Maharana Pratap Ka Jivan Parichay: महाराणा प्रताप को भारतीय इतिहास के सबसे महान और वीर शासकों में से एक माना जाता है। उन्होंने कभी अपनी आन बान और शान के खिलाफ समझौता नहीं किया और विपरीत परिस्थिति में भी कभी हार नहीं मानी। महाराणा प्रताप और मुग़ल बादशाह अकबर के बीच सन 1576 में हल्दी घाटी का युद्ध हुआ था। इस युद्ध में अकबर की लगभग 80 हजार सैनिकों वाली विशाल सेना के सामने उन्होंने अपने 20 हजार सैनिकों और सीमित संसाधनों के बल पर भीषण युद्ध लड़ा था।
इतिहासकारों के अनुसार यह युद्ध लगभग तीन घंटे तक चला था। हालांकि इस युद्ध में जख्मी होने के बावजूद वह मुगलों के हाथ नहीं आए। अत: महाराणा प्रताप के पास कई बार अकबर ने संधि प्रस्ताव भेजा लेकिन महाराणा प्रताप ने अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। यही वजह है कि महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं। इस लेख में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जीवन परिचय (Maharana Pratap Ka Jivan Parichay) की संपूर्ण जानकारी दी गई है।
नाम | महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) |
जन्म | 09 मई, 1540 |
जन्म स्थान | कुम्भलगढ़ दुर्ग, राजस्थान |
पिता का नाम | उदय सिंह द्वितीय |
माता का नाम | महारानी जयवंता बाई |
पत्नी का नाम | अजबदेह पंवार (Maharani Ajbade Punwar) |
राजवंश | सिसोदिया राजवंश |
युद्ध | हल्दीघाटी का लड़ाई 1576 |
समकालीन | मुग़ल बादशाह अकबर |
मृत्यु | 19 जनवरी, 1597 चावंड |
जीवनकाल | 56 वर्ष |
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राजस्थान के कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ था जन्म – Maharana Pratap Ka Jivan Parichay
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई, 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ दुर्ग में सिसोदिया राजवंश में हुआ था। इनके पिता ‘उदय सिंह द्वितीय’ (Udai Singh II) और माता ‘महारानी जयवंता बाई’ (Maharani Jaivanta Bai) थीं। बताया जाता है कि राणा उदय सिंह ने बीस से अधिक शादियां की थीं। महाराणा प्रताप उनके सबसे बड़े पुत्र थे। इनके 25 भाई और 20 बहनें भी थीं। महाराणा उदयसिंह के देहांत के बाद महाराणा प्रताप को मेवाड़ का उत्तराधिकारी बनाया गया था। यह वो समय था जब दिल्ली पर मुग़ल बादशाह अकबर का शासन था।
रानी अजबदेह से हुआ था विवाह
यूं तो महाराणा प्रताप की 14 रानियां थी लेकिन रानी ‘अजबदेह पंवार’ (Ajabde Punwar) उनमें सबसे अहम थीं। रानी अजबदेह महाराणा की पहली पत्नी थीं। इन्हीं से महाराणा प्रताप के पुत्र ‘अमर सिंह प्रथम’ (Amar Singh I) का जन्म हुआ था। जिन्होंने महाराणा प्रताप के बाद मेवाड़ का राज्य संभाला था।
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1576 हल्दी घाटी की लड़ाई
महाराणा प्रताप के मेवाड़ के राज्याभिषेक से लगभग चार वर्ष पहले ही सन 1568 में मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ पर मुगलों का शासन स्थापित हो चुका था। वहीं मेवाड़ की गद्दी सँभालते ही महाराणा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष की तैयारी शुरू कर दी थी। इस दौरान अकबर ने कई बार अपने दूतो को महाराणा प्रताप से संधि करने के लिए भेजा। लेकिन महाराणा प्रताप ने संधि प्रस्तावों को हमेशा ठुकरा दिया। इतिहासकारों के अनुसार सन 1573 में संधि प्रस्तावों को ठुकराने के बाद अकबर ने मेवाड़ का बाहरी राज्यों से संपर्क तोड़ दिया और मेवाड़ के सहयोगी दलों को अलग थलग कर दिया।
महाराणा प्रताप (Maharana Pratap Ka Jivan Parichay) और बादशाह अकबर के बीच इस कटुता की परिणिति हल्दी घाटी की लड़ाई में हुई जहाँ 21 जून, 1576 को दोनों सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हुआ। बताया जाता है कि इस युद्ध में मुग़ल सेना के लगभग 80 हजार सैनिकों के बीच महाराण प्रताप के 20 हजार सैनिक सीमित संसाधनों के साथ युद्ध लड़ रहे थे। हल्दी घाटी की लड़ाई में पहाडियों पर रहने वाले भील भी महाराणा प्रताप की सेना के साथ हो गए थे। युद्ध में मुग़ल सेना का नेतृत्व ‘राजा मान सिंह’ कर रहे थे। इस युद्ध में महाराणा प्रताप के घोड़े ‘चेतक’ (Chetak) की मृत्यु हो गई थी।
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हालांकि हल्दी घाटी की लड़ाई को मुगलों की स्पष्ट जीत नहीं कहा जा सकता था। क्योंकि मेवाड़ पर शासन अब भी मुगलों की पहुँच से बहुत दूर था। महाराणा प्रताप इस लड़ाई के बाद गोगुंडा के पश्चिम में एक कस्बे कोलियारी चले गए थे जहाँ घायल सैनिकों का इलाज चल रहा था। हल्दी घाटी की लड़ाई के बाद उनकी यश और कीर्ति और बढ़ गई थी। वहीं इस युद्व ने महाराणा प्रताप को जननायक के रूप में संपूर्ण भारत में प्रसिद्व कर दिया था।
छापामार युद्ध की शुरुआत
महाराणा प्रताप ने हल्दी घाटी की लड़ाई के बाद मुग़ल सेना के विरुद्ध अपनी रणनीति में बदलाव किया था। वह मुग़लों पर घात लगा कर हमला करते और फिर जंगलों में ग़ायब हो जाते। बाद में उन्होंने अकबर के आक्रमक अभियानों की समाप्ति के बाद चितौड़गढ़ और जहाजपुर को छोडकर संपूर्ण मेवाड़ पर सत्ता कायम की और चांवड को अपनी राजधानी बनाया था।
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शिकार के दौरान हुए बुरी तरह घायल
बताया जाता है कि सन 1596 में शिकार खेलते हुए महाराणा प्रताप बुरी तरह घायल हो गए थे जिससे वह कभी ठीक नहीं हो पाए। इसके कारण 19 जनवरी, 1598 को 56 वर्ष की आयु में उनका देहांत हो गया। महाराणा प्रताप अपनी बहादुरी और जनप्रियता के कारण इतिहास के पन्नों में सदैव अमर रहेंगे।
FAQs
महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था।
अमर सिंह प्रथम महाराणा प्रताप के सबसे बड़े पुत्र थे।
महाराणा प्रताप के पिता का नाम महाराणा उदय सिंह द्वितीय था, जो मेवाड़ के शासक थे।
महाराणा प्रताप का मुख्य संघर्ष मुग़ल सम्राट अकबर से था, जिन्होंने मेवाड़ को जीतने के लिए कई प्रयास किए थे।
महाराणा प्रताप का प्रमुख घोड़ा “चेतक” था, जो युद्ध के दौरान अपनी साहसिकता के लिए प्रसिद्ध है।
महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी के युद्ध में प्रसिद्धि मिली।
महाराणा प्रताप की मृत्यु 19 जनवरी, 1597 को चावंड में हुई थी।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जीवन परिचय (Maharana Pratap Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञों और साहित्यकारों के जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
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