Mangal Pandey : आजादी के महानायक मंगल पांडे का जीवन परिचय 

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Mangal Pandey Ka Jeevan Parichay

Mangal Pandey Ka Jeevan Parichay : मंगल पांडे ‘भारतीय स्वाधीनता संग्राम’ के अग्रणी योद्धा थे जिन्होंने सन 1857 में ब्रिटिश हुकूमत को अपनी क्रांति की ज्वाला से हिला कर रख दिया था। ये वो समय था जब ईस्ट इंडिया कंपनी अपनी जड़ें पूरी तरह से भारत में जमा चुकी थी और उनके विरुद्ध बोलने की ताकत किसी में न थी। लेकिन कलकत्ता से कुछ मील दूर बैरकपुर की शांत छावनी से किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि यहीं से अंग्रजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाया जाएगा। वहीं इसी विद्रोह से शुरू होती है स्वतंत्रता की लड़ाई, जिसके अग्रदूत बने मंगल पांडे (Mangal Pandey)। हालांकि भारत को पूर्ण स्वराज मिलने में लगभग 100 वर्ष लग गए। इस वर्ष उनकी 197वीं जयंती है। आइए अब हम आजादी के महानायक मंगल पांडे का जीवन परिचय (Mangal Pandey Ka Jeevan Parichay) और उनके कार्यों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम मंगल पांडे (Mangal Pandey)
जन्म 19 जुलाई, 1827 
जन्म स्थान नगवा गांव, बलिया जिला, उत्तर प्रदेश 
पेशा सिपाही, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी 
पिता का नाम दिवाकर पांडे
माता का नाम अभय रानी 
नारा “मारो फिरंगी को”
मृत्यु 08 अप्रैल, 1857  
मृत्यु स्थान बैरकपुर, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश इंडिया

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था जन्म – Mangal Pandey Ka Jeevan Parichay

भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के अग्रदूत मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में नगवा नामक गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘दिवाकर पांडे’ तथा माता का नाम ‘अभय रानी’ था। बताया जाता है कि उस दौरान अधिकांश ब्राह्मण परिवार के बच्चे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती होते थे। इसलिए मंगल पांडे भी 22 वर्ष की आयु में सन 1849 में बंगाल की सेना में शामिल हो गए. वे बैरकपुर की सैनिक छावनी में ‘34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री’ की पैदल सेना के सिपाही थे।   

नई एनफील्ड बंदूक की कारतूस बनी विद्रोह की वजह

वर्ष 1856 में ईस्ट इंडिया कंपनी के सिपाहियों के लिए नई एनफील्ड पी बंदूक लाई गई जो पुरानी ब्राउन बैस बंदूक की तुलना में काफी शक्तिशाली और सटीक थी। लेकिन इस बंदूक को लोड करने से पहले कारतूस को दाँत से काटना पड़ता था। इस बीच भारतीय सैनिकों में यह खबर फैल गई कि इन कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उनकी घार्मिक भावनाएँ आहत होती हैं। 

वर्ष 1857 को कोलकाता के बैरकपुर परेड ग्राउंड में जब सेकेंड नेटिव इंफैंट्री के सिपाहियों ने इस बंदूक के कारतूस का इस्तेमाल के प्रति असहमति दिखाई और मंगल पांडे ने इसका पुरजोर विरोध किया। बताया जाता है कि इस विरोध के चलते ग्राउंड पर ‘लेफ्टिनेंट बी एच बो’ पहुंच गए और मंगल पांडे ने उनपर गोली से हमला कर दिया। लेकिन बो बचने में कामयाब हो गए। 

मंगल पांडे ने खुद को मारी गोली

इस घटना के बाद 34 नेटिव इंफ़ेंट्री के कमांडिंग अफ़सर भी वहाँ पहुंच गए और उन्होंने वहाँ मौजूद सभी सैनिकों को मंगल पांडे को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। लेकिन जब मंगल पांडे का किसी भी सैनिक ने साथ नहीं दिया और कुछ सैनिक उन्हें गिरफ्तार करने आए तो उन्होंने स्वयं को गोली मारने का प्रयास किया और बुरी तरह घायल हो गए। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार करके अस्पताल भेज दिया गया। 

मंगल पांडे को सुनाई गई फाँसी की सजा 

इसके बाद देशभर की सैनिक छावनियों में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ तेजी विद्रोह फैल गया। लेकिन मंगल पांडे सिपाही को फांसी की सजा सुना दी गई। पहले मंगल पांडे की फांसी की तारीख 18 अप्रैल मुकर्रर की गई थी लेकिन देशभर में आक्रोश न फैल जाए इसलिए उन्होंने 10 दिन पहले मंगल पांडे को फांसी पर लटका दिया। बता दें कि 1857 के विद्रोह में जान देने वाले मंगल पांडे पहले भारतीय थे। फिर इस घटना के गवाह ‘जमादार ईश्वरी प्रसाद’ को भी 21 अप्रैल, 1857 को फाँसी पर चढ़ा दिया गया। 

भारत सरकार ने जारी किया डाक टिकट 

बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा मंगल पांडे की 34वीं रेजिमेंट को सामूहिक सज़ा के तौर पर 1857 में भंग कर दिया था। वहीं स्वाधीनता की इस क्रांति को कुछ समय के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने दबा तो दिया लेकिन वो भारतीयों के भीतर सुलग रही क्रांति को खत्म नहीं कर सके और आगे चलकर उन्हें भारत छोड़कर जाना ही पड़ा। भारत सरकार ने वर्ष 1984 में वीर मंगल पांडे के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था. इसके साथ ही उनके जीवन पर फिल्म और नाटक प्रदर्शित हुए हैं व कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं।

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मंगल पांडे पर लिखी गई पुस्तकें 

यहाँ आजादी के महानायक मंगल पांडे का जीवन परिचय (Mangal Pandey Ka Jeevan Parichay) के साथ उनके जीवन पर लिखी गई कुछ प्रमुख पुस्तकों के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:- 

  • डेटलाइन 1857 रिवोल्ट अगेंस्ट द राज – रुद्रांशु मुखर्जी 
  • वाट रियली हैपेन्ड ड्यूरिंग द म्यूटिनी – पीजीओ टेलर
  • मंगल पाँडे द ट्रू स्टोरी ऑफ़ एन इंडियन रिवोल्यूशनरी – अमरेश मिश्रा

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पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय

यहाँ आजादी के महानायक मंगल पांडे का जीवन परिचय (Mangal Pandey Ka Jeevan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतपी सी महालनोबिसआर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs 

मंगल पांडे का जन्म कहां हुआ था?

उनका जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में नगवा गांव में हुआ था।

मंगल पांडे कहां के रहने वाले थे?

वे उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले थे।

मंगल पांडे के माता-पिता का क्या नाम था?

उनकी माता का नाम अभय रानी और पिता का नाम दिवाकर पांडे था।

मंगल पांडे ने क्या नारा दिया था?

“मारो फिरंगी को” उनका प्रसिद्ध नारा था।

मंगल पांडे को फांसी कब दी गई था? 

उन्हें 8 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई थी।

1857 के स्वतंत्रता संघर्ष में शहीद होने वाला पहला व्यक्ति कौन था?

मंगल पांडे 1857 के स्वतंत्रता संघर्ष में शहीद होने वाले व्यक्ति थे।

आशा है कि आपको आजादी के महानायक मंगल पांडे का जीवन परिचय (Mangal Pandey Ka Jeevan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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