Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi : जानिए कैसे तैयार करें भीमराव अंबेडकर पर हिंदी में स्पीच 

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Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi

बाबासाहेब अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के बाद देश के संविधान का निर्माण किया। यह संविधान एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में भारत की नींव रखता है। बाबासाहेब अंबेडकर एक महान शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता भी थे जिन्होंने अछूतों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और उन्हें भारतीय समाज में मुख्यधारा में शामिल करने के लिए काम किया। ऐसे में भीमराव अंबेडकर के बारे में लोगों को बताने के लिए देशभर में विभिन्न स्कूल, काॅलेजों और अन्य संगठनों की ओर से कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दौरान छात्रों और शिक्षकों की ओर से स्पीच भी दी जाती है। ऐसे में अगर आप अपने स्कूल में भीमराव अंबेडकरपर स्पीच देने के लिए तैयारी कर रहे हैं तो, ये लेख आपके लिए है। यहाँ आपको Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं जो परीक्षाओं और मॉर्निंग असेंबली स्पीच की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। तो आईये यहाँ जानते हैं कैसे तैयार करें Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi.

Bhimrao Ambedkar पर स्पीच कैसे तैयार करें

Bhimrao Ambedkar पर स्पीच तैयार करने से पहले यहाँ दिए गए टिप्स को एक बार जरूर देखें। इन टिप्स की मदद से आप एक बेहतर स्पीच दे सकते हैं।

  • सबसे पहले डॉक्टर भीमराव के बारे में रिसर्च कर सभी जानकारी इक्कठा कर लें।
  • उन जानकारियों को अच्छी तरह से फ्रेम कर, स्पीच को लिखित रूप में तैयार करें।
  • स्पीच लिखते समय शब्दों का सही चयन करें।
  • स्पीच की शुरुआत आप कविताओं और कोट्स से भी कर सकते हैं।
  • अपने भाषण के माध्यम से ऑडियंस से जुड़े। 
  • स्पीच देने से पहले लेखन को अच्छी तरह पढ़ लें। 
  • अपनी स्पीच के अंत में श्रोताओं का शुक्रिया अदा करना न भूलें।

Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi सैंपल 1

Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi सैंपल 1 इस प्रकार से है :

भारतीय समाज के महान नेता भीमराव अंबेडकर ने अपने योगदान से समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनके अनुसार, “जो व्यक्ति अपने अधिकारों से वंचित है, वह समाज से वंचित है।” उन्होंने जातिवाद और असमानता के खिलाफ सख्त रूप से विरोध किया और समाज को एकमत और समृद्धि की दिशा में बदलने की बात की। उन्होंने भारतीय संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसमें समाज को सशक्त बनाने की ओर कार्य किया। उनका योगदान आज भी सामाजिक न्याय, शिक्षा और मुक्ति की ओर एक प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। 

Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi सैंपल 2

Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi सैंपल 2 इस प्रकार से है :

भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल एक सैन्य अधिकारी थे और उनकी माँ भीमाबाई एक गृहिणी थीं। अंबेडकर एक महार परिवार से थे, जो हिंदू धर्म में एक निम्न जाति है अंबेडकर का बचपन कठिनाइयों से भरा था। उन्हें जाति व्यवस्था के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा। उन्हें स्कूल जाने से मना कर दिया गया था और उन्हें अक्सर अन्य बच्चों द्वारा परेशान किया जाता था।

हालांकि, अंबेडकर एक प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने अपने पिता की मदद से पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने 1897 में मऊ के मिशन स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1900 में, अंबेडकर ने मुंबई के गवर्नर प्राइमरी स्कूल में प्रवेश लिया। उन्होंने 1907 में एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1912 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

भारत लौटने के बाद, अंबेडकर ने जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंबेडकर को भारत में “दलितों के पिता” के रूप में जाना जाता है। अंबेडकर ने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने भारत को एक समान और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचार और आदर्श आज भी हमारे लिए प्रेरणा हैं। 

Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi सैंपल 3 

Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi सैंपल 3 इस प्रकार से है :

स्पीच की शुरुआत 

डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 हुआ था। उन्होंने अपने पूरे जीवन समाज में जातिवाद, उससे उपजा भेदभाव और अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष किया। वे उस समय के फेमिनिस्ट कहे जा सकते हैं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए बहुत योगदान किये। आज हिन्दू कोड बिल का श्रेय अंबेडकर जी को ही जाता है। उन्हें भारत के संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है। भारतीय लोकतंत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। 

भारत का संविधान और भीमराव अंबेडकर 

29 अगस्त, 1947 के दिन, डॉ. बी.आर. अंबेडकर को, सात अन्य सदस्यों के साथ, एक स्वतंत्र भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए नियुक्त किया गया था। डॉ. अंबेडकर को मसौदा समिति का अध्यक्ष चुना गया था। अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान व्यक्तिगत नागरिकों के लिए कई नागरिक स्वतंत्रताओं की गारंटी और सुरक्षा प्रदान करता है, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता, अछूतों का उन्मूलन और सभी प्रकार के भेदभाव का निषेध शामिल है। अंबेडकर को निश्चित रूप से उनके कई उत्कृष्ट योगदानों के कारण “भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार” के रूप में माना जा सकता है। सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के उनके प्रयास उल्लेखनीय हैं, यही कारण है कि उन्हें भारतीय दलितों का “मसीहा” कहा जाता है।

संविधान को 26 नवंबर, 1949 को पारित किया गया और संसद द्वारा अनुमोदित किया गया। संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ, जिसे राष्ट्रीय रूप से गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ

भीमराव अंबेडकर ने भारत में जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने जाति व्यवस्था को एक अमानवीय प्रणाली के रूप में देखा जिसके कारण भारत पिछड़ता रहा है। उन्होंने अस्पृश्यता को एक अन्य अमानवीय पहलू के रूप में देखा जो जाति व्यवस्था का है।

अंबेडकर ने भारत के संविधान में जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ प्रावधान किए। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सभी भारतीयों को, चाहे उनकी जाति या धर्म कुछ भी हो, समान अधिकार और अवसर प्राप्त हों।

अंबेडकर के प्रयासों से भारत में जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ जागरूकता बढ़ी है। हालांकि, अभी भी बहुत काम करने की आवश्यकता है। हमें जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए काम करना चाहिए।

समानता के लिए

भीमराव अंबेडकर एक समानता के लिए लड़े। उनका मानना ​​था कि सभी लोगों को समान अधिकार और अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। अंबेडकर कानून को समानता और न्याय के लिए लड़ने वालों के लिए ताकत और समर्थन का स्रोत मानते थे। संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया कि उनके अधिकारों और इन अधिकारों के लिए संघर्ष करने के उनके अधिकार को संवैधानिक रुप से सुनिश्चित किया जाए। 

स्पीच के अंत में

भारतीय समाज के महान नेता भीमराव अंबेडकर ने अपने योगदान से तत्कालीन समाज के सुधार में काम किया। उनके अनुसार, “जो व्यक्ति अपने अधिकारों से वंचित है, वह समाज से वंचित है।” उन्होंने जातिवाद, असमानता और भूमि-जनग्रहण के खिलाफ सख्त रूप से विरोध किया और समाज को एकमत और समृद्धि की दिशा में बदलने की बात की।

भीमराव अंबेडकर एक महान नेता और समाज सुधारक थे। उन्होंने भारत को एक समान और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचार और आदर्श आज भी हमारे लिए प्रेरणा हैं।

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FAQs 

भीमराव अंबेडकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था।

भीमराव अंबेडकर के माता-पिता कौन थे?

भीमराव अंबेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपाल एक सैन्य अधिकारी थे और उनकी माँ भीमाबाई एक गृहिणी थीं।

भीमराव अंबेडकर ने भारत के संविधान के निर्माण में क्या भूमिका निभाई?

भीमराव अंबेडकर भारत के संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे। उन्होंने संविधान का मसौदा तैयार किया। इन प्रावधानों में जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ प्रावधान शामिल थे।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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