Dr Rajendra Prasad Ka Jeevan Parichay: डॉ. राजेंद्र प्रसाद आधुनिक भारत के प्रमुख निर्माताओं में से एक थे। वह एक अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी, प्रसिद्ध विधिवेत्ता, उत्कृष्ट सांसद, श्रेष्ठ प्रशासक, प्रख्यात राजनेता और महान मानवतावादी थे। संविधान सभा के अध्यक्ष होने के साथ ही उन्होंने लगातार दो कार्यकाल तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में देश की दशा-दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद को वर्ष 1930 में ‘नमक सत्याग्रह’ और वर्ष 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान जेल में रहना पड़ा था।
बताना चाहेंगे डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक महान राजनेता होने के साथ ही उच्चकोटि के साहित्यकार भी थे। उन्होंने कुछ समाचारपत्रों का संपादन करने के अतिरिक्त अंग्रेजी और हिंदी में अनेक पुस्तकें लिखी थीं। डॉ. प्रसाद ने इंडिया डिवाइडेड, एट द फ़ीट ऑफ महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद-आत्मकथा सहित कई पुस्तकें लिखी हैं। वर्ष 1962 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था। आइए अब इस ब्लॉग में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय (Dr Rajendra Prasad Ka Jeevan Parichay) और उनके कार्यों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) |
उपनाम | ‘राजेन बाबू’ |
जन्म | 03 दिसंबर, 1884 |
जन्म स्थान | जीरादेई गांव, सिवान, बिहार |
शिक्षा | डिपार्टमेंट ऑफ लॉ, कलकत्ता विश्वविद्यालय |
पिता का नाम | महादेव सहाय |
माता का नाम | कमलेश्वरी देवी |
पत्नी का नाम | राजवंशी देवी (Rajvanshi Devi) |
संतान | मृत्युंजय प्रसाद (Mrityunjaya Prasad) |
कार्य क्षेत्र | राजनेता, अधिवक्ता, पत्रकार, लेखक एवं स्वतंत्रता सेनानी |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-INC |
आंदोलन | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian independence movement) |
धारित पद | भारत के प्रथम राष्ट्रपति |
पुस्तकें | चंपारण में सत्याग्रह, इंडिया डिवाइडेड, एट द फ़ीट ऑफ महात्मा गांधी व राजेंद्र प्रसाद-आत्मकथा आदि। |
संपादन | ‘देश’ (हिंदी साप्ताहिक) ‘सर्चलाइट’ (अंग्रेजी पाक्षिक) |
पुरस्कार एवं सम्मान | भारत रत्न (1962) |
निधन | 28 फरवरी, 1963 पटना, बिहार |
जीवनकाल | 78 वर्ष |
This Blog Includes:
- बिहार के सिवान जिले में हुआ था जन्म – Dr Rajendra Prasad Ka Jeevan Parichay
- प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में एडमिशन लिया
- चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत
- स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गए जेल
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-INC के अध्यक्ष चुने गए
- भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने
- सन 1962 में “भारत रत्न” से किया गया सम्मानित
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पुस्तकें
- 78 वर्ष की आयु में हुआ निधन
- FAQs
बिहार के सिवान जिले में हुआ था जन्म – Dr Rajendra Prasad Ka Jeevan Parichay
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 03 दिसंबर, 1884 को बिहार के सारण (अब सिवान) जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। बताना चाहेंगे डॉ. राजेंद्र प्रसाद को प्यार से ‘राजेन बाबू’ कहा जाता था। इनके पिता का नाम ‘महादेव सहाय’ और माता का नाम ‘कमलेश्वरी देवी’ था। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे,डॉ. प्रसाद का एक बड़ा भाई और तीन बड़ी बहनें थीं।
प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में एडमिशन लिया
बताया जाता है कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद को अपनी प्रारंभिक शिक्षा पांच वर्ष की आयु में गांव के मौलवी से प्राप्त हुई थी। यहाँ उन्होंने फ़ारसी भी पढ़ी थी। बाद में उन्होंने छपरा जिले के एक हाई स्कूल में एडमिशन लिया। इसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा उच्च रैंक हासिल कर प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में एडमिशन लिया। यहां पढ़ाई करते हुए वह शीघ्र ही कॉलेज में लोकप्रिय हो गए और बाद में भारी मतों से कॉलेज यूनियन के सेक्रेटरी चुने गए।
फिर वर्ष 1915 में डॉ. प्रसाद ने ‘कलकत्ता विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ लॉ से मास्टर इन लॉ की परीक्षा उत्तीर्ण की और स्वर्ण पदक जीता। वहीं शिक्षा के उपरांत उन्होंने कलकत्ता में वकालत करनी शुरू कर दी। फिर वह वर्ष 1916 में पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) की स्थापना के बाद वकालत के लिए पटना आ गए।
चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत
डॉ. राजेंद्र प्रसाद वर्ष 1917 में महात्मा गांधी के संपर्क में आए ये वो समय था जब गांधीजी ने ब्रिटिश नील उत्पादकों के शोषण से किसानों को मुक्त कराने के लिए ‘चंपारण सत्याग्रह’ (Champaran Satyagraha) शुरू किया था। महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में उन्होंने बिहार के कई आंदोलनों को नई दिशा दी जिनका लक्ष्य राष्ट्र को स्वतंत्रता के निकट पहुँचाना और आर्थिक सुधार करना था। इसके बाद वह अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तरह ब्रिटिश हुकूमत की दासता से देश को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा बन गए।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गए जेल
वर्ष 1923 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने नागपुर में फ्लैग-सत्याग्रह में सक्रिय रूप से भाग लिया था। इस अवधि के दौरान वह सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) के संपर्क में आए। वहीं ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें वर्ष 1930 में ‘नमक सत्याग्रह’ (Salt Satyagraha) में भाग लेने के कारण गिरफ्तार कर लिया। फिर वर्ष 1942 में उन्हें पुनः‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) संबंधी प्रस्ताव पारित होने के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान उन्हें लगभग तीन वर्षों तक जेल में रहना पड़ा था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-INC के अध्यक्ष चुने गए
डॉ. राजेंद्र प्रसाद को वर्ष 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-INC का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। फिर वर्ष 1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वारा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिए जाने के बाद वह पुनः इस पद पर आसीन हुए। इसके बाद आचार्य जे.बी. कृपलानी द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद वह वर्ष 1947 में तीसरी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।
डॉ. प्रसाद वर्ष 1946 में ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ की अंतरिम सरकार में खाद्य और कृषि मंत्री के रूप शामिल हुए। इसके बाद जब स्वतंत्र भारत के लिए संविधान बनाने हेतु संविधान सभा की स्थापना की गई तो डॉ. प्रसाद को इस सभा का अध्यक्ष बनाया गया। फिर भारतीय संविधान को 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया और 26 जनवरी, 1950 को इसके संविधान को आत्मसात किया गया।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने
डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 24 जनवरी, 1950 को सर्वसम्मति से भारत का अंतरिम राष्ट्रपति चुना गया उन्होंने 26 जनवरी, 1950 को पद की शपथ ली थी। फिर वर्ष 1952 में वह भारत गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति चुने गए और वर्ष 1957 में उन्हें दोबारा भारत का राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया। 12 वर्ष तक राष्ट्रपति के पद को सुशोभित करने के पश्चात वह वर्ष 1962 में पदमुक्त हुए।
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सन 1962 में “भारत रत्न” से किया गया सम्मानित
डॉ. राजेंद्र प्रसाद को अपनी निःस्वार्थ सेवाओं के लिए वर्ष 1962 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” प्रदान किया गया था।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पुस्तकें
डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक उच्चकोटि के साहित्यकार भी थे। हिंदी के अलावा उन्हें फारसी, उर्दू, अंग्रेजी और संस्कृत आदि भाषाओं का गूढ़ ज्ञान था। उन्होंने अपने जीवनकाल में अंग्रेजी और हिंदी की अनेक पुस्तकें लिखी थीं। वहीं वर्ष 1920 के दशक के आरंभिक वर्षों में उन्होंने हिंदी साप्ताहिक “देश” और अंग्रेजी पाक्षिक “सर्चलाइट” का संपादन किया था। यहाँ डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय (Dr Rajendra Prasad Ka Jeevan Parichay) के साथ ही उनकी लिखी प्रमुख पुस्तकों की जानकारी दी गई है:-
- चंपारण में सत्याग्रह
- इंडिया डिवाइडेड
- महात्मा गांधी और बिहार, कुछ यादें
- एट द फ़ीट ऑफ महात्मा गांधी
- राजेंद्र प्रसाद-आत्मकथा
78 वर्ष की आयु में हुआ निधन
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सेवानिवृत्ति में अपने जीवन के अंतिम कुछ महीने पटना के ‘सदाकत आश्रम’ (Sadaquat Ashram) में बिताए थे। डॉ. प्रसाद का 28 फरवरी, 1963 को 78 वर्ष की आयु में निधन हुआ था।
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FAQs
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 03 दिसंबर, 1884 को बिहार के सारण (अब सिवान) जिले के जीरादेई गांव में हुआ था।
डॉ राजेंद्र प्रसाद के पिता का नाम महादेव सहाय था।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे, वे 26 जनवरी, 1950 से 13 मई 1962 तक इस पद पर आसीन रहे थे।
राजेंद्र प्रसाद ने किसानों को “अधिक भोजन उगाओ ” का नारा दिया था।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद आधुनिक भारत के प्रमुख निर्माताओं में से एक थे। वह एक अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी, प्रसिद्ध विधिवेत्ता, उत्कृष्ट सांसद, श्रेष्ठ प्रशासक, प्रख्यात राजनेता और महान मानवतावादी थे।
चंपारण में सत्याग्रह, इंडिया डिवाइडेड तथा एट द फ़ीट ऑफ महात्मा गांधी उनकी प्रमुख रचनाएं हैं।
राजेंद्र प्रसाद दो बार भारत के राष्ट्रपति बने थे।
डॉ राजेंद्र प्रसाद की पत्नी का नाम राजवंशी देवी (Rajvanshi Devi) था।
डॉ राजेंद्र प्रसाद का 28 फरवरी, 1963 को 78 वर्ष की आयु में निधन हुआ था।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय (Dr Rajendra Prasad Ka Jeevan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों के जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
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