क्या 20 साल बाद भारतीय सेना को कारगिल युद्ध से सीख मिली है?

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क्या 20 साल बाद भारतीय सेना को कारगिल युद्ध से सीख मिली है

कारगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ पर पूरा देश भारत के वीर सपूतों के अदम्य साहस और कुर्बानी को याद कर रहा है। 1999 में भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस के दम पर पाकिस्तानी सेना को शिकस्त दी थी। कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई से जुलाई 1999 के बीच लद्दाख में कारगिल की चोटियों पर लड़ा गया था। 21 साल पहले भारतीय सेना ने करीब 18 हजार फुट से ज्यादा ऊंची चोटियों पर बैठे दुश्मनों को मार भगाया था। कारगिल युद्ध में भारत ने 527 वीर योद्धाओं को खोया। अब सवाल आता है कि क्या 20 साल बाद भारतीय सेना को कारगिल युद्ध से सीख मिली है? क्या भारत ने अपनी गलतियों से सीख आवश्यक परिवर्तन किए हैं? जानने के लिए यह ब्लॉग अंत तक पढ़ें।

KRV समिति रिपोर्ट को लागू करना भारतीय सेना के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ। KRV रिपोर्ट के पेश किए जाने के कुछ महीनों बाद राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंत्रियों का समूह (GoM) का गठन किया गया जिसने खुफिया तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर सहमति जतायी थी। सेना के पूर्व अधिकारियों ने कहा कि कारगिल सेक्टर में 1999 तक बहुत कम सेना के जवान थे, लेकिन युद्ध के बाद, बहुत कुछ बदल गया। ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) कुशकल ठाकुर, जो 18 ग्रेनेडियर्स के कमांडिंग ऑफिसर थे। साथ ही जो टॉलोलिंग और टाइगर हिल पर कब्जा करने में शामिल थे, ने भी कहा कि, ‘कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ के पीछे खुफिया विफलता मुख्य कारण थी। लेकिन पिछले 20 वर्षों में, बहुत कुछ बदल गया है। हमारे पास अब बेहतर हथियार, टेक्नोलॉजी, खुफिया तंत्र हैं जिससे भविष्य में कारगिल-2 संभव नहीं है।

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) अमर औल, जो ब्रिगेड कमांडर के रूप में टॉलोलिंग और टाइगर हिल पर फिर से कब्जा करने के अभियानों में शामिल थे, ने कहा कि, जी हां, हमने अपने सबक सीखे। हमारे पास 1999 में कारगिल में LoC की रक्षा के लिए एक बटालियन थी। आज हमारे पास कारगिल LoC की रक्षा के लिए एक डिवीजन के कमांड के तहत तीन ब्रिगेड हैं।

KRV रिपोर्ट ने एक युवा और फिट सेना का जिक्र किया था। आज हमारी सेना में पहले की तुलना में कमांडिंग यूनिट जवान (30 वर्ष) अधिकारी हैं। यह एक बहुत महत्वपूर्ण परिवर्तन है। 2002 में डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी और 2004 में राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) का निर्माण, कवर रिपोर्ट के कुछ प्रमुख परिणाम थे। लेकिन कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें, जैसे कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पद बनाना अधूरा रह गया है। चिंताजनक यह है कि इस विषय पर कई सरकारें राजनीतिक सहमति बनाने में विफल रहीं।

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KVR रिपोर्ट ने काउंटर-इंसर्जेन्सी में सेना की भूमिका को कम करने की भी सिफारिश की थी, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। 1999-2001 में सरकार द्वारा संसाधित फास्ट-ट्रैक अधिग्रहण को कभी भी दोहराया नहीं गया और भारतीय सैनिकों ने अभी तक उन्हीं राइफलों से लड़ाई लड़ी जिसके साथ उन्होंने 1999 में लड़ी थी। इसलिए कारगिल युद्ध की 20 वीं सालगिरह का जश्न मनाने का सबसे अच्छा तरीका होगा की KRV और GoM रिपोर्ट की समीक्षा करके लंबे समय से लंबित राष्ट्रीय सुरक्षा सुधारों को पूरा किया जाए। विशेष रूप से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति, फास्ट-ट्रैक रक्षा सुधार और उनके समय पर कार्यान्वयन किये जाएं। हमे ये नहीं भूलना चाहिए कि बालाकोट के बाद, पाकिस्तान को ठीक करना भारत के सामने अब भी एक बहुत बड़ी चुनौती है।

यह था क्या 20 साल बाद भारतीय सेना को कारगिल युद्ध से सीख मिली है? पर हमारा ब्लॉग। उम्मीद है, यह आपके लिए यह जानकारीपूर्ण रहा होगा। कारगिल दिवस से संबंधित अन्य ब्लाॅग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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