Ashfaqulla Khan in Hindi : अशफाक उल्ला खान का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के उन महान क्रांतिकारियों में गिना जाता है जिन्होंने देश के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। ऐतिहासिक ‘काकोरी कांड’ (Kakori conspiracy) में उन्होंने अपने आंदोलन को बढ़ावा देने व हथियार और गोला बारूद खरीदने के लिए ‘राम प्रसाद बिस्मिल’, ‘ठाकुर रोशन सिंह’, ‘राजेंद्र लाहिड़ी’ व अन्य ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRA) के सदस्यों के साथ मिलकर सरकारी खजाने को ले जा रही ट्रेन को लूट लिया था।
काकोरी ट्रेन डकैती के कारण अशफाक उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल और राजेंद्र लाहिड़ी को फांसी की सजा सुनाई गई थी। वहीं इस कांड में शामिल अन्य क्रांतिकारियों को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन क्रांतिकारियों में अशफाक उल्ला खान एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिनका पता अंग्रेज सरकार नहीं लगा पाई थी और उन्हें ढूंढने के लिए ब्रिटिश सरकार को खासी मशक्क्त करनी पड़ी थी।
आइए अब जानते हैं महान क्रांतिकारी शहीद अशफाक उल्ला खान का जीवन परिचय (Ashfaqulla Khan in Hindi) और काकोरी कांड से जुड़ी बातें।
नाम | अशफाक उल्ला खान (Ashfaqulla Khan) |
जन्म | 22 अक्टूबर, 1900 |
जन्म स्थान | शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | मोहम्मद शफीक उल्लाह खां |
माता का नाम | मज़हूरुन्निशां बेगम |
आंदोलन | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian independence movement) |
संगठन | ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRA) |
षड्यंत्र | काकोरी ट्रेन कांड |
मृत्यु | 19 December 1927 |
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उत्तर प्रदेश के शाहजँहा जिले में हुआ जन्म – Ashfaqulla Khan Biography in Hindi
महान क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खान का जन्म ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिमी प्रांत शाहजहांपुर में खैबर जनजाति के एक मुस्लिम पठान परिवार में 22 अक्टूबर, 1900 को हुआ था। उनके पिता का नाम ‘मोहम्मद शफीक उल्लाह खां’ था जबकि माता का नाम ‘मज़हूरुन्निशां बेगम’ था। वे छह भाई बहनों में सबसे छोटे थे। बताया जाता है कि बचपन में उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता था। बल्कि उनकी रूचि तैराकी, निशानेबाजी, घुड़सवारी में अधिक थी।
कविताएँ लिखने का था शौक
अशफाक उल्ला खान को कविताएँ लिखने का बहुत शौक था जिसमें में वे अपना तख़ल्लुस ‘हसरत’ लिखा करते थे। ये वो दौर था जब वर्ष 1920 में राष्ट्रपिता ‘महात्मा गांधी’ के नेतृत्व में संपूर्ण भारत में ‘अहसयोग आंदोलन’ अपने चरम पर था। बताया जाता है कि शुरुआत में अशफाकउल्ला खान, ‘महात्मा गांधी’ की विचारधारा से बहुत प्रभावित थे लेकिन वर्ष 1922 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में ‘चौरी-चौरा कांड’ (Chauri Chaura incident) के बाद जब गांधी ने ‘अहसयोग आंदोलन’ वापस ले लिया तो इस आंदोलन को रोकने के फैसले से युवाओं का मोहभंग हो गया। इन युवाओं में एक नाम अशफाकउल्ला खान का भी था।
‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ की स्थापना
वर्ष 1920 में अशफाक उल्ला खान की पहली बार रामप्रसाद बिस्मिल से मुलाकात हुई थी। वहीं अहसयोग आंदोलन वापस लेने के बाद अशफाकउल्ला खान ने रामप्रसाद बिस्मिल के साथ वर्ष 1924 में समान विचारधारा वाले स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया जिसका नाम ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRA) रखा गया। इस संगठन का उद्देश्य स्वतंत्र भारत के लिए सशस्त्र क्रांति का आयोजन करना था। आपको बता दें कि ‘चंद्रशेखर आज़ाद’, ‘भगत सिंह’, ‘शचींद्र नाथ बख्शी’ और ‘जोगेशचंद्र चटर्जी’ जैसे महान क्रांतिकारी भी इस संगठन के सदस्य थे।
काकोरी ट्रेन षड्यंत्र
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्यों का मानना था कि देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने के लिए हथियारों और धन की सख्त जरूरत थी। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए क्रांतिकारियों ने ‘काकोरी’ में ट्रेन से सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाई। फिर 9 अगस्त, 1925 को शाहजहाँपुर और लखनऊ के बीच चली डाउन ट्रेन को रामप्रसाद बिस्मिल, ‘चंद्रशेखर आज़ाद’ और अशफाक उल्ला खान सहित HRA के क्रांतिकारियों ने लूट लिया। हालांकि क्रांतिकारियों का मानना था कि यह खजाना ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों से ही हड़पा था। इसी ऐतिहासिक घटना को ‘काकोरी कांड’ (Kakori conspiracy) के नाम से जाना जाता है।
इंजीनियरिंग कंपनी में किया काम
जब ब्रिटिश सरकार को इस कांड की जानकारी मिली तो उन्होंने कठोर कार्यवाही शुरू कर दी। इसके बाद कई क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया जिसमें रामप्रसाद बिस्मिल भी शामिल थे। लेकिन अशफाक उल्ला खान और ‘चंद्रशेखर आजाद’ को पकड़ने में अंग्रेज सरकार के पसीने छूट गए लेकिन वो उनके हाथ नहीं आए। अशफाक उल्ला खान पहले छिप गए और बाद में बिहार से बनारस चले गए, जहाँ उन्होंने 10 महीने तक एक इंजीनियरिंग कंपनी में काम किया।
मिली फांसी की सजा
अशफाक उल्ला खान बाद में दिल्ली चले गए लेकिन उनके मित्र ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी जिसके बाद उन्हें 17 जुलाई 1926 को घर से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद सभी HRA के सदस्यों पर मुकदमा चलाया गया और राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, अशफाकउल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह को आरोपी साबित होने के बाद 19 दिसंबर 1927 को फैजाबाद जेल में फांसी की सजा हुई। जबकि अन्य क्रांतिकारियों को लंबे कारावास का सामना करना पड़ा। आपको बता दें कि ‘चंद्रशेखर आजाद’ एकमात्र प्रमुख HRA सदस्य थे जो अंग्रेजी सरकार की गिरफ्त से बचने में कामयाब रहे थे।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ महान क्रांतिकारी शहीद अशफाक उल्ला खान का जीवन परिचय (Ashfaqulla Khan in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में 22 अक्टूबर, 1900 को हुआ था।
उनकी माता का नाम ‘मज़हूरुन्निशां बेगम’ जबकि पिता का नाम ‘मोहम्मद शफीक उल्लाह खां’ था।
अशफ़ाक़ उल्ला खान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानी थे।
काकोरी कांड में शामिल होने के कारण उन्हें राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह के साथ 19 दिसंबर 1927 को फैजाबाद जेल में फांसी की सजा दी गई थी।
9 अगस्त 1925 को काकोरी ट्रेन डकैती को अंजाम दिया गया था।
आशा है कि आपको महान क्रांतिकारी शहीद अशफाक उल्ला खान का जीवन परिचय (Ashfaqulla Khan in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।