Shivprasad Singh Ka Jivan Parichay: शिवप्रसाद सिंह आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘नयी कहानी आंदोलन’ के आरम्भकर्ताओं में से एक माने जाते हैं। वे एक प्रतिष्ठित साहित्यकार होने के साथ ही शिक्षाविद भी थे। बता दें कि उन्होंने साहित्य की गद्य विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। वहीं, साहित्य के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘प्रेमचंद पुरस्कार’, ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार’ व ‘हिंदी संस्थान पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका हैं।
बता दें कि शिवप्रसाद सिंह की कई रचनाओं को विद्यालय के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी शिवप्रसाद सिंह का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष शिवप्रसाद सिंह का जीवन परिचय (Shivprasad Singh Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | शिवप्रसाद सिंह |
जन्म | 19 अगस्त, 1928 |
जन्म स्थान | जलालपुर गांव, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | चंद्रिका प्रसाद सिंह |
माता का नाम | कुमारी देवी |
शिक्षा | एम.ए., पीएचडी (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) |
पेशा | प्राध्यापक, साहित्यकार |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, निबंध, रिपोतार्ज, नाटक, आलोचना, जीवनी व संपादन |
साहित्य काल | आधुनिक काल (नयी कहानी आंदोलन) |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘प्रेमचंद पुरस्कार’, ‘व्यास सम्मान’, ‘शारदा सम्मान’, ‘मदन मोहन मालवीय सम्मान’ आदि। |
निधन | 28 सितंबर, 1998 |
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वाराणसी में हुआ था जन्म – Shivprasad Singh Ka Jivan Parichay
शिवप्रसाद सिंह का जन्म 19 अगस्त, 1928 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में जलालपुर नामक गांव में एक कृषक परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘चंद्रिका प्रसाद सिंह’ व माता का नाम ‘कुमारी देवी’ था। बता दें कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा जलालपुर में हुई थी। वर्ष 1946 में उत्तर प्रदेश बोर्ड से हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी पास करने के बाद उन्होंने वर्ष 1949 में उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी से संस्कृत एवं तर्कशास्त्र में विशेष योग्यता के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
इसके बाद उन्होंने ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ में बी.ए. कक्षा में दाखिला लिया। माना जाता है कि यहीं से उनमें साहित्य के प्रति अनुराग और अभिरुचि में वृद्धि हुई। वर्ष 1951 में द्वितीय श्रेणी से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने वर्ष 1953 में प्रथम श्रेणी में एम.ए. की डिग्री हासिल की। इसके पश्चात ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ (UGC) से छात्रवृति प्राप्त करने के बाद वर्ष 1957 में उन्होंने ‘सूर पूर्व ब्रजभाषा और उसका साहित्य’ शोध विषय पर पीएचडी की उपाधि हासिल की।
प्राध्यापक के रूप में की करियर की शुरुआत
शिवप्रसाद सिंह ने वर्ष 1954 में ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ में प्राध्यापक के रूप में करियर की शुरुआत की थी। इसी दौरान साहित्य के क्षेत्र में उनका पर्दापण हो गया था। उन्होंने साहित्य की हर विद्या पर अपनी लेखनी चलाई है। वहीं, उपन्यास, कहानी, समालोचना, नाटक और निबंध जैसी अनेक विधाओं में विपुल लेखन किया है। बता दें कि 31 अगस्त, 1988 में प्रोफेसर पद से सेवानिवृत होने के बाद भी वे ‘उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान’, ‘साहित्य अकादमी’ और ‘बिरला फाउंडेशन’ से संबद्ध रहे।
शिवप्रसाद सिंह की रचनाएँ – Shivprasad Singh Ki Rachnaye
शिवप्रसाद सिंह ने आधुनिक हिंदी साहित्य में मुख्य रूप से गद्य विधा में अनुपम साहित्य का सृजन किया हैं। यहाँ शिवप्रसाद सिंह का जीवन परिचय (Shivprasad Singh Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
कहानी-संग्रह
कहानी-संग्रह | प्रकाशन |
आर-पार की माला | वर्ष 1955 |
कर्मनाशा की हार | वर्ष 1958 |
इन्हें भी इंतजार है | वर्ष 1961 |
मुरदा सराय | वर्ष 1966 |
अंधेरा हँसता है | वर्ष 1975 |
भेड़िए | वर्ष 1977 |
मेरी प्रिय कहानियां | वर्ष 1977 |
उपन्यास
- अलग-अलग वैतरणी
- गली आगे मुड़ती है।
- वैशवानर
- शैलूष
- मंजुशिला
- नीला चाँद
- दिल्ली दूर है
- औरत
- कुहरे में युद्ध
नाटक
- घंटियाँ गूँजती है
- अश्मक का फूल
निबध-संग्रह
- किस-किस को नमन करूँ
- क्या कहूँ कुछ कहा न जाय
ललित-निबंध
- कस्तूरी मृग
- चतुर्दिक
- मानसी गंगा
- शिखरों का सेतु
जीवनी
- उतरयोगी – (महर्षि अरविंद की समीक्षात्मक जीवनी)
समीक्षा
- कीर्तिलता और अवहट्ट भाषा
- विद्यापति
- आधुनिक परिवेश और नवलेखन
- आधुनिक परिवेश और अस्तित्ववाद
रिपोर्ताज
- अंतरिक्ष के मेहमान
संपादन
- वीक्षा और सरोकार
- शांति निकेतन से शिवालिक तक
- रस रतन
- ‘कल्पना’ का नवलेखन विशेषांक
- हिंदी निबंध
पुरस्कार एवं सम्मान
शिवप्रसाद सिंह (Shivprasad Singh Ka Jivan Parichay) को हिंदी साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
- हिंदी संस्थान पुरस्कार
- प्रेमचंद पुरस्कार
- बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुरस्कार
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार
- मदन मोहन मालवीय पुरस्कार
- शारदा सम्मान
- हरिजी डालमिया पुरस्कार
- व्यास सम्मान
निधन
शिवप्रसाद सिंह ने हिंदी साहित्य संसार में कई दशकों तक अनुपम कृतियों का सृजन किया। किंतु 28 सितंबर 1998 को 70 वर्ष की आयु में उनका बनारस में निधन हो गया। जिसके बाद हिंदी साहित्य जगत एक अच्छे मार्गदर्शक, संवेदनशील और मानवतावादी रचनाकार से हमेशा के लिए वंचित हो गया।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष शिवप्रसाद सिंह का जीवन परिचय (Shivprasad Singh Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म 19 अगस्त, 1928 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में जलालपुर नामक गांव में हुआ था।
नीला चाँद, शिवप्रसाद सिंह का लोकप्रिय उपन्यास माना जाता है।
यह शिवप्रसाद सिंह का बहुचर्चित उपन्यास है।
उनके पिता का नाम चंद्रिका प्रसाद सिंह था, जो पेशे से जमींदार थे।
28 सितंबर 1998 को 70 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ था।
आशा है कि आपको शिवप्रसाद सिंह का जीवन परिचय (Shivprasad Singh Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।