Madan Mohan Malviya Ka Jivan Parichay : मदन मोहन मालवीय, स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका और योगदान

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Madan Mohan Malviya Ka Jivan Parichay

Madan Mohan Malviya Ka Jivan Parichay : पंडित मदन मोहन मालवीय एक महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रख्यात शिक्षाविद, राजनेता, समाज सुधारक और सुविख्यात पत्रकार थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों व देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए समर्पित कर दिया था। वहीं, भारतीय उद्योगों को बढ़ावा देने एवं शिक्षा के प्रसार में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत के प्रतिष्ठित ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने ही वर्ष 1916 में की थी। इसके साथ ही मालवीय जी ने कई पत्रिकाओं का संपादन कार्य किया था जिनमें ‘अभ्युदय’, ‘मर्यादा’, ‘हिंदुस्तान’, ‘इंडियन यूनियन’ और दि लीडर (अंग्रेजी) प्रमुख हैं। 

मदन मोहन मालवीय को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ‘महामना’ की उपाधि दी थी। वहीं भारत के दूसरे राष्ट्रपति ‘डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने उन्हें ‘कर्मयोगी’ का दर्जा दिया था। 24 दिसंबर, 2014 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘प्रणब मुखर्जी’ ने पंडित मदनमोहन मालवीय को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था। वर्ष 2016 में भारतीय रेलवे ने मालवीय जी के सम्मान में नई दिल्ली-वाराणसी ‘महामना एक्सप्रेस’ (Mahamana Express) शुरू की थी।

आइए अब भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय का जीवन परिचय (Madan Mohan Malviya Ka Jivan Parichay) और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका और योगदान के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

नाम मदन मोहन मालवीय (Madan Mohan Malviya)
जन्म 25 दिसंबर, 1861
जन्म स्थान इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश 
शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय 
पेशा स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, शिक्षाविद, पत्रकार 
पार्टी हिंदू महासभा 
उपाधि ‘महामना’ 
स्थापना बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वर्ष 1916 
सम्मान भारत रत्न (मरणोपरांत)
निधन 12 नवंबर, 1946 वाराणसी  

मदन मोहन मालवीय का प्रारंभिक जीवन – Madan Mohan Malviya Ka Jivan Parichay

पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर, 1861 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। मालवीय जी बाल्यावस्था से ही अति प्रतिभाशली छात्र थे। उन्हें अंग्रेजी के उच्चारण और लेखन पर अधिकार प्राप्त था। इसके अलावा उन्हें संगीत में भी गहरी रूचि थी। प्रारंभिक शिक्षा अपने गृह क्षेत्र इलाहबाद विश्वविद्यालय से पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 1884 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी.ए. की परीक्षा पास की थी। किंतु पारिवारिक उत्तरदायित्व के कारण वह आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सकें। फिर एक स्थानीय राजकीय स्कूल में उन्होंने शिक्षक की नौकरी की और वर्ष 1891 में कानून की पढ़ाई पूरी की। जल्द ही वह ‘बार काउंसिल’ के प्रतिभाशाली सदस्य के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। 

हिंदी प्रेस की रखी आधारशिला 

पंडित मदन मोहन मालवीय ने पत्रकारिता में नई परम्पराओं की शुरुआत की थी व ‘हिंदी प्रेस’ की आधारशिला रखी थी। वे हमेशा प्रेस की स्वतंत्रता के लिए कार्य करते थे। उन्होंने बड़ी संख्या में संपादकों को प्रशिक्षित एवं प्रेरित किया था। वहीं ‘हिन्दुस्तान’ के संपादक के रूप में वह जनसमुदाय में बहुत लोकप्रिय हो गए थे। वर्ष 1907 में उन्होंने हिंदी साप्ताहिक ‘अभ्युदय’ का प्रकाशन शुरू किया था। फिर बंगाल विभाजन के समय उन्होंने भारतीयों की भावनाओं को संकलित करने के लिए वर्ष 1909 में अंग्रेजी दैनिक ‘दि लीडर’ समाचार पत्र की शुरुआत की। हिंदी मासिक पत्रिका ‘मर्यादा’ के प्रकाशन में भी मालवीय जी ने अपना योगदान दिया था। 

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना की 

पंडित मदन मोहन मालवीय ने शिक्षा के प्रसार और देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देने के उद्देश्य से 04 फरवरी 1916 को ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ की आधारशिला रखी थी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को स्थापित करने के लिए मालवीय जी को कई कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। बता दें कि वर्ष 1915 में ‘हिंदू महासभा’ (Hindu Mahasabha) की स्थापना में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

राष्ट्रीय आंदोलनों में लिया हिस्सा 

मालवीय जी (Madan Mohan Malviya Ka Jivan Parichay) कांग्रेस कमेटी के कुल चार बार अध्यक्ष चुने गए थे। वर्ष 1932 में दिल्ली में आयोजित होने वाले कांग्रेस के 47वें अधिवेशन की अध्यक्षता करने के आरोप में उन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने गिरफ्तार कर लिया था। क्योंकि उस दौरान कांग्रेस पार्टी पर क़ानूनी प्रतिबंध लगा हुआ था। फिर वर्ष 1933 में ‘महात्मा गांधीके नेतृत्व में चलाए गए राष्ट्रव्यापी आंदोलन ‘नमक सत्याग्रह’ और ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) में मालवीय जी ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था और जेल भी जाना पड़ा था। 

मालवीय जी ने सक्रिय राजनीति के दौरान ‘गिरमिटिया मज़दूरी’ प्रथा को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं, उनके अथक प्रयासों द्वारा देवनागरी लिपि को ब्रिटिश-भारतीय अदालतों में पेश किया गया था। किंतु वर्ष 1937 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया फिर भी वे भारतीय स्वतंत्रता के लिए कार्य करते रहे। 

वाराणसी में ली आखिरी साँस 

12 नवंबर, 1946 को 84 वर्ष की आयु में मालवीय जी का वाराणसी में निधन हो गया। लेकिन उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। वर्ष 2014 में उन्हें देश के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘प्रणब मुखर्जी’ ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था। भारतीय डाक विभाग में भी उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया है। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ “भारत रत्न” पंडित मदन मोहन मालवीय का जीवन परिचय (Madan Mohan Malviya Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

FAQs

मदन मोहन मालवीय का जन्म कहां हुआ था?

उनका जन्म 25 दिसंबर, 1861 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। 

महामना किसे कहते हैं?

पंडित मदन मोहन मालवीय को ‘महामना’ के नाम से भी जाना जाता है। 

मदन मोहन मालवीय जी की पत्नी का क्या नाम था?

उनकी पत्नी का नाम ‘कुंदन देवी’ था।

पंडित मदन मोहन मालवीय को महामना की उपाधि किसने दी?

महात्मा गांधी ने पंडित मदन मोहन मालवीय को ‘महामना’ की उपाधि दी थी। 

मदन मोहन मालवीय की मृत्यु कब हुई?

12 नवंबर, 1946 को 84 वर्ष की आयु में मालवीय जी का वाराणसी में निधन हो गया था। 

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की थी?

वर्ष 1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने वाराणसी में ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ की स्थापना की थी।

आशा है कि आपको पंडित मदन मोहन मालवीय का जीवन परिचय (Madan Mohan Malviya Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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