Ramnaresh Tripathi Ka Jivan Parichay : पंडित रामनेरश त्रिपाठी, द्विवेदी युगीन स्वछंद-प्रेमधारा के प्रतिष्ठित कवियों में से एक थे जिन्होंने आधुनिक हिंदी साहित्य को एक नया आयाम दिया है। वह लगभग 50 वर्षों तक लेखन से जुड़े रहे और साहित्य की सभी विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया। रामनेरश त्रिपाठी की प्रमुख कृतियाँ हैं- ‘मिलन’, ‘पथिक’ व ‘स्वप्न’ (खंडकाव्य) ‘कविता विनोद’, ‘क्या होमरूल लोगे’ (कविता-संग्रह) ‘वीरांगना’, ‘सुभद्रा’ (उपन्यास) ‘जयंत’, ‘कन्या का तपोवन’ (नाटक) ‘महात्मा बुद्ध’, ‘अशोक’, ‘हरिश्चंद्र’ (गद्य रचनाएँ) ‘हिंदी का संक्षिप्त इतिहास’ तथा ‘उर्दू जुबान का संक्षिप्त इतिहास’ (साहित्य-इतिहास) आदि।
बता दें कि रामनरेश त्रिपाठी की कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब इस लेख में सुप्रसिद्ध कवि एवं गद्यकार रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय (Ramnaresh Tripathi Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi) |
जन्म | 04 मार्च, 1889 |
जन्म स्थान | कोइरी ग्राम, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | पंडित रामदत्त त्रिपाठी |
कर्म-क्षेत्र | साहित्य |
भाषा | खड़ी बोली, हिंदी व उर्दू |
विधा | कविता, उपन्यास, नाटक, बाल साहित्य, व्यंग्य, समालोचना, टीकाएँ तथा अनुवाद आदि। |
मुख्य रचनाएँ | मिलन, पथिक व स्वप्न (खंडकाव्य) कविता विनोद, क्या होमरूल लोगे (कविता-संग्रह) वीरांगना, सुभद्रा (उपन्यास) जयंत, कन्या का तपोवन (नाटक) आदि। |
निधन | 16 जनवरी, 1962 |
जीवनकाल | 72 वर्ष |
This Blog Includes:
- उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हुआ था जन्म – Ramnaresh Tripathi Ka Jivan Parichay
- लेखन कार्य की शुरुआत
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लिया हिस्सा
- रामनरेश त्रिपाठी की प्रमुख रचनाएं – Ramnaresh Tripathi Ki Rachnaye
- रामनरेश त्रिपाठी की कविताएँ
- रामनरेश त्रिपाठी की भाषा शैली – Ramnaresh Tripathi Ki Bhasha Shaili
- सम्मान
- 72 वर्ष की आयु में हुआ था निधन
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हुआ था जन्म – Ramnaresh Tripathi Ka Jivan Parichay
बहुमुखी प्रतिभा के समर्थ साहित्य सृष्टा पंडित रामनेरश त्रिपाठी का जन्म 04 मार्च, 1889 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कोइरी नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘पंडित रामदत्त त्रिपाठी’ था। रामनेरश त्रिपाठी जी तीन भाई थे जिसमें वह सबसे छोटे थे। बताया जाता है कि उनकी शुरूआती शिक्षा उर्दू पाठशाला में हुई थी और बाद में उन्होंने हिंदी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। किंतु परिवार की प्रतिकूल आर्थिक स्थिति के कारण वह नवीं कक्षा के बाद शिक्षा से वंचित रह गए। लेकिन इसके बाद उन्होंने स्वाध्याय से बंगाली, गुजराती, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी आदि भाषाओं में दक्षता हासिल की।
लेखन कार्य की शुरुआत
स्वाध्याय अध्ययन के उपरांत पंडित रामनेरश त्रिपाठी ने पाठशाला में अध्यापन कार्य करने लगे। इस समयावधि के दौरान उनका उदयराजी नामक कन्या से विवाह हुआ। लेकिन अस्वस्थता के कारण उन्हें परिवार सहित राजस्थान प्रस्थान करना पड़ा। यहाँ रहते हुए उन्होंने मारवाड़ी परिवार के बच्चों को पढ़ाया व विपुल मात्रा में लेखन कार्य किया। यहीं उन्होंने ‘प्रार्थना’, ‘महाभारत’, ‘मारवाड़ी मनोरंजन’ तथा ‘कविता विनोद’ का लेखन किया और वर्ष 1915 में पुनः प्रयागराज लौट आए।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लिया हिस्सा
पंडित रामनेरश त्रिपाठी का वर्ष 1917 में प्रथम खंडकाव्य ‘मिलन’ प्रकाशित हुआ। फिर वह हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रचारमंत्री बने तथा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा का कार्यभार संभाला। ये वो दौर था जब संपूर्ण भारत में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू हो रहे थे। रामनेरश त्रिपाठी जी ने भी महात्मा गांधी और लाला लालपतराय के साथ सत्याग्रह में भाग लिया और जेल गए। जेल यात्रा के दौरान उन्होंने प्रसिद्ध कविता अन्वेषण लिखी थी।
रामनरेश त्रिपाठी की प्रमुख रचनाएं – Ramnaresh Tripathi Ki Rachnaye
माना जाता है कि रामनरेश त्रिपाठी वर्ष 1912 से 1962 तक लेखन कार्य से जुड़े रहे थे। उन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं में अपनी लेखनी चलाकर साहित्य को समृद्ध किया था। आधुनिक हिंदी काव्य में ‘डॉ.धीरेंद्र वर्मा’ ने पंडित रामनरेश त्रिपाठी के लेखन के बारे में लिखा है- “अत: साहित्य के जितने अंगों पर त्रिपाठी जी ने रचना की है,उतने अंगों पर साहित्य के किसी लेखक की लेखनी ने काम नहीं किया। इस क्षेत्र में त्रिपाठी जी अद्वितीय हैं।”
यहाँ रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय (Ramnaresh Tripathi Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
खंडकाव्य
- मिलन
- पथिक
- स्वप्न
काव्य-संग्रह
- कविता-विनोद
- क्या होमरूल लोगे
- मानसी
- आर्य संगीत शतक
- मारवाड़ी मनोरंजन
उपन्यास
- वीरबाला
- वीरांगना
- मारवाड़ी और पिशाचिनी
- सुभद्रा
- लक्ष्मी
नाटक
- बा और बापू
- कन्या का तपोवन
- जयंत
- प्रेमलोक
- अजनबी
चरित लेखन
- दमयंती चरित
- पद्मावती
- गांधी जी कौन हैं
- पृथ्वीराज चौहान
- तीस दिन मालवीय जी के साथ
- जमनालाल बजाज
बाल-साहित्य (काव्य)
- बालक सुधार शिक्षा
- मोहन भोग
- खोजो खोज निकालो
- मोतीचूर के लड्डू
- वानर-संगीत
गद्य साहित्य
- महात्मा बुद्ध
- अशोक, चंदशेखर
- हरिश्चन्द्र
- चुड़ैल रानी
- चटक-मटक की गाड़ी
साहित्य-इतिहास
- हिंदी का संक्षिप्त इतिहास
- उर्दू जुबान का संक्षिप्त इतिहास
समालोचना
- तुलसी और उनका काव्य
टीकाएँ
- श्रीरामचरित मानस
- भूषण ग्रंथावली
- अयोध्या कांड
- जानकी मंगल
- सुदामाचरित
- शिवा-बावनी
रचना संग्रह
- नीति के श्लोक
- नीति शिक्षावली
- मानस की सूक्तियाँ
यात्रा-वृतांत
- उत्तरी ध्रुव की भयानक यात्रा
अनुवाद
- कौन जाग रहा है
- इतना जो जानो
लोक साहित्य
- मारवाड़ के मनोहर गीत
- हमारा ग्राम साहित्य (तीन भाग)
संपादन
- कवि-कौमुदी
रामनरेश त्रिपाठी की कविताएँ
यहाँ रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi Ka Jivan Parichay) की कुछ लोकप्रिय कविताओं के बारे में बताया गया है:-
- पथिक
- अन्वेषण
- युवकों की रण-यात्रा
- स्वदेश गौरव
- सत्याग्रह-गीत
- वह देश कौन-सा है?
यह भी पढ़ें – भारतीय संस्कृति की सजीव झलक प्रस्तुत करती रामनरेश त्रिपाठी की कविताएं
रामनरेश त्रिपाठी की भाषा शैली – Ramnaresh Tripathi Ki Bhasha Shaili
रामनरेश त्रिपाठी को खड़ी बोली, ब्रजभाषा और उर्दू पर समान अधिकार प्राप्त था। किंतु भाव और भाषा का सरल और सहज रूप उनके खड़ी बोली काव्य में मिलता है जो युग की आवश्यकता के अनुरूप था। उनकी रचनाओं में कहीं-कहीं उर्दू के प्रचलित शब्दों का प्रयोग भी देखने को मिलता है। वहीं शैली सरस, स्वाभाविक एवं प्रवाहपूर्ण है। उनकी शैली में दो रूप प्राप्त होते हैं – वर्णानात्मक एवं उपदेशात्मक।
सम्मान
पंडित रामनेरश त्रिपाठी जी को ‘पथिक’ खंडकाव्य के लिए ‘हिंदुस्तानी अकादमी’ द्वारा पुरस्कृत किया गया था। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने कविता ‘कौमुदी’ (पांच भाग) के लिए उन्हें पुरस्कृत किया था।
72 वर्ष की आयु में हुआ था निधन
पंडित रामनेरश त्रिपाठी का 16 जनवरी 1962 को खराब स्वास्थ्य होने के कारण निधन हुआ था। किंतु आधुनिक हिंदी साहित्य को समृद्ध करने और शिक्षा के क्षेत्र में अपना उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ समादृत साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय (Ramnaresh Tripathi Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
पंडित रामनेरश त्रिपाठी का जन्म 04 मार्च, 1889 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कोइरी नामक ग्राम में हुआ था।
मिलन, पथिक व स्वप्न (खंडकाव्य) कविता विनोद, क्या होमरूल लोगे (कविता-संग्रह) उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
रामनरेश त्रिपाठी हिंदी भाषा के पूर्व छायावादी युग के प्रतिष्ठित कवि थे।
उनकी माता के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, इनके पिता का नाम ‘पंडित रामदत्त त्रिपाठी’ था।
‘पथिक’ समादृत साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी द्वारा रचित बहुचर्चित खंडकाव्य है।
मिलन, पथिक तथा स्वप्न, रामनरेश त्रिपाठी द्वारा रचित खंडकाव्य हैं।
पंडित रामनेरश त्रिपाठी का 16 जनवरी 1962 को 72 वर्ष की आयु में निधन हुआ था।
आशा है कि आपको प्रख्यात साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय (Ramnaresh Tripathi Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।