प्रसिद्ध कवि पद्माकर का जीवन परिचय – Padmakar Ka Jivan Parichay

1 minute read
Padmakar Ka Jivan Parichay

Padmakar Ka Jivan Parichay : कवि पद्माकर हिंदी साहित्य के रीतिकाल में अंतिम श्रेष्ठ आलंकारिक कवि के रूप में विख्यात हैं। पद्माकर का रीतिकाल के कवियों में महत्वपूर्ण स्थान था। वे अपने जीवनकाल में अनेक राज-दरबारों में रहे। जयपुर नरेश ने उन्हें ‘कविराज शिरोमणि’ की उपाधि से सम्मानित किया था। पद्माकर की रचनाओं में ‘हिम्मतबहादुर विरुदावली’, ‘रामरसायन’ और ‘गंगा लहरी’ आदि प्रमुख हैं। 

आपको बता दें कि पद्माकर की रचनाओं को विद्यालय के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी कवि पद्माकर का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। 

आइए अब रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि पद्माकर का जीवन परिचय (Padmakar Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम पद्माकर (Padmakar)
जन्म सन 1753 
जन्म स्थान बाँदा, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम मोहनलाल भट्ट  
पेशा दरबारी कवि 
विधा पद्य 
मुख्य रचनाएँ ‘हिम्मतबहादुर विरुदावली’, ‘रामरसायन’  ‘जगद्विनोद’, ‘प्रबोध पचासा’ और ‘गंगा लहरी’
साहित्यकाल रीतिकाल 
आश्रयदाता महाराज जैतपुर, दतिया नरेश महाराज पारीक्षत व जयपुर-नरेश सवाई प्रताप सिंह और उनके पुत्र महाराज जगत सिंह  
निधन सन 1883 

उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में हुआ था जन्म – Padmakar Ka Jivan Parichay

माना जाता है कि कवि पद्माकर का जन्म सन 1753 में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में हुआ था। विद्वानों के अनुसार उनके परिवार का वातावरण कवित्वमय था। उनके पिता के साथ साथ उनके कुल के अन्य लोग भी कवि थे। इस कारण उनके वंश का नाम ही ‘कवीश्वर’ पड़ गया था। कहा जाता है कि पद्माकर को कई राज-दरबारों का आश्रय मिला था। 16 वर्ष की किशोरावस्था में उन्होंने सागर नरेश रघुनाथ राव को एक कवित्त सुनाया था जिसपर प्रसन्न होकर रघुनाथ राव ने उन्हें एक लाख मुद्राओं से पुरस्कृत किया था। इसके आलावा उन्हें महाराज जैतपुर, रजधान के गोसाई अनूपगिरि (हिम्मतबहादुर), सताराधिपंति रघुनाथ राव (राघोबा), उदयपुर के महाराणा भीम सिंह, ग्वालियर नरेश सवाई प्रताप राव सिंधिया और जयपुर-नरेश सवाई प्रताप सिंह और उनके पुत्र महाराज जगत सिंह  जैसे आश्रयदाता मिले थे। 

पद्माकर के काव्य की विशेषताएं

पद्माकर की ख्याति का मूलाधार उनकी शृंगारिक रचनाएँ हैं। वे मुख्यतः शृंगार रस के महान कवि थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में सजीव मूर्त विधान करने वाली कल्पना के द्वारा प्रेम और सौंदर्य का मार्मिक चित्रण किया है। किंतु वे जिस वातावरण में काव्य सृजन कर रहे थे वह शृंगार के सर्वथा अनुकूल था। क्योंकि ये वो समय था जब उत्तर भारत में मुग़ल बादशाह ‘औरंगजेब’ का शासन हुआ करता था। उस दौरान अधिकांश राजा-महाराजा मुगलों से लोहा लेने की बजाए अपने महलों में विलासिता का जीवन व्यतीत कर रहे थे। उनके लिए शाही कर चुकाकर महलों के भीतर आराम करना ही सबकुछ था। वहीं दरबारी कवि भी राजा-महाराजों की प्रशंसा में उनकी वीरता का चित्रण अपनी रचनाओं में कर रहे थे।  

पद्माकर की रचनाएँ – Padmakar Ki Rachnaye

पद्माकर ने मुख्यतः तीन प्रकार के काव्य ग्रंथों की रचना की है, प्रशस्ति काव्य, रीतिकाव्य और भक्तिकाव्य। यहां पद्माकर (Padmakar Ka Jivan Parichay) की प्रमुख प्रामाणिक रचनाओं के बारे में बताया गया है :- 

  • हिम्मतबहादुर विरुदावली 
  • प्रतापसिंह विरुदावली 
  • रामरसायन  
  • पद्माभरण 
  • जगद्विनोद 
  • प्रबोध पचासा 
  • गंगा लहरी
  • ईश्वर पचीसी

पद्माकर की भाषा शैली – Padmakar Ki Bhasha Shaili 

पद्माकर की भाषा सरस, सुव्यवस्थित और प्रवाहपूर्ण है। वहीं गतिमयता और प्रवाहपूर्णता की दृष्टि से सवैया और कवित्त पर जैसा अधिकार पद्माकर का था वैसा किसी अन्य कवि का नहीं था। भाषा पर उनका अद्भुत अधिकार था। लाक्षणिक शब्दों के माध्यम से वह सूक्ष्म से सूक्ष्म भावानुभूतियों को सहज ही मूर्तिमान कर देते थे। उनके आलंकारिक वर्णन का प्रभाव परवर्ती कवियों पर भी देखने को मिलता है।   

सन 1883 में हुआ निधन 

विद्वानों द्वारा माना जाता है कि कवि पद्माकर का निधन गंगा तट पर कानपुर में सन 1833 में हुआ था। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ प्रसिद्ध कवि पद्माकर का जीवन परिचय (Padmakar Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

FAQs

पद्माकर का जन्म कब हुआ था?

पद्माकर का जन्म सन 1753 में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में हुआ था। 

कवि पद्माकर का वास्तविक नाम क्या था?

उनका मूल नाम पद्माकर भट्ट था।

पद्माभरण के रचयिता कौन थे?

‘पद्माभरण’ प्रसिद्ध कवि पद्माकर की एक काव्य-रचना है।

रीतिकाल का अंतिम कवि कौन था?

‘पद्माकर’ रीतिकाल के अंतिम श्रेष्ठ कवि हैं।

जगद्विनोद किसकी रचना है?

‘जगद्वविनोद’ ‘पद्माकर’ कवि की रचना है।

पद्माकर की मृत्यु कब हुई?

माना जाता है कि कवि पद्माकर का निधन गंगा तट पर कानपुर में सन 1833 में हुआ था।

आशा है कि आपको प्रसिद्ध कवि पद्माकर का जीवन परिचय (Padmakar Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*