Siyaramsharan Gupt : हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार सियारामशरण गुप्त का जीवन परिचय

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Siyaramsharan Gupt Ka Jivan Parichay

सियारामशरण गुप्त आधुनिक हिंदी साहित्य में द्विवेदीयुगीन साहित्यकार एवं राष्ट्रकवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ के छोटे भाई थे। उन पर गांधीवाद का विशेष प्रभाव रहा है। यही कारण है कि उनके समस्त साहित्य पर ‘महात्मा गांधी’ और उनके विचारों का प्रभाव रहा है। जैसे गांधी जी सत्य, अहिंसा और समता को आधार बनाकर राष्ट्रीय आंदोलन को गति प्रदान कर रहे थे। उसी तरह सियारामशरण गुप्त ने भी इन्हीं प्रधान तत्वों को अपनी साहित्यिक रचनाओं में शामिल किया। हिंदी साहित्य में सियारामशरण गुप्त को मुख्यतः एक कवि के रूप में प्रसिद्धि मिली है किंतु गद्य साहित्य में भी उन्होंने अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है। दीर्धकालीन हिंदी सेवा के लिए उन्हें वर्ष 1941 में ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ वाराणसी द्वारा ‘सुधाकर पदक’ से सम्मानित किया गया था। आइए अब हिंदी के समादृत साहित्यकार सियारामशरण गुप्त का जीवन परिचय (Siyaramsharan Gupt Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम सियारामशरण गुप्त (Siyaramsharan Gupt)
जन्म 04 सितंबर, 1895 
जन्म स्थान चिरगांव, झांसी जिला, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम सेठ रामचरण दास 
माता का नाम काशीबाई 
भाई मैथिलीशरण गुप्त (Maithili Sharan Gupt) 
पेशा साहित्यकार, कवि 
विधाएँ कविता, उपन्यास, काव्य नाटक, नाटक 
भाषा हिंदी 
साहित्य काल आधुनिक काल (द्विवेदी युग)
सम्मान ‘सुधाकर पदक’ नागरी प्रचारिणी सभा’ वाराणसी द्वारा सम्मानित 
मृत्यु 29 मार्च, 1963 

उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले में हुआ था जन्म – Siyaramsharan Gupt Ka Jivan Parichay

समादृत साहित्यकार सियारामशरण गुप्त का जन्म 04 सितंबर, 1895 को उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले में चिरगांव  नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘सेठ रामचरण’ था जबकि माता का नाम ‘काशीबाई’ था। वहीं राष्ट्रकवि की उपाधि से सम्मानितमैथिलीशरण गुप्त’ उनके बड़े भाई थे। बताया जाता है कि जब वह आठ वर्ष के थे तभी उनके पिता का आकस्मिक देहांत हो गया। इसके कुछ वर्ष बाद उनकी माता का भी निधन हो गया। जिसके बाद उनके बड़े भाई मैथिलीशरण गुप्त ने उन्हें सब प्रकार से संभाला। बाद में इन्हीं दोनों बंधुओं ने अपनी अनुपम साहित्यिक रचनाओं द्वारा न सिर्फ हिंदी साहित्य का समृद्ध किया बल्कि तत्कालीन राजनीतिक एवं सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। 

प्रारंभिक जीवन नहीं रहा सामान्य 

सियारामशरण गुप्त की प्रारंभिक शिक्षा चिरगांव में हुई थी। किंतु परिवार में आर्थिक संकट होने के कारण उनकी आगे की पढ़ाई न हो सकी। बताया जाता है कि धार्मिक प्रवृति के कारण वे घर पर ही संस्कृत के धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया करते थे। वहीं ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित प्रतिष्ठित ‘सरस्वती’ पत्रिका को पढ़कर उनमें लेखन की प्रेरणा जगी। वहीं साहित्य जगत में पर्दापण होने के बाद उनकी रचनाएँ ‘सरस्वती’ पत्रिका में भी छपी। 

गांधीवाद का रहा प्रभाव 

सियारामशरण गुप्त, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों और कार्यों से बहुत प्रभावित थे। वर्ष 1929 में गांधी जी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने समस्त साहित्य गांधीवादी विचारधारा से युक्त होकर ही रचा। उन्होंने अन्य साहित्यकारों एवं कवियों की तरह सक्रिय राजनीति में प्रवेश नहीं किया बल्कि साहित्य द्वारा ही स्वाधीनता आंदोलन के प्रेरणा स्त्रोत बने रहे। 

सियारामशरण गुप्त की साहित्यिक रचनाएँ – Siyaramsharan Gupt Ki Sahityik Rachnaye

सियारामशरण गुप्त ने द्विवेदी युग में मुख्यतः एक कवि के रूप में ख्याति पाई है। किंतु साहित्य की अन्य विधाओं में भी उन्होंने श्रेष्ठ कृतियों का सृजन किया है। माना जाता है कि उन्होंने वर्ष 1914 से काव्य लेखन की शुरुआत की और 1963 तक लगातार लिखते रहे। यहाँ उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में बताया गया हैं:-

काव्य-ग्रंथ

काव्य-ग्रंथप्रकाशन 
अनाथ वर्ष 1917 
दूर्वादल वर्ष 1924 
विषाद वर्ष 1925 
आद्रा वर्ष 1927 
आत्मोसर्ग वर्ष 1931 
पाथेय वर्ष 1934 
मृण्मयी वर्ष 1936 
मौर्यविजय वर्ष 1974 

उपन्यास 

  • गोद 
  • अंतिम आकांक्षा 
  • नारी 

काव्य नाटक 

  • उन्मुक्त 
  • गोपिका 

नाटक 

  • पुण्य पर्व 

सम्मान

सियारामशरण गुप्त को दीर्घकालीन साहित्य सेवाओं के लिए वर्ष 1941 में नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी द्वारा “सुधाकर पदक” से सम्मानित किया गया था। 

67 वर्ष की आयु में हुआ निधन 

बताया जाता है कि सियारामशरण गुप्त को श्वास रोग की बीमारी थी, जिससे वे आजीवन परेशान रहे। किंतु इन कठिनाइयों के बावजूद वह सदा क्रियाशील रहे और साहित्य सृजन में जुटे रहे। लेकिन 29 मार्च 1963 को 67 वर्ष की आयु में इस महान साहित्यकार ने अपनी आँखें सदा के लिए मूँद ली। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ समादृत साहित्यकार सियारामशरण गुप्त का जीवन परिचय (Siyaramsharan Gupt Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

FAQs

सियाराम शरण गुप्त का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उनका जन्म 04 सितंबर, 1895 को उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले में चिरगांव  नामक गांव में हुआ था।

सियाराम शरण गुप्त के माता-पिता का क्या नाम था?

सियाराम शरण गुप्त की माता का नाम काशी बाई जबकि पिता का नाम सेठ रामचरण दास था। 

सियाराम शरण गुप्त के बड़े भाई का क्या नाम था?

उनके बड़े भाई का नाम ‘मैथिलीशरण गुप्त’ था।

अंतिम आकांक्षा उपन्यास के लेखक कौन है?

अंतिम आकांक्षा, सियाराम शरण गुप्त का बहुचर्चित उपन्यास माना जाता है। 

सियाराम शरण गुप्त की मृत्यु कब हुई थी?

29 मार्च 1963 को 67 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था।

आशा है कि आपको समादृत साहित्यकार सियारामशरण गुप्त का जीवन परिचय (Siyaramsharan Gupt Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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