Swayam Prakash Ka Jeevan Parichay: स्वयं प्रकाश आधुनिक हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। उन्हें मुख्यत: कथाकार के तौर पर जाना जाता है। लेकिन साहित्य की कई विधाओं में अपनी लेखनी चलाकर उन्होंने हिंदी साहित्य का समृद्ध किया है। वहीं साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पहल सम्मान’, ‘बनमाली पुरस्कार’ और ‘सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार’ आदि से सम्मानित किया जा चुका हैं।
बता दें कि स्वयं प्रकाश (Swayam Prakash) की लोकप्रिय कहानी ‘नेताजी का चश्मा’ को विद्यालय में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। आइए अब हम सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार स्वयं प्रकाश का जीवन परिचय (Swayam Prakash Ka Jeevan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | स्वयं प्रकाश (Swayam Prakash) |
जन्म | 20 जनवरी, 1947 |
जन्म स्थान | इंदौर, मध्य प्रदेश |
शिक्षा | मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, एम.ए. (हिंदी), पीएच.डी. |
पेशा | इंजीनियर, कथाकार, साहित्यकार |
भाषा | हिंदी |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
विधाएँ | कहानी, उपन्यास, रेखाचित्र, नाटक, निबंध, अनुवाद |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पहल सम्मान’, ‘बनमाली पुरस्कार’ और ‘सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार’ आदि। |
निधन | 7 दिसंबर, 2019 मुंबई |
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मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था जन्म – Swayam Prakash Ka Jeevan Parichay
प्रतिष्ठित साहित्यकार स्वयं प्रकाश का जन्म 20 जनवरी, 1947 को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। बताया जाता है कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद उन्होंने एमए हिंदी और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी। वहीं, आजीविका हेतु नौकरी का बड़ा हिस्सा राजस्थान में बीता। वे हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में सतर्कता अधिकारी और हिंदी अधिकारी रहे थे। माना जाता है कि उच्च शिक्षा के दौरान ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था।
साहित्य सृजन और संपादन
बताया जाता है कि स्वयं प्रकाश कहानियां लिखने से पहले सस्वर कविता-पाठ किया करते थे। किंतु बाद में साहित्य की अन्य विधाओं में लेखन करने लगे। इसके साथ ही उन्होंने आठवें दशक में राजस्थान से जनवादी पत्रिका ‘क्यों’ और मधुमती के विशेषांक के साथ बच्चों की पत्रिका ‘चकमक’ का संपादन किया। वे लगभग एक दशक तक प्रगतिशील लेखक संघ की पत्रिका ‘वसुधा’ से भी जुड़े रहे थे।
स्वयं प्रकाश की साहित्यिक रचनाएं – Swayam Prakash Ki Rachnaye
स्वयं प्रकाश को मुख्यत: कथाकार के तौर पर जाना जाता है। माना जाता है कि उनके 13 कहानी-संग्रह, 5 उपन्यास और अन्य विधाओं में रेखाचित्र, नाटक, निबंध और बाल साहित्य में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। वहीं उनकी कहानियों का रुसी तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। बता दें कि रोचक किस्सागोई शैली में लिखी उनकी रचनाएँ हिंदी की वाचिक परंपरा को समृद्ध करती हैं। यहाँ स्वयं प्रकाश का जीवन परिचय (Swayam Prakash Ka Jeevan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:
कहानी-संग्रह
- संधान
- मात्रा और भार
- सूरज कब निकलेगा
- आसमाँ कैसे कैसे
- अगली किताब
- आएंगे अच्छे दिन भी
- आदमी जात का आदमी
- अगले जनम
- कहानियों के कुछ चयन भी
उपन्यास
- ईंधन
- ज्योतिरथ के सारथी
- जलते जहाज़ पर
- उत्तर जीवन कथा
- बीच में विनय
निबंध
- स्वान्तः दुखाय
- दूसरा पहलू
- रंगशाला में एक दोपहर
- एक कथाकार की नोटबुक
- लिखा पढ़ा
रेखाचित्र
- हमसफ़रनामा
नाटक
- फ़ीनिक्स
- चौबोली
पत्र
- डाकिया डाक लाया
बाल-साहित्य
- सप्पू के दोस्त
- प्यारे भाई रामसहाय
- हाँजी नाजी
- परमाणु भाई की दुनिया में
- हमारे विज्ञान रत्न
अनुवाद
- पंगु मस्तिष्क
- अन्यूता
- लोकतान्त्रिक विद्यालय
संपादन
- क्यों (जनवादी पत्रिका)
- चकमक (बाल पत्रिका)
- वसुधा
- सुनो कहानी
- हिंदी की प्रगतिशील कहानियाँ
पुरस्कार एवं सम्मान
स्वयं प्रकाश (Swayam Prakash Ka Jeevan Parichay) को आधुनिक साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:
- राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार
- गुलेरी सम्मान
- सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार
- बनमाली पुरस्कार
- पहल सम्मान
- कथाक्रम सम्मान
- भवभूति अलंकरण
- साहित्य अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार
72 वर्ष की आयु में हुआ निधन
स्वयं प्रकाश, ‘मुंशी प्रेमचंद’ की परंपरा के महत्वपूर्ण कथाकार माने जाते है। उन्होंने दशकों तक आधुनिक हिंदी साहित्य में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। किंतु 72 वर्ष की आयु में उनका मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में 7 दिसंबर, 2019 को निधन हो गया। लेकिन अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए वे आज भी साहित्य जगत में जाने जाते हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार स्वयं प्रकाश का जीवन परिचय (Swayam Prakash Ka Jeevan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म 20 जनवरी, 1947 को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में हुआ था।
माना जाता है कि उनके एक दर्जन से अधिक कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
उन्होंने प्रगतिशील लेखक संघ की पत्रिका ‘वसुधा’ और बच्चों की पत्रिका ‘चकमक’ का संपादन किया था।
उन्हें साहित्य और शिक्षा में विशेष योगदान देने के लिए ‘राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पहल सम्मान’, ‘बनमाली पुरस्कार’ और ‘सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार’ आदि से सम्मानित किया जा चुका हैं।
सूरज कब निकलेगा, आएंगे अच्छे दिन भी, संधान और आदमी जात का आदमी उनकी प्रमुख रचानाएँ हैं।
72 वर्ष की आयु में 7 दिसंबर, 2019 को मुंबई में उनका निधन हो गया था।
आशा है कि आपको सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार स्वयं प्रकाश का जीवन परिचय (Swayam Prakash Ka Jeevan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।