Subhadra Kumari Chauhan Ka Jivan Parichay: सुभद्रा कुमारी चौहान हिंदी की सुप्रसिद्ध राष्ट्रवादी कवयित्री और लेखिका थीं। बतानां चाहेंगे सन 1857 के संग्राम में ब्रिटिश हुकूमत को लोहा देने वाली ‘झांसी की रानी’ लक्ष्मीबाई की रणगाथा को आधार बनाकर उन्होंने एक लंबी कविता लिखी जिससे उन्हें खूब प्रसिद्धि मिली। वहीं ‘वीरों का कैसा हो वसंत’, ‘यह कदंब का पेड़’, ‘खिलौनेवाला’, ‘झिलमिल तारे’, ‘समर्पण’ व ‘पानी और धूप’ आदि उनकी प्रसिद्ध कविताएँ हैं जो युगीन सीमा को पार कर आज भी अत्यंत लोकप्रिय बनी हुई हैं। राष्ट्रवादी भावनाओं से ओत-प्रोत सुभद्रा कुमारी चौहान ने लगभग 88 कविताएँ और 46 कहानियाँ लिखी हैं। ‘बिखरे मोती’, ‘उन्मादिनी’ और ‘सीधे-सीधे चित्र’ उनके कहानी-संग्रह हैं जबकि उनकी कविताएँ ‘मुकुल’ और ‘त्रिधारा’ में संग्रहीत हैं।
क्या आप जानते हैं कि सुभद्रा कुमारी चौहान भारत के प्रथम सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने वाली पहली महिला थीं। वहीं सन 1923 और 1941 में ब्रिटिश राज के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण वह दो बार जेल भी गईं थीं। बता दें कि भारतीय डाक विभाग ने 6 अगस्त, 1976 को सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में 25 पैसे का एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था। वहीं Google ने Doodle बनाकर Subhadra Kumari Chauhan को उनकी 117वीं जयंती पर याद किया था। इस ब्लॉग में सुप्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय (Subhadra Kumari Chauhan Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में बताया गया है।
नाम | सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) |
जन्म | 16 अगस्त, 1904 |
जन्म स्थान | निहालपुर गांव, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) |
शिक्षा | मिडिल-स्कूल, क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल- प्रयागराज |
पिता का नाम | ठाकुर रामनाथ सिंह |
माता का नाम | धिराज कुंवर |
पति का नाम | ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान |
कार्य क्षेत्र | कवयित्री |
संतान | सुधा चौहान, अशोक चौहान, ममता चौहान, विजय चौहान, अजय चौहान |
आंदोलन | भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन |
साहित्य काल | छायावाद |
रचनाएँ | ‘बिखरे मोती’, ‘उन्मादिनी’ और ‘सीधे-सीधे चित्र’ (कहानी-संग्रह), ‘मुकुल’ और ‘त्रिधारा’ (कविता संग्रह) |
भाषा | हिंदी |
सम्मान | सेकसरिया पारितोषिक |
निधन | 15 फरवरी, 1948 सिवनी, मध्य प्रदेश |
जीवनकाल | 43 वर्ष |
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इलाहाबाद में हुआ था जन्म – Subhadra Kumari Chauhan Ka Jivan Parichay
सुप्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘ठाकुर रामनाथ सिंह’ और माता का नाम ‘धिराज कुंवर’ था। जमींदार परिवार में जन्मी सुभद्रा कुमारी चौहान अपने माता-पिता की सातवीं संतान थीं। बताना चाहेंगे 20 फरवरी, 1919 में सुभद्रा जी का विवाह बड़े भाई रामप्रसाद सिंह के सहपाठी ‘ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान’ के साथ हो गया था।
वहीं विवाह के बाद अपनी शिक्षा को जारी रखने के लिए वह बनारस आ गई। यहाँ उन्होंने पहले थियोसोफिकल स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। फिर बाद में प्रयागराज के क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल से उन्होंने मिडिल-स्कूल की परीक्षा पास की।
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ब्रिटिश राज में दो बार गईं जेल
इसके पश्चात सुभद्रा कुमारी चौहान विवाह के दो वर्ष बाद ही सन 1921 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए उत्तर आई थी। वह अहसयोग आंदोलन में हिस्सा लेने वाली पहली महिला थी। वहीं 18 वर्ष की किशोरावस्था में सन 1923 में ‘राष्ट्रीय झंडा आंदोलन’ के समय पहली बार जेल गई। फिर वर्ष 1941 में पुनः व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन हेतु जेल गईं।
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सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं
सुभद्रा कुमारी चौहान भारतीय स्वाधीनता संग्राम की सेनानी तो थी ही साथ ही राष्ट्रीय धारा की सुप्रसिद्ध लेखिका भी थीं। वह दलित, पिछड़े और अभिवंचित वर्ग की मुक्ति के लिए हमेशा संघर्षशील रही हैं। उनकी रचनाओं में तत्कालीन समाज की परिस्थितियों की झलक साफ दिखाई देती हैं। वहीं उनकी लेखनी ने ‘झाँसी की रानी’, ‘वीरों का कैसा हो बसंत’, ‘यह कदंब का पेड़’, ‘प्रतीक्षा’, ‘पानी और धूप’ जैसी लोकप्रिय कविताएं दी थी। यहाँ सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय (Subhadra Kumari Chauhan Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं की जानकारी नीचे दी गई है:-
कहानी-संग्रह
- बिखरे मोती – वर्ष 1932
- उन्मादिनी – वर्ष 1934
- सीधे साधे चित्र – वर्ष 1947
कविता-संग्रह
- मुकुल – वर्ष 1930
- त्रिधारा
जीवनी
- सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी ‘मिला तेज़ से तेज़’ उनकी पुत्री सुधा चौहान ने लिखी है।
सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली – Subhadra Kumari Chauhan Ki Bhasha Shaili
सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली सीधी, सरल एवं सपष्ट है। उनकी भाषा में राष्ट्रीयता, सामाजिक प्रेम व वात्सलय आदि भाव साफ नजर आते हैं। उन्होंने बिल्कुल आम बोलचाल के सीधे-सादे वाक्यों का प्रयोग अपनी साहित्यिक रचनाओं में किया है। वहीं सुभद्रा जी ने खड़ी बोली को अपने काव्य का आधार बनाया है। उनकी भाषा में तत्सम, तत्भव, देशज तथा अनुकरणात्मक शब्दों का सुंदर प्रयोग देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त उनके काव्य में तत्भव शब्दावली का अधिक प्रयोग किया गया है। सुभद्रा जी ने अपनी भाषा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए अलंकारों, छंदों के अलावा अभिधा, लक्षणा और व्यंजना शैली का प्रयोग किया है।
सम्मान
सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan Ka Jivan Parichay) को हिंदी साहित्य में अनुपम कृतियों का सृजन करने के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- वर्ष 1931 में “मुकुल” कविता-संग्रह के लिए “सेकसरिया पारितोषिक” मिला।
- वर्ष 1932 में “बिखरे मोती” कहानी-संग्रह के लिए पुनः सुभद्रा कुमारी चौहान को “सेकसरिया पारितोषिक” से सम्मानित किया गया।
- बताना चाहेंगे भारतीय डाक विभाग ने 6 अगस्त, 1976 को सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में 25 पैसे का एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था।
सन 1948 में हुआ निधन
सुभद्रा कुमारी चौहान की 15 फरवरी, 1948 को एक मोटर दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु हो गई थी। किंतु राष्ट्रवादी भावनाओं से ओत-प्रोत रचनाओं के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।
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जब Google ने सुभद्रा कुमारी चौहान को किया याद
क्या आप जानते हैं कि Google ने वर्ष 2021 में Doodle बनाकर Subhadra Kumari Chauhan को उनकी 117वीं जयंती पर याद किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डूडल को आर्टिस्ट ‘प्रभा माल्या’ (Prabha Mallya) ने बनाया है। सुभद्रा कुमारी जी देश की पहला महिला सत्याग्रही थीं। वहीं उनकी राष्ट्रवादी कविता ‘झांसी की रानी’ और ‘वीरों का कैसा हो वसंत?’ को व्यापक रूप से आधुनिक हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली कविताओं में से एक माना जाता है।
FAQs
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर गांव में हुआ था।
सुभद्रा जी की माता का नाम ‘धिराज कुंवर’ और पिता का नाम ‘ठाकुर रामनाथ सिंह’ था।
सुभद्रा जी के पति का नाम ‘ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान’ था।
सुभद्रा जी उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर गांव की रहने वाली थीं।
सुभद्रा कुमारी चौहान को वर्ष 1931 में “मुकुल” कविता-संग्रह के लिए और वर्ष 1932 में “बिखरे मोती” कहानी-संग्रह के लिए “सेकसरिया पारितोषिक” से सम्मानित किया गया था।
सुभद्रा कुमारी चौहान की पांच संताने हैं, सुधा चौहान, अशोक चौहान, ममता चौहान, विजय चौहान, अजय चौहान।
झाँसी की रानी, ‘वीरों का कैसा हो वसंत?’ उनकी प्रसिद्ध कविता है।
बिखरे मोती, सुभद्रा कुमारी चौहान का लोकप्रिय कहानी संग्रह है।
झाँसी की रानी (कविता) उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कविता है।
15 फरवरी, 1948 को एक मोटर दुर्घटना में सुभद्रा कुमारी चौहान का आकस्मिक निधन हो गया था।
सुभद्रा जी की भाषा शैली सीधी, सरल तथा स्पष्ट एवं आडम्बरहीन खड़ीबोली है। दो रस इन्होंने चित्रित किए हैं–वीर तथा वात्सल्य। अपने काव्य में पारिवारिक जीवन के मोहक चित्र भी इन्होंने अंकित किए, जिनमें वात्सल्य की मधुर व्यंजना हुई है।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ सुप्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय (Subhadra Kumari Chauhan Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों के जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
आशा है कि आपको, भारत की साहसी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय (Subhadra Kumari Chauhan Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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I told all people of the world if not support your real freedom fighter then something miss you
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subhadra kumari chauhan is the best teacher of all indian people
those are involve in freedom of india and also they are the inspiring lady of indian-
आपका धन्यवाद, इसी तरह https://leverageedu.com/ पर बने रहें।
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3 comments
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