Tulsidas Ka Jivan Parichay : तुलसीदास का जीवन परिचय, रामभक्ति शाखा, रचनाएँ एवं भाषा शैली 

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Tulsidas Ka Jivan Parichay

Tulsidas Ka Jivan Parichay : गोस्वामी तुलसीदास हिंदी के ‘भक्तिकाल’ की सगुण काव्य धारा में ‘रामभक्ति शाखा’ के सर्वोपरि कवि हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपना संपूर्ण जीवन प्रभु श्रीराम की भक्ति और उनके गुणों का गान करने के लिए समर्पित कर दिया। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ (Ramcharitmanas) हिंदी का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य माना जाता है। यह सात कांडों का प्रबंध काव्य है। इस महाकाव्य की रचना मुख्यतः दोहा और चौपाई छंद में हुई है। गोस्वामी तुलसीदास का ब्रज और अवधी भाषा पर असाधारण अधिकार था। तुलसीकृत बारह कृतियाँ प्रमाणिक मानी जाती हैं परंतु ‘रामचरितमानस’, ‘विनयपत्रिका’, ‘गीतावली’, ‘कवितावली’ और ‘वैराग्य संदीपनी’ ही उनकी ख्याति के आधार हैं। 

गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं के दोहें और चौपाइयों को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी तुलसीदास का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। 

आइए अब ‘रामभक्ति शाखा’ के महाकवि गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय (Tulsidas Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas)
उपनाम रामबोला
जन्म सन 1532 
जन्म स्थान राजापुर गाँव, बाँदा जिला, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम आत्माराम दुबे
माता का नाम हुलसी
गुरु नरहरिदास 
पत्नी का नाम रत्नावली 
दर्शन वैष्णव 
विधा पद्य 
प्रमुख रचनाएँ ‘रामचरितमानस’, ‘विनयपत्रिका’, ‘गीतावली’, ‘कवितावली’ और ‘वैराग्य संदीपनी’ आदि। 
भाषा अवधी, ब्रज 
साहित्य काल भक्तिकाल (रामभक्ति शाखा)
देहावसानसन 1632 

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय – Goswami Tulsidas ka Jivan Parichay

गोस्वामी तुलसीदास के जन्म एवं मृत्युकाल से संबंधित प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। किंतु अनेक विद्वानों द्वारा माना जाता है कि तुलसीदास का जन्म सन 1532 में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर नामक गांव में हुआ था। वहीं कुछ विद्वान उनका जन्म स्थान सोरों, एटा जनपद भी मानते हैं। तुलसी के पिता का नाम ‘आत्माराम दुबे’ जबकि माता का नाम ‘हुलसी’ था। तुलसीदास का बचपन का नाम ‘रामबोला’ था। बताया जाता है कि तुलसी का प्रारंभिक जीवन घोर कष्ट में बीता था। बाल्यावस्था में ही उनका माता-पिता से बिछोह हो गया था। जिसके कारण उन्हें भिक्षाटन द्वारा जीवन-यापन करने को विवश होना पड़ा था। 

गुरु नरहरिदास से मिला राम भक्ति का मार्ग

गोस्वामी तुलसीदास को ‘गुरु नरहरिदास’ (Narharidas) की कृपा से राम भक्ति का मार्ग मिला था। वहीं ‘रत्नावली’ से उनका विवाह होना और उनकी बातों से प्रभावित होकर तुलसी का गृहत्याग करके वैरागय धारण करने की कथा प्रचलित है लेकिन इसका पर्याप्त प्रमाण नहीं मिलता। ‘हिंदी साहित्य का बृहत् इतिहास’ (Hindi Sahitya Ka Brihat Itihas) के अनुसार, तुलसी का विवाह तारपिता गांव के ब्राह्मण की कन्या ‘रत्नावली’ से हुआ था। कुछ वर्ष के वैवाहिक जीवन के बाद जब उनकी पत्नी मायके गई तब वे भी उनके पीछे ससुराल चले गए। किंतु पत्नी की चेतावनी सुनकर उन्होंने वैरागय ग्रहण कर लिया। 

रामचरितमानस महाकाव्य का किया सृजन 

पारिवारिक जीवन से विरक्त होने के बाद गोस्वामी तुलसीदास काशी, चित्रकूट, अयोध्या आदि तीर्थ स्थानों का भ्रमण करते रहे। माना जाता है कि सन 1574 में अयोध्या में उन्होंने ‘रामचरितमानस’ महाकाव्य की रचना प्रारंभ की, जिसका कुछ अंश उन्होंने काशी में भी लिखा। इसके बाद उन्होंने कई अन्य ग्रंथों की रचना की। तुलसी ने अपना बाकी जीवन काशी में प्रभु श्रीराम कथा का गान करते हुए गुजारा। सन 1623 के लगभग उन्होंने काशी में ही अपना शरीर त्याग दिया। 

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तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ – Tulsidas Ki Rachnaye

गोस्वामी तुलसीदास (Tulsidas Ka Jivan Parichay) लोकमंगल की साधना के कवि हैं, उन्हें समन्वय का कवि भी कहा जाता है। तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ हिंदी का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य माना जाता है। बता दें कि तुलसीकृत बारह कृतियाँ प्रामाणिक मानी जाती हैं। यहाँ तुलसीदास की सभी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी जा रही है, जो कि इस प्रकार हैं :-

तुलसीदास की रचना का नामभाषा 
रामचरितमानसअवधी
विनयपत्रिकाअवधी
गीतावलीब्रजभाषा
कवितावलीब्रजभाषा
दोहावलीअवधी
हनुमान-वाहकअवधी
जानकीमंगलअवधी
वैराग्य संदीपनीअवधी
कृष्ण गीतावलीब्रजभाषा
पार्वती मंगल अवधी
रामलला नहछू अवधी
बरवै रामायणअवधी

तुलसीदास की भाषा शैली – Tulsidas Ki Bhasha Shaili 

गोस्वामी तुलसीदास को संस्कृत, अवधी और ब्रज भाषा पर असाधारण अधिकार था। वे लोकमंगल की साधना के कवि के रूप में विख्यात हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण यह है कि उन्होंने शास्त्रीय भाषा संस्कृत के स्थान पर लोक जन की भाषा अवधी और ब्रज भाषा को साहित्य रचना के रूप में चुना था। ‘रामचरितमानस’ महाकाव्य की रचना मुख्यतः दोहा और चौपाई छंद में हुई है। इसकी भाषा अवधी है। जबकि गीतावली, कवितावली, और कृष्ण गीतावली ब्रजभाषा में रचित पद शैली की रचनाएँ हैं। गोस्वामी तुलसीदास की लोक और शास्त्र दोनों में गहरी पैठ है। वहीं जीवन की व्यापक अनुभूति और मार्मिक प्रसंगों का उन्हें अचूक समझ हैं। यहीं विशेषता उन्हें महाकवि का दर्जा प्रदान करती है। 

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FAQs

तुलसी जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

तुलसीदास का जन्म सन 1532 में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर नामक गांव में हुआ था।

तुलसी की प्रमुख रचना कौन सी है?

रामचरितमानस, विनयपत्रिका, गीतावली, कवितावली और वैराग्य संदीपनी उनकी प्रमुख रचनाएँ मानी जाती हैं। 

तुलसीदास की 12 रचनाएं कौन-कौन सी हैं?

तुलसीदास की 12 रचनाएं रामचरितमानस, विनय पत्रिका, रामाज्ञा प्रश्न, दोहावली, वैराग्य संदीपनी, कृष्णगीतावली, पार्वती मंगल, कवितावली, बरवै रामायण, हनुमान-वाहक, रामलला नहछू और गीतावली हैं। 

तुलसीदास कितने वर्ष जीवित रहे थे?

तुलसीदास की मृत्यु 111 वर्ष की आयु में सन 1623 के आसपास हुई थी। 

तुलसीदास के गुरु कौन थे?

‘नरहरिदास’ गोस्वामी तुलसीदास के गुरू माने जाते है।

तुलसीदास की पत्नी कौन थी?

तुलसीदास की पत्नी का नाम रत्नावली था। 

तुलसीदास के बचपन का क्या नाम था?

तुलसीदास के बचपन का नाम रामबोला था।

तुलसीदास के माता-पिता का नाम क्या था?

उनकी माता का नाम ‘हुलसी’ था जबकि पिता का नाम ‘आत्माराम दुबे’ था।

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय (Tulsidas Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

आशा है कि आपको रामभक्ति शाखा के महाकवि गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय (Tulsidas Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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