Abdul Hamid: “परमवीर चक्र” विजेता वीर अब्दुल हमीद का जीवन परिचय 

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वीर अब्दुल हमीद का जीवन परिचय

भारत के सर्वोच्च सैन्य वीरता सम्मान “परमवीर चक्र” से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद (Abdul Hamid) ने सन 1965 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग में उनके 08 टैंकों को नीस्त-ओ-नाबूद किया था। बताया जाता हैं कि उन्होंने जीप पर बैठकर पाकिस्तान के एक-दो नहीं बल्कि आठ पैटन टैंकों को नष्ट किया था। इसी के साथ उनका नाम इतिहास के स्वर्णिम अक्षरो में दर्ज हो गया था। वे मात्र 32 वर्ष की अल्प आयु में शहीद हो गए थे। इस वर्ष उनकी 91वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। आइए अब हम “परमवीर चक्र” विजेता वीर अब्दुल हमीद का जीवन परिचय (Abdul Hamid Ka Jivan Parichay) और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम अब्दुल हमीद (Abdul Hamid)
जन्म 1 जुलाई, 1933
जन्म स्थान धामूपुर गांव, गाजीपुर जिला, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम मोहम्मद उस्मान
माता का नाम सकीना बेगम
पत्नी का नाम रसूलन बीबी 
सेवा काल भारतीय सेना (1954-1965) 
युद्ध भारत-चीन युद्ध (1962) , सन 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध
सम्मान “परमवीर चक्र”, “सामान्य सेवा पदक” 
मृत्यु 10 सितंबर, 1965 

वीर अब्दुल हमीद का जीवन परिचय – Abdul Hamid Ka Jivan Parichay

वीर अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई, 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में धामूपुर नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘मोहम्मद उस्मान’ था जो कि पेशे से सिलाई का काम किया करते थे। उनकी माता का नाम ‘सकीना बेगम’ था जो एक गृहणी थीं। बताया जाता हैं कि उनकी शिक्षा-दीक्षा गांव में ही हुई थी लेकिन उनका मन पढ़ाई से ज्यादा लाठी चलाने, तैराकी करने, गुलेल से निशाना लगाने और कुश्ती का अभ्यास करने में लगता था। 

20 वर्ष की आयु में ज्वाइन की आर्मी 

वीर अब्दुल हमीद ने मात्र 20 वर्ष की आयु में वाराणसी में भारतीय सेना जॉइन की थी। वहीं सैन्य प्रशिक्षण के बाद उन्हें वर्ष 1955 में 4 ग्रेनेडियर्स में पोस्टिंग मिली थी। सन 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान उनकी बटालियन सातवीं इंफैन्ट्री ब्रिगेड का हिस्सा थी जिसने ‘नमका-छू युद्ध’ (Battle of Namka Chu) में ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ (PLA) से जंग लड़ी थी। 

जीप से ध्वस्त किए ‘अपराजेय’ पैटन टैंक

सन 1965 में जब भारत-पाकिस्तान युद्ध की घड़ी करीब आ रही थी, उस वक्त वीर अब्दुल हमीद छुट्टी पर अपने घर गए हुए थे। इसी तनाव की स्थिति में उन्हें वापस आने का आदेश मिला तब उन्होंने अपनी छुट्टी बीच में ही छोड़कर वापस ड्यूटी ज्वाइन कर ली। ये वो समय था जब पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत में अस्थिरता पैदा करने के उद्देश्य से ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ (Operation Gibraltar) के तहत जम्मू-कश्मीर में लगातार घुसपैठ करने की गतिविधियां शुरू कर दी थीं। 

क्या आप जानते हैं कि ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ सन 1965 में भारत के जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना द्वारा योजनाबद्ध और निष्पादित एक सैन्य अभियान का ‘कोडनेम’ था। इसी ऑपरेशन में पाकिस्तान सेना ने अमरीका द्वारा दिए गये ‘पैटन टैंक’ का इस्तेमाल किया था जो उस समय अपराजेय माने जाते थे। वहीं भारतीय सेना भी इसका मुहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार थी।  

उस समय वीर अब्दुल हमीद के पास “गन माउनटेड जीप” थी। इसमें बैठकर वह दुश्मन सेना के टैंको का इंतजार करने लगे। जिसके बाद उन्होंने एक के बाद एक चार टैंको को नष्ट कर दिया। फिर कुछ समय बाद उन्होंने 3 और टैंक नष्ट कर दिया। लेकिन जब वे एक और टैंक को अपना निशाना बना रहे थे उसी दौरान एक पाकिस्तानी सैनिक की नजर उन पर पड़ गई। फिर दोनों के बीच भीषण फायर हुए जिसमें पाकिस्तानी टैंक तो नष्ट हो गया, लेकिन वे भी वीरगति को प्राप्त हो गए। जब वे शहीद हुए तब उनकी आयु मात्र 32 वर्ष की थी।  

“परमवीर चक्र” से हुए सम्मानित 

वीर अब्दुल हमीद का जीवन परिचय
Source – Ministry of Defence

वीर अब्दुल हमीद (Abdul Hamid) को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए “मरणोपरांत परमवीर चक्र” (Param Vir Chakra) से सम्मानित किया गया था। वहीं भारतीय डाक विभाग ने सन 2000 में उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था। आज भी वीर अब्दुल हमीद को उनकी वीरता के लिए याद किया जाता है।

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ “परमवीर चक्र” विजेता वीर अब्दुल हमीद का जीवन परिचय (Abdul Hamid Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतपी सी महालनोबिसआर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs 

वीर अब्दुल हमीद का जन्म कहां हुआ था?

उनका जन्म 1 जुलाई, 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में धामूपुर नामक गांव में हुआ था। 

वीर अब्दुल हमीद के माता-पिता का क्या नाम था?

उनकी माता का नाम ‘सकीना बेगम’ और पिता का नाम ‘मोहम्मद उस्मान’ था। 

वीर अब्दुल हमीद की पत्नी का क्या नाम था?

उनकी पत्नी का नाम ‘रसूलन बीबी’ था। 

अब्दुल हमीद को परम वीर चक्र क्यों मिला था? 

उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए उन्हें “मरणोपरांत परमवीर चक्र” से सम्मानित किया गया था।

वीर अब्दुल हमीद की मृत्यु कब हुई थी?

10 सितंबर 1965 को पाकिस्तानी सेना से लड़ते हुए वे शहीद हो गए थे।

आशा है कि आपको “परमवीर चक्र” विजेता वीर अब्दुल हमीद का जीवन परिचय (Abdul Hamid Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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