‘भारत रत्न’ गोविंद बल्लभ पंत का जीवन परिचय

1 minute read
Govind Ballabh Pant Ka Jivan Parichay

गोविंद बल्लभ पंत देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और प्रशासक के रूप में याद किए जाते हैं, जिन्होंने आधुनिक भारत के वर्तमान स्वरूप को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। क्या आप जानते हैं कि वे उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे और वर्ष 1955 से 1961 तक केंद्रीय गृह मंत्री रहे। एक प्रशासक के रूप में उनकी उपलब्धियों में ज़मींदारी प्रथा का उन्मूलन, ‘हिंदू कोड बिल’ के समर्थन सहित हिंदू महिलाओं को तलाक और पैतृक संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार प्रदान करना शामिल था।

इसके साथ ही उन्होंने भारतीय संविधान में हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वे हिंदी को केंद्र सरकार और कई राज्यों की आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए भी जिम्मेदार थे। इस दौरान, वर्ष 1957 में भारत सरकार द्वारा उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। इस लेख में आप महान स्वतंत्रता सेनानी और नेता गोविंद बल्लभ पंत का जीवन परिचय और उनकी उपलब्धियों के बारे में जानेंगे।

नाम गोविंद बल्लभ पंत
जन्म 10 सितंबर, 1887 
जन्म स्थान अल्मोड़ा जिला, उत्तराखंड 
पिता का नाम मनोरथ पंत
माता का नाम गोविंदी बाई 
पत्नी का नाम गंगा देवी
शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1909)
पेशा वकील, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और प्रशासक 
आंदोलन असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, नमक मार्च 
धारित पद उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री, देश के चौथे केंद्रीय गृह मंत्री 
सम्मान भारत रत्न, वर्ष  1957
निधन 7 मार्च, 1961, दिल्ली 

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ था जन्म

गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के समीप स्थित खूंट नामक गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मनोरथ पंत, जबकि माता का नाम गोविंदी बाई था। बताया जाता है कि अल्प आयु में ही उनके पिता का आकस्मिक निधन हो गया था, जिसके बाद वे अपने नाना बद्रीदत्त जोशी के साथ इलाहाबाद चले गए।

इलाहाबाद में रहते हुए उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से वर्ष 1907 में बी.ए. और 1909 में कानून की पढ़ाई पूरी की। अपने छात्र जीवन के दौरान उन्होंने मदन मोहन मालवीय और महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु गोपालकृष्ण गोखले को अपना आदर्श मानते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्रों में एक स्वयंसेवक के रूप में भाग लेना शुरू कर दिया था।

राष्ट्रीय आंदोलन में लिया था हिस्सा 

गोविंद बल्लभ पंत ने वकालत की शिक्षा के उपरांत काशीपुर, उत्तराखंड में एक वकील के रूप में काम की शुरुआत की। वहीं वर्ष 1921 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। इसके बाद वह आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत की विधानसभा के लिए चुने गए। उस समय उत्तर प्रदेश, यूनाइटेड प्रोविंसेज ऑफ आगरा और अवध कहलाता था। 

क्या आप जानते हैं कि एक बेहद काबिल वकील के रूप में प्रख्यात पंत जी को कांग्रेस पार्टी ने 1920 के दशक के मध्य में काकोरी मामले में शामिल ‘रामप्रसाद बिस्मिल’, ‘अशफाकउल्ला खान’ और अन्य क्रांतिकारियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया था। वर्ष 1920 में उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए ‘अहसयोग आंदोलन’ में भाग लिया था। वहीं वर्ष 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया।

उतर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने 

जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने वर्ष 1937 में सरकार बनाने का निर्णय लिया तब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने गोविंद बल्लभ पंत का नाम सुझाया। इसके बाद पंत जी उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने। वहीं वर्ष 1955 से 1961 तक उन्होंने देश के चौथे गृह मंत्री का कार्यभार संभाला। उनके कार्यकाल के दौरान ही उन्हें 26 जनवरी, 1957 को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया था। 

गोविंद बल्लभ पंत ने उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण सुधारों और स्थिर शासन के साथ भारत के सबसे अधिक घनी आबादी वाले राज्य को मजबूत बनाने का काम किया था। उस पद पर उनकी उपलब्धियों में ज़मींदारी प्रथा का उन्मूलन था। इसके साथ ही गृह मंत्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषाई आधार पर राज्यों में विभक्त करना और हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना था। 

भारत छोड़ो प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए गए जेल 

गोविंद बल्लभ पंत को वर्ष 1940 में, सत्याग्रह आंदोलन को संगठित करने में मदद करने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने गिरफ्तार कर लिया था। फिर उन्हें वर्ष 1942 में भारत छोड़ो प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए जेल में कैद किया गया जहां उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति के अन्य सदस्यों के साथ जेल में कुल तीन वर्ष बिताए। 

दिल्ली में हुआ निधन 

गोविंद बल्लभ पंत का 7 मार्च, 1961 को 73 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उस समय वे भारत के गृह मंत्री के पद पर थे। किंतु आज भी उन्हें आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक के रूप में याद किया जाता है। इस वर्ष 10 सितंबर 2026 को उनकी 139वीं जयंती मनाई जाएगी। भारतीय डाक ने पंत जी के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया है। 

FAQs

गोविंद बल्लभ पंत का जन्म कहां हुआ था?

गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को अल्मोड़ा, उत्तराखंड के खूंट गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

गोविंद बल्लभ भाई पंत कौन थे?

वे प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी, वरिष्ठ भारतीय राजनेता और प्रशासक थे। 

गोविंद बल्लभ पंत को भारत रत्न कब मिला?

गोविंद बल्लभ पंत को उनके गृह मंत्री के कार्यकाल के दौरान 26 जनवरी 1957 को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

गोविंद बल्लभ पंत के माता पिता का नाम क्या था?

गोविंद बल्लभ पंत की माता का नाम गोविंदी बाई और पिता का नाम मनोरथ पंत था। 

गोविंद बल्लभ पंत की मृत्यु कब हुई थी?

गोविंद बल्लभ पंत का 7 मार्च, 1961 को 73 वर्ष की आयु में निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*