Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक भारतीय दार्शनिक और राजनेता थे। उन्होंने वर्ष 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था। भारत की स्वतंत्रता के बाद देश को आधुनिक शिक्षा की दिशा में आगे ले जाने में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर शिक्षक के रूप में की थी। इसलिए उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हर वर्ष 05 सितंबर को ‘शिक्षक दिवस’ (Teacher’s Day) मनाया जाता है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को शिक्षा के क्षेत्र में अपना उल्लेखनीय योगदान देने के लिए वर्ष 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (Bharat Ratna) से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही डॉ. राधाकृष्णन को ‘पीस प्राइज आफ द जर्मन बुक ट्रेड’ (1961) तथा इंग्लैंड सरकार द्वारा ‘ऑर्डर ऑफ मेरिट’ सम्मान से भी पुरस्कृत किया जा चुका है। आइए अब इस लेख में भारत के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय (Sarvepalli Radhakrishnan Ka Jivan Parichay) और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) |
जन्म | 5 सितंबर 1888 |
जन्म स्थान | तिरूतनी गाँव, तमिलनाडु |
माता-पिता | सिताम्मा, सर्वपल्ली वीरास्वामी |
पत्नी का नाम | सिवाकमु |
बच्चे | 5 पुत्री, 1 पुत्र |
कार्य | दार्शनिक, शिक्षाविद, विचारक, राजनीतिज्ञ |
पद | उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति |
सम्मान | सन 1954 में भारत रत्न |
मृत्यु | 17 अप्रैल, 1975 (आयु 86 वर्ष) |
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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का आरंभिक जीवन – Sarvepalli Radhakrishnan Ka Jivan Parichay
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को ब्रिटिश भारत की मद्रास प्रेसिडेंसी (वर्तमान तमिलनाडु) के चित्तूर जिले के तिरुतनी गाँव में एक ब्राम्हण परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम ‘सीताम्मा‘ और पिता का नाम ‘सर्वपल्ली वीरास्वामी‘ था। इनके पिता सर्वपल्ली वीरास्वामी राजस्व विभाग में काम करते थे।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का बचपन तिरुमनी गांव में ही व्यतीत हुआ। वहीं से इन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा प्रारंभ की। लेकिन बाद में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए उनके पिताजी ने उन्हें क्रिश्चन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरुपति में एडमिशन करा दिया। जहाँ उन्होंने सन 1896 से 1900 तक अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण की।
इसके बाद उन्होंने वेल्लोर के कॉलेज से आगे की पढ़ाई पूरी की। बाद में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और वर्ष 1906 में दर्शन शास्त्र में एम.ए.किया। बता दें कि उनकी पूरी शिक्षा स्काॅलरशिप के जरिए हुई थी।
वैवाहिक जीवन
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का 16 वर्ष की आयु में ही अपनी दूर की चचेरी बहन ‘सिवाकमु’ से विवाह हो गया था। जिनसे उन्हें 5 बेटी और 1 बेटा हुआ। आपको बता दें कि इनके बेटे का नाम ‘सर्वपल्ली गोपाल’ है, जो भारत के महान इतिहासकारक थे।
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का करियर
वर्ष 1909 में राधाकृष्णन ने ‘मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज’ में दर्शनशास्त्र के प्रोफ़ेसर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद वह ‘मैसूर विश्वविद्यालय’ में भी दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे। यह ब्रिटिश शासन में एक बड़ी उपलब्धि थी जब एक भारतीय को यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर नियुक्त किया गया था। बता दें कि उन्होंने लगभग 40 वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया था।
इसके बाद वर्ष 1926 में डॉ. राधाकृष्णन ने भारत की ओर से अमेरिका के ‘हार्वर्ड विश्वविद्यालय‘ में इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ फिलॉसफी में CU का प्रतिनिधित्व किया। उनके ज्ञान और प्रतिभा के कारण उन्हें बाद में इंग्लैंड की विश्वविख्यात ‘ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय’ में पूर्वी धर्म और नैतिकता के ‘स्पैल्डिंग प्रोफेसर’ के रूप में भी नियुक्त किया गया था।
वर्ष 1931 से 1936 तक राधाकृष्णन आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति रहे जिसके कुछ वर्षों बाद ही उन्हें 1939 में ‘काशी हिंदू विश्वविद्यालय‘ का कुलपति बनाया गया जहाँ वह वर्ष 1948 तक कार्यरत रहे। वहीं राधाकृष्णन को ब्रिटिश शासनकाल में ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित भी किया गया था। शिक्षा के क्षेत्र में उनके अतुल्नीय कार्यों और उपलब्धियों के कारण ही हर वर्ष उनके जन्मदिवस के अवसर पर ‘शिक्षक दिवस’ (Teachers’ Day) मनाया जाता है।
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का राजनीतिक जीवन
डॉ. राधाकृष्णन एक शिक्षक होने के साथ-साथ एक कुशल राजनीतिज्ञ एवं विचारक भी थे। वह वर्ष 1949 से 1952 तक ‘सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक’ (USSR) के राजदूत रहे और वर्ष 1952 में भारत के उपराष्ट्रपति पद पर आसीन हुए। इसके कुछ समय बाद ही उन्हें वर्ष 1962 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। इसी बीच वर्ष 1954 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें ‘भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया।
इसके अलावा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को अपने जीवन में कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिसमें जर्मनी के पुस्तक प्रकाशन द्वारा ‘विश्व शांति पुरस्कार’ (1961), ‘पीस प्राइज आफ द जर्मन बुक ट्रेड’ (1961) तथा इंग्लैंड सरकार द्वारा ‘ऑर्डर ऑफ मेरिट’ सम्मान सबसे खास माना जाता हैं।
चेन्नई में हुआ था निधन
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का 17 अप्रैल, 1975 को 86 वर्ष की उम्र में चेन्नई में लंबी बीमारी के बाद देहांत हो गया। लेकिन एक आदर्श शिक्षक और दार्शनिक के रूप में वह आज भी हम सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत माने जाते हैं।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रकाशित पुस्तकें
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा लिखी गई पुस्तकें निम्नलिखित हैं:-
- द हिंदू व्यू ऑफ लाइफ
- द आइडियलिस्ट व्यू ऑफ लाइफ
- रिलिजन एंड सोसाइटी
- ए सोर्सबुक इन इंडियन फिलॉसोफी
- स्पिरिट ऑफ़ रिलिजन
- महात्मा गांधी
- द फिलॉसोफी ऑफ़ हिंदूज्म
- ईस्टर्न रिलिजनस वेस्टर्न थॉट
- लिविंग विथ ए पर्पस
- सर्च फॉर ट्रुथ
- द फिलॉसोफी ऑफ़ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
यह भी पढ़ें – डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार
यहां डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय (Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi) के साथ ही उनके कुछ अनमोल विचारों के बारे में बताया गया है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
- पुस्तकें वह माध्यम हैं जिसके द्वारा हम संस्कृतियों के बीच ब्रिज का निर्माण करते हैं।
- सनातन धर्म सिर्फ एक आस्था नहीं है। यह तर्क और अन्दर से आने वाली आवाज का समागम है, जिसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है, परिभाषित नहीं।
- शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि चुनौतियों के लिए तैयार करें।
- किताब पढ़ना, हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी देती है।
- जीवन को एक बुराई के रूप में देखना और दुनिया को भ्रमित होकर देखना गलत है।
- धन, शक्ति और दक्षता केवल जीवन के साधन हैं खुद जीवन नहीं।
- शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। इसलिए विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए।
- पुस्तकें वो साधन हैं, जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।
- शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है।
- भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं।
यह भी पढ़ें: सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार, जो करेंगे आपका मार्गदर्शन
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ भारत के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय (Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को ब्रिटिश भारत की मद्रास प्रेसिडेंसी (वर्तमान तमिलनाडु) के चित्तूर जिले के तिरुतनी गाँव में हुआ था।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन ओम, मूल रूप से राधाकृष्णनय्या, एक भारतीय दार्शनिक और राजनेता थे।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन को वर्ष 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।
भारत में पहली बार शिक्षक दिवस 5 सितंबर 1962 को मनाया गया था।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की माता का नाम ‘सीताम्मा’ जबकि पिता का नाम ‘सर्वपल्ली वीरास्वामी था।
उनकी पत्नी का नाम ‘सिवाकमु’ था।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 05 सितंबर को ‘राष्ट्रीय शिक्षक दिवस’ मनाया जाता है, जिसमें उनके योगदान और उपलब्धियों को याद किया जाता है।
आशा है कि आपको सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय (Sarvepalli Radhakrishnan Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।