कंकाल तंत्र हमारे शरीर का एक ऐसा अनोखा और मजबूत हिस्सा होता है, जो हमें आकार और संरचना प्रदान करता है। यह केवल हमारे शरीर को सहारा नहीं देता, बल्कि यह तो हमारे विभिन्न अंगों को सुरक्षित रखने, हरकत करने, और शरीर के अन्य कार्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बता दें कि किसी भी जीव के शरीर की मजबूती और आकार उसके कंकाल तंत्र पर निर्भर करती है, फिर चाहे वह मनुष्य है या कोई पशु उसके सीधे चलने का कारण उसका कंकाल तंत्र ही होता है। इस लेख के माध्यम से आपके लिए कंकाल तंत्र (Kankal Tantra) की विस्तृत जानकारी दी गई है। मानव कंकाल तंत्र (Manav Kankal Tantra) के बारे में जानने और इसके अंगों तथा कार्यों को समझने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
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कंकाल तंत्र क्या है?
कंकाल तंत्र, हमारे शरीर में स्थित हड्डियों का एक ऐसा जाल होता है, जो शरीर की संरचना और गति को नियंत्रित करने में मुख्य भूमिका निभाता है। यह तंत्र शरीर के विभिन्न अंगों को सुरक्षा और सहारा प्रदान करता है। कंकाल तंत्र में हड्डियाँ, जोड़ों और उपांग (ligaments) होते हैं, जो इसे एकजुट रखते हैं। कंकाल तंत्र को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है:
- अक्षीय कंकाल (Axial Skeleton)
- पेरिफेरल कंकाल (Appendicular Skeleton)
अक्षीय कंकाल
यह हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मुख्य रूप से सिर, गर्दन, रीढ़, पसलियों और छाती की हड्डियों से बना होता है। यह कंकाल तंत्र का एक केंद्रीय ढांचा होता है, जिसका मुख्य कार्य शरीर को सहारा देना और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को सुरक्षा प्रदान करना है। अक्षीय कंकाल के प्रमुख घटक खोपड़ी, रीढ़, पसलियां और स्टर्नम होते हैं।
पेरिफेरल कंकाल
यह मानव कंकाल तंत्र (Manav Kankal Tantra) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे सरल शब्दों में समझें तो यह कंकाल का वह भाग है, जो हमारे शरीर के अंगों और अंगों के जोड़ने वाले हिस्सों से जुड़ा हुआ होता है। पेरिफेरल कंकाल मुख्य रूप से शरीर के दोनों हाथों और पैरों के साथ जुड़ा होता है, और यह शरीर को गति देने और संतुलन बनाने में मदद करता है। इसके मुख्य रूप से दो प्रमुख हिस्से होते हैं:
- ऊपरी अंगों का कंकाल: इसमें दोनों हाथों के हड्डियाँ शामिल होती हैं, जैसे कंधे की हड्डी, बाइसेप्स, कलाई, अंगुलियाँ आदि। ये हड्डियाँ हमें हाथों को हिलाने, पकड़ने और अन्य गतिविधियाँ करने में मदद करती हैं।
- निचले अंगों का कंकाल: इसमें पैरों की हड्डियाँ शामिल होती हैं, जैसे कूल्हा, घुटने, टखना, और पैर की अंगुलियाँ। यह हमें चलने, दौड़ने, बैठने और खड़े होने में मदद करता है।
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मानव कंकाल तंत्र की संरचना – Manav Kankal Tantra Ki Sanrachna
मानव कंकाल तंत्र (Manav Kankal Tantra) में कुल 206 हड्डियाँ होती हैं, जो बच्चों में 270 होती हैं, लेकिन समय के साथ कुछ हड्डियाँ आपस में जुड़कर एक हो जाती हैं। हड्डियाँ आकार और काम में भिन्न होती हैं, और उनका काम विभिन्न अंगों को सुरक्षा देना और शरीर को सशक्त रखना होता है।
मानव कंकाल तंत्र के प्रकार
मानव शरीर में उपलब्ध हड्डियों के अनुसार मानव कंकाल तंत्र (Manav Kankal Tantra) के दो प्रकार होते हैं:
- बाह्य कंकाल: शरीर के ऊपरी सतह पर पाए जाने वाले कंकाल को बाह्य कंकाल कहते हैं जैसे- मनुष्य शरीर में त्वचा, पक्षियों में पंख, पशुओं में बाल। बाह्य कंकाल का कार्य शरीर के आंतरिक अंगों की रक्षा करना है।
- अन्तः कंकाल: शरीर के आंतरिक हिस्से में पाए जाने वाले कंकाल को अन्तः कंकाल कहते हैं। इससे शरीर का मुख्य ढांचा बनता है। अन्तः कंकाल दो भागों से मिलकर बनता है:
- अस्थि
- उपास्थि
अस्थि:- अस्थि ठोस, कठोर और मजबूत होती है, जिन्हें सामान्यतः हम हड्डियां कहते हैं। अस्थि कैल्शियम और मैग्नीशियम से बानी होने के कारण इतनी ठोस और मजबूत होती हैं की शरीर का वजन उठा सकती है। मोटी और लंबी अस्थियां अंदर से खोखली होती है, जिनमें एक तरल पदार्थ पाया जाता है, जिसे अस्थि मज्जा कहते हैं। अस्थि दो प्रकार की होती है: कलाजात अस्थि और उपास्थि जात अस्थि। वयस्क अवस्था में मनुष्य शरीर में 206 अस्थियां होती हैं जबकि अभी जन्मे शिशु में लगभग 300 अस्थियां पाई जाती हैं।
उपास्थि:- उपास्थि का निर्माण कंकाल के संयोजी ऊतकों से होता है। यह अर्द्ध ठोस, लचीला पारदर्शी होता है।
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मानव कंकाल तंत्र के भाग
मानव कंकाल तंत्र (Manav Kankal Tantra) के दो भाग है:
- अक्षीय कंकाल (एक्सियल स्केलेटन)
- उपांगीय कंकाल (अपेंडिकुलर स्केलेटन)
अक्षीय कंकाल
अक्षीय कंकाल शरीर के केंद्रीय अक्ष के आसपास बनता है और इस प्रकार खोपड़ी, रीढ़ और राइबेज शामिल हैं। यह मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, हृदय, फेफड़े, अन्नप्रणाली और आंख, कान, नाक और जीभ जैसे प्रमुख अंगों की रक्षा करता है। अक्षीय कंकाल में खोपड़ी, मेरुदंड, पसलियां और उरोस्थि को मिलकर लगभग 80 अस्थियां होती हैं। जो दो भागो में विभाजित होती हैं:
- खोपड़ी
- कशेरुक दंड
- पसलियां
खोपड़ी (Skull)
- यह दो भागो में विभाजित होताे हैं इसमें टोटल 22 अस्थियां पाई जाती हैं।
- क्रेनियल (कपाल) – इसमें 8 हड्डी होती हैं ।
- फेशियल बोन – इसमें 14 अस्थियां होती हैं ।
- इसके अलावा 3-3 जोड़ी कान की होती हैं
- इसके अतिरिक्त एक और होती है जिसे होयड कहते हैं।
- कर्ण अस्थियां कर्ण के के मध्य भाग में स्थित होती हैं। कर्ण की स्टेप्स हड्डी हमारे शरीर की सबसे छोटी होती है।
खोपड़ी की मुख्य अस्थियां
- फ्रॉन्टल
- पेराइटल
- ऑक्सिपिटल
- टेम्पोरल
- मेलर
- मैक्सिला
- डेंटरी
- नेजल
कशेरुक दंड
- इसकी लंबाई 70 सेंटीमीटर होती है तथा 26 अस्थियां होती हैं कशेरुकी की कुल संख्या 33 होती है ।
- पहली कशेरुकी का नाम एटलस तथा अंतिम का नाम काँक्सियल होता है इसे टेल कशेरुकी भी कहा जाता है।
- कशेरुकी में एक होल होता है जिसमें से मेरुरज्जु या स्पाइनल कॉर्ड गुजरता है ।
कशेरुक दंड निम्न भागों में विभाजित होता है:-
- गर्दन- इसमें 7 कशेरुकी और 7 अस्थि होती हैं
- वक्ष- इसमें 12 कशेरूकी और 12 अस्थि होती हैं
- कटि- इसमें 5 कशेरुकी और 5अस्थि होती हैं
- त्रिक- इसमें 5 कशेरूकी और 1 अस्थि होती हैं
- अनुत्रिकास्थि- इसमें 4 कशेरूकी और 1 अस्थि होती हैं
- इस तरह कुल मिलाकर 33 कशेरूकी और 26 अस्थि होती हैं। उरोस्थि में केवल 1 अस्थि होती है।
पसलियां (Ribs)
इनकी कुल संख्या 24 या 12 जोड़ी होती है है यह पिंजरा बनाती है जिसे पसलियों का पिंजरा कहा जाता है।
- यह रिब केथ पसलियां स्टर्नम और थोरेसिक वेर्टेब्रा से मिलकर बनती हैं।
- 1 से 7 तक की पसलियों को सत्य या यथार्थ पसलियां कहा जाता है।
- 8वीं, 9वीं और 10वीं जोड़ी को फाल्स या गौण पसलियां कहा जाता है ।
- तथा 11वीं और 12वीं जोड़ी को फ्लोटिंग या चाल्य पसलियां कहा जाता है।
- इस तरह कुल मिलाकर 80 हड्डियों से अक्षीय कंकाल बना होता है।
उपांगीय कंकाल
उपांगीय कंकाल में हाथ और पैर की हाड़ियाँ शामिल है। इसमें कुल 126 अस्थियां होती हैं ।
1.मेखलाएं– इसमें पैर की अस्थियां आती है।
2.अंसमेखला- इसमें हाथ की अस्थियां आती हैं।
मेखलाएं
यह पादो को मुख्य अक्ष से जुड़ती हैं साथ ही यह एक दो भागों में विभाजित होती है ।
1.अंश मेखला
2.श्रोणि मेखला
- अंश मेखला: इस में कुल 4 अस्थि होती हैं यह अग्र पादो को मुख्य अक्ष से जोड़ता हैं। इसमें दो प्रकार की अस्थि होती हैं।
- हंसुली अस्थि– इसे कॉलर बोन भी कहा जाता है या इसे कभी कभी ब्यूटी बोन भी कहती हैं। इसमें दोनों तरफ एक-एक अस्थि होती हैं। यह हाथों को स्टर्नम से जोड़ती हैं।
- स्कंधास्थि – इसे शोल्डर बोन या कंधे की अस्थि कहा जाता है यह केविकल को ह्यूमरस से जोड़ती है।
- कोक्सल बोन- इसे हिप बोन या नितम्ब अस्थियां कहा जाता है। यह दोनो तरफ एक-एक होती हैं। श्रोणि मेखला में एक प्यूविक आर्च या कोण होता यह नर में 90 डिग्री तथा मादा में 100 डिग्री होता है यही दोनों के कंकाल तंत्र में अन्तर होता है।
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कंकाल तंत्र के प्रकार
कंकाल तंत्र मुख्य रूप से दो मुख्य प्रकार होते हैं:
- नम कंकाल (Cartilaginous Skeleton)
- हड्डी कंकाल (Bony Skeleton)
नम कंकाल (Cartilaginous Skeleton)
यह कंकाल शारीरिक रूप से लचीला और हल्का होता है। यह कंकाल उन जीवों का होता है, जो पूरी तरह से हड्डियों से नहीं बने होते, जैसे कि मछलियाँ और कुछ उभयचर। आसान भाषा में समझें तो नम कंकाल वह कंकाल होता है, जिसमें हड्डियों की जगह मुख्य रूप से उपांग (Cartilage) यानी कंसी (Cartilage) पाया जाता है। कंसी एक मुलायम, लचीला और सफेद रंग का पदार्थ होता है, जो हड्डी से कम कठोर होता है, लेकिन इसे किसी हड्डी से भी ज्यादा लचीला माना जाता है।
हड्डी कंकाल (Bony Skeleton)
यह वह कंकाल होता है, जिसमें अधिकांश हड्डियाँ होती हैं, जैसा कि मानव कंकाल तंत्र में होता है। यह स्थिर और मजबूत होता है। आसान भाषा में समझें तो हड्डी कंकाल वह कंकाल होता है, जिसमें मुख्य रूप से हड्डियाँ पाई जाती हैं। यह शरीर का एक मजबूत और स्थिर ढांचा बनाता है, जो शरीर के अंगों को सहारा देता है और उनकी सुरक्षा करता है। हड्डी कंकाल का प्रमुख हिस्सा हड्डियाँ होती हैं, जो कैल्शियम और फास्फोरस जैसे खनिजों से बनी होती हैं, जिससे यह मजबूत और कठोर बनती हैं।
हमारे शरीर में कुल 206 हड्डियाँ होती हैं, जो कंकाल तंत्र का हिस्सा होती हैं। ये हड्डियाँ शरीर को एक स्थिर रूप देती हैं और उसकी संरचना को बनाए रखती हैं। हड्डी कंकाल शरीर के महत्वपूर्ण अंगों, जैसे दिल, फेफड़े और मस्तिष्क को भी सुरक्षा प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, खोपड़ी (skull) मस्तिष्क को चोट से बचाती है, और पसलियाँ (ribs) फेफड़ों को संरक्षित करती हैं।
कंकाल तंत्र के कार्य
Kankal Tantra के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं :-
- कंकाल तंत्र के शरीर को मजबूत बनाने के साथ और भी कई कार्य हैं जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
- कंकाल तंत्र शरीर को मजबूती और आकार प्रदान करता है।
- बाह्य कंकाल आंतरिक अंगों की सुरक्षा करते हैं।
- यह पेशियों की सहायता से सम्पूर्ण शरीर को गति प्रदान करता है।
हड्डियों के कार्य
- हड्डियां शरीर को सीधा खड़े रहने में मदद करती है।
- शरीर को मजबूती प्रदान करती है।
- हड्डियां शरीर को एक आकार देती है।
- शरीर के अन्य आंतरिक अंगों की रक्षा करती है।
कंकाल तंत्र में आने वाली समस्याएँ
कंकाल तंत्र में कई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। कुछ सामान्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं:
- हड्डी में फ्रैक्चर: किसी दुर्घटना या चोट के कारण हड्डी टूट सकती है। यह आमतौर पर हाथ, पैर, या रीढ़ में होता है।
- आर्थराइटिस (Arthritis): यह जोड़ो में सूजन और दर्द का कारण बनता है, और यह वृद्धावस्था में अधिक आम होता है।
- ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis): यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें हड्डियाँ कमजोर और भंगुर हो जाती हैं। यह कैल्शियम की कमी से उत्पन्न होती है।
मानव कंकाल तंत्र की प्रमुख संधियाँ
Kankal Tantra की अस्थियाँ जिनसे आपस में जुड़ती है, उन्हें संधि कहते हैं। सामान्य शब्दों कोहनी, घुटना गर्दन आदि के जोड़ को ही संधि कहते हैं। मानव कंकाल तंत्र की मुख्य रूप से (Manav Kankal Tantra) 2 प्रकार की संधियां होती हैं –
- चल संधि– जो जोड़ अस्थियों को गति प्रदान करता है, उन्हें चल संधि कहते हैं जैसे- घुटना, गर्दन, कोहनी, कंधे आदि।
- अचल संधि– यह जोड़ शरीर के नाजुक अंगों को सुरक्षा प्रदान करते हैं जैसे- मुख, खोपड़ी, वक्ष आदि।
कंकाल तंत्र पीडीएफ
कंकाल तंत्र का संरक्षण
कंकाल तंत्र को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए हमें निम्नलिखित उपायों का अनुसरण करना चाहिए –
- कंकाल तंत्र का संरक्षण करने के लिए हमें हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर संतुलित आहार (जैसे – दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियाँ आदि) लेना चाहिए।
- इसके संरक्षण के लिए हमें नियमित रूप से व्यायाम करना हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए आवश्यक है। विशेष रूप से वेट-बियरिंग एक्सरसाइज हड्डियों के लिए फायदेमंद होती है।
- सूर्य की रोशनी से हमें विटामिन D मिलता है, जो हमारी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है।
- कंकाल तंत्र की रक्षा के लिए हमें चोटों से बचने की कोशिश करनी चाहिए और सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।
FAQs
उत्तर- अस्थियाँ
उत्तर- बाह्य तथा अन्तः कंकाल
उत्तर- मीजनकाइम
उत्तर- मीसोडर्म
उत्तर- ओसीन
उत्तर- काइटिन
उत्तर- कशेरुक दंड
उत्तर- तंतुपस्थि पैड
उत्तर- 60-70 सेमी
उत्तर- 33
उत्तर- रीढ़ खम्ब
उत्तर- खोपड़ी
उत्तर- चेहरा
उत्तर- धड़
उत्तर- 24
उत्तर- हाथ
उत्तर- पैर
उत्तर- 8
उत्तर- 8
उत्तर- 14
उत्तर- 2
उत्तर- 24
उत्तर- 1
उत्तर- 2
उत्तर- 2
उत्तर- 2
उत्तर- 2
उत्तर- 10
उत्तर- 16
उत्तर- 28
उत्तर- 1
उत्तर- 2
उत्तर- 2
उत्तर- 2
उत्तर- 14
उत्तर- 10
उत्तर- 28
उत्तर- 206
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excellent 👌👍
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