Banbhatt Ka Jivan Parichay: संस्कृत साहित्य के रचनाकारों में महाकवि बाणभट्ट उन विख्यात कवियों में से एक हैं जिनका विस्तृत जीवन परिचय हमें उनकी रचनाओं में प्राप्त हो जाता है। बाणभट्ट को ‘सम्राट हर्षवर्धन’ के समकालीन माना गया है। इसके अनुसार उनका समय 606 से 645 ई. तक माना जा सकता है। वहीं इस समयावधि के दौरान सम्राट हर्षवर्धन ने उत्तरी भारत में शासन था। आपको बता दें कि चीनी यात्री ‘ह्वेन त्सांग’ (Xuanzang) ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कुछ लेखों में राजा हर्षवर्धन और बाणभट्ट का वर्णन किया है। बाणभट्ट की दो प्रसिद्ध रचनाएँ ‘हर्षचरित’ और ‘कादंबरी’ को विद्वानों ने एक मत से स्वीकार किया है, जो संस्कृत गद्य साहित्य की अनुपम कृति मानी जाती है।
महाकवि बाणभट्ट की ‘हर्षचरित’ (आख्यायिका) और ‘कादंबरी’ (कथा) को बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में संस्कृत विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए बाणभट्ट का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब महाकवि बाणभट्ट का जीवन परिचय (Banbhatt Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | बाणभट्ट (Banbhatt) |
समय | 7वीं सदी |
जन्म स्थान | आरा जनपद, बिहार |
पिता का नाम | चित्रभानु |
माता का नाम | राजदेवी |
समकालीन | सम्राट हर्षवर्धन |
पेशा | कवि |
भाषा | संस्कृत |
विधा | काव्य, नाटक |
प्रमुख | हर्षचरित, कादंबरी |
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बिहार के आरा जनपद में हुआ था जन्म – Banbhatt Ka Jivan Parichay
महाकवि बाणभट्ट ने अपनी सर्वोत्कृष्ट रचना कादंबरी की भूमिका तथा हर्षचरित के प्रथम उच्छवासों में अपनी वंश परंपरा का विस्तृत वर्णन किया है। उनके पूर्वज बिहार के आरा जनपद में प्रीतिकूट के रहने वाले थे। बता दें कि बाणभट्ट के जन्म के बारे में कोई प्रमाणित जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन विद्वानों द्वारा वह सम्राट हर्षवर्धन के समकालीन माने जाते हैं।
उनके पिता का नाम ‘चित्रभानु’ जबकि माता का नाम ‘राजदेवी’ था। बताया जाता है कि अल्प आयु में ही उनकी माता का निधन हो गया था। इसके बाद उनके पिता ने उनका पालन पोषण किया किंतु जब वे 14 वर्ष के हुए उसी दौरान उनके पिता का भी स्वर्गवास हो गया।
किशोरावस्था में किया देश भ्रमण
पिता की आकस्मिक मृत्यु के बाणभट्ट ने अपने मित्रों के साथ समय व्यतीत करने लगे। विद्वानों द्वारा बताया जाता है कि उन्होंने किशोरावस्था में पूरा देश भ्रमण कर लिया था। इन यात्राओं से उन्हें विशिष्ट ज्ञान की प्राप्ति हुई जिसका प्रभाव उनकी रचनाओं में भी देखने को मिलता है।
सम्राट हर्षवर्धन के समकालीन
महाकवि बाणभट्ट, सम्राट हर्षवर्धन के समकालीन माने गए हैं। विश्व विख्यात चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने भी अपने भारत भ्रमण के कुछ लेखों में हर्षवर्धन और बाणभट्ट का वर्णन किया है। बाणभट्ट, सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल में राजसभा के सभापंडित थे। माना जाता है कि हर्षवर्धन ने उनकी बुद्धिमता से प्रसन्न होकर उन्हें राज्याश्रय प्रदान किया था। वहीं बाणभट्ट ने उनके चरित्र पर ‘हर्षचरित’ नामक रचना की जो उनके जीवन की श्रेष्ठ काव्य कृति मानी जाती है।
बाणभट्ट की भाषा शैली
महाकवि बाणभट्ट ने विषय के अनुरूप अपनी भाषा का प्रयोग किया है। इसके माध्यम से उनकी रचनाओं में कहीं लंबे समासों का प्रयोग तो कहीं समासरहित भाषा की सरलता दिखाई देती है। उनकी कृतियों में यमक, अनुप्रास, उत्प्रेक्षा और विरोधाभास अलंकारों का स्वभाविक प्रयोग भी देखने को मिलता है।
बाणभट्ट की प्रमुख रचनाएँ – Banbhatt Ki Rachna
महाकवि बाणभट्ट ने संस्कृत साहित्य में अनुपम कृतियों का सृजन कर न केवल संस्कृत साहित्य बल्कि विश्व के काव्यकारों में भी विशेष ख्याति प्राप्त की हैं। बाणभट्ट की प्रमुख रचनाएँ निम्न हैं –
- हर्षचरित (आख्यायिका)
- कादंबरी (कथा)
- चंडीशतकम (श्लोक स्तुति)
- मुकुटताडितक (नाटक)
- पार्वती-परिणय (नाटक)
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ महाकवि बाणभट्ट का जीवन परिचय (Banbhatt Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म सातवीं सदी में बिहार के आरा जनपद में प्रीतिकूट नामक स्थान पर हुआ था।
उनकी माता का नाम राजदेवी तथा पिता का नाम चित्रभानु था।
वे सम्राट हर्षवर्धन के समकालीन थे।
‘हर्षचरित’ और ‘कादंबरी’ उनकी श्रेष्ठ रचनाएँ मानी जाती हैं।
आशा है कि आपको महाकवि बाणभट्ट का जीवन परिचय (Banbhatt Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।