गोपालराम गहमरी आधुनिक हिंदी साहित्य में जासूसी उपन्यास के जनक माने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन में दर्जनों जासूसी उपन्यासों और कई लोकप्रिय कहानियों का अनुवाद किया। बताया जाता है कि उन्होंने कई वर्षों तक ‘जासूस’ नामक पत्रिका का संपादन किया था। क्या आप जानते हैं कि ‘पूर्व-प्रेमचंद युग’ में देवकीनंदन खत्री के बाद वे दूसरे ऐसे लेखक थे, जिनकी रचनाओं को पढ़ने के लिए अनेक गैर-हिंदी भाषियों ने हिंदी सीखी थी।
बता दें कि गोपालराम गहमरी की कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। अनेक शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। इसके अलावा, UGC-NET जैसी परीक्षाओं में हिंदी विषय के अभ्यर्थियों के लिए भी गोपालराम गहमरी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस लेख में हिंदी जासूसी साहित्य के प्रवर्तक गोपालराम गहमरी का जीवन परिचय और उनकी साहित्यिक रचनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई है।
नाम | गोपालराम गहमरी (Gopalram Gahmari) |
जन्म | सन् 1866 |
जन्म स्थान | गहमर, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश |
शिक्षा | मिडिल पास |
पेशा | लेखक, पत्रकार, अनुवादक |
भाषा | हिंदी |
साहित्यकाल | पूर्व-प्रेमचंद युग (आधुनिक काल) |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध, कविता आदि। |
निधन | सन् 1946 |
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गाजीपुर जिले के गहमर गांव में हुआ था जन्म
विख्यात जासूसी उपन्यासकार गोपालराम गहमरी का जन्म सन 1866 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के गहमर नामक गांव में हुआ था। बताया जाता है कि जब वे मात्र छह माह के थे, उसी दौरान उनके पिता का आकस्मिक निधन हो गया, जिसके बाद उनका पालन-पोषण अकेले उनकी माता ने किया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गहमर में ही संपन्न हुई। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1879 में मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की।
कई पत्रिकाओं का किया संपादन
शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत गोपालराम गहमरी ने कई लोकप्रिय पत्रिकाओं का संपादन किया। उनके संपादन में प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं की एक लंबी श्रृंखला रही है, जिनमें ‘हिंदुस्तान’, ‘भारत मित्र’, ‘गुप्तगाथा’ जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने कई वर्षों तक बिना किसी सहयोग के ‘जासूस’ नामक पत्रिका का भी एकल संपादन किया। उल्लेखनीय है कि अपने गांव गहमर से विशेष लगाव के कारण उन्होंने अपने नाम के साथ गांव का नाम जोड़ लिया और ‘गोपालराम गहमरी’ के नाम से प्रसिद्ध हुए।
जासूसी उपन्यास के जनक
माना जाता है कि गोपालराम गहमरी ने पूर्व-प्रेमचंद युग में लगभग दो दर्जन से अधिक जासूसी उपन्यासों की रचना की थी। उनके उपन्यासों को पढ़ने के लिए सैकड़ों गैर-हिंदी भाषी लोगों ने हिंदी सीखी थी। उल्लेखनीय है कि हिंदी साहित्य में उनका योगदान केवल उपन्यास तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं में भी अनुपम कृतियों की रचना की थी।
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गोपालराम गहमरी की रचनाएँ
गोपालराम गहमरी आधुनिक हिंदी साहित्य में विख्यात जासूसी उपन्यासकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने मुख्यतः गद्य विधा में अपनी लेखनी चलाई है। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी जा रही है:-
लोकप्रिय उपन्यास
- अद्भुत लाश
- डबल जासूस
- खूनी की खोज
- बेकसूर की फाँसी
- सरकती लाश
- भयंकर चोरी
- गुप्त भेद
संस्मरण
- पं. प्रताप नारायण मिश्र की स्मृति में
- भारतेंदु हरिशचंद्र
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गोपालराम गहमरी का निधन
गोपालराम गहमरी ने कई दशकों तक साहित्य जगत में जासूसी उपन्यासों की रचना की, जिसमें उन्हें अपार सफलता मिली। इसके साथ ही उन्होंने पत्रकारिता और अन्य गद्य विधाओं में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वतंत्रता से एक वर्ष पूर्व, सन् 1946 में उनका निधन हो गया। किंतु अपनी लोकप्रिय रचनाओं के कारण वे आज भी साहित्य जगत में प्रसिद्ध हैं।
FAQs
उनका जन्म सन 1866 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले गहमर नामक गांव में हुआ था।
उनके पिता का नाम रामनारायण था।
गोपालराम गहमरी जासूसी उपन्यासों के जनक माने जाते हैं।
यह गोपालराम गहमरी का लोकप्रिय उपन्यास माना जाता है।
वे पूर्व-प्रेमचंद युग के विख्यात रचनाकार माने जाते हैं।
उनका निधन सन 1946 में हुआ था।
आशा है कि आपको हिंदी जासूसी साहित्य के प्रवर्तक गोपालराम गहमरी का जीवन परिचय प्रस्तुत करता हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।