भारत में हर वर्ष महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ मनाया जाता है। क्या आप जानते हैं कि रामानुजन ने बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के ही गणित के लगभग 3,900 सूत्रों और प्रमेयों की खोज की थी? दुर्भाग्यवश, टीबी जैसी गंभीर बीमारी के कारण केवल 32 वर्ष की अल्पायु में उनका निधन हो गया। लेकिन उनके अतुलनीय योगदान के कारण उनका नाम गणितीय इतिहास में सदैव के लिए अमर हो गया है। उनकी असाधारण प्रतिभा के लिए उन्हें पाश्चात्य विद्वानों जैसे आर्किमिडीज़, कार्ल फ्रेडरिक गौस और लियोनहार्ड यूलर के समकक्ष माना जाता है।
गणित के क्षेत्र में श्रीनिवास रामानुजन के अहम योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2012 में 22 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। तब से हर वर्ष 22 दिसंबर को पूरे देश में ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ मनाया जाता है। आइए, जानते हैं श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय और उनका गणित में योगदान।
| नाम | श्रीनिवास रामानुजन |
| जन्म | 22 दिसंबर, 1887 |
| जन्म स्थान | ईरोड जिला, तमिलनाडु |
| पिता का नाम | श्रीनिवास अय्यंगर |
| माता का नाम | श्रीमती कोमलताम्मल |
| पत्नी का नाम | जानकीअम्मल |
| शिक्षा | बैचलर ऑफ साइंस (केंब्रिज |
| पेशा | गणितज्ञ |
| विशेष | श्रीनिवास रामानुजन ने करीब साढ़े तीन हजार से अधिक मैथ्स फॉर्मूलों की खोज की। |
| बायोग्राफी | द मैन हू न्यू इनफिनिटी: ए लाइफ ऑफ द जीनियस रामानुजन लेखक – (रॉबर्ट कनिगेल) |
| निधन | 26 अप्रैल, 1920 कुंभकोणम, तमिलनाडु |
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तमिलनाडु के ईरोड जिले में हुआ था जन्म
गणित के महान जादूगर श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के ईरोड जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर था, जो साड़ियों की एक दुकान पर क्लर्क के रूप में कार्य करते थे। उनकी माता का नाम कोमलताम्मल था और वे एक गृहिणी थीं।
मैथ्स में लगता था मन
श्रीनिवास रामानुजन की प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडु के ईरोड जिले में हुई थी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि केवल 12 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने त्रिकोणमिति में गहरी समझ प्राप्त कर ली थी। वहीं 15 वर्ष की आयु में, विद्यालयी शिक्षा के दौरान उन्होंने ‘A Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics’ नामक गणित की एक प्रसिद्ध पुस्तक पढ़ ली थी और उसमें लिखे हजारों गणितीय सिद्धांतों को याद कर लिया था।
गंवानी पड़ी स्कॉलरशिप
रामानुजन को गणित से अत्यंत लगाव था। वे इस विषय में सदैव उत्कृष्ट अंक प्राप्त करते थे, लेकिन अन्य विषयों में उनकी रुचि नहीं थी, जिससे उन्हें अच्छे अंक नहीं मिलते थे। इसी कारण उन्हें पहले गवर्नमेंट कॉलेज और फिर मद्रास विश्वविद्यालय की छात्रवृत्ति खोनी पड़ी। इसके बावजूद गणित के प्रति उनका प्रेम कम नहीं हुआ और वे निरंतर इस विषय का गहन अध्ययन करते रहे।
इसी दौरान, साल 1909 में उनका विवाह जानकीअम्मल से हुआ, लेकिन एक वर्ष बाद वे गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। इलाज के बाद जब वे स्वस्थ हुए, तो उन्होंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी।
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करनी पड़ी क्लर्क की नौकरी
क्या आप जानते हैं कि श्रीनिवास रामानुजन की मात्र 24 वर्ष की आयु में, यानी वर्ष 1911 में, उनका 17 पृष्ठों का एक शोधपत्र प्रकाशित हुआ था, जो ‘बर्नूली संख्याओं’ (Bernoulli Numbers) पर आधारित था? लेकिन अपनी आजीविका चलाने के लिए उन्हें मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में क्लर्क की नौकरी करनी पड़ी। यहीं से उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया, जिससे उनकी गणितीय प्रतिभा को दुनियाभर में सराहा गया।
कैसे बने ‘रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन’ के सदस्य
मद्रास में क्लर्क की नौकरी करने के दौरान भी श्रीनिवास रामानुजन ने अपना अध्ययन जारी रखा। उस समय रजिस्टर महंगे होने के कारण वे अध्ययन के शुरुआती दिनों में स्लेट का प्रयोग करते थे। इसी दौरान, गणित पर किए गए अपने कुछ शोधपत्रों को उन्होंने ब्रिटेन के प्रसिद्ध गणितज्ञ गॉडफ्रे हेरॉल्ड हार्डी (G. H. Hardy) को भेजा। हार्डी रामानुजन की प्रतिभा से अत्यंत प्रभावित हुए।
इसके बाद, गॉडफ्रे हेरॉल्ड हार्डी ने श्रीनिवास रामानुजन को पहले मद्रास विश्वविद्यालय और फिर कैंब्रिज विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति दिलाने में सहायता की। इसके फलस्वरूप, रामानुजन को लंदन स्थित कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध कार्य के लिए आमंत्रित किया गया। वहां उन्होंने हार्डी के मार्गदर्शन में 20 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किए, जो गणित की दुनिया में आज भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
रामानुजन को वर्ष 1918 में ‘रॉयल सोसाइटी ऑफ़ लंदन’ का सदस्य (फेलो) बनाया गया। यह उस समय की बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि भारत पर ब्रिटिश हुकूमत का शासन था और किसी भारतीय का रॉयल सोसाइटी का सदस्य बनना अत्यंत सम्मान की बात मानी जाती थी। अपनी असाधारण प्रतिभा के कारण रामानुजन न केवल सबसे कम उम्र के सदस्यों में से एक थे, बल्कि वे कैंब्रिज विश्वविद्यालय के ‘ट्रिनिटी कॉलेज’ के फेलो चुने जाने वाले पहले भारतीय भी थे।
अल्प आयु में हुआ निधन
जब श्रीनिवास रामानुजन वर्ष 1917 में कैंब्रिज में गणित के गंभीर अध्ययन में लगे हुए थे, तभी उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। मेडिकल जांच में उन्हें टीबी की गंभीर बीमारी होने का पता चला, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें भारत लौटने की सलाह दी। भारत आने के बाद भी उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं हुआ और 1919 तक उनकी तबीयत काफी खराब हो गई। अंततः, 26 अप्रैल 1920 को 32 वर्ष की अल्प आयु में इस महान गणितज्ञ ने हमेशा के लिए अपनी आँखें मूंद लीं।
रामानुजन की नोट बुक
जीवन के अंतिम समय तक श्रीनिवास रामानुजन गणित के सिद्धांत लिखने में व्यस्त थे। अपने जीवनकाल में उन्होंने हजारों सिद्धांत लिखे, जो आज भी पहेली की तरह रोचक और चुनौतीपूर्ण हैं। क्या आप जानते हैं कि वर्ष 1976 में ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी में उनका एक रजिस्टर मिला था, जिसमें गणित के कई सिद्धांत और सूत्र लिखे हुए थे? इसे ‘रामानुजन की नोट बुक’ के नाम से जाना जाता है। उनके गणितीय जीवन में विशेष रूप से ‘रामानुजन थीटा फंक्शन’, ‘रामानुजन प्राइम्स’, ‘डाइवर्जेंट सीरीज’, ‘हार्डी-रामानुजन समीकरण’ और ‘जेटा फंक्शन’ के कार्यात्मक समीकरणों पर किया गया कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
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‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ की शुरुआत
भारत सरकार ने वर्ष 2012 में महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की याद में ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ घोषित किया था। इस दिन देशभर के स्कूल, कॉलेज और शैक्षिक संस्थानों में उत्साहपूर्वक राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। साथ ही गणित के महान जादूगर श्रीनिवास रामानुजन के अतुलनीय योगदान को याद किया जाता है।
जीवन पर बन चुकी है फिल्म
गणित के महान जादूगर श्रीनिवास रामानुजन के जीवन पर ब्रिटिश लेखक ‘रॉबर्ट कनिगेल’ (Robert Kanigel) ने ‘द मैन हू न्यू इनफिनिटी: ए लाइफ ऑफ द जीनियस रामानुजन’ (The Man Who Knew Infinity: A Life of the Genius Ramanujan) नामक किताब लिखी है। उनकी जीवनी पर वर्ष 2015 में एक फिल्म भी बनी है, जो इसी किताब पर आधारित है। इस फिल्म में अभिनेता देव पटेल ने श्रीनिवास रामानुजन का किरदार निभाया है।

FAQs
उनका जन्म तमिलनाडु के ईरोड जिले में 22 दिसंबर, 1887 को हुआ था।
लेखक ‘रॉबर्ट कनिगेल’ ने रामानुजन के जीवन पर एक किताब लिखी थी जिसका नाम ‘द मैन हू न्यू इनफिनिटी: ए लाइफ ऑफ द जीनियस रामानुजन’ है।
वर्ष 1909 में रामानुजन का विवाह जानकी अम्मल से हुआ था।
भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर प्रतिवर्ष 22 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ मनाया जाता है।
रामानुजन टीबी की बीमारी से पीड़ित थे और 26 अप्रैल 1920 को 32 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था।
रामानुजन संख्या: 1729 को Ramanujan Number के रूप में जाना जाता है जो दो संख्याओं 10 और 9 के घनों का योग है।
आशा है कि आपको गणित के जादूगर रामानुजन का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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