महाकवि कथाकार नाटककार जयशंकर प्रसाद को कौन नहीं जानता। कक्षा पांचवी से लेकर 12वीं तक ग्रेजुएशन से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक हिंदी साहित्य में जयशंकर प्रसाद की रचनाएं देखने को मिलती हैं। जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय और रचनाएं ना केवल पढ़ने में सरल और सुलभ होती हैं बल्कि हमें यथार्थ ज्ञान और प्रेरणा भी देती है। छायावाद के कवि जयशंकर प्रसाद रचना को अपनी साधना समझते थे। वह उपन्यास को ऐसे लिखते थे मानो जैसे वह उसे पूजते हो। जयशंकर प्रसाद जी के बारे में अभी बातें खत्म नहीं हुई है उनकी कई सारी कविताएं कहानियां है जो आपको यथार्थ का भाव कराएंगी। आइए विस्तार से जानते हैं Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay के बारे में।
नाम | जयशंकर प्रसाद |
जन्म | सन 1890 ईस्वी में |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश राज्य के काशी में |
पिता का नाम | श्री देवी प्रसाद |
शैक्षणिक योग्यता | अंग्रेजी, फारसी, उर्दू, हिंदी व संस्कृत का स्वाध्याय |
रुचि | साहित्य के प्रति, काव्य रचना, नाटक लेखन |
लेखन विधा | काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध |
मृत्यु | 15 नवंबर, 1937 ईस्वी में |
साहित्य में पहचान | छायावादी काव्यधारा के प्रवर्तक |
भाषा | भावपूर्ण एवं विचारात्मक |
शैली | विचारात्मक, अनुसंधानात्मक, इतिवृत्तात्मक, भावात्मक एवं चित्रात्मक। |
साहित्य में स्थान | जयशंकर प्रसाद जी को हिंदी साहित्य में नाटक को नई दिशा देने के कारण ‘प्रसाद युग’ का निर्माणकर्ता तथा छायावाद का प्रवर्तक कहा गया है। |
This Blog Includes:
- Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay
- Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay : साहित्यिक परिचय
- Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay : जयशंकर प्रसाद की रचनाएं
- जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई कहानियां
- जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई कविताएं
- जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक विशेषताएं
- जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखे नाटक
- जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली
- जयशंकर प्रसाद के लेखन का दूरगामी प्रभाव
- जयशंकर प्रसाद की किस वर्ष में कौनसी रचनाएं आई?
- जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय में उपन्यास
- जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 12वीं
- जयशंकर प्रसाद को कौनसा पुरस्कार मिला था?
- Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay से सम्बंधित कक्षा 10 के प्रश्न उत्तर
- जयशंकर प्रसाद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
- FAQs
Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay
महान लेखक और कवि जयशंकर प्रसाद का जन्म – सन् 1889 ई. में हुआ तथा मृत्यु – सन् 1937 ई में हुई।बहुमुखी प्रतिभा के धनी जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था| बचपन में ही पिता के निधन से पारिवारिक उत्तरदायित्व का बोझ इनके कधों पर आ गया। मात्र आठवीं तक औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद स्वाध्याय द्वारा उन्होंने संस्कृत, पाली, हिन्दी, उर्दू व अंग्रेजी भाषा तथा साहित्य का विशद ज्ञान प्राप्त किया। जयशंकर प्रसाद छायावाद के कवि थे। यह एक प्रयोगधर्मी रचनाकार थे।
1926 ईस्वी से 1929 ईस्वी तक जयशंकर प्रसाद के कई दृष्टिकोण देखने को मिलते हैं। जयशंकर प्रसाद कवि,कथाकार, नाटककार,उपन्यासकार आदि रहे।इनके आने से ही हिंदी काव्य में खड़ी बोली के माधुर्य का विकास हुआ। यह आनंद वाद के समर्थक थे। इनके पिता बाबू देवीप्रसाद विद्यानुरागी थे, जिन्हें लोग सुँघनी साहु कहकर बुलाते थे। प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा का प्रबंध पहले घर पर ही हुआ। बाद में इन्हें क्वीन्स कॉलेज में अध्ययन हेतु भेजा गया। अल्प आयु में ही अपनी मेधा से इन्होंने संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, फारसी और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। काव्य रचना के साथ-साथ नाटक, उपन्यास एवं कहानी विधा में भी इन्होंने अपना कौशल दिखाया।
प्रसाद जी की प्रतिभा बहुमुखी है, किन्तु साहित्य के क्षेत्र में कवि एवं नाटककार के रूप में इनकी ख्याति विशेष है। छायावादी कवियों में ये अग्रगण्य हैं। कामायनी इनका अन्यतम काव्य ग्रन्थ है, जिसकी तुलना संसार के श्रेष्ठ काव्यों से की जा सकती है। सत्यं शिवं सुन्दरम् का जीता जागता रूप प्रसाद के काव्य में मिलता है। मानव सौन्दर्य के साथ-साथ इन्होंने प्रकृति सौन्दर्य का सजीव एवं मौलिक वर्णन किया इन्होंने ब्रजमाषा एवं खड़ी बोली दोनों का प्रयोग किया है। इनकी भाषा संस्कृतनिष्ठ है।
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Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay : साहित्यिक परिचय
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय अपने बचपन से ही उनका प्रेम और रुझान हिन्दी साहित्य की ओर दिखता है। उन्होंने मात्र 9 साल की उम्र में अपने गुरु – “रसमय सिद्ध” को एक सवैया लिख कर दिया था जिसका नाम था ‘कलाधर’। पहले उनके बड़े भी शंभू रत्न चाहते थे कि ये अपने पैतृक व्यवसाय को संभाले लेकिन काव्य रचना की तरफ उनकी प्रेम देखते हुए उन्होंने जयशंकर प्रसाद जी को पूरी छूट दे दी। अपने बड़े भी की सहमति और उनके आशीर्वाद के साथ वे पूरी तन्मयता के साथ हिन्दी साहित्य लेखन और काव्य रचना के क्षेत्र में लग गए।
Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay : जयशंकर प्रसाद की रचनाएं
Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay रचनाओं से भरा हुआ है। उनकी रचनाएं भारत के गौरवमय इतिहास व संस्कृति से अनुप्राणित है कामायनी उनका सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य है जिसमें आनन्दवाद की नई संकल्पना समरसता का संदेश निहित है। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं -झरना, ऑसू, लहर, कामायनी, प्रेम पथिक (काव्य) स्कंदगुप्त चंद्रगुप्त, पुवस्वामिनी जन्मेजय का नागयज्ञ राज्यश्री, अजातशत्रु, विशाख, एक घूँट, कामना, करुणालय, कल्याणी परिणय, अग्निमित्र प्रायश्चित सज्जन (नाटक) छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आँधी. इंद्रजाल(कहानी संग्रह) तथा ककाल तितली इरावती (उपन्यास)।
जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई कहानियां
Jaishankar Prasad ka jivan parichay कहानियों से भरा हुआ है, नीचे उनकी कहानियों के नाम दिए गए हैं-
- देवदासी
- बिसाती
- प्रणय-चिह्न
- नीरा
- शरणागत
- चंदा
- गुंडा
- स्वर्ग के खंडहर में
- पंचायत
- जहांआरा
- मधुआ
- उर्वशी
- इंद्रजाल
- गुलाम
- ग्राम
- भीख में
- चित्र मंदिर
- ब्रह्मर्षि
- पुरस्कार
- रमला
- छोटा जादूगर
- बभ्रुवाहन
- विराम चिन्ह
- सालवती
- अमिट स्मृति
- रसिया बालम
- सिकंदर की शपथ
- आकाशदीप
जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई कविताएं
Jaishankar Prasad ka jivan parichay कई कविताओं से भी भरा हुआ है, नीचे उनकी कविताओं के नाम इस प्रकार हैं-
- पेशोला की प्रतिध्वनि
- शेरसिंह का शस्त्र समर्पण
- अंतरिक्ष में अभी सो रही है
- मधुर माधवी संध्या में
- ओ री मानस की गहराई
- निधरक तूने ठुकराया तब
- अरे!आ गई है भूली-सी
- शशि-सी वह सुन्दर रूप विभा
- अरे कहीं देखा है तुमने
- काली आँखों का अंधकार
- चिर तृषित कंठ से तृप्त-विधुर
- जगती की मंगलमयी उषा बन
- अपलक जगती हो एक रात
- वसुधा के अंचल पर
- जग की सजल कालिमा रजनी
- मेरी आँखों की पुतली में
- कितने दिन जीवन जल-निधि में
- कोमल कुसुमों की मधुर रात
- अब जागो जीवन के प्रभात
- तुम्हारी आँखों का बचपन
- आह रे,वह अधीर यौवन
- आँखों से अलख जगाने को
- उस दिन जब जीवन के पथ में
- हे सागर संगम अरुण नील
जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक विशेषताएं
बचपन से ही इनकी रुचि साहित्य की ओर थी।इन्दु’ नामक मासिक पत्रिका का इन्होंने सम्पादन किया। साहित्य जगत में इन्हें वहीं से पहचान मिली।प्रेम समर्पण कर्तव्य एवं बलिदान की भावना से ओतप्रोत उनकी कहानियों पाठक को अभिभूत कर देती है। वह हिंदी साहित्य को अपनी साधना समझते थे। महाकवि जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य में योगदान देने वाले सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में से एक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य में अपना बहुत योगदान दिया। उन्होंने अपनी कहानियों,नाटक तथा कविताओं के जरिए हिंदी साहित्य में अपना माधुर्य बिखेरा। राजनीतिक संघर्ष तथा संकट की स्थिति में राजपुरुष का व्यवहार उन्होंने बड़ी गहराई से समझा और लिखा। आधुनिक उपन्यास के क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद जी ने यथार्थ और आदर्शवादी रचनाकारों का सूत्रपात किया।
जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखे नाटक
प्रसाद ने आठ ऐतिहासिक, तीन पौराणिक और दो भावात्मक, कुल 13 नाटकों की सर्जना की। ‘कामना’ और ‘एक घूँट’ को छोड़कर ये नाटक मूलत: इतिहास पर आधृत हैं। इनमें महाभारत से लेकर हर्ष के समय तक के इतिहास से सामग्री ली गई है। वे हिंदी के सर्वश्रेष्ठ नाटककार हैं। उनके नाटकों में सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना इतिहास की भित्ति पर संस्थित है।
- स्कंदगुप्त
- चंद्रगुप्त
- ध्रुवस्वामिनी
- जन्मेजय का नाग
- यज्ञ
- राज्यश्री
- कामना
- एक घूंट
जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली
हमारे देश के सबसे बड़े कवियों में से एक जयशंकर प्रसाद जी ने अपने काव्य लेखन की शुरुआत ब्रजभाषा में की थी। लेकिन धीरे -धीरे वे खड़ी बोली की तरफ भी आते गए और उनको यह भाषा शैली पसंद आती गई। इनकी रचनाओं में मुख्य रूप से भावनात्मक , विचारात्मक , इतिवृत्तात्मक और चित्रात्मक भाषा शैली का प्रयोग देखने को मिलता है । इनकी शैली अत्यंत मीठी और सरल भाषा में थी जिनको कोई भी आसानी से पढ़ और समझ सकता था।
जयशंकर प्रसाद के लेखन का दूरगामी प्रभाव
हिन्दी काव्य में एक तरह से छायावाद की स्थापना का श्रेय जयशंकर प्रसाद को जाता है. इनके द्वारा रचित खड़ी बोली के काव्य में न केवल कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई, बल्कि जीवन के सूक्ष्म एवं व्यापक आयामों के चित्रण की शक्ति भी संचित हुई और कामायनी तक पहुँचकर वह काव्य प्रेरक शक्तिकाव्य के रूप में भी प्रतिष्ठित हो गया। जयशंकर प्रसाद के बाद के कई प्रगतिशील एवं नई कविता दोनों धाराओं के प्रमुख आलोचकों ने उसकी लेखनी को खूब सराहा है। इनकी वजह से ही बाद में खड़ी बोली हिन्दी काव्य की निर्विवाद सिद्ध भाषा बन गयी।
जयशंकर प्रसाद की किस वर्ष में कौनसी रचनाएं आई?
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय वर्षों के हिसाब से नीचे दिया गया है-
रीवाइज़्ड वर्ष | रचनाएं | फर्स्ट एडिशन ईयर |
---|---|---|
1914 | प्रेमपथिक | 1909 |
1927 | झरना | 1918 |
1928 | करुणालय | 1913 |
1928 | महाराणा का महत्त्व | 1914 |
1928 | चित्राधार | 1918 |
1929 | कानन कुसुम | 1913 पुनः 1918 |
1933 | आँसू | 1925 |
1935 | लहर | – |
1936 | कामायनी |
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय में उपन्यास
जय शंकर प्रसाद जी के तीन प्रसिद्ध उपन्यास है – कंकाल, तितली, इरावती। तितली जयशंकर प्रसाद का ग्रामीण जीवन पर आधारित उपन्यास है जबकि कंकाल में नागरिक सभ्यता को दिखाया गया है।
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 12वीं
छायावादी युग के प्रवर्तक जयशंकर प्रसाद का जन्म भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के शहर वाराणसी में एक प्रसिद्ध साहू समृद्ध और विख्यात परिवार में 30 जनवरी 1890 में हुआ था। जयशंकर प्रसाद के पिता जी का नाम बाबू देवी प्रसाद था। जो बड़े ही दयालु और कृपालु इंसान थे, और गरीबों और दीन दुखियों की मदद और दान अवश्य दिया करते थे। जयशंकर प्रसाद की माता जी का नाम मुन्नी बाई था। जय शंकर प्रसाद के पिताजी का स्वर्गवास उस समय हो गया था, जब जयशंकर प्रसाद की आयु मात्र 11 वर्ष थी और इसके पश्चात 15 वर्ष की आयु आने पर उनकी माताजी भी उन्हें छोड़कर हमेशा के लिए स्वर्गवासी हो गई।
किन्तु जयशंकर प्रसाद पर मुसीबतों का पहाड़ उस समय टूट पड़ा जब इनके बड़े भाई संभू रत्न का निधन हो गया उस समय जयशंकर प्रसाद 17 वर्ष के थे। अब जयशंकर प्रसाद के ऊपर ही घर का सभी प्रकार का खर्च का जिम्मा था उनके घर में भाभी तथा उनके बच्चे भी थे। फिर भी जयशंकर प्रसाद ने बड़े साहस से इन सभी मुसीबतों का सामना किया और अपने परिवार का पालन पोषण। जयशंकर प्रसाद की प्राथमिक शिक्षा वाराणसी में ही संपन्न हुई, जयशंकर प्रसाद ने हिंदी और संस्कृत का अध्ययन घर पर रहकर ही किया। जयशंकर प्रसाद के प्रारंभिक शिक्षक मोहिनी लाल गुप्त थे। जिनकी प्रेरणा से उन्होंने संस्कृत में पारंगत हासिल कर ली और संस्कृत के विद्वान बन गए। जयशंकर प्रसाद का पहला विवाह विध्वंसनीदेवी के साथ 1908 में संपन्न हुआ था। किंतु विध्वंसनीदेवी को क्षय रोग हो गया और उनकी मृत्यु हो गई और फिर जयशंकर प्रसाद का दूसरा विवाह 1917 में सरस्वती के साथ कर दिया गया।
किंतु वह भी क्षय रोग के कारण ही जल्द ही चल बसी। दूसरी पत्नी की मृत्यु के बाद जयशंकर प्रसाद की इच्छा विवाह करने की नहीं थी। किंतु उन्होंने अपनी भाभी के दुख से दुखी होकर लिए तीसरा विवाह कमला देवी के साथ कर जिनसे उन्हें एक पुत्र उत्पन्न हुआ। और उसका नाम था रतन शंकर प्रसाद। अपने अंतिम समय में जयशंकर प्रसाद भी क्षय रोग से पीड़ित हो गए और 1936 में परमात्मा में विलीन हो गए।
जयशंकर प्रसाद को कौनसा पुरस्कार मिला था?
जयशंकर प्रसाद को ‘कामायनी’ की रचना के लिए मंगलाप्रसाद पारितोषिक प्राप्त हुआ था।
Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay से सम्बंधित कक्षा 10 के प्रश्न उत्तर
Jaishankar Prasad ka jivan parichay से संबंधित क्षितिज- पाठ 6 कक्षा 10 के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर नीचे दिए गए हैं-
1. जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ था?
(क) 1880 ई.
(ख) 1889 ई.
(ग) 1888 ई.
(घ) 1890 ई.
उत्तर-(ख) 1889 ई.
2. जयशंकर प्रसाद द्वारा संपादित पत्रिका का नाम क्या था?
(क) प्रभा
(ख) माधुरी
(ग) सरस्वती
(घ) इन्दु
उत्तर-(घ) इन्दु
3. जयशंकर प्रसाद के किन्हीं तीन काव्य संग्रहों के नाम बताइए?
उत्तर- लहर झरना कामायनी
4. ईश्वर की प्रशंसा का राग कौन गा रहा है?“
उत्तर-तरंगमालाएँ ईश्वर की प्रशंसा का राग गा रही हैं।
5. मनुष्य के मनोरथ कब पूर्ण होते हैं?
उत्तर-ईश्वर की दया होने पर मनुष्य के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
6. अंशुमाली का क्या अर्थ है?
उत्तर-अंशुमाली का तात्पर्य सूर्य से है।
जयशंकर प्रसाद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
महान लेखक और कवि जयशंकर प्रसाद का जन्म – सन् 1889 ई. में हुआ तथा मृत्यु – सन् 1037 ई में हुई। बहुमुखी प्रतिभा के धनी जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था| बचपन में ही पिता के निधन से पारिवारिक उत्तरदायित्व का बोझ इनके कधों पर आ गया।
इरावती (उपन्यास) जयशंकर प्रसाद का अपूर्ण उपन्यास जिसका प्रकाशन उनकी मृत्यु के बाद 1940 ई. में हुआ। दो उपन्यासों में प्रसाद ने वर्तमान समाज को अंकित किया है पर इरावती में वे पुन: अतीत की ओर लौट गये है।
पुरस्कार – जय शंकर प्रसाद क ‘ कामायनी’ पर मंगला प्रसाद पारित र्प्राप्त हुआ था
कामायनी कामायनी महाकाव्य कवि प्रसाद की अक्षय कीर्ति का स्तम्भ है। भाषा, शैली और विषय–तीनों ही की दृष्टि से यह विश्व–साहित्य का अद्वितीय ग्रन्थ है।
कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास यानी रचना की सभी विधाओं में उन्हें महारत हासिल थी. उनकी कामायनी, आंसू, कानन-कुसुम, प्रेम पथिक, झरना और लहर कुछ प्रमुख कृतियां है. जयशंकर प्रसाद के पिता वाराणसी के अत्यन्त प्रतिष्ठित नागरिक थे और एक विशेष प्रकार की सुरती (तंबाकू) बनाने के कारण ‘सुंघनी साहु’ के नाम से जाना जाता था
उनके ज्येष्ठ भ्राता का नाम शम्भू रत्न था।
गुंडा जयशंकर प्रसाद जी की रचना है।
झरना जयशंकर प्रसाद जी की रचना है।
जयशंकर प्रसाद का पहला नाटक राजश्री था।
जयशंकर प्रसाद का अंतिम नाटक ‘कामायनी’ था।
‘आँसू’ को ‘हिन्दी का मेघदूत’ कहा जाता है। प्रसाद को ‘प्रेम और सौंदर्य का कवि’ कहा जाता है।
आंसू का प्रकाशन वर्ष 1925 था।
जब कोई कवि किसी अवसर के अनुसार उसी समय कविता बनाकर सुनाएं उसे आशुकवि कहते हैं।
कवि जयशंकर प्रसाद आत्मकथा लिखने से बचना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि उनका जीवन साधारण-सा है। उसमें कुछ भी ऐसा नहीं जिससे लोगों को किसी प्रकार की प्रसन्नता प्राप्त हो सके। उनका जीवन अभावों से भरा हुआ था जिन्हें वह औरों के साथ बांटना नहीं चाहते थे।
जयशंकर प्रसाद की मृत्यु 15 नवंबर 1937 को हुई थी।
FAQs
जयशंकर प्रसाद की मुख्य भाषा हिंदी हैं।
जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 को हुआ था।
जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना कामायनी है।
जयशंकर प्रसाद के पिता का नाम बाबू देवकी प्रसाद था।
जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी में हुआ था।
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मुझे भी अपनी रचना पत्रिका में प्रकाशित करानी है मुझे कौन सी पत्रिका सबसे अच्छी रहेगी प्लीज सर मुझे कोई कांटेक्ट नंबर दो
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हैलो आरके निशाद, उड़ान पत्रिका व अन्य पत्रिकाओं के लिए अपनी रचनाएं भेज सकते हैं।
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मुझे भी अपनी रचना पत्रिका में प्रकाशित करानी है मुझे कौन सी पत्रिका सबसे अच्छी रहेगी प्लीज सर मुझे कोई कांटेक्ट नंबर दो
हैलो आरके निशाद, उड़ान पत्रिका व अन्य पत्रिकाओं के लिए अपनी रचनाएं भेज सकते हैं।