मदन मोहन मालवीय का जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

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मदन मोहन मालवीय का जीवन परिचय

पंडित मदन मोहन मालवीय एक महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रख्यात शिक्षाविद, राजनेता, समाज सुधारक और सुविख्यात पत्रकार थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों व देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए समर्पित कर दिया था। वहीं, भारतीय उद्योगों को बढ़ावा देने एवं शिक्षा के प्रसार में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत के प्रतिष्ठित ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ की स्थापना उन्होंने ही वर्ष 1916 में की थी। इसके साथ ही उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन कार्य किया था जिनमें ‘अभ्युदय’, ‘मर्यादा’, ‘हिंदुस्तान’, ‘इंडियन यूनियन’ और दि लीडर (अंग्रेजी) प्रमुख हैं। 

मदन मोहन मालवीय को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ‘महामना’ की उपाधि दी थी। वहीं भारत के दूसरे राष्ट्रपति ‘डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन’ ने उन्हें ‘कर्मयोगी’ का दर्जा दिया था। इस लेख में पंडित मदन मोहन मालवीय का जीवन परिचय और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका और योगदान के बारे में जानिए।

नाम मदन मोहन मालवीय
जन्म 25 दिसंबर, 1861
जन्म स्थान इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश 
शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय 
पेशा स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, शिक्षाविद, पत्रकार 
पार्टी हिंदू महासभा 
उपाधि ‘महामना’ 
स्थापना बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वर्ष 1916 
सम्मान भारत रत्न (मरणोपरांत)
निधन 12 नवंबर, 1946 वाराणसी  

मदन मोहन मालवीय का प्रारंभिक जीवन

पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर, 1861 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। मालवीय जी बाल्यावस्था से ही अति प्रतिभाशली छात्र थे। उन्हें अंग्रेजी के उच्चारण और लेखन पर अधिकार प्राप्त था। इसके अलावा उन्हें संगीत में भी गहरी रूचि थी। प्रारंभिक शिक्षा अपने गृह क्षेत्र इलाहबाद विश्वविद्यालय से पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 1884 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी.ए. की परीक्षा पास की थी।

किंतु पारिवारिक उत्तरदायित्व के कारण वह आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सकें। फिर एक स्थानीय राजकीय स्कूल में उन्होंने शिक्षक की नौकरी की और वर्ष 1891 में कानून की पढ़ाई पूरी की। जल्द ही वह ‘बार काउंसिल’ के प्रतिभाशाली सदस्य के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। 

हिंदी प्रेस की रखी आधारशिला 

पंडित मदन मोहन मालवीय ने पत्रकारिता में नई परम्पराओं की शुरुआत की थी व ‘हिंदी प्रेस’ की आधारशिला रखी थी। वे हमेशा प्रेस की स्वतंत्रता के लिए कार्य करते थे। मालवीय जी हिंदी पत्रकारिता में मार्गदर्शक भूमिका के लिए जाने जाते थे और अनेक युवा पत्रकार उनसे प्रभावित हुए। वहीं ‘हिंदुस्तान’ के संपादक के रूप में वह जनसमुदाय में बहुत लोकप्रिय हो गए थे।

वर्ष 1907 में उन्होंने हिंदी साप्ताहिक ‘अभ्युदय’ का प्रकाशन शुरू किया था। बंगाल विभाजन के बाद भारतीयों की भावना को अभिव्यक्त करने के लिए उन्होंने 1909 में अंग्रेजी दैनिक ‘द लीडर’ की शुरुआत की। वे इसके संस्थापक तथा प्रमुख संपादक रहे। हिंदी मासिक पत्रिका ‘मर्यादा’ के प्रकाशन में भी उन्होंने अपना योगदान दिया था। 

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना की 

पंडित मदन मोहन मालवीय ने शिक्षा के प्रसार और देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देने के उद्देश्य से 04 फरवरी 1916 को ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ की आधारशिला रखी थी। BHU को स्थापित करने के लिए उन्हें कई कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। वर्ष 1915 में ‘हिंदू महासभा’ की स्थापना में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

राष्ट्रीय आंदोलनों में लिया हिस्सा 

मालवीय जी कांग्रेस कमेटी के कुल चार बार अध्यक्ष चुने गए थे। वर्ष 1932 में दिल्ली में आयोजित होने वाले कांग्रेस के 47वें अधिवेशन की अध्यक्षता करने के आरोप में उन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने गिरफ्तार कर लिया था। क्योंकि उस दौरान कांग्रेस पार्टी पर क़ानूनी प्रतिबंध लगा हुआ था। फिर वर्ष 1933 में ‘महात्मा गांधी’ के नेतृत्व में चलाए गए राष्ट्रव्यापी आंदोलन ‘नमक सत्याग्रह’ और ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ में उन्होंने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। 

मालवीय जी ने सक्रिय राजनीति के दौरान ‘गिरमिटिया मज़दूरी’ प्रथा को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं, उनके अथक प्रयासों द्वारा देवनागरी लिपि को ब्रिटिश-भारतीय अदालतों में पेश किया गया था। किंतु वर्ष 1937 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया फिर भी वे भारतीय स्वतंत्रता के लिए कार्य करते रहे। 

वाराणसी में ली आखिरी साँस 

12 नवंबर, 1946 को 84 वर्ष की आयु में मालवीय जी का वाराणसी में निधन हो गया। लेकिन उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। वर्ष 2014 में उन्हें देश के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘प्रणब मुखर्जी’ ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था। भारतीय डाक विभाग ने भी उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया है। इसके अलावा वर्ष 2016 में भारतीय रेलवे ने उनके सम्मान में नई दिल्ली-वाराणसी ‘महामना एक्सप्रेस’ शुरू की है।

FAQs

मदन मोहन मालवीय का जन्म कहां हुआ था?

25 दिसंबर 1861 को मदन मोहन मालवीय का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था।

महामना किसे कहते हैं?

पंडित मदन मोहन मालवीय को ‘महामना’ के नाम से भी जाना जाता है। 

पंडित मदन मोहन मालवीय को महामना की उपाधि किसने दी?

महात्मा गांधी ने पंडित मदन मोहन मालवीय को ‘महामना’ की उपाधि दी थी। 

मदन मोहन मालवीय की मृत्यु कब हुई?

वाराणसी में मालवीय जी का निधन 12 नवंबर 1946 को 84 वर्ष की उम्र में हुआ था।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की थी?

वर्ष 1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने वाराणसी में ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ की स्थापना की थी।

आशा है कि आपको पंडित मदन मोहन मालवीय का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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