Bhaskaracharya Ka Jivan Parichay: भास्कराचार्य प्राचीन भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण गणितज्ञ-खगोलविद् हैं। भास्कराचार्य को ‘भास्कर द्वितीय’ के नाम से भी जाना जाता है। एक उत्कृष्ट गणितज्ञ होने के साथ ही उन्होंने अंतर गणनाओं के सिद्धांतों की महत्वपूर्ण खोज की थी। यह माना जाता है कि भास्कराचार्य अंतर गुणांक और अंतर गणना की कल्पना करने वाले प्रथम व्यक्ति थे। वहीं ईसा की 12वीं सदी में जन्मे भास्कराचार्य ने भारतीय गणित व ज्योतिष को लगभग चरम पर पहुँचा दिया था। विद्वानों का मानना है कि उसके बाद भारत में गणित व ज्योतिष का विकास बहुत कम हुआ।
भास्कराचार्य ने अपने जीवनकाल में कई प्रमुख ग्रंथों की रचना की जिनमें ‘सिद्धांत शिरोमणि’, ‘समय सिद्धांत शिरोमणि’, गोलाध्याय पुराण आदि प्रमुख ग्रंथ हैं। किंतु ‘सिद्धांत शिरोमणि’ इनकी सुप्रसिद्ध रचना है, जो कि गणित और खगोल शास्त्र का एक प्राचीन ग्रंथ है।
बताना चाहेंगे भास्कराचार्य के जीवन और उनकी रचनाओं के बारे में बीए, DELEd और BEd के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इस लेख में भास्कराचार्य का जीवन परिचय और गणित में उनके योगदान (Bhaskaracharya Ka Jivan Parichay) के बारे में बताया गया है।
नाम | भास्कराचार्य (Bhaskaracharya) |
जन्म | 1114 ई. |
जन्म स्थान | मान्यता के अनुसार विजयपुरा, कर्नाटक |
पिता का नाम | श्री महेश्वर |
कार्य क्षेत्र | गणितज्ञ-खगोलविद् |
प्रमुख रचनाएं | ‘सिद्धांत शिरोमणि’, ‘समय सिद्धांत शिरोमणि’ तथा ‘गोलाध्याय पुराण’ आदि। |
भाषा | संस्कृत |
मृत्यु | उज्जैन, मध्य प्रदेश |
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भास्कराचार्य कौन थे? – Bhaskaracharya Ka Jivan Parichay
भास्कराचार्य प्राचीन भारत के एक महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे। आपको बता दें कि भास्कराचार्य के जन्म एवं मृत्युकाल से संबंधित प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। किंतु अनेक विद्वानों द्वारा माना जाता है कि भास्कराचार्य का जन्म सन 1114 में कर्नाटक के विजयपुरा नामक गांव में हुआ था। हालांकि अभी भी कुछ विद्वानों को इनके जन्म स्थान के बारे में शंका है। भास्कराचार्य के पिता का नाम महेश्वर था। वे गणित के प्रकांड पंडित थे।
भास्कराचार्य का गणित में योगदान
भास्कराचार्य विश्व के प्रथम गणितज्ञ थे जिन्होंने किसी संख्या को 0 से भाग देने पर परिणाम अनंत होने की कल्पना की थी। इन्होंने Differential Calculus के क्षेत्र में भी कार्य किया तथा इससे संबंधित उदाहरण देने वाले ये विश्व के प्रथम गणितज्ञ बने। रॉल प्रमेय (Rolle’s Theorem) के आधारभूत तत्वों को भी इन्होंने ही जीवन दिया था।
घन समीकरण, द्विवर्गात्मक समीकरणों के बारे में विवरण भी भास्कराचार्य के ग्रंथों में मिलता है। ध्यान दें कि पृथ्वी के गोल होने तथा गुरुत्वाकर्षण का ज्ञान भी भास्कराचार्य को बहुत पहले ही हो चुका था। इसके विषय में इन्होंने ‘गोलाध्याय’ ग्रंथ में लिखा है। हालांकि आइज़क न्यूटन (Isaac Newton) ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन सन 1668 में किया था। वहीं क्रमचय व संचय पर भी इन्होने ही सर्वप्रथम कार्य किया तथा इसका नाम अपकांश दिया।
भास्कराचार्य की प्रमुख रचनाएं
ऐसा माना जाता है कि भास्कराचार्य ने 36 वर्ष की अवस्था में सुप्रसिद्ध ग्रंथ ‘सिद्धांत शिरोमणि’ (Siddhānta Shiromani) की रचना की थी। यह संस्कृत में रचित गणित और खगोल शास्त्र का एक प्राचीन ग्रंथ है। इस ग्रंथ को चार भागों में बांटा गया हैं;-
- लीलावती
- बीजगणित – Algebra
- ग्रहगणित – Planetary Mathematics
- गोलाध्याय – Spherical Astronomy
बता दें कि लीलावती ग्रंथ में अंकगणित से संबंधित तथ्यों का वर्णन है। जबकि बीजगणित में बीजगणित (Algebra) का विवेचन है। ग्रहगणित और गोलाध्याय में खगोलशास्त्र का विवेचन है। वहीं ‘सिद्धांत शिरोमणि’ के अलावा भी उन्होंने ‘समय सिद्धांत शिरोमणि’, ‘सूर्य सिद्धांत’ तथा ‘गोलाध्याय रसगुण’ आदि ग्रंथों की रचना की है।
भास्कराचार्य का प्रभाव
भास्कराचार्य प्राचीन भारत के अंतिम महान गणितज्ञों में से एक माने जाते हैं। उनका कार्य न केवल भारत में, बल्कि बाद में अरब और यूरोपीय गणितज्ञों को भी प्रभावित करता है। वहीं भारत सरकार ने उनके सम्मान में वर्ष 1979 में ‘भास्कर-1’ और वर्ष 1981 में ‘भास्कर-2’ नामक दो उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है।
FAQs
ऐसा माना जाता है कि भास्कराचार्य का जन्म सन 1114 में कर्नाटक के विजयपुरा नामक गांव में हुआ था।
भास्कराचार्य, जिन्हें भास्कर द्वितीय (Bhāskara II) के नाम से जाना जाता है, भारत के एक महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे।
भास्कराचार्य ने ‘सिद्धांत शिरोमणि’, ‘समय सिद्धांत शिरोमणि’, ‘गोलाध्याय पुराण’ आदि प्रमुख ग्रंथों की रचना की थी।
भास्कराचार्य की मृत्यु के बारे में कोई प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन इतिहासकारों के अनुसार उनकी मृत्यु सन 1185 के आसपास मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुई थी।
भास्कराचार्य की माता के बारे में कोई प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ प्राचीन भारत के विख्यात गणितज्ञ-खगोलविद् भास्कराचार्य का जीवन परिचय (Bhaskaracharya Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों के जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
आशा है कि आपको भास्कराचार्य का जीवन परिचय (Bhaskaracharya Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।