सहजोबाई का जीवन परिचय एवं रचनाएँ: Sahjo Bai Ka Jivan Parichay

1 minute read
Sahjo Bai Ka Jivan Parichay

Sahjo Bai Ka Jivan Parichay: सहजोबाई मध्यकालीन भक्ति आंदोलन की एक महत्त्वपूर्ण संत-भक्त कवयित्री थीं। इनका नाम भारतीय अध्यात्म के इतिहास में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। सहजोबाई निर्गुण मत के ‘चरणदासी संप्रदाय’ के प्रवर्तक और उत्तर भारतीय संत परंपरा के प्रचारक ‘संत चरणदास जी’ (Sant Charandas Ji) की शिष्या थीं। वहीं सहजोबाई ने गुरुस्तुति के उद्देश्य से दिल्ली में ‘सहजप्रकाश’ (Sahaj Prakash) नामक एक पुस्तक की रचना की थी। इस पुस्तक में गुरु महिमा के अतिरिक्त निर्गुण मत के अन्य सिद्धांतों का भी प्रतिपादन हुआ है। उन्होंने अपने संप्रदाय के अनुसार ईश्वर से ज्यादा गुरु को महत्त्व दिया है। 

स्त्री भक्त काव्य लेखन में सहजाबाई का श्रेष्ठ स्थान है और उनके द्वारा रचित ‘सहजप्रकाश’ भी भक्ति काव्य की परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आइए अब इस ब्लॉग में संत-भक्त कवयित्री सहजोबाई का जीवन परिचय (Sahjo Bai Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में जानते हैं। 

नाम सहजोबाई (Sahjo Bai)
जन्म सन 1725 (मान्यता के अनुसार)
जन्म स्थान डेहरा गांव, मेवात 
गुरु का नाम संत चरणदास जी
पिता का नाम हरिप्रसाद जी 
माता का नाम अनूपीदेवी 
भाई राधाकृष्ण, गंगाविष्णु, हरिनारायण, दासकुंवर 
साहित्यकाल भक्तिकाल 
प्रमुख रचना ‘सहजप्रकाश’ (Sahaj Prakash)
भाषा खड़ी बोली, राजस्थानी, बुंदेली और ब्रजभाषा

सहजोबाई का जीवन परिचय – Sahjo Bai Ka Jivan Parichay

निर्गुण परंपरा के प्रमुख संत कबीरदास, संत रविदास दादू दयाल की तरह संत-भक्त कवयित्री सहजोबाई का कोई प्रमाणिक जीवन वृत्त अब तक सुलभ नहीं हो सका हैं। किंतु अनेक विद्वानों द्वारा माना जाता है कि सहजोबाई का जन्म सन 1725 के आसपास मेवात-अंचल के डेहरा नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम हरिप्रसाद जी और माता का नाम अनूपीदेवी था। वह अपने चार भाइयों राधाकृष्ण, गंगाविष्णु, हरिनारायण, दासकुंवर की इकलौती व छोटी बहन थी। 

सहजोबाई की गुरु भक्ति

निर्गुण मत के ‘चरणदासी संप्रदाय’ के प्रवर्तक ‘चरणदास जी’ (Sant Charandas Ji) के प्रख्यात बावन शिष्यों में सहजाबाई की गणना प्रथम स्थान पर की जाती है। एक अन्य प्रसिद्ध संत कवियत्री ‘दयाबाई’ इनकी गुरु-भगिनी थीं। सहजोबाई का संबंध निर्गुण पंथ के चरणदासी संप्रदाय से था। सहजाबाई ने भी अपने संप्रदाय के अनुसार ईश्वर से ज्यादा गुरु को महत्व दिया है।  इनकी गुरु भक्ति का स्वरूप निर्गुण संत परंपरा से ही प्राणित हुआ है। वहीं गुरु के सानिध्य में आकर ही मनुष्य को निर्वाण अथवा मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। गुरु के माध्यम से ही मनुष्य के सभी विकार और दोष समाप्त होते हैं। सहजोबाई ने सर्वाधिक पद गुरु की महिमा और गुरु स्तुति में ही लिखे हैं। 

सहजोबाई की रचनाएँ –  Sahjo Bai Ki Rachnaye

सहजोबाई ने गुरुस्तुति के उद्देश्य से दिल्ली में ‘सहजप्रकाश’ (Sahaj Prakash) पुस्तक की रचना की थी। इस पुस्तक में सत्संग का निर्णय, सदगुरु महिमा, साधु-असाधु की वाणी, साधु महिमा का अंग व प्रेम के अतिरिक्त निर्गुण मत के अन्य सिद्वांतों का भी प्रतिपादन हुआ है। सहजोबाई निर्गुण संप्रदाय में दीक्षित थी इसलिए उनके काव्य में निर्गुण ब्रह्म को प्रमुखता मिलती है। इनके काव्य पर सिद्धों और नाथों के हठयोग साधना का भी प्रभाव देखने को मिलता है। सहजप्रकाश’ के अंतर्गत तत्कालीन समाज का भी चित्रण किया गया है। सहजबाई गुरु महिमा, वैराग्य, साधु के गुण, जन्म मरण इत्यादि के माध्यम से सामाजिक संरचना का भी यथा स्थान उल्लेख करती है। 

माना जाता है कि सन 1782 में गुरु चरणदास जी को सायुज्य-पद प्राप्त हो जाने के पश्चात सहजाबाई लगभग 23 वर्षों तक गुरु गद्दी पर आसीन रहीं। इस अवधि में उन्होंने धर्म स्थल स्थापित करके अपने धर्म का प्रचार प्रसार किया साथ ही अपने शिष्यों को भी भगवद्भक्ति प्रचारर्थ देश-देशांतरों में भेजा। 

सहजोबाई की भाषा शैली – Sahjo Bai Ki Bhasha Shaili

सहजोबाई ने भी अन्य निर्गुण संतों के अनुरूप अपनी काव्य रचना ‘सहजप्रकाश’ (Sahaj Prakash) में मिश्रित भाषा का प्रयोग किया है। इसमें खड़ी बोली, राजस्थानी, बुंदेली और ब्रजभाषा का मिश्रित रूप देखने को मिलता है। सरल,सर्वग्राह्य और जनसाधारण की समझ के स्तर की भाषा का प्रयोग उन्होंने अपनी काव्य रचना में किया है।  

FAQs 

सहजोबाई कौन थीं?

सहजोबाई मध्यकालीन भक्ति आंदोलन की एक महत्त्वपूर्ण संत-भक्त कवयित्री थीं।

सहजोबाई का जन्म कहाँ हुआ था?

माना जाता है कि सहजोबाई का जन्म सन 1725 के आसपास मेवात-अंचल के डेहरा नामक गांव में हुआ था। 

सहजोबाई के दीक्षा गुरु कौन थे?

सहजोबाई प्रसिद्ध महात्मा चरणदास जी की शिष्या थीं। 

सहजोबाई की रचनाएँ कौनसी हैं?

सहजोबाई ने गुरुस्तुति के उद्देश्य से ‘सहजप्रकाश’ (Sahaj Prakash) पुस्तक की रचना की थी। 

सहजोबाई किस शाखा की कवयित्री है?

सहजोबाई चरणदासी संप्रदाय की कवयित्री थीं। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ संत-भक्त कवयित्री सहजोबाई का जीवन परिचय (Sahjo Bai Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों के जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

आशा है कि आपको संत-भक्त कवयित्री सहजोबाई का जीवन परिचय (Sahjo Bai Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*