पी सी महालनोबिस (P C Mahalanobis) एक विश्व प्रसिद्ध भारतीय सांख्यिकीविद् और भौतिक विज्ञानी थे। उन्हें भारतीय सांख्यिकी का जनक माना जाता है। बता दें कि उन्होंने पॉप्युलेशन स्टडीज में माप के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ‘महालनोबिस डिस्टेंस’ (Mahalanobis Distance) का आविष्कार किया था। इसके अलावा वे पहले ‘योजना आयोग’ (Planning Commission) के सदस्य थे। वर्ष 1932 में उन्होंने ‘भारतीय सांख्यिकी संस्थान’ (Indian Statistical Institute) स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। क्या आप जानते हैं कि वे ‘द्वितीय पंचवर्षीय योजना’ (1956-1961) के वास्तुकार थे जिसका मुख्य केंद्र उद्योग विशेषकर भारी औद्योगिक क्षेत्र थे।
पी सी महालनोबिस को शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में अपना अत्युलनीय योगदान देने के लिए वर्ष 1968 में भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ (Padma Vibhushan) से नवाजा गया था। भारत में हर वर्ष 29 जून को उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस’ (National Statistics Day) मनाया जाता है। आइए अब हम भारतीय सांख्यिकी के जनक पी सी महालनोबिस का जीवन परिचय और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | प्रोफेसर. प्रशांत चंद्र महालनोबिस (Prof. Prasanta Chandra Mahalanobis) |
उपनाम | “बंद्योपाध्याय” |
जन्म | 29 जून, 1893 |
जन्म स्थान | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
शिक्षा | प्रेसिंडेंसी कॉलेज- कलकत्ता यूनिवर्सिटी , किंग्स कॉलेज- कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी |
पिता का नाम | प्रबोध चंद्र महालनोबिस |
माता का नाम | निरोदबासिनी देवी |
पेशा | भारतीय सांख्यिकीविद्, भौतिक विज्ञानी, प्राध्यापक |
आविष्कार | ‘महालनोबिस डिस्टेंस’ (Mahalanobis Distance) |
संस्थापक सदस्य | ‘भारतीय सांख्यिकी संस्थान’, ‘राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय’, ‘केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ |
पत्नी का नाम | निर्मल कुमारी महालनोबिस |
पुस्तकें | Experiments in Statistical Sampling in the Indian Statistical Institute, Report on rainfall and floods in North Bengal 1870–1922 |
पुरस्कार | ‘पद्म विभूषण’ |
निधन | 28 जून, 1972, पश्चिम बंगाल |
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कोलकाता में हुआ था जन्म – P C Mahalanobis Ka Jivan Parichay
पी सी महालनोबिस (P C Mahalanobis) का जन्म 29 जून 1893 को तत्कालीन बंगाल प्रेसिडेंसी के कलकत्ता शहर में कॉर्नवॉलिस स्ट्रीट नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम ‘प्रबोध चंद्र महालनोबिस’ और माता का नाम ‘निरोदबासिनी देवी’ था। वे दो भाइयों और चार बहनों में सबसे बड़े थे।
पी सी महालनोबिस की शिक्षा
पी सी महालनोबिस की प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता के ब्रह्मो बॉयज़ स्कूल में हुई थी। फिर उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी के प्रेसिंडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया जहाँ जगदीश चंद्र बसु और प्रफुल्ल चंद्र रे उनके शिक्षक थे। प्रेसिंडेंसी कॉलेज से फिजिक्स में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड रवाना हो गए और ‘किंग्स कॉलेज’– कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई पूरी की।
बताया जाता है कि अपने अध्ययन के दौरान उन्होंने ‘बायोमेट्रिका’ नामक किताब पढ़ी। इस किताब को पढ़ने के बाद ही उनका रुझान सांख्यिकी की ओर बढ़ने लगा। जिसके बाद उन्होंने इस किताब के संस्करणों का पूरा सेट खरीद लिया। सांख्यिकी का गंभीर अध्ययन करने के बाद उन्हें यह ज्ञात हुआ कि मौसम विज्ञान और मानव-विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में सांख्यिकी का उपयोग किया जा सकता है।
वैवाहिक जीवन
पी सी महालनोबिस का विवाह ‘निर्मल कुमारी’ से हुआ था जो बंगाल के प्यूरिटन ब्रह्मो नेता और शिक्षाविद ‘हेरम्बा चंद्र मोइत्रा’ की बेटी थीं। निर्मल कुमारी ने सभी प्रयासों में उनकी मदद की और उनके जीवन पर बहुत प्रभाव डाला। वह अक्सर पी सी महालनोबिस के साथ उनके विदेश दौरों पर जाती थीं।
‘महालनोबिस दूरी’ और ‘द्वितीय पंचवर्षीय योजना’ के निर्माता
पी सी महालनोबिस ने सांख्यिकी में अतुलनीय योगदन दिया है, जिसमें ‘महालनोबिस दूरी’ (Mahalanobis Distance) भी शामिल है। इस सूत्र की सहायता से एक बिंदु और वितरण के बीच की दूरी को मापा जाता है। वे भारत में ‘मानवमिति’ (Anthropometry) के अध्ययन के क्षेत्र में अग्रणी थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण एवं नमूनाकरण विधियों के डिजाइन में मदद की थी।
इसके बाद उन्होंने ‘फेल्डमैन-महालनोबिस मॉडल’ (Feldman–Mahalanobis model) भी बनाया, जो आर्थिक विकास का एक नव-मार्क्सवादी मॉडल था जिसका उपयोग भारत की ‘द्वितीय पंचवर्षीय योजना’ (1956 -1961) में किया गया था।
पीसी महालनोबिस का योगदान
पीसी महालनोबिस ने वर्ष 1932 में ‘भारतीय सांख्यिकी संस्थान’ (ISI) की स्थापना की थी, जिसे वर्ष 1959 में राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान घोषित किया गया। फिर इसके एक वर्ष बाद ही उन्होंने ‘सांख्य: द इंडियन जर्नल ऑफ स्टैटिस्टिक्स’ (Sankhya, the Indian Journal of Statistics) की शुरुआत थी। वर्ष 1950 में उन्होंने ‘राष्ट्रीय पतिदर्श सर्वेक्षण संगठन’ (NSSO) की स्थापना और सांख्यिकीय गतिविधियों के समन्वय के लिये ‘केंद्रीय सांख्यिकी संगठन’ (CSO) की स्थापना में अपना योगदान दिया। वे स्वतंत्र भारत के पहले ‘योजना आयोग’ (Planning Commission) के महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक थे। जो वर्ष 1967 तक इस पद पर बने रहे।
पुरस्कार एवं सम्मान
पी सी महालनोबिस को सांख्यिकी और भौतिक शास्त्र के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1968 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा भी कई पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया था। भारतीय डाक विभाग ने भी उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था।
78 वर्ष की आयु में हुआ निधन
पी सी महालनोबिस (P C Mahalanobis) का 28 जून, 1972 को कलकत्ता में निधन हो गया था। किंतु आज भी उन्हें अपने कार्यों के लिए याद किया जाता है। इसके साथ ही भारत में हर वर्ष 29 जून को उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस’ (National Statistics Day) मनाया जाता है।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ भारतीय सांख्यिकी के जनक पी सी महालनोबिस का जीवन परिचय (P C Mahalanobis Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म 29 जून 1893 को तत्कालीन बंगाल प्रेसिडेंसी के कलकत्ता शहर में कॉर्नवॉलिस स्ट्रीट नामक स्थान पर हुआ था।
पी सी महालनोबिस एक भारतीय सांख्यिकीविद् और भौतिक विज्ञानी थे।
‘द्वितीय पंचवर्षीय योजना’ महालनोबिस के विचारों पर आधारित थी जिसने देश में तेजी से औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया।
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस को भारतीय सांख्यिकी का जन्म माना जाता है।
भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी।
28 जून, 1972 को 78 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था।
आशा है कि आपको भारतीय सांख्यिकी के जनक पी सी महालनोबिस का जीवन परिचय (P C Mahalanobis Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।