जानिए भारत के महान साइंटिस्ट विक्रम साराभाई का जीवन परिचय

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विक्रम साराभाई

डाॅ. विक्रम अंबालाल साराभाई एक भारतीय महान फिजिसिस्ट और एस्ट्रोनॉमर थे, जिन्होंने स्पेस रिसर्च की शुरुआत की और भारत में परमाणु ऊर्जा विकसित करने में मदद की। विक्रम साराभाई को 1966 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था और उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। इस ब्लाॅग में हम विक्रम साराभाई का जीवन परिचय के बारे में विस्तृत जानेंगे।

विक्रम साराभाई का शुरुआती जीवन

विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का पितामह माना जाता है, इसलिए सबसे पहले उनके शुरुआती जीवन के बारे में जानना चाहिए, जो कि नीचे बताया गया है-

  • विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ था।
  • विक्रम साराभाई का जन्म प्रगतिशील उद्योगपति के परिवार में हुआ था। 
  • विक्रम साराभाई के पिता अंबालाल साराभाई समृद्ध उद्योगपति थे और गुजरात में उनके नाम कई मिल्स थीं।
  • विक्रम साराभाई अंबालाल व सरला देवी के आठ बच्चों में से एक थे। 
  • गुरुदेव रवीन्द्रनाथ, जे कृष्णामूर्ति, वी.एस. श्रीनिवास शास्त्री, जवाहरलाल नेहरु, सरोजनी नायडू, सी.वी. रमन आदि जब अहमदाबाद आते थे तो वह साराभाई की फैमली के साथ रहते थे। 
  • विक्रम साराभाई प्रसिद्ध साराभाई परिवार से आते हैं जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए प्रतिबद्ध एक प्रमुख उद्योगपति थे। विक्रम साराभाई ने अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के लिए अहमदाबाद के गुजराती कॉलेज में दाखिला लिया और ऐसा करने के बाद उन्होंने इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया जहाँ 1940 में उन्होंने नेचुरल साइंस में परीक्षा दी।
  • सेकंड वर्ल्ड वाॅर स्टार्ट होने पर विक्रम साराभाई भारत लौट आए और बंगलौर स्थित भारतीय विज्ञान, संस्थान में नौकरी की शुरुआत की।

विक्रम साराभाई की शिक्षा

भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम व इसरो के जनक विक्रम साराभाई की शिक्षा भारत व विदेश में भी पूरी हुई है। शिक्षा पूरी होने के बाद विक्रम सारभाई ने सफलता की सीढ़ियां चढ़ना शुरू कर दीं। नीचे विक्रम साराभाई की शिक्षा के बारे में प्वाइंट्स में बताया गया है-

  • विक्रम साराभाई ने प्राथमिक शिक्षा मोंटेसरी लाइन के निजी स्कुल ‘रिट्रीट’ से ग्रहण की थी, जो उनके ही माता-पिता चला रहे थे। 
  • विक्रम साराभाई ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत गुजरात में अहमदाबाद इंटरमीडिएट कॉलेज से की थी।
  • बाद में विक्रम साराभाई इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में पढ़ाई करने के लिए चले गए थे। 
  • विक्रम साराभाई ने 1940 में सेंट जान कालेज से नेचुरल साइंस में ट्राइपोज में डिग्री हासिल की।
  • विक्रम साराभाई ने पीएचडी की और Cosmic Ray Investigation in Tropical Latitude पर रिसर्च की और उस पर थीसिस भी लिखा।
  • सेकंड वर्ल्ड वाॅर के खत्म होने के बाद विक्रम साराभाई कैंब्रिज यूनिवर्सिटी गए और कॉस्मिक किरणों पर रिसर्च ककर 1947 में पीएचडी की उपाधि ली।

विक्रम साराभाई की विशेषता और करियर

विक्रम साराभाई ने नंवबर 1947 में गुजरात के अहमदाबाद में फिजिक्स रिसर्च लैब की स्थापना की। विक्रम के माता पिता की ओर से स्थापित अहमदाबाद एजुकेशन सोसाइटी के एम.जी साइंस इंस्टिट्यूट के कुछ कमरों में प्रयोगशाला स्थापित की गई। वैज्ञानिक व औद्योगिकी अनुसंधान परिषद (CSIR) और परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा समर्थन भी मिला।

विक्रम साराभाई ने काॅस्मिक किरणों के समय परिवर्तन पर रिसर्च किया और मौसम विज्ञान परिणाम काॅस्मिक किरण के दैनिक परिवर्तन प्रेक्षण पर पूर्ण रूप से प्रभावित नहीं होगा, इसके बारे में भी बताया। विक्रम साराभाई ने सौर तथा अंतरग्रहीय भौतिकी में रिसर्च की नई फील्ड की कल्पना की थी। 

1957-1958 को अंतरराष्ट्रीय भू-भौतिकी वर्ष (IGW) के तौर पर देखा जाता है। विक्रम साराभाई द्वारा IGW के लिए भारतीय कार्यक्रम एक अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा। 

1957 में स्पुटनिक-1 के प्रमोचन ने उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान के नए परिदृश्यों से अवगत कराया। विक्रम साराभाई की अध्यक्षता में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) का गठन किया गया।

21 नवंबर 1963 को सोडियम वाष्प नीतभार के साथ प्रथम राकेट का प्रमोचन किया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1965 में TERLS को एक अंतरराष्ट्रीय सुविधा के रूप में मान्यता दी। विमान दुर्घटना में होमी भाभा की मृत्यु होने के बाद विक्रम साराभाई ने मई 1966 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष पद को संभाला। 

भारत के परमाणु विज्ञान कार्यक्रम के जनक डॉ. होमी जहांगीर भाभा के सहयोग से विक्रम साराभाई द्वारा TERLS स्टेशन अरब तट पर तिरुवनंतपुरम के निकट थुंबा में स्थापित किया गया था।

विक्रम साराभाई के प्रोजेक्ट के परिणामस्वरूप 1975 में पहला भारतीय उपग्रह `आर्यभट्ट` कक्षा में स्थापित किया गया था। डॉ. साराभाई को साइंस में काफी लगाव था और उन्होंने 1966 में अहमदाबाद में सामुदायिक विज्ञान केंद्र की स्थापना की।

विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद टेक्सटाइल्स इंडस्ट्रियल रिसर्च एसोसिएशन (ATIRA) व सेंटर फॉर एनवायरोमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी (CEPT) और ब्लाइंड मेन एसोसिएशन की भी स्थापना की। 

विक्रम साराभाई के महान अविष्कार कौनसे हैं?

भारत के महानतम वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का जीवन परिचय ने इसरो की स्थापना की थी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना उनकी महान उपलब्धियों में एक थी। नीचे प्वाइंट्स में विक्रम साराभाई के अविष्कारों के बारे में बताया गया है-

  • विक्रम साराभाई ने 1963 को वैज्ञानिकों संग अंतरिक्ष में छोटा रॉकेट लॉन्च किया।
  • विक्रम साराभाई ने 1975 में सेटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलिविजन एक्सपेरिमेंट (साइट) की 1975 में स्थापना की।
  • इसरो की स्थापना के बाद विक्रम साराभाई को ही इसरो का पहला चेयरमैन नियुक्त किया गया। 
  • भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), दर्पण प्रदर्शन कला अकादमी (1949), अहमदाबाद वस्त्र उद्योग अनुसंधान संघ (एटीआईआरए) (1947), भारतीय राष्ट्रीय समिति अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए (जिसे 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा अधिगृहीत किया गया था), अहमदाबाद वस्त्र उद्योग अनुसंधान संघ (एटीआईआरए) (1947), विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम (1962) आदि संस्थान विक्रम साराभाई द्वारा स्थापित किए गए।

विक्रम साराभाई का परिवार

भारत के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का परिवार काफी बड़ा कहा जाता है। विक्रम साराभाई के पिता का नाम अंबालाल साराभाई, माता का नाम सरलादेवी साराभाई, भाई के नाम सुहरिद साराभाई और गौतम साराभाई, बहनों के नाम मृदुला साराभाई, भारती साराभाई, गिरा साराभाई, गीता साराभाई और लीना साराभाई हैं।

विक्रम साराभाई का विवाह नृत्यागंना मृणलिनी के साथ 1942 में हुआ था, उस समय भारत छोड़ो आंदोलन चल रहा था और उनका परिवार राष्ट्रवादी विचारधारा के चलते उनके विवाह में शामिल नहीं हो सका था। बाद में उनकी पत्नी को मृणालिनी विक्रम साराभाई को जाना गया। इनके एक बेटा कार्तिकेय साराभाई और बेटी मल्लिका साराभाई हुए।

विक्रम साराभाई को मिलने वाले पुरस्कार और उपलब्धियां

डॉ. विक्रम साराभाई को ‘भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक’ के रूप में जाना जाता है। महान वैज्ञानिक के तौर दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले विक्रम साराभाई ने कई उपलब्धियां हासिल कीं और उन्हें कई पुरस्कार दिए गए, जो नीचे बताए गए हैं-

  • विक्रम साराभाई को एक संस्थान निर्माता के रूप में भी याद किया जाता है।
  • कम्युनिटी साइंस सेंटर और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र आदि की स्थापना कराने में भी विक्रम साराभाई का बड़ा योगदान माना जाता है।
  • विक्रम साराभाई के सम्मान में भारतीय डाक विभाग ने टिकट जारी किया था।
  • विक्रम साराभाई को 1962 में डॉ. शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार दिया गया था।
  • विक्रम साराभाई को 1966 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 1972 में उन्हें पद्म विभूषण दिया गया।
  • डॉ. होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु के बाद 1966 में डॉ. विक्रम साराभाई को परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
  • विक्रम साराभाई ने 1962 में भौतिकी अनुभाग के अध्यक्ष, 1970 में IAEA, वेरीना के सामान्य सम्मेलन के अध्यक्ष आदि पदों पर कार्य किया।
  • विक्रम साराभाई Atomic Energy Commission of India के चेयरमैन भी थे।
  • डॉ. विक्रम साराभाई की मृत्यु के बाद उनके सम्मान में तिरुअनंतपुरम के थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लाँचिंग स्टेशन का नाम बदलकर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र रख दिया गया।

विक्रम साराभाई की मृत्यु कब हुई?

विक्रम साराभाई ने इंडियन साइंस कांग्रेस के प्रेसीडेंट के तौर पर भूमिका निभाई। उनकी मृत्यु 30 दिसंबर 1971 को रात को उस समय हुई जब वह मुंबई में SLV डिजाइन का रिव्यू करने जा रहे थे। 

कहा जाता है कि यह रिव्यू इस डिजाइन के डिपार्चर से ठीक पहले था तो उसी रात उन्होंने महान वैज्ञानिक डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम से टेलीफोन पर बात की थी, लेकिन 1 घंटे बाद दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। विक्रम साराभाई की मृत्यु त्रिवेंद्रम में हुई थी, जिसे वर्तमान में तिरुवनंतपुरम के नाम से जाना जाता है और विक्रम साराभाई का अंतिम संस्कार अहमदाबाद में हुआ।

विक्रम साराभाई के बारे में रोचक तथ्य जानिए

विक्रम साराभाई का जीवन परिचय जानने के बाद अब जानिए कि इनके बारे में कई बड़ी विरासतें है, जिनमें आज के समय में अंतरिक्ष से जुड़ी चीजों के बारे में नए रिसर्च किए जाते हैं। नीचे प्वाइंट्स में विक्रम साराभाई के बारे में रोचक तथ्य दिए गए हैं-

  • 1972 में भारतीय डाक विभाग ने विक्रम साराभाई की पुण्यतिथि पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
  • विक्रम साराभाई के पिता अंबालाल साराभाई एक संपन्न उद्योगपति थे।
  • भारत में 12वीं साइंस का एग्जाम क्लियर करने के बाद विक्रम साराभाई इंंग्‍लैंड चले गए।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना विक्रम साराभाई ने की थी।
  • विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • विक्रम साराभाई ने 1966 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया।
  • माना जाता है कि विक्रम साराभाई की वजह से भारत ने चांद की धरती पर कदम रखा और मंगल समेत कई ग्रहों तक अपनी पहुंच बनाने में सफल रहा।
  • 26 जुलाई, 2019 को विक्रम साराभाई को बीएम बिड़ला साइंस सेंटर, हैदराबाद में अंतरिक्ष संग्रहालय समर्पित किया गया।
  • विक्रम साराभाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है।
  • विक्रम साराभाई ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) की स्थापना करके भारत में मैनेजमेंट एजुकेशन के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • विक्रम साराभाई की बच्चों को साइंस पढ़ाने में काफी रूचि थी।
  • विक्रम साराभाई कला और संस्कृति के संरक्षक थे और उन्होंने अपनी पत्नी मृणालिनी साराभाई के साथ दर्पण अकादमी ऑफ़ परफॉर्मिंग आर्ट्स की स्थापना की।
  • विक्रम साराभाई के सम्मान में भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान -2 पर लैंडर, जिसे 20 सितंबर, 2019 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने के लिए सेट किया गया था, का नाम विक्रम रखा गया था।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विक्रम साराभाई के सम्मान में उनके 100 वें जन्मदिन, 12 अगस्त, 2019 को स्पेस साइंस टेक्नोलॉजी और रिसर्च में विक्रम साराभाई पत्रकारिता पुरस्कार की घोषणा की।
  • विक्रम साराभाई की होमी जहांगीर भाभा ने मदद की, जिन्होंने विक्रम को भारत का अपना रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन स्थापित करने में मदद की।
  • विक्रम साराभाई ऑपरेशंस रिसर्च ग्रुप (ORG) की उत्पत्ति के पीछे व्यक्ति थे, जो भारत में पहला बाजार रिसर्च संगठन था।

FAQs

विक्रम साराभाई की पत्नी का क्या नाम था?

मृणाली साराभाई।

विक्रम साराभाई ने किसकी खोज की थी?

विक्रम साराभाई ने कॉस्मिक किरणों की खोज की थी।

इसरो का संस्थापक किसे कहा जाता है?

विक्रम साराभाई को इसरो का संस्थापक माना जाता है।

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना कब हुई थी?

21 नवंबर 1963 को।

विक्रम साराभाई की मृत्यु कब हुई?

30 दिसंबर 1971

विक्रम साराभाई की मृत्यु कैसे हुई थी?

विक्रम साराभाई की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई।

Source – Gazab India


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