आचार्य केशवदास का जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान

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Keshavdas Ka Jivan Parichay

केशवदास समय की दृष्टि से ‘भक्तिकाल’ के और प्रवृत्ति की दृष्टि से ‘रीतिकाल’ के कवि माने जाते हैं। हालांकि रीतिकाल में लक्षण-ग्रंथों की परंपरा केशवदास से ही प्रारंभ हुई है। उन्होंने ‘कविप्रिया’ और ‘रसिकप्रिया’ के माध्यम से इस परंपरा का सूत्रपात किया था। साहित्य के अलावा वे संगीत, धर्मशास्त्र, राजनीति, ज्योतिष और वैद्यक जैसे अनेक विषयों के गहन अध्ययनकर्ता थे। ‘रामचंद्रिका’ उनकी अनुपम काव्य कृति मानी जाती है।

केशवदास की रचनाएँ विद्यालयों के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं और कई शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। इसके साथ ही, UGC-NET में हिंदी विषय की परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए भी केशवदास का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन आवश्यक होता है।

नाम केशवदास
जन्म विवादास्पद; विभिन्न विद्वानों द्वारा अलग-अलग संवत स्वीकृत
जन्म स्थान ओरछा नगर, टीकमगढ़ जिला, मध्य प्रदेश 
आश्रयदाता महाराज इंद्रजीत सिंह एवं वीरसिंह देव बुंदेला
भाषा ब्रज 
विधा काव्य 
प्रमुख रचनाएँ रामचंद्रिका, ‘कविप्रिया’ और ‘रसिकप्रिया’ 
साहित्य काल रीतिकाल 
मृत्यु अनुमानित: संवत 1674–1680

मध्यप्रदेश के ओरछा नगर में हुआ था जन्म

ऐसा माना जाता है कि केशवदास का जन्म बेतवा नदी के तट पर स्थित ओरछा नगर में हुआ था। लेकिन उनकी जन्मतिथि को लेकर विद्वानों में भारी मतभेद हैं। ‘शिव सिंह सरोज’ के लेखक शिवसिंह सेंगर संवत 1624 को उनका जन्म वर्ष मानते हैं, जबकि ‘मिश्र बंधु’, ‘डॉ. रामकुमार वर्मा’, ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ एवं ‘रामनेरश त्रिपाठी’ संवत 1612 को स्वीकार करते हैं। जबकि ‘गौरीशंकर द्विवेदी’, ‘डॉ. किरणचंद्र शर्मा’, ‘लाला भगवानदीन’ एवं ‘डॉ. विजयपाल सिंह केशव’ का जन्म संवत 1618 में माना जाता है।

विद्वानों द्वारा माना जाता है कि केशवदास के पिता का नाम ‘काशीनाथ’ था। उनका कुल संस्कृत का प्रकांड विद्वान था। वहीं यह भी माना जाता है कि केशवदास विवाहित थे और इनकी संतानें भी थीं।

महाराज इंद्रजीत सिंह थे प्रधान आश्रयदाता 

ओरछापति महाराज इंद्रजीत सिंह, केशवदास के प्रधान आश्रयदाता थे, जिन्होंने उन्हें 21 गाँव भेंट स्वरूप दिए थे। केशवदास को वीरसिंह देव का भी आश्रय प्राप्त था। माना जाता है कि ओरछा दरबार की नर्तकी राय प्रवीण को कवि शिक्षा प्रदान करने के लिए केशवदास ने ‘कविप्रिया’ और ‘रसिकप्रिया’ ग्रंथों की रचना की थी। वहीं राज दरबार और राज परिवार में केशवदास को अत्यधिक सम्मान प्राप्त था।

केशवदास की रचनाएँ

केशवदास ने ही हिंदी में संस्कृत परंपरा की व्यवस्थित स्थापना की थी। हालांकि, उनके पहले भी रीतिग्रंथ लिखे गए थे, पर व्यवस्थित और सुस्पष्ट ग्रंथ सबसे पहले उन्होंने ही प्रस्तुत किए थे। नीचे केशवदास की प्रमुख प्रामाणिक रचनाओं के बारे में बताया गया है:-

  • रसिकप्रिया
  • कविप्रिया 
  • रामचंद्रिका 
  • वीरसिंह देव चरित 
  • विज्ञान गीता 
  • जहाँगीर जसचंद्रिका (रचनाकारिता विवादास्पद)
  • बता दें कि ‘रतनबावनी’ का रचनाकाल अज्ञात है किंतु इसे उनकी सर्वप्रथम रचना माना जाता है। 

केशवदास की भाषा शैली

केशवदास की रचनाओं में उनके तीन रूप आचार्य, महाकवि, और इतिहासकार स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। उनकी काव्यभाषा ब्रज भाषा है। बुंदेलखंड के निवासी होने के कारण उनकी रचनाओं में बुंदेली भाषा के शब्दों का अधिक प्रयोग देखने को मिलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में अलंकारों का भी भरपूर प्रयोग किया है। माना जाता है कि केशवदास ने संस्कृत आचार्य भामह और उदभट की परंपरा को हिंदी में प्रस्तुत किया है।

निधन 

केशवदास की जन्म तिथि की तरह उनकी मृत्यु तिथि भी विवादास्पद है। किंतु विद्वानों द्वारा माना जाता है कि उनका निधन संवत 1674 और 1680 के बीच हुआ था।

FAQs

केशव का जन्म कहां हुआ था?

उनका जन्म बेतवा नदी के तट पर स्थित ओरछा नगर में हुआ था।

केशव दास को आचार्य कवि क्यों कहा जाता है?

अपनी रचनाओं में पूर्णत: शास्त्रीय तथा रीतिबद्ध होने के कारण केशवदास हिंदी कविता के आचार्य कवि माने जाते हैं।

केशवदास जी की भाषा कौन सी है?

केशवदास की काव्यभाषा ब्रज है। 

केशवदास ने राम कथा से संबंधित कौनसे महाकाव्य की रचना की?

रामचंद्रिका, कवि केशवदास द्वारा लिखा गया महाकाव्य है।

आशा है कि आपको आचार्य केशवदास का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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