा प्राप्त है। इस महाकाव्य में लगभग 10,000 से अधिक छंद हैं। क्या आप जानते हैं कि चंदबरदाई केवल कवि ही नहीं बल्कि एक कुशल योद्धा भी थे। वे पृथ्वीराज चौहान के सभी युद्धों में उनके साथ रहे थे। अंतिम समय में जब पृथ्वीराज को ‘मोहम्मद ग़ौरी’ बंदी बनाकर गजनी ले गया था तब चंदबरदाई भी उनके साथ साथ गए थे। इसके बाद उन्होंने अपने पुत्र जल्हण को इस महाकाव्य को पूरा करने का कार्य सौंपा था। 

चंदबरदाई की भाषा शैली – Chand Bardai Ki Bhasha Shaili 

चंदबरदाई के महाकाव्य पृथ्वीराज रासो’ की भाषा को भाषा-शास्त्रियों ने पिंगल कहा है, जो राजस्थान में ब्रजभाषा का ही पर्याय है। प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह रासो की भाषा को पिंगल अर्थात् पुरानी ब्रजभाषा ही मानते हैं। इस महाकाव्य में चंदबरदाई ने छ: भाषाओं का प्रयोग किया हैं। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ महाकवि चंदबरदाई का जीवन परिचय (Chand Bardai Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

FAQs

आदिकाल का महाकाव्य कौन सा है?

पृथ्वीराज रासो आदिकाल का प्रथम महाकाव्य है, जिसके रचयिता महाकवि चंदबरदाई है। 

पृथ्वीराज रासो का जन्म कहाँ हुआ था?

महामहोपाध्याय हरप्रसाद शास्त्री के अनुसार चंदबरदाई का जन्म लाहौर, पाकिस्तान में हुआ था।

चंदबरदाई के पुत्र का नाम क्या था?

चंदबरदाई के पुत्र का नाम जल्हण था। 

चंदबरदाई किसका दरबारी कवि था?

चंदबरदाई, दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि थे। 

चंदबरदाई ने कौन सी पुस्तक लिखी है?

चंदबरदाई ने पृथ्वीराज रासो नामक ग्रंथ की रचना की थी।

पृथ्वीराज रासो में कितने सर्ग है?

पृथ्वीराज रासो में 69 समय या सर्ग है। 

आशा है कि आपको महाकवि चंदबरदाई का जीवन परिचय (Chand Bardai Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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