Bhitarkanika Rashtriya Udyan: भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के केंद्रापाड़ा जिले में स्थित है। इस राष्ट्रीय उद्यान में प्रकृति और जैव विविधता की एक अनोखी झलक दिखाई देती है। भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान का पारिस्थितिक तंत्र मैंग्रोव वनों, दलदली क्षेत्र और जलमार्गों से भरा हुआ है। यह राष्ट्रीय उद्यान इसकी जैव विविधता, पारिस्थितिकी और और प्राकृतिक सुंदरता के कारण यहां आने वाले हर फोटोग्राफर को एक रोमांचकारी अनुभव प्रदान करता है। इस ब्लॉग में भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (Bhitarkanika Rashtriya Udyan) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है जो कि आपके सामान्य ज्ञान और प्रतियोगी कौशल के लिए आवश्यक है।
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान | विवरण |
स्थान | केंद्रापाड़ा ज़िला, ओडिशा, भारत |
स्थापना वर्ष | 1998 |
क्षेत्रफल | लगभग 145 वर्ग किलोमीटर |
मुख्य आकर्षण | खारे पानी के मगरमच्छ (Saltwater Crocodiles), जैव विविधता |
उद्यान प्रकार | मैंग्रोव वन, दलदली क्षेत्र, जलीय पारिस्थितिकी |
प्रसिद्ध वन्यजीव | खारे पानी के मगरमच्छ, सफेद मगरमच्छ, ओलिव रिडले कछुआ, सांभर, हिरण |
प्रसिद्ध नदी/जलस्रोत | ब्राह्मणी, बेटा और उनके जलमार्ग |
यूनेस्को स्थिति | प्रस्तावित वर्ल्ड हेरिटेज साइट |
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भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान किसके लिए प्रसिद्ध है?
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (Bhitarkanika Rashtriya Udyan) निम्न बातों के लिए प्रसिद्ध है:
- भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान की प्रसिद्धि का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां भारत में खारे पानी के मगरमच्छों की सबसे बड़ी आबादी पाई जाती है।
- इस पार्क में सुंदर और गाने मैंग्रोव जंगल है जो इसकी जैव विविधता को सहारा देते हैं।
- यह राष्ट्रीय उद्यान गहिरमाथा समुद्र तट पर ओलिव रिडले कछुओं के सामूहिक प्रजनन के लिए भी जाना जाता है।
- मानसून के मौसम में हर साल हजारों प्रवासी पक्षी इस राष्ट्रीय उद्यान में आते हैं।
- भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में सांभर, चीतल, लंगूर, अजगर, वाटर मॉनिटर लिजर्ड जैसे अनेक जीव पाए जाते हैं।
- यह राष्ट्रीय उद्यान विभिन्न नदियों और जलीय मार्गो से घिरा हुआ है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में आकर वोटिंग के माध्यम से जंगल और जीवन को देखने का अनोखा अनुभव प्राप्त होता है।
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान उड़ीसा राज्य के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान खड़िया और नहरों के एक नेटवर्क से बना है। इस राष्ट्रीय उद्यान में ब्राह्मणी, बैतरणी, धामरा और पटसाला जैसी नदियां उपस्थित है। इन नदियों के कारण यहां एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है। यह राष्ट्रीय उद्यान लगभग 672 वर्ग किलोमीटर के एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।
भारत में यह राष्ट्रीय उद्यान सुंदरबन के बाद दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र है। इस राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न प्रकार की नदियां, बैकवॉटर, मुहाना, डेल्टा और मिट्टी से बनी झोपड़ियां देखी जा सकती हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान बंगाल की खाड़ी के बहुत पास में स्थित है इस वजह से इसके क्षेत्र की मिट्टी में नमक की मात्रा अधिक पाई जाती है। इस राष्ट्रीय अभ्यारण की वनस्पति और प्रजातियां मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पाई जाती है।
इस राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति में मैंग्रोव प्रजातियों के मैंग्रोव प्रजातियां, केसुरीनास और नीलझड़ी जैसी घास पाई जाती है। इस राष्ट्रीय उद्यान के जीव जंतुओं के बारे में बात करें तो यहां लुप्तप्राय खारे पानी के मगरमच्छ सबसे अधिक संख्या में पाए जाते हैं। इस उद्यान में गहिरमाथा समुद्र तट ओलिव रिडले कछुओं की सबसे बड़ी कॉलोनी है। यहां लकड़बग्घा, जंगली सूअर, चीतल, सांभर, चितीदार हिरण और जंगली बिल्ली जैसे जानवर देखे जा सकते हैं। सर्दियों के समय यह राष्ट्रीय उद्यान प्रवासी पक्षियों का भी घर बन जाता है।
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान पूर्वी भारत में ओडिशा के उत्तर-पूर्व केंद्रपाड़ा जिले में स्थित है। भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास 16वीं शताब्दी से चलता आ रहा है। उस समय यह शेत्र तब के शासकों के द्वारा शिकार के लिए उपयोग किया जाता था। भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना भारत सर्कार के द्वारा 1975 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत की गई थी। उसके बाद में साल 1998 में इस क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। स्थापना के बाद में यह क्षेत्र लगभग 672 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैल गया है।
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पति और जीव
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पति और जीव की बड़ी श्रंखला देखि जा सकती है जोकि निम्न प्रकार है:
- यह राष्ट्रीय उद्यान विभिन्न प्रकार के अलग अलग वनस्पतियों और जीवों का घर है। इस वन में द्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र में मैंग्रोव वन, आर्द्रभूमि और मुहाना देखे जा सकते हैं। इस वन के पौधे और पशु जीवन की समृद्ध विविधता का समर्थन करते हैं।
- भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है।
- भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में मुख्य रूप से मैंग्रोव वृक्ष प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें एविसेनिया मरीना, राइजोफोरा म्यूक्रोनाटा और हेरिटिएरा फोम्स प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त, नमक-सहिष्णु पौधों की प्रजातियाँ भी यहाँ पाई जाती हैं। इनमें निपा फ्रूटिकन्स, सोनेरटिया अल्बा और एजिसेरास कॉर्निकुलटम आदि आती हैं।
- उद्यान में एपिफाइट्स जैसे फ़र्न, ऑर्किड और ब्रोमेलियाड भी देखे जा सकते हैं। ये पेड़ों की सतह पर उगते हैं। इसके साथ में यह क्षेत्र औषधीय पौधों के लिए भी जाना जाता है।
- इनमें डेरिस स्कैंडेंस, टीनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया और बोएरहविया डिफ्यूसा शामिल हैं। इन सभी पौधों की उपस्थिति भितरकनिका की पारिस्थितिकी को संतुलित और जैव विविधता से भरपूर बनाती है।
- भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में जीव-जंतुओं की विविधता इसे जैविक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध बनाती है। यहाँ स्तनधारियों में चित्तीदार हिरण, जंगली सूअर, मछली पकड़ने वाली बिल्लियाँ और ऊदबिलाव पाए जाते हैं।
- सरीसृपों में खारे पानी के मगरमच्छ इस पार्क का मुख्य आकर्षण हैं, वहीं ओलिव रिडले समुद्री कछुए हर वर्ष अपने अंडे देने के लिए पार्क के समुद्र तटों पर आते हैं।
- यहां भारतीय अजगर, किंग कोबरा, कॉमन क्रेट और रसेल वाइपर जैसे सर्प भी यहाँ मिलते हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए भी यह उद्यान एक आदर्श स्थान है, जहाँ सफेद पेट वाले समुद्री ईगल, किंगफिशर, ऑस्प्रे और अन्य जल पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं।
- मछलियों की बात करें तो मडस्किपर्स, कैटफ़िश और मुलेट्स जैसे जलीय जीव यहाँ की जल प्रणालियों में सामान्य रूप से पाए जाते हैं।
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं:
- भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में विश्व के सबसे बड़े खारे पानी के मगरमच्छों में से कई यहाँ पाए जाते हैं।
- यहां ओलिव रिडले समुद्री कछुओं का आगमन होता है। हर साल ये कछुए अंडे देने के लिए उद्यान के समुद्र तटों पर आते हैं।
- यह भारत के सबसे बड़े मैंग्रोव वनों में से एक, जो जैव विविधता से भरपूर है।
- इस उद्यान में सफेद पेट वाले समुद्री ईगल, किंगफिशर, ऑस्प्रे सहित सैकड़ों जल पक्षियों का बसेरा है।
- इसमें चित्तीदार हिरण, ऊदबिलाव, मछली पकड़ने वाली बिल्लियाँ जैसे दुर्लभ स्तनधारी जीव पाए जाते हैं।
- यहां क्रॉकडाइल वॉचिंग और सुंदर मैंग्रोव जंगलों के बीच रोमांचक नौका यात्रा की जा सकती है।
- यह उद्यान प्रकृति प्रेमियों के लिए शांतिपूर्ण और अध्ययन योग्य वातावरण प्रदान करता है।
- यह राष्ट्रीय उद्यान गहीरमाथा के करीब है, जो कछुओं के प्रजनन के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
- उद्यान में फर्न, ऑर्किड और दुर्लभ औषधीय पौधों की उपस्थित हैं।
- यह उद्यान विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों और उनके प्राकृतिक आवासों का अध्ययन के लिए प्रमुख स्थल है।
FAQs
Bhitarkanika Rashtriya Udyan की प्रसिद्धि के कई कारण हैं। भितरकनिका में भारत में लुप्तप्राय समुद्री मगरमच्छों की सबसे बड़ी आबादी है और यह विश्व स्तर पर अद्वितीय है क्योंकि 10% वयस्क 6 मीटर से अधिक लंबाई के हैं। नदियों और खाड़ियों में लगभग 1,671 समुद्री मगरमच्छ रहते हैं। यहां 2014 के वार्षिक प्रजनन और घोंसले के मौसम के दौरान लगभग 3,000 समुद्री मगरमच्छ पैदा हुए थे।
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान पूर्वी भारत के ओडिशा राज्य में स्थित है। यह राज्य के तटीय क्षेत्र में स्थित है। यह उद्यान ब्राह्मणी, बैतरणी और धामरा नदियों के डेल्टा में स्थित है, जो बंगाल की खाड़ी में बहती हैं।
भीतरकनिका मैंग्रोव वन वह जगह है जहाँ ब्राह्मणी और बैतरणी नदियाँ मिलती हैं, जिससे उपजाऊ डेल्टा बनता है। यह जंगल लगभग 672 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान और बड़े भीतरकनिका वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है।
राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य ब्राह्मणी, बैतरणी, धामरा और पाठशाला नदियों से घिरा हुआ है। यह कई मैंग्रोव प्रजातियों का घर है और भारत में दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र है।
यह ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान मूलतः खाड़ियों और नहरों का एक नेटवर्क है, जो ब्राह्मणी, बैतरणी, धामरा और पटसाला नदियों के पानी से भरा हुआ है, जो एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है।
यह लुप्तप्राय खारे पानी के मगरमच्छों का प्रजनन स्थल है जो अभयारण्य का मुख्य आकर्षण हैं। गहिरमाथा बीच जो पूर्व में अभयारण्य की सीमा बनाता है, ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की सबसे बड़ी कॉलोनी है।
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित है।
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