Kuno National Park in Hindi: भारत विविध जैवविविधता और समृद्ध प्राकृतिक धरोहरों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। बता दें कि मध्यप्रदेश के श्योपुर ज़िले में स्थित “कूनो राष्ट्रीय उद्यान” (Kuno National Park) भी इसी धरोहर का एक अहम हिस्सा है, जिसे हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। आज यह उद्यान केवल जैवविविधता का केंद्र नहीं, बल्कि भारत की ऐतिहासिक ‘चीता पुनर्वास परियोजना’ (Project Cheetah) का प्रमुख स्थल भी बन चुका है। इसलिए इस लेख में आपके लिए कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park in Hindi) की विस्तृत जानकारी दी गई है। कूनो नेशनल पार्क के बारे में जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
उद्यान का नाम | कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) |
स्थान | श्योपुर जिला, मध्य प्रदेश, भारत |
स्थापना वर्ष | 1981 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में; 2018 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त |
क्षेत्रफल | 344.686 वर्ग किलोमीटर |
प्रमुख नदी | कूनो नदी |
प्रसिद्धि का कारण | ‘चीता पुनर्वास परियोजना’ (Project Cheetah) |
चीता पुनर्वास परियोजना | सितंबर 2022 में नामीबिया से 8 चीते; फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए। |
2025 में कुल चीता संख्या | 26 (जिसमें 14 शावक भारत में जन्मे हैं।) |
प्रमुख वन्यजीव प्रजातियाँ | चीतों के अलावा, तेंदुआ, भालू, सियार, नीलगाय, चीतल, सांभर, चिंकारा, भारतीय भेड़िया, और धोल |
पक्षी प्रजातियाँ | 206 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। |
वनस्पति विविधता | 123 वृक्ष प्रजातियाँ, 71 झाड़ी, 32 लता, 34 घास और बांस प्रजातियाँ |
प्रमुख पर्यटन क्षेत्र | खजूरी पर्यटन क्षेत्र, जहाँ अधिकांश चीते देखे जा सकते हैं। |
प्रशासनिक निकाय | राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), मध्य प्रदेश वन विभाग, और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) |
पर्यटन सीजन | अक्टूबर से मार्च तक |
पर्यटन सुविधाएँ | वन विश्रामगृह, गाइडेड सफारी, और स्थानीय होमस्टे विकल्प उपलब्ध |
This Blog Includes:
कूनो राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
क्या आप जानते हैं कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान का नाम चंबल की सहायक नदी ‘कूनो’ के नाम पर रखा गया है। कूनो राष्ट्रीय उद्यान लगभग 344.686 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह उद्यान श्योपुर जिले के विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी के उत्तरी भाग में स्थित है। इसकी सीमाएं ग्वालियर, श्योपुर और शिवपुरी जिलों से लगती है। यहाँ का पारिस्थितिकी तंत्र शुष्क पर्णपाती वनों, घास के मैदानों और छोटी पहाड़ियों से भरपूर है, जो न केवल बाघ, तेंदुआ, भालू, सियार और चिंकारा जैसे देशी वन्य प्रजातियों का आश्रय स्थल है, बल्कि अब अफ्रीकी चीता का भी घर बन चुका है।
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘प्रोजेक्ट चीता’ (Project Cheetah) के अंतर्गत सितंबर 2022 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों का कूनो में प्रवास कराया गया है। यह भारत में चीता प्रजातियों को फिर से बसाने की ऐतिहासिक पहल थी, क्योंकि देश में अंतिम एशियाई चीता वर्ष 1947 में देखा गया था और वर्ष 1952 में इसे भारत में आधिकारिक रूप से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। बता दें कि कूनो को इस परियोजना के लिए उपयुक्त इसलिए माना गया क्योंकि यहाँ का जलवायु और भौगोलिक स्वरूप अफ्रीकी चीतों के अनुकूल है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान क्यों प्रसिद्ध है?
कूनो राष्ट्रीय उद्यान न केवल अपने समृद्ध वन्यजीव और हरियाली के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब यह अफ्रीकी चीता पुनर्वास परियोजना का केंद्र भी बन चुका है। बताना चाहेंगे यहाँ दिए गए निम्नलिखित कारणों के चलते कूनो राष्ट्रीय उद्यान प्रसिद्ध है;-
- कूनो नेशनल पार्क मुख्यतः अफ्रीकी चीतों के लिए प्रसिद्ध है।
- कूनो अब विश्व का एकमात्र ऐसा स्थल बन गया है जहां अफ्रीका के बाहर चीतों को पुनः बसाया गया है।
- बताते चलें कि यह वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान अब केवल एक जंगल नहीं, बल्कि भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास का नया अध्याय बन चुका है।
- यह उद्यान अफ्रीकी चीतों के पुनर्वास का घर है और आने वाले वर्षों में यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान बढ़ा सकता है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
कूनो राष्ट्रीय उद्यान के इतिहास पर नज़र डाली जाए, तो आप जानेंगे कि एशियाई शेरों के पुनर्वास की योजना को वर्ष 1990 में एशियाई शेरों (गिर के शेर) को बसाने के लिए एक वैकल्पिक आवास के रूप में विकसित किया गया था। लेकिन उस समय कुछ कानूनी पेचिदगियों के कारण यह योजना ठप हो गई। इसके बाद वर्ष 1981 में कूनो को एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया। फिर वर्ष 2018 में भारत सरकार द्वारा इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। इससे इसकी कानूनी सुरक्षा और संरक्षण गतिविधियों को और बल मिला।
वहीं सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो में ‘चीता पुनर्वास परियोजना’ का शुभारंभ किया था, जिसके तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुल 20 चीते (8 नामीबिया, 12 दक्षिण अफ्रीका) कूनो लाए गए। बताना चाहेंगे यह विश्व की पहली अंतर-महाद्वीपीय चीता पुनर्स्थापन परियोजना है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता
भारत के मध्य प्रदेश राज्य के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park), देश के सबसे चर्चित जैव विविधता स्थलों में से एक बन चुका है। खासतौर पर अफ्रीकी चीतों की पुनर्स्थापना योजना के चलते यह पार्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया है। बता दें कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान का भौगोलिक क्षेत्र विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के निकट स्थित है, जो इसे अनूठा पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है।
कूनो नेशनल पार्क में साल, खैर, बबूल, बेर, पलाश और साज जैसे वृक्ष तथा विभिन्न प्रकार की वनस्पति की प्रजातियां पाई जाती हैं। साथ ही यहां निवास करने वाले प्रमुख स्तनधारी जीवों में “तेंदुआ, नीलगाय, चीतल, सांभर, चौसिंगा, जंगली सूअर, भालू और भारतीय सियार” आदि शामिल हैं। बताते चलें कि यहां 120 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कई प्रवासी पक्षी भी हैं जो सर्दियों में यहां आते हैं। साथ ही, यहां सरीसृपों और कीट-पतंगों की भी बहुलता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखते हैं।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण केंद्र
कूनो नेशनल पार्क के प्रमुख आकर्षण केंद्र की जानकारी निम्नलिखित है;-
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में लाने का सबसे बड़ा कारण 2022-23 में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीते हैं। देखा जाए तो यह भी पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान के भीतर बहने वाली कूनो नदी इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी को जीवन देती है। यह नदी इस क्षेत्र के वनस्पति और जीव-जंतुओं के संरक्षण में सहायक है। जो यहाँ के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।
- पार्क में सीमित लेकिन सुरक्षित सफारी की व्यवस्था है। बता दें कि यहाँ मचान, वॉच टावर और सूचना केंद्र जैसे आधारभूत ढाँचे उपलब्ध हैं। इसके साथ ही यहाँ बफर ज़ोन में ईको-टूरिज़्म को बढ़ावा देने की योजना पर भी कार्य जारी है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित रोचक तथ्य
कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park in Hindi) सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक संरक्षित प्राकृतिक धरोहर है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल की तरह है। वहीं इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य निम्नलिखित हैं;-
- वर्ष 1981 में इसे ‘कूनो वन्यजीव अभयारण्य’ के रूप में अधिसूचित किया गया था।
- इसके बाद वर्ष 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला।
- इसका नाम चंबल की सहायक नदी ‘कूनो’ के नाम पर रखा गया है, जो उद्यान की पारिस्थितिकी को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।
- एशियाई चीतों को फिर से बसाने के लिए यहाँ “प्रोजेक्ट चीता” की शुरुआत की गई।
- यह मांसाहारी प्रजातियों जैसे तेंदुआ, चीता और सियार के लिए सुरक्षित क्षेत्र है।
- बता दें कि कूनो के आसपास बसे गाँवों को स्थानांतरित किया गया है, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सके।
FAQs
कूनो राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है, जो श्योपुर जिले के अंतर्गत आता है। यह विंध्याचल पर्वतमाला के पास स्थित है और जैव विविधता के लिए एक प्रमुख स्थल है।
कूनो को वर्ष 2018 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ। इससे पहले यह कूनो वन्यजीव अभयारण्य के नाम से जाना जाता था।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान को अफ्रीकी चीतों के पुनर्वास प्रोजेक्ट के लिए चुना गया, जिससे यह भारत का पहला चीता पुनर्वास स्थल बना। यह परियोजना भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने का प्रयास है।
यहाँ तेंदुआ, सियार, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, सांभर, भालू, और अफ्रीकी चीते समेत अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
अक्टूबर से मार्च के बीच का समय कूनो राष्ट्रीय उद्यान घूमने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय मौसम सुहावना रहता है और वन्यजीवों को देखना भी आसान होता है।
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 में अफ्रीका से चीतों को लाकर कूनो में बसाया गया। यह विश्व की पहली इंटर-कॉन्टिनेंटल चीता पुनर्वास योजना है, जिसका उद्देश्य भारत में चीतों की वापसी करना है।
उद्यान के पास पर्यटकों के लिए कई गेस्ट हाउस, रिसॉर्ट्स और वन विभाग द्वारा संचालित विश्राम गृह उपलब्ध हैं। अग्रिम बुकिंग करना बेहतर होता है।
यह स्थान पारिवारिक यात्राओं के लिए आदर्श है, खासकर बच्चों और प्रकृति प्रेमियों के लिए। यहाँ प्रकृति अध्ययन, वन्यजीव दर्शन और फोटोग्राफी के अच्छे अवसर मिलते हैं।
वर्ष 2022 में अफ्रीका से लाए गए चीतों को यहां बसाने की खबर ने कूनो को अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया। यह भारत की वन्यजीव संरक्षण नीति के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना गया।
संबंधित आर्टिकल्स
- कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान
- केवलादेव नेशनल पार्क
- मानस राष्ट्रीय उद्यान
- सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान
- द ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क
- बेतला राष्ट्रीय उद्यान
- असम के राष्ट्रीय उद्यान
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park in Hindi) की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही सामान्य ज्ञान और UPSC से जुड़े अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।