सीताराम सेकसरिया एक महान स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रतिष्ठित संस्था ‘भारतीय भाषा परिषद’ के संस्थापक थे। सीताराम सेकसरिया ने अपना संपूर्ण जीवन देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने और जन कल्याण के लिए समर्पित किया था। वे अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक और नारी शिक्षण संस्थाओं के प्रेरक, संस्थापक और संचालक रहे हैं।
इसके साथ ही उन्होंने हिंदी साहित्य में भी अनुपम कृतियों का सृजन किया है। ‘स्मृतिकण’, ‘मन की बात’, ‘नयी याद’ और ‘बीता युग’ उनकी उलेखनीय कृतियाँ हैं। भारत सरकार ने सीताराम सेकसरिया को समाजसेवा और साहित्य-सेवा के लिए वर्ष 1962 में ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया था।
सीताराम सेकसरिया की रचनाओं को विद्यालयों में भी पढ़ाया जाता है। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, कई शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। इसके साथ ही, UGC-NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए भी सीताराम सेकसरिया का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन उपयोगी सिद्ध होता है।
| नाम | सीताराम सेकसरिया |
| जन्म | सन 1892 |
| जन्म स्थान | नवलगढ़, राजस्थान |
| शिक्षा | स्वाध्याय अध्यन्न |
| पेशा | सामाजिक कार्यकर्त्ता, स्वतंत्रता सेनानी, लेखक |
| मुख्य रचनाएँ | ‘स्मृतिकण’, ‘मन की बात’, ‘नयी याद’ और ‘बीता युग’ आदि। |
| आंदोलन | भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन |
| संस्थापक | भारतीय भाषा परिषद (वर्ष 1975) |
| पुरस्कार | पद्म श्री – वर्ष 1962 |
| निधन | सन 1982 |
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राजस्थान के नवलगढ़ में हुआ था जन्म
महान सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं स्वतंत्रता सेनानी सीताराम सेकसरिया का जन्म सन 1892 में राजस्थान के नवलगढ़ में हुआ था। किंतु उनका अधिकांश जीवन कलकत्ता (अब कोलकाता) में बीता। बता दें कि उनके प्रारंभिक जीवन और माता-पिता से संबंधित अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्हें विद्यालयी शिक्षा पाने का अवसर नहीं मिला। बल्कि उन्होंने स्वाध्याय से ही पढ़ना और लिखना सीखा।
स्वतंत्रता आंदोलन में लिया भाग
सीताराम सेकसरिया एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं सामाजिक कार्यकर्ता थे। वह राष्ट्रपिता ‘महात्मा गांधी’, गुरुदेव ‘रवींद्रनाथ टैगोर’ और नेताजी ‘सुभाषचंद्र बोस’ के करीबी रहे थे। उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए राष्ट्र आंदोलनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। वहीं ‘सत्याग्रह आंदोलन’ के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। क्या आप जानते हैं कि वह ‘आजाद हिंद फौज’ के मंत्री भी रहे हैं।
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एक महान सामाजिक कार्यकर्त्ता
सीताराम सेकसरिया भारतीय जनमानस के उत्थान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कोलकाता में स्त्री शिक्षा और हिंदी भाषा के उत्थान के लिए विपुल कार्य किया है। राष्ट्र के साथ ही उन्होंने हिंदी की भी सेवा की है। इसके लिए सीताराम सेकसरिया ने 80 वर्ष की आयु में अपने सहयोगी ‘भागीरथ कानोड़िया’ के साथ मिलकर भारतीय भाषाओं की साहित्यिक विरासत को समृद्ध करने के उद्देश्य से वर्ष 1975 में ‘भारतीय भाषा परिषद’, कोलकाता की स्थापना की थी। इस गैर-सरकारी संस्थान का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय अखंडता, बहुलतावादी संस्कृति और सभी भाषाओं के साहित्य की सृजनशीलता को प्रोत्साहित करना था।
सीताराम सेकसरिया की रचनाएँ
सीताराम सेकसरिया को औपचारिक शिक्षा का अवसर नहीं मिला था बल्कि उन्होंने स्वाध्याय ही अध्यन्न किया था। उन्होंने समाजसेवा के साथ ही लेखन कार्य भी किया है। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी जा रही है:-
- स्मृतिकण
- मन की बात
- नयी याद
- बीता युग
- एक कार्यकर्ता की डायरी (दो भागों में)
‘पद्म श्री’ पुरस्कार से किया गया सम्मानित
सीताराम सेकसरिया को सामाजिक कार्यों और साहित्य-सेवा के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में प्रतिष्ठित ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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90 वर्ष की आयु में हुआ निधन
सीताराम सेकसरिया ने कई दशकों तक समाज और हिंदी भाषा की सेवा की। सन 1982 में 90 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपने अतुलनीय सामाजिक और साहित्यिक योगदान के लिए स्मरण किए जाते हैं।
FAQs
उनका जन्म सन 1892 में राजस्थान के नवलगढ़ में हुआ था।
वर्ष 1962 में भारत सरकार ने सीताराम सेकसरिया को प्रतिष्ठित ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया था।
एक कार्यकर्ता की डायरी, सीताराम सेकसरिया की गद्य रचना है।
सीताराम सेकसरिया का सन 1982 में 90 वर्ष की आयु में निधन हुआ था।
आशा है कि आपको सामाजिक कार्यकर्त्ता सीताराम सेकसरिया का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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