भारतीय संविधान की धाराएं: IPC की धारा क्या है? जानें भारतीय दंड संहिता के बारे में

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भारतीय संविधान की धाराएं

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 भारत में आपराधिक कानून का एक महत्वपूर्ण आधार है। यह एक व्यापक कानून है जो भारत में आपराधिक कानून के वास्तविक पहलुओं को शामिल करता है। यह जम्मू-कश्मीर सहित पूरे भारत में लागू है। यह कानून विभिन्न प्रकार के अपराधों को परिभाषित करता है और उनमें से प्रत्येक के लिए सजा और जुर्माने की सूचना प्रदान करता है। इस लेख में आप जानेंगे भारतीय संविधान की धाराएं क्या हैं? साथ ही IPC की  धाराओं और भारतीय दंड संहिता के बारे में यहाँ पाएं विस्तृत जानकारी। भारतीय संविधान की धाराएं और उससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी पाने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

भारतीय संविधान की धाराएं

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860, भारत में आपराधिक कानूनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कानून अपराधों को परिभाषित करता है और उनकी सजा का विवरण देता है।

आईपीसी की धाराएं

  • आईपीसी में कुल 511 धाराएं हैं।
  • इन धाराओं को 23 अध्यायों में विभाजित किया गया है।
  • ये धाराएं विभिन्न प्रकार के अपराधों को कवर करती हैं, जैसे कि हत्या, चोरी, धोखाधड़ी, और अन्य अपराध।

हाल के बदलाव

  • भारत सरकार ने हाल ही में IPC में कुछ बड़े बदलाव किए हैं।
  • गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन नए बिल पेश किए हैं।
  • इन बिलों के अनुसार, IPC को “भारतीय न्याय संहिता” के रूप में जाना जाएगा, और इसकी धाराओं की संख्या में भी बदलाव होगा।
  • भारतीय न्याय संहिता में पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी।

आईपीसी की धाराएं भारत में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इन बदलावों से आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार होने की उम्मीद है।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की लिस्ट

इसमें इंडियन पीनल कोड (IPC) की धाराओं के बारे में जानकारी दी गयी है। नीचे दी गई सूची में अपराध और उनकी संबंधित धाराओं के बारे में जानकारी दी गई है, जिसमें यह भी बताया गया है कि किस अपराध पर कौन सी धारा लागू होती है।

IPC की धारा 1-20 तक

  • धारा 1: इस धारा में बताया गया है कि इस कानून का नाम भारतीय दंड संहिता (IPC) है और यह सारे भारत में लागू होता है।
  • धारा 2: भारत के अंदर किया गया कोई भी अपराध IPC के तहत दंडनीय होगा, चाहे अपराधी कोई भी हो।
  • धारा 3: कोई व्यक्ति भारत के बाहर कोई ऐसा काम करता है जो भारत में अपराध माना जाता है, तो उस पर IPC के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
  • धारा 4: IPC की धाराएं कुछ मामलों में विदेशों में किए गए अपराधों पर भी लागू होती हैं, जैसे – भारतीय जहाज़, विमान, या भारतीय नागरिक द्वारा किया गया अपराध।
  • धारा 5: यह धारा कहती है कि अगर किसी खास मामले के लिए कोई विशेष कानून बना है, तो उस पर IPC का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  • धारा 6: IPC में दी गई परिभाषाएं हमेशा कुछ अपवादों के अधीन मानी जाएंगी, यानी सब नियमों पर कुछ खास परिस्थितियों में छूट हो सकती है।
  • धारा 7: अगर IPC में कोई शब्द या वाक्यांश किसी जगह स्पष्ट कर दिया गया है, तो वही अर्थ हर जगह लागू होगा।
  • धारा 8: अगर किसी शब्द का लिंग (Gender) पुर्लिंग (पुरुषवाचक) है, तो वो स्त्रीलिंग पर भी लागू होगा, जब तक कि स्पष्ट रूप से कुछ और न लिखा हो।
  • धारा 9: एकवचन (Singular) शब्द का अर्थ बहुवचन (Plural) भी हो सकता है, और इसका उल्टा भी। जैसे – “व्यक्ति” शब्द का अर्थ “लोग” भी हो सकता है।
  • धारा 10: IPC में “पुरुष” और “महिला” शब्द का मतलब होता है – कोई भी नर या मादा व्यक्ति।
  • धारा 11: “व्यक्ति” में कोई कंपनी, संगठन, या समूह भी शामिल है – चाहे वह रजिस्टर हो या न हो।
  • धारा 12: “जनता” शब्द का मतलब है – सार्वजनिक रूप से मौजूद या समाज से जुड़ा समूह।
  • धारा 13: “क्वीन” शब्द की परिभाषा दी गई है, जो पहले ब्रिटिश शासनकाल में लागू थी। (अब अप्रासंगिक)
  • धारा 14: “सरकार का सेवक” यानी वह व्यक्ति जो सरकार के लिए कार्य करता है, जैसे – अफसर, पुलिस, न्यायाधीश आदि।
  • धारा 15: “ब्रिटिश इंडिया” का मतलब वह भारत जो ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में था। (अब प्रासंगिक नहीं)
  • धारा 16: “Government of India” यानी उस समय की ब्रिटिश भारतीय सरकार, जिसने भारत पर शासन किया।
  • धारा 17: “सरकार” शब्द का मतलब भारत की मौजूदा सरकार है – यानी केंद्र या राज्य सरकार।
  • धारा 18: “भारत” शब्द का अर्थ है – भारत का वर्तमान क्षेत्रफल (जैसा संविधान में बताया गया है)।
  • धारा 19: “न्यायाधीश” यानी कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे कानूनन न्याय देने का अधिकार प्राप्त हो।
  • धारा 20: “न्यायालय” का मतलब वह स्थान या संस्था है जहां पर न्यायिक कार्यवाही होती है।

IPC की धारा 21 – 40 तक

  • धारा 21: लोक सेवक: वह व्यक्ति जो सरकार के लिए काम करता है या सरकार से वेतन लेता है, जैसे जज, सरकारी कर्मचारी, पुलिसकर्मी आदि।
  • धारा 22: चल सम्पत्ति: ऐसी चीजें जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, जैसे गाड़ी, गहने, फर्नीचर आदि।
  • धारा 23: सदोष अभिलाभ / हानि: गलत तरीके से फायदा उठाना या किसी को गलत तरीके से नुकसान पहुँचाना।
  • धारा 24: बेईमानी करना: किसी को धोखा देने या गलत फायदा उठाने के इरादे से कोई काम करना।
  • धारा 25: कपटपूर्वक: धोखा देने के इरादे से कोई काम करना।
  • धारा 26: विश्वास करने का कारण: ऐसी वजह होना जिससे किसी बात को सच मानने का आधार मिले।
  • धारा 27: पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति: अगर पत्नी, क्लर्क या नौकर के पास कोई संपत्ति है, तो माना जाएगा कि वह व्यक्ति जिसके लिए वे काम करते हैं, उसका कब्ज़ा है।
  • धारा 28: कूटरचना: नकली बनाना या किसी असली चीज़ में बदलाव करना ताकि वह नकली लगे और धोखा दिया जा सके।
  • धारा 29: दस्तावेज: कोई भी लिखा हुआ या छपा हुआ चीज़ जिस पर किसी मामले को साबित करने के लिए भरोसा किया जा सके।
  • धारा 30: मूल्यवान प्रतिभूति: ऐसा दस्तावेज जो किसी कानूनी अधिकार या संपत्ति का सबूत हो, जैसे चेक, बॉन्ड आदि।
  • धारा 31: वसीयत: वह कानूनी दस्तावेज जिसमें कोई व्यक्ति अपनी मौत के बाद अपनी संपत्ति किसे मिलेगी, यह लिखता है।
  • धारा 32: कार्यों को दर्शाने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप शामिल है: अगर कानून किसी काम को करने को कहता है और आप उसे नहीं करते हैं, तो उसे भी कानून तोड़ना माना जाएगा।
  • धारा 33: कार्य और चूक: ‘कार्य’ मतलब कुछ करना और ‘चूक’ मतलब कुछ ज़रूरी काम न करना।
  • धारा 34: सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य: अगर कुछ लोग मिलकर कोई अपराध करते हैं और सबका इरादा एक ही होता है, तो हर व्यक्ति को उस अपराध के लिए जिम्मेदार माना जाएगा, भले ही वह काम किसी एक ने ही क्यों न किया हो।
  • धारा 35: जबकि ऐसा कार्य इस कारण आपराधिक है कि वह आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है: अगर कोई काम इसलिए अपराध है क्योंकि उसे गलत जानकारी या गलत इरादे से किया गया है, तो उस काम में शामिल हर व्यक्ति को उसी तरह दोषी माना जाएगा।
  • धारा 36: अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम: अगर कोई अपराध कुछ करके और कुछ ज़रूरी काम न करके होता है, तो उसे पूरा अपराध माना जाएगा।
  • धारा 37: कई कार्यों में से किसी एक कार्य को करके अपराध गठित करने में सहयोग करना: अगर कई छोटे-छोटे काम मिलकर एक अपराध बनाते हैं, और कोई व्यक्ति उनमें से कोई एक काम भी करता है, तो उसे उस अपराध में शामिल माना जाएगा।
  • धारा 38: आपराधिक कार्य में संपॄक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे: अगर एक साथ मिलकर अपराध करने वाले लोग अलग-अलग तरह के अपराध करते हैं, तो हर व्यक्ति अपने किए अपराध के लिए दोषी होगा।
  • धारा 39: स्वेच्छा से: अपनी मर्जी से, बिना किसी दबाव के कोई काम करना।
  • धारा 40: अपराध: कानून द्वारा दंडनीय कोई भी काम।

IPC की धारा 41 – 60 तक

  • धारा 41: किसी खास विषय के लिए बना विशेष कानून। यह आम कानूनों से अलग होता है।
  • धारा 42: किसी छोटे इलाके या क्षेत्र के लिए बना कानून। यह पूरे देश पर लागू नहीं होता।
  • धारा 43: कानून के खिलाफ किया गया कोई भी काम। यह गैरकानूनी और गलत होता है।
  • धारा 44: किसी को शारीरिक, मानसिक, संपत्ति या नाम का नुकसान पहुँचाना। इससे किसी की हानि होती है।
  • धारा 45: किसी इंसान का जिंदा रहना। यह जीवन की शुरुआत से अंत तक की अवधि है।
  • धारा 46: किसी इंसान की मौत होना। यह जीवन का अंत है।
  • धारा 47: इंसान के अलावा कोई भी जीवित प्राणी, जैसे जानवर या कीड़े-मकोड़े। यह प्रकृति का हिस्सा हैं।
  • धारा 48: पानी पर चलने वाली कोई भी चीज़, जैसे नाव या जहाज़। यह यातायात का साधन है।
  • धारा 49: समय को गिनने का तरीका, जो अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से चलता है। इसमें साल और महीने शामिल हैं।
  • धारा 50: कानून की किताब का एक छोटा भाग या हिस्सा। हर धारा एक अलग नियम बताती है।
  • धारा 51: सच बोलने या किसी धार्मिक चीज़ की कसम खाना। यह वादा करने का एक तरीका है।
  • धारा 52: कोई काम ईमानदारी और अच्छे इरादे से करना। इसमें धोखा या गलत मंशा नहीं होती।
  • धारा 52क: किसी अपराधी को छिपने या भागने में मदद करना। यह कानून के खिलाफ है।
  • धारा 53: जुर्म करने पर मिलने वाली सजा, जैसे मौत, जेल या जुर्माना। यह कानून का दंड है।
  • धारा 53क: देश से निकालने का आदेश, जिसका मतलब अब उम्र भर जेल है। यह एक गंभीर सजा है।
  • धारा 54: मौत की सजा को बदलकर उम्र भर जेल की सजा देना। यह सरकार का अधिकार है।
  • धारा 55: उम्र भर की जेल की सजा को कुछ सालों की सजा में बदलना, लेकिन 14 साल से कम नहीं। यह भी सरकार का अधिकार है।
  • धारा 55क: वह सरकार जिसके पास सजा कम करने या बदलने का कानूनी हक है। यह केंद्र या राज्य सरकार हो सकती है।
  • धारा 56: (अब यह नियम लागू नहीं है) पहले यूरोप और अमेरिका के लोगों के लिए अलग सजा का नियम था।
  • धारा 57: जेल की सजा की अवधि गिनने का तरीका, जिसमें उम्रकैद को 20 साल माना जाता है। यह सिर्फ गिनती के लिए है।
  • धारा 58: (अब यह नियम लागू नहीं है) जब तक किसी अपराधी को देश से बाहर नहीं भेजा जाता, तब तक उससे कैसा व्यवहार किया जाए, इसके नियम थे।
  • धारा 59: (अब लागू नहीं) जेल की जगह देश निकाला।
  • धारा 60: जेल की सजा सख्त या आसान हो सकती है।

IPC की धारा 61 – 80 तक

  • धारा 61: अगर कोर्ट कहे तो किसी की संपत्ति जब्त की जा सकती है।
  • धारा 62: बड़े अपराध करने वालों की संपत्ति भी जब्त हो सकती है।
  • धारा 63: अपराध करने पर कितना जुर्माना लगेगा, यह धारा बताती है।
  • धारा 64: अगर जुर्माना नहीं भरा, तो जेल जाना पड़ सकता है।
  • धारा 65: जेल और जुर्माना दोनों होने पर, जुर्माना न भरने पर जेल की अवधि तय होती है।
  • धारा 66: जुर्माना न भरने पर कैसी जेल मिलेगी, कठोर या साधारण, यह धारा बताती है।
  • धारा 67: सिर्फ जुर्माने वाले अपराध में जुर्माना न भरने पर जेल की अवधि तय है।
  • धारा 68: जैसे ही जुर्माना भर दिया जाएगा, जेल खत्म हो जाएगी।
  • धारा 69: अगर कुछ जुर्माना भर दिया है, तो जेल की अवधि कम हो जाएगी।
  • धारा 70: जुर्माना 6 साल के अंदर या जेल में रहते हुए वसूला जाएगा, और मौत होने पर भी देना होगा।
  • धारा 71: अगर कई छोटे अपराध मिलकर एक बड़ा अपराध बनते हैं, तो उसकी सजा तय होती है।
  • धारा 72: अगर यह पक्का न हो कि किस अपराध के लिए दोषी हैं, तो सजा तय की जाती है।
  • धारा 73: कैदी को अकेले कोठरी में बंद करने की बात है।
  • धारा 74: अकेले कोठरी में कितने दिन तक बंद रख सकते हैं, यह धारा बताती है।
  • धारा 75: जो लोग पहले भी अपराध कर चुके हैं, उन्हें कुछ अपराधों में ज़्यादा सजा मिल सकती है।
  • धारा 76: अगर कोई कानून समझकर या गलती से कानून मानकर कोई काम करता है, तो वह अपराध नहीं है।
  • धारा 77: जज अगर कानूनी काम कर रहा है, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।
  • धारा 78: अगर कोर्ट के आदेश पर कोई काम किया जाता है, तो वह अपराध नहीं है।
  • धारा 79: अगर कोई कानून समझकर या गलती से कानूनी काम मानकर कोई काम करता है, तो वह अपराध नहीं है।
  • धारा 80: अगर कोई कानूनी काम करते हुए गलती से किसी को नुकसान हो जाता है, तो वह अपराध नहीं है।

IPC की धारा 81 – 100 तक

  • धारा 81: बड़ा नुकसान रोकने के लिए बिना बुरे इरादे के किया गया काम, भले ही छोटा नुकसान हो जाए, अपराध नहीं है।
  • धारा 82: सात साल से छोटे बच्चे का कोई भी काम अपराध नहीं माना जाता।
  • धारा 83: सात से बारह साल के कम समझदार बच्चे का काम अपराध नहीं, अगर वह समझदारी से काम न कर पाए।
  • धारा 84: पागल या मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति का काम अपराध नहीं माना जाता, क्योंकि वह समझ नहीं पाता।
  • धारा 85: बिना अपनी मर्जी के नशे में धुत व्यक्ति का काम अपराध नहीं, अगर वह सही-गलत नहीं समझ पा रहा था।
  • धारा 86: नशे में अपराध करने पर भी सजा मिलेगी, अगर अपराध के लिए खास इरादा या जानकारी ज़रूरी हो।
  • धारा 87: आपसी सहमति से किया गया काम जिससे मौत या बड़ा नुकसान होने का इरादा या जानकारी न हो, अपराध नहीं।
  • धारा 88: किसी के फायदे के लिए अच्छे इरादे से सहमति लेकर किया गया काम, जिससे मौत का इरादा न हो, अपराध नहीं।
  • धारा 89: बच्चे या पागल व्यक्ति के भले के लिए उसके माता-पिता या देखभाल करने वाले की सहमति से किया गया काम अपराध नहीं।
  • धारा 90: डर या धोखे में दी गई सहमति असली सहमति नहीं मानी जाती।
  • धारा 91: कुछ काम ऐसे हैं जो नुकसान न होने पर भी अपने आप में अपराध हैं, उन पर ये छूट लागू नहीं होती।
  • धारा 92: किसी के भले के लिए बिना सहमति के अच्छे इरादे से किया गया काम अपराध नहीं, अगर सहमति लेना मुमकिन न हो।
  • धारा 93: अच्छे इरादे से दी गई जानकारी, जिससे किसी को नुकसान हो जाए, अपराध नहीं है।
  • धारा 94: जान से मारने की धमकी देकर मजबूर किए गए काम अपराध नहीं माने जाते।
  • धारा 95: बहुत छोटे नुकसान पहुँचाने वाला काम अपराध नहीं माना जाता।
  • धारा 96: अपनी सुरक्षा में किया गया काम अपराध नहीं है।
  • धारा 97: अपने शरीर और संपत्ति की रक्षा करने का हक हर किसी को है।
  • धारा 98: पागल या बीमार व्यक्ति के हमले से बचने के लिए अपनी सुरक्षा में किया गया काम भी अपराध नहीं है।
  • धारा 99: कुछ कामों के खिलाफ अपनी सुरक्षा का हक नहीं है, जैसे सरकारी कर्मचारी का कानूनी काम।
  • धारा 100: अपनी जान बचाने के लिए किसी की जान लेना कब सही माना जाता है, इसके नियम

IPC की धारा 101 – 300 तक

  • धारा 101: अपनी सुरक्षा में किसी को जान से मारे बिना नुकसान पहुँचाने का हक कब मिलता है।
  • धारा 102: अपनी सुरक्षा का हक कब शुरू होता है और कब तक रहता है।
  • धारा 103: अपनी संपत्ति बचाते समय कब किसी की जान भी ले सकते हैं।
  • धारा 104: अपनी संपत्ति बचाते समय कब जान लिए बिना नुकसान पहुँचा सकते हैं।
  • धारा 105: अपनी संपत्ति की सुरक्षा का हक कब शुरू होता है और कब तक रहता है।
  • धारा 106: जब किसी खतरनाक हमले से बचाव में किसी बेकसूर को भी नुकसान हो सकता है।
  • धारा 107: किसी अपराध के लिए उकसाना या मदद करना।
  • धारा 108: अपराध के लिए उकसाने वाला व्यक्ति।
  • धारा 108क: भारत के बाहर किए गए अपराध के लिए भारत में उकसाना।
  • धारा 109: उकसाने पर अपराध होने पर सजा, जहाँ अलग से सजा न बताई गई हो।
  • धारा 110: उकसाने वाले के इरादे से अलग काम करने पर उकसाने वाले की सजा।
  • धारा 111: एक काम के लिए उकसाया जाए और दूसरा हो जाए, तो उकसाने वाले की जिम्मेदारी।
  • धारा 112: उकसाने वाला कब उकसाए गए और किए गए दोनों अपराधों की सजा पाएगा।
  • धारा 113: उकसाने वाले के सोचे से अलग नुकसान होने पर उसकी जिम्मेदारी।
  • धारा 114: अपराध करते समय उकसाने वाला मौके पर मौजूद हो।
  • धारा 115: मौत या उम्रकैद की सजा वाले अपराध के लिए उकसाना और अपराध न होना।
  • धारा 116: जेल की सजा वाले अपराध के लिए उकसाना और अपराध न होना।
  • धारा 117: आम लोगों या 10 से ज़्यादा लोगों को अपराध के लिए उकसाना।
  • धारा 118: मौत या उम्रकैद की सजा वाले अपराध की योजना छुपाना।
  • धारा 119: सरकारी कर्मचारी का ऐसे अपराध की योजना छुपाना जिसे रोकना उसका काम है।
  • धारा 120: जेल की सजा वाले अपराध की योजना छुपाना।
  • धारा 120क: आपराधिक साजिश का मतलब।
  • धारा 120ख: आपराधिक साजिश की सजा।
  • धारा 121: भारत सरकार के खिलाफ युद्ध करना, कोशिश करना या उकसाना।
  • धारा 121क: धारा 121 के अपराधों की साजिश करना।
  • धारा 122: भारत सरकार के खिलाफ युद्ध के लिए हथियार जमा करना।
  • धारा 123: युद्ध की योजना को आसान बनाने के लिए उसे छुपाना।
  • धारा 124: राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना ताकि उन्हें कानूनी काम करने से रोका जाए।
  • धारा 124क: राजद्रोह (सरकार के खिलाफ असंतोष फैलाना)।
  • धारा 125: भारत सरकार से दोस्ती रखने वाले एशियाई देश के खिलाफ युद्ध करना।
  • धारा 126: भारत सरकार से शांति रखने वाले देश के इलाके में लूटपाट करना।
  • धारा 127: धारा 125 और 126 के युद्ध या लूट में मिली संपत्ति रखना।
  • धारा 128: सरकारी कर्मचारी का जानबूझकर कैदी (राजनीतिक या युद्ध) को भागने देना।
  • धारा 129: सरकारी कर्मचारी की लापरवाही से कैदी का भाग जाना।
  • धारा 130: कैदी को भागने में मदद करना, छुड़ाना या छिपाना।
  • धारा 131: सेना, नौसेना या वायुसेना के जवान को विद्रोह के लिए उकसाना या कर्तव्य से भटकाना।
  • धारा 132: उकसाने पर अगर विद्रोह हो जाए तो उसकी सजा।
  • धारा 133: सेना, नौसेना या वायुसेना के जवान का अपने अफसर पर हमला करने के लिए उकसाना।
  • धारा 134: उकसाने पर अगर हमला हो जाए तो उसकी सजा।
  • धारा 135: सेना, नौसेना या वायुसेना के जवान को ड्यूटी छोड़ने के लिए उकसाना।
  • धारा 136: ड्यूटी छोड़ने वाले को छिपाना।
  • धारा 137: जहाज के मालिक की लापरवाही से जहाज पर छिपा हुआ भगोड़ा सैनिक।
  • धारा 138: सेना, नौसेना या वायुसेना के जवान को आदेश न मानने के लिए उकसाना।
  • धारा 138क: ये नियम भारतीय समुद्री सेवा पर भी लागू होंगे।
  • धारा 139: कुछ खास कानूनों के तहत आने वाले लोग।
  • धारा 140: सेना, नौसेना या वायुसेना की वर्दी या पहचान चिह्न पहनना।
  • धारा 141: गैरकानूनी रूप से इकट्ठा हुई भीड़।
  • धारा 142: गैरकानूनी भीड़ का सदस्य होना।
  • धारा 143: गैरकानूनी भीड़ का सदस्य होने की सजा।
  • धारा 144: हथियार लेकर गैरकानूनी भीड़ में शामिल होना।
  • धारा 145: गैरकानूनी भीड़ को हटने का आदेश मिलने पर भी जानबूझकर वहाँ रहना।
  • धारा 146: जब गैरकानूनी रूप से जमा हुए लोग हिंसा करते हैं, तो उसे दंगा करना कहते हैं।
  • धारा 147: जो कोई भी दंगा करता है, उसे जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
  • धारा 148: अगर कोई खतरनाक हथियार लेकर दंगा करता है, तो उसे और भी ज़्यादा कड़ी सजा मिलती है।
  • धारा 149: गैरकानूनी भीड़ का हर सदस्य अपराध का दोषी, अगर वह अपराध सबका एक ही मकसद पूरा करने के लिए किया गया हो।
  • धारा 150: गैरकानूनी भीड़ में शामिल होने के लिए लोगों को भाड़े पर रखना या उकसाना।
  • धारा 151: पाँच या ज़्यादा लोगों की भीड़ को हटने का आदेश मिलने पर भी जानबूझकर वहाँ रहना।
  • धारा 152: दंगा रोकने की कोशिश कर रहे सरकारी कर्मचारी पर हमला करना या बाधा डालना।
  • धारा 153: दंगा भड़काने के इरादे से गलत बातें कहना या हरकतें करना।
  • धारा 153क: धर्म, जाति, भाषा आदि के आधार पर लोगों में दुश्मनी फैलाना और शांति भंग करना।
  • धारा 153ख: भारत की एकता के खिलाफ बातें कहना या लिखना।
  • धारा 154: उस ज़मीन का मालिक या रहने वाला जहाँ गैरकानूनी भीड़ जमा हो।
  • धारा 155: जिसके फायदे के लिए दंगा हुआ, उसकी जिम्मेदारी।
  • धारा 156: मालिक या रहने वाले का एजेंट, जिसके फायदे के लिए दंगा हुआ, उसकी जिम्मेदारी।
  • धारा 157: गैरकानूनी भीड़ के लिए भाड़े पर लाए गए लोगों को छिपाना।
  • धारा 158: गैरकानूनी भीड़ या दंगे में शामिल होने के लिए भाड़े पर जाना।
  • धारा 159: दंगा (दो या ज़्यादा लोगों का लड़ना जिससे शांति भंग हो)।
  • धारा 160: दंगा करने की सजा।
  • धारा 161 से 165: सरकारी कर्मचारियों द्वारा या उनसे जुड़े अपराधों के बारे में (अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम द्वारा बदल दिया गया)।
  • धारा 166: सरकारी कर्मचारी का किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए कानून तोड़ना।
  • धारा 166क: कानून न मानने वाला सरकारी कर्मचारी।
  • धारा 166ख: अस्पताल द्वारा पीड़ितों का इलाज न करना।
  • धारा 167: सरकारी कर्मचारी का गलत दस्तावेज बनाना ताकि किसी को नुकसान हो।
  • धारा 168: सरकारी कर्मचारी का गैरकानूनी तरीके से व्यापार करना।
  • धारा 169: सरकारी कर्मचारी का गैरकानूनी तरीके से संपत्ति खरीदना या बोली लगाना।
  • धारा 170: सरकारी कर्मचारी बनकर घूमना।
  • धारा 171: धोखा देने के इरादे से सरकारी कर्मचारी की वर्दी या पहचान चिह्न पहनना।
  • धारा 171क: चुनाव लड़ने वाला, चुनाव का हक।
  • धारा 171ख: रिश्वत देना।
  • धारा 171ग: चुनाव में गलत तरीके से दबाव डालना।
  • धारा 171घ: चुनाव में किसी और की जगह वोट डालना।
  • धारा 171ङ: रिश्वत की सजा।
  • धारा 171च: चुनाव में गलत दबाव डालने या धोखाधड़ी करने की सजा।
  • धारा 171छ: चुनाव के बारे में झूठ बोलना।
  • धारा 171ज: चुनाव में गैरकानूनी खर्च करना।
  • धारा 171झ: चुनाव के खर्च का हिसाब न रखना।
  • धारा 172: समन या कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए भाग जाना।
  • धारा 173: समन या कानूनी कार्यवाही को रोकना या छिपना।
  • धारा 174: सरकारी कर्मचारी का आदेश न मानना और हाजिर न होना।
  • धारा 175: कानूनी तौर पर दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहने पर न करना।
  • धारा 176: कानूनी तौर पर जानकारी देने के लिए कहने पर सरकारी कर्मचारी को जानकारी न देना।
  • धारा 177: झूठी जानकारी देना।
  • धारा 178: सरकारी कर्मचारी के कहने पर भी कसम या वादा न करना।
  • धारा 179: सवाल पूछने के हक वाले सरकारी कर्मचारी को जवाब न देना।
  • धारा 180: बयान पर साइन करने से मना करना।
  • धारा 181: कसम दिलाने या सच बोलने का वादा कराने के हक वाले सरकारी कर्मचारी या व्यक्ति के सामने झूठ बोलना।
  • धारा 182: सरकारी कर्मचारी को झूठी खबर देना ताकि वह किसी को नुकसान पहुँचाए।
  • धारा 183: सरकारी कर्मचारी द्वारा कानूनी तौर पर संपत्ति लेने का विरोध करना।
  • धारा 184: सरकारी कर्मचारी द्वारा नीलाम की जा रही संपत्ति की नीलामी में बाधा डालना।
  • धारा 185: सरकारी कर्मचारी द्वारा नीलाम की जा रही संपत्ति को गैरकानूनी तरीके से खरीदना या बोली लगाना।
  • धारा 186: सरकारी कर्मचारी के सरकारी काम में रुकावट डालना।
  • धारा 187: सरकारी कर्मचारी की मदद न करना, जबकि कानून मदद करने को कहता हो।
  • धारा 188: सरकारी कर्मचारी के कानूनी आदेश को न मानना।
  • धारा 189: सरकारी कर्मचारी को नुकसान पहुँचाने की धमकी देना।
  • धारा 190: किसी को सरकारी मदद लेने से रोकने के लिए धमकी देना।
  • धारा 191: झूठी गवाही देना।
  • धारा 192: झूठा सबूत बनाना।
  • धारा 193: झूठी गवाही देने की सजा।
  • धारा 194: किसी को मौत की सजा दिलाने के लिए झूठी गवाही देना या सबूत बनाना।
  • धारा 195: किसी को उम्रकैद या जेल की सजा दिलाने के लिए झूठी गवाही देना या सबूत बनाना।
  • धारा 196: ऐसे सबूत का इस्तेमाल करना जो झूठा है और यह पता हो।
  • धारा 197: झूठा सर्टिफिकेट बनाना या साइन करना।
  • धारा 198: नकली सर्टिफिकेट को असली बताकर इस्तेमाल करना।
  • धारा 199: कानूनी तौर पर सबूत माने जाने वाले बयान में झूठ बोलना।
  • धारा 200: ऐसे झूठे बयान को सच बताकर इस्तेमाल करना।
  • धारा 201: अपराध के सबूत मिटाना या अपराधी को बचाने के लिए झूठी खबर देना।
  • धारा 202: अपराध की जानकारी देने के लिए कहने पर जानबूझकर न देना।
  • धारा 203: किए गए अपराध के बारे में झूठी खबर देना।
  • धारा 204: सबूत के तौर पर पेश किए जाने वाले दस्तावेज या रिकॉर्ड को नष्ट करना।
  • धारा 205: कानूनी कार्यवाही में अपना गलत नाम या पहचान बताना।
  • धारा 206: संपत्ति जब्त होने या नीलाम होने से बचाने के लिए उसे छिपाना या हटाना।
  • धारा 207: संपत्ति जब्त होने या नीलाम होने से बचाने के लिए उस पर गलत दावा करना।
  • धारा 208: जो पैसा देना नहीं है, उसके लिए धोखे से डिग्री (कोर्ट का आदेश) होने देना।
  • धारा 209: कोर्ट में बेईमानी से झूठा दावा करना।
  • धारा 210: जो पैसा देना नहीं है, उसके लिए धोखे से डिग्री हासिल करना।
  • धारा 211: किसी को नुकसान पहुँचाने के इरादे से झूठा आरोप लगाना।
  • धारा 212: अपराधी को छिपाना।
  • धारा 213: अपराधी को सजा से बचाने के लिए रिश्वत लेना।
  • धारा 214: अपराधी को बचाने के बदले रिश्वत देना या संपत्ति वापस करना।
  • धारा 215: चोरी की संपत्ति वापस दिलाने में मदद के लिए रिश्वत लेना।
  • धारा 216: भागे हुए या पकड़े जाने के आदेश वाले अपराधी को छिपाना।
  • धारा 216क: लुटेरों या डाकुओं को छिपाने की सजा।
  • धारा 216ख: धारा 212, 216 और 216क में “छिपाना” का मतलब।
  • धारा 217: सरकारी कर्मचारी का किसी को सजा या संपत्ति जब्त होने से बचाने के लिए कानून न मानना।
  • धारा 218: सरकारी कर्मचारी का किसी को सजा या संपत्ति जब्त होने से बचाने के लिए गलत रिकॉर्ड बनाना।
  • धारा 219: जज या सरकारी कर्मचारी का कानूनी कार्यवाही में गलत रिपोर्ट देना।
  • धारा 220: हक होने पर भी जानबूझकर गैरकानूनी तरीके से किसी को जेल भेजना या रोकना।
  • धारा 221: पकड़ने के लिए कहे जाने पर सरकारी कर्मचारी का जानबूझकर न पकड़ना।
  • धारा 222: कैदी को पकड़ने के लिए कहे जाने पर सरकारी कर्मचारी का जानबूझकर न पकड़ना।
  • धारा 223: सरकारी कर्मचारी की लापरवाही से कैदी का भाग जाना।
  • धारा 224: किसी व्यक्ति का कानूनी तौर पर अपनी गिरफ्तारी का विरोध करना या बाधा डालना।
  • धारा 225: किसी और की कानूनी गिरफ्तारी का विरोध करना या बाधा डालना।
  • धारा 225क: जिन मामलों में अलग से नियम नहीं है, उनमें सरकारी कर्मचारी का पकड़ने में लापरवाही या कैदी का भाग जाना।
  • धारा 225ख: जिन मामलों में अलग से नियम नहीं है, उनमें कानूनी गिरफ्तारी का विरोध, बाधा या कैदी का भागना या छुड़ाना।
  • धारा 226: देश से निकाले जाने के बाद गैरकानूनी तरीके से वापस आना।
  • धारा 227: सजा से बचने की शर्त तोड़ना।
  • धारा 228: कोर्ट में बैठे जज का जानबूझकर अपमान करना या काम में रुकावट डालना।
  • धारा 228क: कुछ अपराधों के पीड़ितों की पहचान बताना।
  • धारा 229: जूरी सदस्य या आकलनकर्ता बनकर धोखा देना।
  • धारा 230: इस धारा में बताया गया है कि “सिक्का” किसे माना जाएगा।
  • धारा 231: अगर कोई नकली सिक्का बनाता है, तो उसे सजा मिलेगी।
  • धारा 232: जो कोई भारत का नकली सिक्का बनाता है, उसे और भी कड़ी सजा मिल सकती है।
  • धारा 233: नकली सिक्का बनाने का सामान बनाना या बेचना।
  • धारा 234: भारत का नकली सिक्का बनाने का सामान बनाना या बेचना।
  • धारा 235: नकली सिक्का बनाने का सामान रखना ताकि उसे इस्तेमाल कर सकें।
  • धारा 236: भारत के बाहर नकली सिक्का बनाने के लिए भारत में उकसाना।
  • धारा 237: नकली सिक्का बाहर से लाना या बाहर भेजना।
  • धारा 238: भारत का नकली सिक्का बाहर से लाना या बाहर भेजना।
  • धारा 239: नकली सिक्का देना, जबकि पता हो कि यह नकली है।
  • धारा 240: भारत का नकली सिक्का देना, जबकि पता हो कि यह नकली है।
  • धारा 241: नकली सिक्के को असली बताकर देना, जबकि पहली बार मिलने पर पता नहीं था।
  • धारा 242: नकली सिक्का रखना, जबकि पता हो कि यह नकली है।
  • धारा 243: भारत का नकली सिक्का रखना, जबकि पता हो कि यह नकली है।
  • धारा 244: टकसाल में काम करने वाले का सिक्के का वजन या धातु बदलना जो कानून में तय है।
  • धारा 245: टकसाल से सिक्का बनाने का सामान गैरकानूनी तरीके से ले जाना।
  • धारा 246: धोखे से सिक्के का वजन कम करना या धातु बदलना।
  • धारा 247: धोखे से भारत के सिक्के का वजन कम करना या धातु बदलना।
  • धारा 248: सिक्के का रूप बदलना ताकि वह दूसरे तरह का सिक्का लगे।
  • धारा 249: भारत के सिक्के का रूप बदलना ताकि वह दूसरे तरह का सिक्का लगे।
  • धारा 250: ऐसे सिक्के को देना जिसके बारे में पता हो कि उसका रूप बदला गया है।
  • धारा 251: भारत के ऐसे सिक्के को देना जिसके बारे में पता हो कि उसका रूप बदला गया है।
  • धारा 252: ऐसे सिक्के को रखना जिसका रूप बदला गया है और यह पता हो।
  • धारा 253: भारत के ऐसे सिक्के को रखना जिसका रूप बदला गया है और यह पता हो।
  • धारा 254: ऐसे सिक्के को असली बताकर देना जिसका रूप बदला गया हो, जबकि पहली बार मिलने पर पता नहीं था।
  • धारा 255: सरकारी स्टाम्प की नकल बनाना।
  • धारा 256: सरकारी स्टाम्प की नकल बनाने का सामान रखना।
  • धारा 257: सरकारी स्टाम्प की नकल बनाने का सामान बनाना या बेचना।
  • धारा 258: नकली सरकारी स्टाम्प बेचना।
  • धारा 259: नकली सरकारी स्टाम्प रखना।
  • धारा 260: नकली सरकारी स्टाम्प को असली बताकर इस्तेमाल करना।
  • धारा 261: सरकार को नुकसान पहुँचाने के लिए सरकारी स्टाम्प पर लिखी चीज़ मिट
  • धारा 262: ऐसे सरकारी स्टाम्प का इस्तेमाल करना जिसके बारे में पता हो कि वह पहले इस्तेमाल हो चुका है।
  • धारा 263: स्टाम्प के इस्तेमाल होने का निशान मिटाना।
  • धारा 263क: नकली स्टाम्प बनाना मना है।
  • धारा 264: गलत तौल के उपकरणों का धोखे से इस्तेमाल करना।
  • धारा 265: गलत बाट या माप का धोखे से इस्तेमाल करना।
  • धारा 266: गलत बाट या माप रखना।
  • धारा 267: गलत बाट या माप बनाना या बेचना।
  • धारा 268: आम लोगों के लिए परेशानी पैदा करना।
  • धारा 269: लापरवाही से ऐसा काम करना जिससे खतरनाक बीमारी फैल सकती है।
  • धारा 270: जानबूझकर ऐसा काम करना जिससे खतरनाक बीमारी फैल सकती है।
  • धारा 271: क्वारंटीन के नियमों को न मानना।
  • धारा 272: बेचने के लिए खाने-पीने की चीज़ों में मिलावट करना।
  • धारा 273: नुकसानदायक खाना या पीना बेचना।
  • धारा 274: दवाओं में मिलावट करना।
  • धारा 275: मिलावटी दवाएँ बेचना।
  • धारा 276: एक दवा को दूसरी बताकर बेचना।
  • धारा 277: सार्वजनिक पानी के स्रोत को गंदा करना।
  • धारा 278: हवा को सेहत के लिए नुकसानदायक बनाना।
  • धारा 279: सड़क पर तेज़ी और लापरवाही से गाड़ी चलाना।
  • धारा 280: पानी के जहाज़ को तेज़ी और लापरवाही से चलाना।
  • धारा 281: गलत रोशनी, निशान या बोया दिखाना।
  • धारा 282: ज़्यादा भरी या खराब जहाज़ में लोगों को भाड़े पर ले जाना।
  • धारा 283: सड़क या रास्ते में खतरा या रुकावट पैदा करना।
  • धारा 284: ज़हरीले पदार्थों के साथ लापरवाही बरतना।
  • धारा 285: आग या ज्वलनशील पदार्थों के साथ लापरवाही बरतना।
  • धारा 286: विस्फोटक पदार्थों के साथ लापरवाही बरतना।
  • धारा 287: मशीनरी के साथ लापरवाही बरतना।
  • धारा 288: किसी इमारत को गिराने या मरम्मत करने में लापरवाही बरतना।
  • धारा 289: जानवरों के साथ लापरवाही बरतना।
  • धारा 290: जिन मामलों में अलग से नियम नहीं है, उनमें आम लोगों के लिए परेशानी पैदा करने की सजा।
  • धारा 291: न्यूसेंस बंद करने के आदेश के बाद भी उसे जारी रखना।
  • धारा 292: अश्लील किताबें आदि बेचना।
  • धारा 292क: ऐसी चीजें छापना जो बहुत खराब हों या ब्लैकमेल के लिए हों।
  • धारा 293: जवान लोगों को अश्लील चीजें बेचना।
  • धारा 294: अश्लील हरकतें और गाने।
  • धारा 294क: लॉटरी का ऑफिस चलाना।
  • धारा 295: किसी धर्म का अपमान करने के लिए पूजा की जगह को नुकसान पहुँचाना या गंदा करना।
  • धारा 296: धार्मिक सभा में बाधा डालना।
  • धारा 297: कब्रिस्तान आदि में बिना इजाजत घुसना।
  • धारा 298: जानबूझकर ऐसी बातें कहना जिससे किसी की धार्मिक भावनाएँ आहत हों।
  • धारा 299: गैर-इरादतन हत्या (जान लेने का इरादा न हो)।
  • धारा 300: हत्या (जान लेने का इरादा हो)।

IPC की धारा 301 – 400 तक

  • धारा 301: जिसका मारना चाहा उससे अलग कोई मर जाए, तो भी गैर-इरादतन हत्या।
  • धारा 302: हत्या करने की सजा।
  • धारा 303: उम्रकैद की सजा पाए कैदी द्वारा हत्या करने की सजा।
  • धारा 304: गैर-इरादतन हत्या की सजा, जो हत्या नहीं है।
  • धारा 304क: लापरवाही से किसी की मौत हो जाना।
  • धारा 304ख: दहेज के लिए पत्नी की मौत होना।
  • धारा 305: बच्चे या पागल व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाना।
  • धारा 306: किसी को आत्महत्या के लिए उकसाना।
  • धारा 307: हत्या करने की कोशिश करना।
  • धारा 308: गैर-इरादतन हत्या की कोशिश करना।
  • धारा 309: आत्महत्या करने की कोशिश करना।
  • धारा 310: ठग (धोखे से लोगों को लूटने वाला)।
  • धारा 311: ठगी करने की सजा।
  • धारा 312: किसी का गर्भ गिराना कानूनन अपराध है।
  • धारा 313: अगर औरत नहीं चाहती और उसका गर्भ गिराया जाए, तो यह और भी बड़ा अपराध है।
  • धारा 314: गर्भपात करने के चक्कर में अगर औरत की जान चली जाए, तो यह गैर-इरादतन हत्या जैसा है।
  • धारा 315: पैदा होने से पहले या तुरंत बाद बच्चे को मारना कानून के खिलाफ है।
  • धारा 316: ऐसा काम करना जिससे पेट में पल रहा जिंदा बच्चा मर जाए, गैर-इरादतन हत्या कहलाता है।
  • धारा 317: माँ-बाप या देखभाल करने वालों का छोटे बच्चे को अकेला छोड़ देना गलत है।
  • धारा 318: मरे हुए बच्चे को छिपाकर उसके जन्म की बात छुपाना अपराध है।
  • धारा 319: किसी को भी चोट पहुँचाना कानून के खिलाफ है।
  • धारा 320: किसी को ऐसी चोट पहुँचाना जो बहुत गंभीर हो, कानून में बड़ा अपराध है।
  • धारा 321: जानबूझकर किसी को चोट पहुँचाना अपराध है।
  • धारा 322: जानबूझकर किसी को गंभीर चोट पहुँचाना और भी बड़ा अपराध है।
  • धारा 323: जानबूझकर किसी को चोट पहुँचाने पर सजा मिलती है।
  • धारा 324: अगर खतरनाक हथियार से जानबूझकर चोट पहुँचाई जाए, तो और कड़ी सजा मिलती है।
  • धारा 325: जानबूझकर किसी को गंभीर चोट पहुँचाने पर कानून में सजा का प्रावधान है।
  • धारा 326: खतरनाक हथियार से जानबूझकर गंभीर चोट पहुँचाने पर बहुत कड़ी सजा मिलती है।
  • धारा 326क: एसिड हमला करना।
  • धारा 326ख: एसिड हमला करने की कोशिश करना।
  • धारा 327: संपत्ति या कीमती चीज़ लेने या गैरकानूनी काम करवाने के लिए जानबूझकर चोट पहुँचाना।
  • धारा 328: अपराध करने के इरादे से ज़हर आदि से चोट पहुँचाना।
  • धारा 329: संपत्ति लेने या गैरकानूनी काम करवाने के लिए जानबूझकर गंभीर चोट पहुँचाना।
  • धारा 330: कबूल करवाने या संपत्ति वापस लेने के लिए जानबूझकर चोट पहुँचाना।
  • धारा 331: कबूल करवाने या संपत्ति वापस लेने के लिए जानबूझकर गंभीर चोट पहुँचाना।
  • धारा 332: सरकारी कर्मचारी को उसका काम करने से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुँचाना।
  • धारा 333: सरकारी कर्मचारी को उसका काम करने से रोकने के लिए जानबूझकर गंभीर चोट पहुँचाना।
  • धारा 334: उकसाने पर जानबूझकर चोट पहुँचाना।
  • धारा 335: उकसाने पर जानबूझकर गंभीर चोट पहुँचाना।
  • धारा 336: ऐसा काम करना जिससे दूसरों की जान या सुरक्षा खतरे में पड़े।
  • धारा 337: ऐसे काम से चोट पहुँचाना जिससे जान या सुरक्षा खतरे में हो।
  • धारा 338: ऐसे काम से गंभीर चोट पहुँचाना जिससे जान या सुरक्षा खतरे में हो।
  • धारा 339: किसी को गलत तरीके से रोकना।
  • धारा 340: किसी को गलत तरीके से कैद करना।
  • धारा 341: किसी को गलत तरीके से रोकने की सजा।
  • धारा 342: किसी को गलत तरीके से कैद करने की सजा।
  • धारा 343: किसी को तीन या ज़्यादा दिन तक गलत तरीके से कैद करना।
  • धारा 344: किसी को दस या ज़्यादा दिन तक गलत तरीके से कैद करना।
  • धारा 345: ऐसे व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करना जिसे छोड़ने का आदेश हो।
  • धारा 346: किसी को गुप्त जगह पर गलत तरीके से कैद करना।
  • धारा 347: संपत्ति लेने या गैरकानूनी काम करवाने के लिए गलत तरीके से कैद करना।
  • धारा 348: कबूल करवाने या संपत्ति वापस लेने के लिए गलत तरीके से कैद करना।
  • धारा 349: अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करना।
  • धारा 350: किसी को डराने या नुकसान पहुँचाने के लिए ताकत का इस्तेमाल करना।
  • धारा 351: किसी को डराने या मारने के लिए हाथ उठाना या कोई हरकत करना हमला कहलाता है।
  • धारा 352: बिना किसी वजह के हमला करने या अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करने पर सजा मिलती है।
  • धारा 353: अगर कोई सरकारी कर्मचारी अपना काम कर रहा हो और उस पर हमला किया जाए या ताकत का गलत इस्तेमाल हो, तो कड़ी सजा मिलती है।
  • धारा 354: किसी औरत की इज्जत खराब करने के इरादे से उस पर हमला करना या ताकत का गलत इस्तेमाल करना बड़ा अपराध है।
  • धारा 354क: किसी को गलत तरीके से छूना या यौन बातें करना यौन उत्पीड़न कहलाता है।
  • धारा 354ख: किसी औरत को नंगा करने के बुरे इरादे से कोई काम करना गंभीर अपराध है।
  • धारा 354ग: किसी औरत को छिपकर देखना गलत काम है।
  • धारा 354घ: किसी औरत का बार-बार पीछा करना या उसे परेशान करना अपराध है।
  • धारा 355: बिना बड़े उकसावे के किसी का अपमान करने के इरादे से हमला या ताकत का गलत इस्तेमाल करना।
  • धारा 356: हमला या ताकत का इस्तेमाल करके किसी से उसकी संपत्ति छीनने की कोशिश करना।
  • धारा 357: किसी को गलत तरीके से कैद करने की कोशिश में हमला या ताकत का गलत इस्तेमाल करना।
  • धारा 358: बड़े उकसावे पर हमला या ताकत का गलत इस्तेमाल करना।
  • धारा 359: अपहरण और गुलामी के बारे में।
  • धारा 360: भारत से बाहर ले जाना (व्यपहरण)।
  • धारा 361: कानूनी अभिभावक की देखरेख से हटाना (व्यपहरण)।
  • धारा 362: किसी को ज़बरदस्ती ले जाना (अपहरण)।
  • धारा 363: व्यपहरण की सजा।
  • धारा 363क: भीख मंगवाने के लिए बच्चे का व्यपहरण और उसे अपंग बनाना।
  • धारा 364: हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण करना।
  • धारा 364क: फिरौती आदि के लिए व्यपहरण।
  • धारा 365: किसी को छिपाने या गलत तरीके से कैद करने के इरादे से व्यपहरण या अपहरण करना।
  • धारा 366: शादी आदि के लिए मजबूर करने के लिए किसी औरत का व्यपहरण, अपहरण या बहकाना।
  • धारा 366क: नाबालिग लड़की को लाना (गैरकानूनी काम के लिए)।
  • धारा 366ख: विदेश से लड़की लाना (गैरकानूनी काम के लिए)।
  • धारा 367: किसी को गंभीर चोट पहुँचाने या गुलाम बनाने के इरादे से व्यपहरण या अपहरण करना।
  • धारा 368: व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छिपाना या कैद करना।
  • धारा 369: 10 साल से कम उम्र के बच्चे से चोरी करने के इरादे से उसका व्यपहरण या अपहरण करना।
  • धारा 370: इंसानों की तस्करी करना या उन्हें गुलाम के तौर पर खरीदना-बेचना।
  • धारा 371: आदतन गुलामों की तरह व्यवहार करना।
  • धारा 372: नाबालिग को वेश्यावृत्ति आदि के लिए बेचना।
  • धारा 373: नाबालिग को वेश्यावृत्ति आदि के लिए खरीदना।
  • धारा 374: गैरकानूनी तरीके से ज़बरदस्ती काम करवाना।
  • धारा 375: बलात्कार।
  • धारा 376: बलात्कार की सजा।
  • धारा 376क: अलग रहने के दौरान पति का पत्नी से संबंध बनाना।
  • धारा 376ख: सरकारी कर्मचारी का अपनी हिरासत में किसी औरत से संबंध बनाना।
  • धारा 376ग: जेल आदि के अधीक्षक का किसी औरत से संबंध बनाना।
  • धारा 376घ: अस्पताल के कर्मचारी का अस्पताल में किसी औरत से संबंध बनाना।
  • धारा 377: अप्राकृतिक यौन संबंध।
  • धारा 378: चोरी करना।
  • धारा 379: चोरी की सजा।
  • धारा 380: घर आदि में चोरी करना।
  • धारा 381: नौकर का मालिक की संपत्ति चुराना।
  • धारा 382: चोरी करते समय मौत, चोट या रोकने की तैयारी के बाद चोरी करना।
  • धारा 383: ज़बरदस्ती वसूली करना।
  • धारा 384: ज़बरदस्ती वसूली करने की सजा।
  • धारा 385: ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी को नुकसान का डर दिखाना।
  • धारा 386: किसी को मौत या गंभीर चोट का डर दिखाकर ज़बरदस्ती वसूली करना।
  • धारा 387: ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी को मौत या गंभीर चोट का डर दिखाना।
  • धारा 388: मौत या उम्रकैद की सजा वाले अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर ज़बरदस्ती वसूली करना।
  • धारा 389: ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी को अपराध का झूठा आरोप लगाने का डर दिखाना।
  • धारा 390: लूट (चोरी या ज़बरदस्ती वसूली करते समय हिंसा करना)।
  • धारा 391: डकैती (पांच या ज़्यादा लोग मिलकर लूट करना)।
  • धारा 392: लूट की सजा।
  • धारा 393: लूट करने की कोशिश करना।
  • धारा 394: लूट करते समय जानबूझकर किसी को चोट पहुँचाना।
  • धारा 395: डकैती की सजा।
  • धारा 396: डकैती के दौरान हत्या करना।
  • धारा 397: लूट या डकैती करते समय मौत या गंभीर चोट पहुँचाने की कोशिश करना।
  • धारा 398: खतरनाक हथियार लेकर लूट या डकैती करने की कोशिश करना।
  • धारा 399: डकैती करने की तैयारी करना।
  • धारा 400: डाकुओं के गिरोह का सदस्य होने की सजा।

IPC की धारा 401 – 511 तक

  • धारा 401: चोरों के गैंग का मेंबर होने पर सजा।
  • धारा 402: डकैती करने के लिए इकट्ठा होने पर सजा।
  • धारा 403: किसी की चीज़ का बेईमानी से गलत इस्तेमाल करना।
  • धारा 404: मरे हुए आदमी की चीज़ों का बेईमानी से गलत इस्तेमाल करना।
  • धारा 405: भरोसा तोड़ना (आपराधिक विश्वासघात)।
  • धारा 406: भरोसा तोड़ने की सजा।
  • धारा 407: नौकर वगैरह का भरोसा तोड़ना।
  • धारा 408: क्लर्क या नौकर का भरोसा तोड़ना।
  • धारा 409: सरकारी या बैंक कर्मचारी का भरोसा तोड़ना।
  • धारा 410: चोरी की हुई चीज़ें।
  • धारा 411: चोरी की चीज़ें जानकर भी लेना।
  • धारा 412: डकैती में लूटी हुई चीज़ें जानकर भी लेना।
  • धारा 413: चोरी की चीज़ों का धंधा करना।
  • धारा 414: चोरी की चीज़ें छिपाने में मदद करना।
  • धारा 415: धोखा देना।
  • धारा 416: किसी और का बनकर धोखा देना।
  • धारा 417: धोखा देने की सजा।
  • धारा 418: जानकर धोखा देना कि किसी अपने को नुकसान होगा।
  • धारा 419: किसी और का बनकर धोखा देने की सजा।
  • धारा 420: धोखा देकर कीमती चीज़ें ले लेना।
  • धारा 421: लेनदारों से बचाने के लिए संपत्ति छिपाना।
  • धारा 422: लेनदारों को पैसा मिलने से रोकना।
  • धारा 423: ऐसी संपत्ति बेचना जिसमें कीमत गलत बताई हो।
  • धारा 424: संपत्ति को बेईमानी से हटाना या छिपाना।
  • धारा 425: शरारत करना, नुकसान पहुँचाना।
  • धारा 426: शरारत करने की सजा।
  • धारा 427: 50 रुपए से ज़्यादा का नुकसान करने वाली शरारत।
  • धारा 428: 10 रुपए से ज़्यादा के जानवर को मारना या अपंग करना।
  • धारा 429: किसी भी जानवर या 50 रुपए से ज़्यादा के जानवर को मारना या अपंग करना।
  • धारा 430: सिंचाई के काम को नुकसान पहुँचाना या पानी का रास्ता बदलना।
  • धारा 431: सड़क, पुल, नदी को नुकसान पहुँचाना।
  • धारा 432: पानी के निकास में गंदा पानी डालना या रुकावट डालना।
  • धारा 433: लाइटहाउस या समुद्री निशान को खराब करना।
  • धारा 434: सरकारी निशान को हटाना या नुकसान पहुँचाना।
  • धारा 435: 100 रुपए (खेती में 10 रुपए) का नुकसान करने के लिए आग या विस्फोटक का इस्तेमाल करना।
  • धारा 436: घर वगैरह जलाने के इरादे से आग या विस्फोटक का इस्तेमाल करना।
  • धारा 437: बड़े जहाज़ को नुकसान पहुँचाना।
  • धारा 438: धारा 437 की सजा।
  • धारा 439: चोरी वगैरह के लिए जहाज़ को किनारे पर चढ़ा देना।
  • धारा 440: मार-पीट की तैयारी के बाद शरारत करना।
  • धारा 441: बिना इजाजत किसी की जगह घुसना (आपराधिक अतिचार)।
  • धारा 442: घर में बिना इजाजत घुसना।
  • धारा 443: छिपकर घर में बिना इजाजत घुसना।
  • धारा 444: रात में छिपकर घर में बिना इजाजत घुसना।
  • धारा 445: घर तोड़कर घुसना।
  • धारा 446: किसी इमारत में बिना इजाजत घुसना।
  • धारा 447: बिना इजाजत घुसने की सजा।
  • धारा 448: घर में बिना इजाजत घुसने की सजा।
  • धारा 449: मौत की सजा वाले अपराध के लिए घर में घुसना।
  • धारा 450: उम्रकैद की सजा वाले अपराध के लिए घर में घुसना।
  • धारा 451: जेल की सजा वाले अपराध के लिए घर में घुसना।
  • धारा 452: बिना इजाजत घर में घुसना और चोट पहुँचाने की तैयारी करना।
  • धारा 453: छिपकर घर में घुसने या घर तोड़ने की सजा।
  • धारा 454: जेल की सजा वाले अपराध के लिए छिपकर घर में घुसना या घर तोड़ना।
  • धारा 455: चोट पहुँचाने की तैयारी के बाद छिपकर घर में घुसना या घर तोड़ना।
  • धारा 456: रात में छिपकर घर में घुसने या घर तोड़ने की सजा।
  • धारा 457: जेल की सजा वाले अपराध के लिए रात में छिपकर घर में घुसना या घर तोड़ना।
  • धारा 458: चोट पहुँचाने की तैयारी के बाद रात में घर में घुसना।
  • धारा 459: छिपकर घर में घुसने या घर तोड़ते समय गंभीर चोट पहुँचाना।
  • धारा 460: रात में छिपकर घर में घुसने या घर तोड़ते समय किसी एक के मारने या गंभीर चोट पहुँचाने पर सब दोषी।
  • धारा 461: संपत्ति वाले डिब्बे को बेईमानी से तोड़ना या खोलना।
  • धारा 462: उसी अपराध की सजा, अगर वह किसी रखवाली करने वाले ने किया हो।
  • धारा 463: जालसाजी करना (नकली कागज़ बनाना)।
  • धारा 464: झूठा कागज़ बनाना।
  • धारा 465: जालसाजी की सजा।
  • धारा 466: कोर्ट या सरकारी रजिस्टर के नकली कागज़ बनाना।
  • धारा 467: कीमती कागज़, वसीयत वगैरह के नकली कागज़ बनाना।
  • धारा 468: धोखा देने के लिए नकली कागज़ बनाना।
  • धारा 469: किसी की बदनामी करने के लिए नकली कागज़ बनाना।
  • धारा 470: नकली कागज़।
  • धारा 471: नकली कागज़ को असली बताकर इस्तेमाल करना।
  • धारा 472: धारा 467 जैसे अपराध के लिए नकली नोट वगैरह बनाना या रखना।
  • धारा 473: दूसरी जालसाजी के लिए नकली नोट वगैरह बनाना या रखना।
  • धारा 474: धारा 466 या 467 के नकली कागज़ को असली मानकर रखना।
  • धारा 475: धारा 467 के कागज़ों के लिए नकली पहचान चिह्न बनाना या रखना।
  • धारा 476: धारा 467 से अलग कागज़ों के लिए नकली पहचान चिह्न बनाना या रखना।
  • धारा 477: वसीयत वगैरह को धोखे से रद्द करना या नष्ट करना।
  • धारा 477क: खातों में गड़बड़ी करना।
  • धारा 478: व्यापार चिह्न (ट्रेडमार्क)।
  • धारा 479: संपत्ति चिह्न (मार्क)।
  • धारा 480: नकली व्यापार चिह्न का इस्तेमाल करना।
  • धारा 481: नकली संपत्ति चिह्न का इस्तेमाल करना।
  • धारा 482: नकली संपत्ति चिह्न का इस्तेमाल करने की सजा।
  • धारा 483: किसी और के संपत्ति चिह्न की नकल करना।
  • धारा 484: सरकारी कर्मचारी के चिह्न की नकल करना।
  • धारा 485: संपत्ति चिह्न की नकल करने का सामान बनाना या रखना।
  • धारा 486: नकली संपत्ति चिह्न वाली चीजें बेचना।
  • धारा 487: सामान रखने के डिब्बे पर नकली चिह्न बनाना।
  • धारा 488: नकली चिह्न का इस्तेमाल करने की सजा।
  • धारा 489: नुकसान पहुँचाने के लिए संपत्ति चिह्न खराब करना।
  • धारा 489क: नकली नोट बनाना।
  • धारा 489ख: नकली नोट को असली बताकर इस्तेमाल करना।
  • धारा 489ग: नकली नोट रखना।
  • धारा 489घ: नकली नोट बनाने का सामान बनाना या रखना।
  • धारा 489ङ: असली जैसे दिखने वाले कागज़ बनाना या इस्तेमाल करना।
  • धारा 490: समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान ड्यूटी छोड़ना।
  • धारा 491: असहाय व्यक्ति की देखभाल का वादा तोड़ना।
  • धारा 492: दूर नौकरी करने का वादा तोड़ना जहाँ मालिक खर्चा देता है।
  • धारा 493: धोखे से शादी का वादा करके साथ रहना।
  • धारा 494: पति या पत्नी के जिंदा रहते दूसरी शादी करना।
  • धारा 495: पहली शादी छिपाकर दूसरी शादी करना।
  • धारा 496: बिना कानूनी शादी किए धोखे से शादी की रस्म करना।
  • धारा 497: व्यभिचार (अब अपराध नहीं)।
  • धारा 498: शादीशुदा औरत को बहकाकर ले जाना या छिपाना।
  • धारा 498क: पत्नी या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता करना।
  • धारा 499: मानहानि (झूठी बात कहकर इज्जत खराब करना)।
  • धारा 500: मानहानि की सजा।
  • धारा 501: जानबूझकर मानहानिकारक बात छापना या लिखना।
  • धारा 502: मानहानिकारक छपी या लिखी चीजें बेचना।
  • धारा 503: आपराधिक धमकी देना।
  • धारा 504: शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना।
  • धारा 505: ऐसी बातें कहना जिससे डर या गुस्सा फैले।
  • धारा 506: धमकी देना।
  • धारा 507: गुमनाम धमकी देना।
  • धारा 508: भगवान के नाम पर डराकर काम करवाना।
  • धारा 509: ऐसी बात कहना या हरकत करना जिससे औरत की इज्जत खराब हो।
  • धारा 510: नशे में धुत्त होकर सार्वजनिक जगह पर गलत हरकत करना।
  • धारा 511: ऐसे अपराध करने की कोशिश करना जिनकी सजा उम्रकैद या जेल है।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 

25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद, भारतीय न्याय संहिता (BNS) ने भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 का स्थान ले लिया है। पहले IPC में 511 धाराएं थीं, जबकि BNS में 356 धाराएं हैं। यहां कुछ प्रमुख प्रावधानों को सरल भाषा में समझाया गया है:

मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या)

  • IPC में सीधे तौर पर मॉब लिंचिंग का उल्लेख नहीं था, लेकिन हत्या के लिए धारा 101(2) के तहत दंड का प्रावधान था।
  • BNS के अनुसार, जाति, भाषा, जन्मस्थान या व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर पांच या अधिक लोगों द्वारा हत्या करने पर मृत्युदंड या सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

शादी का झूठा वादा

  • BNS की धारा 69 के अनुसार, शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाना अपराध है।
  • यदि कोई पुरुष किसी महिला से शादी का वादा करता है, लेकिन उसका इरादा नहीं है, और फिर भी सहमति से यौन संबंध बनाता है, तो 10 साल तक की कैद हो सकती है।

आत्महत्या का प्रयास

  • IPC में, आत्महत्या का प्रयास दंडनीय नहीं था।
  • BNS की धारा 224 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति सरकारी अधिकारी को उसके कर्तव्य से रोकने के लिए आत्महत्या का प्रयास करता है, तो एक साल तक की कैद या जुर्माना या सामुदायिक सेवा हो सकती है।

लैंगिक तटस्थता

  • BNS में, महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने (धारा 354A) और ताक-झांक (धारा 354C) के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को दंडित किया जा सकता है।
  • बच्चों से संबंधित अपराधों में भी दोनों लिंगों को गिरफ्तार किया जा सकता है।

फर्जी खबरें

  • राष्ट्रीय सद्भाव से संबंधित चिंताओं को संबोधित करने के लिए फर्जी खबरें फैलाने पर BNS की धारा 153B के तहत दंडित किया जा सकता है।

राजद्रोह

  • देश की अखंडता को खतरे में डालने वाले राजद्रोह के अपराधों के लिए BNS की धारा 150 में आजीवन कारावास या सात साल तक की कैद और जुर्माना का प्रावधान है।

अप्राकृतिक यौन अपराधों में समावेशिता

  • पहले आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिकता और अप्राकृतिक यौन गतिविधियाँ अपराध मानी जाती थीं। भारतीय न्याय संहिता (IPC 2.0) में बदलाव के बाद, वयस्कों की सहमति से अप्राकृतिक यौन कृत्यों को अपराध नहीं माना जाता, जिससे LGBTQ + अधिकारों की रक्षा होती है। हालाँकि, नाबालिगों, बिना सहमति के किए गए अप्राकृतिक यौन अपराधों और पशुगमन के मामलों में यह प्रावधान अभी भी लागू है।

मानहानि

  • आईपीसी 2.0 की धारा 356 के तहत मानहानि एक दंडनीय अपराध है, जिसमें अधिकतम दो साल की कैद, जुर्माना या सामुदायिक सेवा की सजा हो सकती है। यह प्रावधान लोगों की प्रतिष्ठा की रक्षा और उचित सजा को बढ़ावा देता है।

व्यभिचार

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के तहत, व्यभिचार पहले एक आपराधिक कृत्य माना जाता था और इसके लिए सजा निर्धारित थी। हालाँकि, आईपीसी 2.0 के लागू होने के बाद यह अब दंडनीय अपराध नहीं है। व्यभिचार को वैध बनाने का मतलब है कि भारत के वयस्क नागरिकों को राज्य के हस्तक्षेप के बिना अपने व्यक्तिगत संबंधों के बारे में निर्णय लेने के अधिकार को स्वीकार करना। इसका मतलब है कि देश का कानून और सरकार नागरिकों की व्यक्तिगत यौन और संबंध संबंधी पसंद से कोई लेना-देना नहीं रखते हैं।

वैवाहिक बलात्कार

  • आईपीसी की धारा 375 में बलात्कार को अपराध माना गया है, लेकिन वैवाहिक बलात्कार को इससे छूट दी गई है, जिसमें पत्नी की उम्र 15 वर्ष से अधिक होने पर पति द्वारा यौन संबंध बनाना अपराध नहीं है। भारत में वैवाहिक बलात्कार के लिए कोई कानूनी सजा का प्रावधान नहीं है, सामाजिक मानदंडों, दुरुपयोग की संभावना और विवाह की ‘पवित्रता’ को बनाए रखने के तर्क दिए जाते हैं।

पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता

  • आईपीसी की धारा 86 के अनुसार, यदि कोई महिला अपने पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता का शिकार होती है, तो उन्हें तीन साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।

FAQs 

भारतीय संविधान 448 या 470 में कितने अनुच्छेद हैं?

भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद, 25 भाग, 12 अनुसूचियां और 104 संशोधन हैं।

टोटल धारा कितनी है?

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में कुल 358 धाराएं हैं। वहीं, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में 511 धाराएं थीं।  बीएनएस में 175 धाराएं बदली गई हैं, 18 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, और 22 धाराएं खत्म हो गई हैं।

संविधान में कितनी भाषाएँ हैं?

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई है।

संविधान में कितने पन्ने हैं?

जब संव‍िधान बना था, तब इसमें 251 पन्‍ने थे।

मौलिक अधिकार कितने हैं?

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की संख्या छह है।

पुलिस में कुल कितनी धाराएं हैं?

भारतीय दंड संहिता में कुल 511 धाराएं हैं।

IPC कब लागू हुआ था?

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 6 अक्टूबर, 1860 को अधिनियमित हुई थी और 1 जनवरी, 1862 से लागू हुई थी।

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