Ramvilas Sharma Biography In Hindi: रामविलास शर्मा आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित कवि, आलोचक, भाषाशास्त्री, इतिहासवेत्ता और समाजचिंतक थे। वहीं, हिंदी की प्रगतिशील आलोचना को सुव्यवस्थित करने और उसे नयी दिशा देने का उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किया है। उनकी कुछ कविताएं सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ द्वारा संपादित प्रथम ‘तार सप्तक’ में संकलित हैं। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘भारत-भारती पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ व शलाका सम्मान आदि से पुरस्कृत किया जा चुका हैं।
बता दें कि रामविलास शर्मा (Ramvilas Sharma) की रचनाओं को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी रामविलास शर्मा का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम समादृत आलोचक और साहित्यकार रामविलास शर्मा का जीवन परिचय (Ramvilas Sharma Biography In Hindi) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | रामविलास शर्मा (Ramvilas Sharma) |
जन्म | 10 अक्टूबर, 1912 |
जन्म स्थान | ऊँचगांव-सानी गांव, उन्नाव जिला, उत्तर प्रदेश |
शिक्षा | एम.ए अंग्रेजी, पीएचडी (लखनऊ विश्वविद्यालय) |
पेशा | प्राध्यापक, कवि, लेखक, इतिहासवेत्ता |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | उपन्यास, कविता, निबंध, आलोचना |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
पुरस्कार एवं सम्मान | साहित्य अकादमी पुरस्कार, शलाका सम्मान, भारत-भारती पुरस्कार, व्यास सम्मान आदि। |
निधन | 30 मई, 2000 |
This Blog Includes:
- उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था जन्म – Ramvilas Sharma Biography In Hindi
- प्राध्यापक के रूप में की करियर की शुरुआत
- रामविलास शर्मा का साहित्यिक परिचय
- रामविलास शर्मा की प्रमुख रचनाएं – Ramvilas Sharma Ki Rachnaye
- पुरस्कार एवं सम्मान
- 87 वर्ष की आयु में हुआ निधन
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था जन्म – Ramvilas Sharma Biography In Hindi
रामविलास शर्मा का जन्म 10 अक्टूबर, 1912 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में ऊँचगांव-सानी नामक गांव में हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी। माना जाता है कि उच्च शिक्षा के दौरान ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था।
प्राध्यापक के रूप में की करियर की शुरुआत
रामविलास शर्मा ने शिक्षा के उपरांत आजीविका हेतु लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में कुछ समय तक अध्यापन कार्य किया था। फिर वे वर्ष 1943 से 1971 तक आगरा के ‘बलवंत राजपूत कॉलेज’ (वर्तमान राजा बलवंत सिंह कॉलेज) में अंग्रेजी के प्राध्यापक रहे। इसके बाद वे वर्ष 1971 में आगरा के ही ‘के.एम मुंशी विद्यापीठ’ में निदेशक पद पर भी रहे।
रामविलास शर्मा का साहित्यिक परिचय
रामविलास शर्मा का आधुनिक हिंदी साहित्य में कवि और आलोचक के रूप में पर्दापण हुआ था। वहीं उनकी रचनाओं में भारतीय समाज का जनजीवन, उसकी समस्याएं और आकांक्षाओं का सजीव चित्रण देखने को मिलता है। इसके साथ ही उन्होंने ‘कालिदास’, ‘वाल्मीकि’, ‘भवभूति’ और ‘तुलसीदास’ के काव्य का नया मूल्यांकन किया है। बता दें कि वे हिंदी साहित्य जगत में विख्यात आलोचक और भाषाशास्त्री होने के साथ ही सफल निबंधकार भी थे।
प्रथम ‘तार सप्तक’ के कवि
रामविलास शर्मा की प्रारंभिक कविताएं प्रथम तार सप्तक में प्रकाशित होती थी। बता दें कि प्रथम तार सप्तक एक काव्य-संग्रह है जिसका संपादन वर्ष 1943 में अज्ञेय जी ने किया था। यहीं से हिंदी साहित्य में “प्रयोगवाद” का आरंभ माना जाता है। प्रथम तारसप्तक के कवियों में सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, ‘रामविलास शर्मा’, गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’, ‘गिरजाकुमार माथुर’, ‘प्रभाकर माचवे’, ‘भारत भूषण अग्रवाल’, और ‘नेमिचंद्र जैन’ शामिल थे।
रामविलास शर्मा की प्रमुख रचनाएं – Ramvilas Sharma Ki Rachnaye
रामविलास शर्मा ने हिंदी साहित्य की कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया है। वहीं जीवन के अंतिम वर्षों में वे भारतीय समाज, संस्कृति और इतिहास की समस्याओं का गंभीर चिंतन और लेखन करते हुए वर्त्तमान भारतीय समाज की समस्याओं को समझने का प्रयास करते रहे। यहाँ रामविलास शर्मा का जीवन परिचय (Ramvilas Sharma Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:
आलोचना
- प्रगति और परंपरा
- साहित्य और संस्कृति
- प्रेमचंद और उनका युग
- प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिंदी आलोचना
- विराम चिह्न
- आस्था और सौंदर्य
- भाषा और समाज
- निराला की साहित्य साधना (तीन खंड)
- भारतेंदु युग और हिंदी भाषा की विकास परंपरा
- महावीरप्रसाद द्विवेदी और हिंदी नवजागरण
- नई कविता और अस्तित्ववाद
- परंपरा का मूल्यांकन
- भाषा, युगबोध और कविता
- कथा विवेचना और गद्यशिल्प
- मार्क्सवाद और प्रगतिशील साहित्य
- भारतेंदु हरिश्चंद्र और हिंदी नवजागरण की समस्याएँ
- भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी (तीन खंड)
- भारत में अंग्रेज़ी राज और मार्क्सवाद (दो खंड)
- स्वाधीनता संग्राम : बदलते परिप्रेक्ष्य
- मार्क्स, त्रोत्स्की और एशियाई समाज
- मार्क्स और पिछड़े हुए समाज
- भारतीय इतिहास और ऐतिहासिक भौतिकवाद
- पश्चिमी एशिया और ऋग्वेद
- भारतीय नवजागरण और यूरोप
- इतिहास दर्शन
- भारतीय संस्कृति और हिंदी प्रदेश (दो खंडों में)
उपन्यास
- चार दिन
निबंध-संग्रह
- विराम चिन्ह
- आस्था और सौंदर्य
काव्य-संग्रह
- सदियों के सोये जाग उठे
- रूप तरंग
पुरस्कार एवं सम्मान
रामविलास शर्मा (Ramvilas Sharma Ka Jivan Parichay) को आधुनिक हिंदी साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:
- ‘निराला की साहित्य साधना’ पुस्तक पर उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
- भारत-भारती पुरस्कार
- सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
- शलाका सम्मान
- व्यास सम्मान
87 वर्ष की आयु में हुआ निधन
रामविलास शर्मा ने हिंदी साहित्य में दशकों तक श्रेष्ठ कृतियों की रचना की हैं। वहीं जीवन के आखिरी कुछ वर्षों में वे दिल्ली आकर रहने लगे थे। यहीं साहित्य और इतिहास से संबंधित चिंतन और लेखन करते हुए उनका 87 वर्ष की आयु में 30 मई, 2000 को निधन हो गया। किंतु आज भी वे अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए जाने जाते हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ समादृत आलोचक और साहित्यकार रामविलास शर्मा का जीवन परिचय (Ramvilas Sharma Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म 10 अक्टूबर, 1912 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में ऊँचगांव-सानी नामक गांव में हुआ था।
उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एमए और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी।
उन्हें ‘निराला की साहित्य साधना’ पुस्तक के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
यह रामविलास शर्मा का बहुचर्चित उपन्यास हैं।
87 वर्ष की आयु में उनका 30 मई, 2000 को दिल्ली में निधन हो गया था।
विराम चिन्ह और आस्था और सौंदर्य उनके प्रमुख निबंध संग्रह हैं।
आशा है कि आपको समादृत आलोचक और साहित्यकार रामविलास शर्मा का जीवन परिचय (Ramvilas Sharma Biography In Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।