Raskhan Ka Jivan Parichay – कृष्णोपासक कवि रसखान का जीवन परिचय

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Raskhan Ka Jivan Parichay

Raskhan Ka Jivan Parichay : रसखान हिंदी साहित्य के इतिहास में भक्तिकाल काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं। वे स्वछंद वृति के प्रेमोन्मत्त कृष्ण भक्त कवि थे। उन्होंने न तो किसी संप्रदाय से बँधकर कृष्ण भक्ति की और न किसी उद्देश्य से प्रेरित होकर काव्य रचना की। वहीं उनके काव्य में कृष्ण की रूप माधुरी, राधा-कृष्ण की प्रेम लीला व ब्रज-महिमा का मनोहर वर्णन मिलता है। उनकी रचनाओं में ब्रज भाषा का अत्यंत सरस और मनोरम प्रयोग मिलता है।

बता दें कि भक्त कवि रसखान की ‘सुजान रसखान’ और ‘प्रेमवाटिका’ को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।

इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी कवि रसखान का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम कृष्णोपासक कवि रसखान का जीवन परिचय (Raskhan Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मूल नाम सैयद इब्राहिम 
नाम ‘रसखान’ (Raskhan)
जन्म सन 1948
जन्म स्थान दिल्ली 
पेशा कवि 
भाषा ब्रज 
विधाएँ काव्य 
साहित्य काल भक्तिकाल 
दीक्षा गुरु ‘गोस्वामी विट्ठलनाथ’ 
निधन सन 1628

रसखान का जन्म स्थान

बता दें कि भक्त कवि रसखान का कोई प्रमाणिक जीवन वृत्त अब तक सुलभ नहीं हो सका हैं। इनके जीवन पर प्रकाश डालने वाले प्राचीन साक्ष्यों के रूप में ‘दो सौ बावन वैष्णव की वार्ता’ और ‘मूल गोसाई चरित’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके आधार पर माना जाता है कि उनका जन्म सन 1548 में हुआ था। उनका मूल नाम ‘सैयद इब्राहिम’ था और वे दिल्ली के आसपास के रहने वाले थे। वहीं कुछ विद्वानों का मानना है कि वे ‘पिहानी’ उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में पैदा हुए थे। 

गोस्वामी विट्ठलनाथ से ली दीक्षा 

मीरा की भांति रसखान भी हिंदी की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के एक विशिष्ट भक्त और कवि हैं। बताया जाता है कि कृष्णभक्ति ने उन्हें ऐसा मुग्ध कर दिया जिसके बाद उन्होंने ‘गोस्वामी विट्ठलनाथ’ से दीक्षा ली और ब्रजभूमि (वृंदावन) में जाकर बस गए। इसके बाद उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन श्रीकृष्ण के नाम,रूप, लीला और गान-ध्यान में लगा दिया।

रसखान की रचनाएँ –  Raskhan Ki Rachnaye

रसखान ने अपने संपूर्ण जीवन में राधा-कृष्ण के प्रेम सौंदर्य, रूप माधुरी और रसकेलियों से संबंधित अनेक कवित्त-सवैयों की रचना की जिन्हें कालांतर में विभिन्न संकलनकर्ताओं ने ‘सुजान रसखान’ नाम से कई रूपों में तैयार किया। माना जाता है कि ‘सुजान रसखान’ ही रसखान की कीर्ति का स्थायी आधार है। वहीं उनकी भक्ति भावना, सौंदर्यानुभूति और प्रेमानुभूति को समझने के लिए यहीं रचना मुख्य आधार का काम करती हैं। यहाँ रसखान का जीवन परिचय (Raskhan Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:- 

  • सुजान रसखान 
  • प्रेमवाटिका 
  • दानलीला 
  • अष्टयाम 

रसखान की भाषा शैली 

रसखान की भाषा साहित्यिक ब्रजभाषा है। उनकी काव्य कृतियों में ब्रजभाषा का अत्यंत सरस और मनोरम प्रयोग मिलता है, जिसमें जरा भी शब्दाडंबर नहीं है। वे अपनी भाषा संवृद्धि के लिए अभिधा, लक्षणा और व्यंजना तीनों शब्द शक्तियों का प्रयोग करते हैं। वहीं अन्य कृष्ण भक्त कवियों की भांति उन्होंने परंपरागत काव्य शैली का अनुसरण नहीं किया है।

रसखान के दोहे – Dohe of Raskhan 

यहाँ रसखान का जीवन परिचय (Raskhan Ka Jivan Parichay) के साथ उनके कुछ लोकप्रिय दोहे दिए जा रहे है, जो कि इस प्रकार हैं –

प्रेम रूप दर्पण अहे, रचै अजूबो खेल।
या में अपनो रूप कछु, लखि परिहै अनमेल॥

प्रेम प्रेम सब कोउ कहै, कठिन प्रेम की फाँस।
प्रान तरफि निकरै नहीं, केवल चलत उसाँस॥

अति सूक्षम कोमल अतिहि, अति पतरो अति दूर।
प्रेम कठिन सब ते सदा, नित इकरस भरपूर॥
इक अगी बिनु कारनहिं, इक रस सदा समान।
गनै प्रियहि सर्वस्व जो, सोई प्रेम प्रमान॥

कहा करै रसखानि को, कोऊ चुगुल लवार।
जो पै राखनहार है, माखन चाखनहार॥

सास्रन पढि पंडित भए, कै मौलवी क़ुरान।
जुपै प्रेम जान्यौ नही, कहा कियौ रसखान॥

स्याम सघन घन घेरि कै, रस बरस्यौ रसखानि।
भई दिवानी पान करि, प्रेम मद्य मनमानि॥

प्रेम हरी को रूप है, त्यौं हरि प्रेम स्वरूप।
एक होइ द्वै यो लसै, ज्यौं सूरज अरु धूप॥

पै मिठास या मार के, रोम-रोम भरपूर।
मरत जियै झुकतौ थिरै, बनै सु चकनाचूर॥

कमल तंतु सो छीन अरु, कठिन खड़ग की धार।
अति सूधो टढ़ौ बहुरि, प्रेमपंथ अनिवार॥

रसखान के सवैये – Savaiya of Raskhan 

यहाँ कवि रसखान के कुछ प्रसिद्ध सवैये दिए जा रहे है, जो कि इस प्रकार हैं –

मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर धारन।
जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥

या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि, नवों निधि को सुख, नंद की धेनु चराय बिसारौं॥
रसखान कबौं इन आँखिन सों, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥

कौन ठगौरी भरी हरि आजु बजाई है बाँसुरिया रँग भीनी।
तान सुनी जिनहीं तिनहीं तबहीं तिन लाज बिदा कर दीनी।
घूमै घड़ी घड़ी नंद के द्वार नवीनी कहा कहुँ बाल प्रबीनी।
या ब्रजमंडल में रसखानि सु कौन भटू जो लटू नहिं कीनी॥

सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
जाहि अनादि अनंत अखंड अछेद अभेद सुबेद बतावै॥
नारद से सुक व्यास रटै पचि हारे तऊ पुनि पार न पावै।
ताहि अहीर की छोहरिया छछिया भरि छाछ पै नाच नचावै॥

अंगनि अंग मिलाय दोऊ रसखानि रहे लपटे तरु छाँहीं।
संग निसंग अनंग को रंग सुरंग सनी पिय दै गल बाँहीं॥
बैन ज्यों मैन सु ऐन सनेह कों लूटि रहे रति अंतर जाहीं।
नीबी गहै कुच कंचन कुंभ कहै बनिता पिय नाहीं जू ना नाहीं॥

सन 1628 के आसपास हुआ देहावसान

रसखान का संपूर्ण जीवन श्रीकृष्ण भक्ति को ही समर्पित रहा। वे कृष्णभक्ति के कारण एक बार ब्रज प्रदेश में आए तो फिर कभी बाहर नहीं गए। वहीं माना जाता है कि उनका देहावसान वृंदावन में सन 1628 के आसपास हुआ था।आज भी इस स्थान पर उनकी स्मृति के रूप में 12 खम्बों की उनकी समाधि शेष है जिसे रसखान की छतरी के नाम से जाना जाता है।

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ कृष्णोपासक कवि रसखान का जीवन परिचय (Raskhan Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs

रसखान का जन्म कहाँ हुआ था?

उनका जन्म सन 1548 के आसपास हुआ था।

रसखान की प्रमुख रचना कौन सी है?

‘सुजान रसखान’ और ‘प्रेमवाटिका’ उनकी लोकप्रिय काव्य कृति हैं।

रसखान के गुरु का क्या नाम है?

‘गोस्वामी विट्ठलदास’ भक्त कवि रसखान के गुरु थे। 

रसखान के आराध्य देव कौन है?

रसखान के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण थे।

प्रेमवाटिका किसने लिखी थी?

यह भक्त कवि रसखान की अनुपम काव्य कृति हैं।

रसखान की मृत्यु कब और कहां हुई थी?

माना जाता है कि उनका देहावसान सन 1628 के आसपास वृंदावन में हुआ था।

आशा है कि आपको कृष्णोपासक कवि रसखान का जीवन परिचय (Raskhan Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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