Ram Prasad Bismil : महान क्रांतिकारी एवं कवि रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय

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Ram Prasad Bismil in Hindi

Ram Prasad Bismil in Hindi : रामप्रसाद बिस्मिल भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रतिभाशाली लेखक, कवि एवं ऐतिहासिक काकोरी षडयंत्रके महानायक थे। बिस्मिल में अपना संपूर्ण जीवन भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद करने के लिए बलिदान कर दिया था। वर्ष 1920 में उन्होंने सचिंद्र नाथ सान्याल और जदुगोपाल मुखर्जी के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का गठन किया था। बता दें किचंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, ‘शचींद्र नाथ बख्शी’,अशफाक उल्ला खानऔर ‘जोगेशचंद्र चटर्जी’ जैसे महान क्रांतिकारी भी इस संगठन के सदस्य थे। 

काकोरी षडयंत्र केस के तहत ‘रामप्रसाद बिस्मिल’ और उनके साथियों ‘राजेंद्र लाहिड़ी’, ‘अशफाक उल्ला खान’ और ठाकुर रोशन सिंह को ब्रिटिश सरकार ने मुक़दमे के बाद फांसी की सजा सुनाई थी। इस वर्ष 11 जून, 2024 को उनकी 127वीं जयंती मनाई गई है। आइए अब महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय (Ram Prasad Bismil Ki Atmakatha) और उनके द्वारा लिखी रचनाओं के बारे में जानते हैं। 

मूल नाम रामप्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil)
अन्य नाम ‘बिस्मिल’, ‘राम’, ‘अज्ञात’
जन्म 11 जून 1897 
जन्म स्थान शाहजहाँपुर जिला, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम मुरलीधर 
माता का नाम मूलमती
आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian Independence Movement) 
प्रमुख संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA)
पुस्तक रामप्रसाद बिस्मिल आत्मकथा 
स्मारक अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल उद्यान, ग्रेटर नोएडा
मृत्यु 19 दिसंबर, 1927 गोरखपुर जेल, उत्तर प्रदेश  

उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में हुआ था जन्म – Ram Prasad Bismil Ka Jivan Parichay

रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर ज़िले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बिस्मिल मूलत: मुरैना के गांव रुअर-बरवाई के निवासी थे। उनके पिता का नाम ‘मुरलीधर’ था जो शाहजहांपुर की नगरपालिका में कर्मचारी थे। जबकि माता का नाम ‘मूलमती’ था। बिस्मिल अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे। बताया जाता है कि शुरुआत में उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता था बल्कि उनकी रूचि खेलने में अधिक थी। वहीं एक भारतीय राष्ट्रवादी और आर्यसमाजी धर्मप्रचारक भाई परमानंद को मौत की सज़ा के बारे में पढ़कर उनमें पहली बार देशभक्ति की भावना उत्पन्न हुई थी।

‘मातृवेदी’ नामक क्रांतिकारी संगठन का गठन 

बिस्मिल (Ram Prasad Bismil in Hindi) स्कूली शिक्षा के उपरांत राजनीति में शामिल हुए किंतु कुछ समय बाद ही कांग्रेस पार्टी की उदारवादी विचारधारा से उनका एवं अन्य सदस्यों का मोहभंग हो गया। इसके बाद उन्होंने पंडित. गेंदालाल दीक्षित के मार्गदशन में ‘मातृवेदी’ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की। बताया जाता है कि अपने संगठन के लिएधन एकत्र करने के उद्देश्य से उन्होंने एक वर्ष में तीन डकैतियां डाली किंतु उन्हें विशेष धन प्राप्त नहीं हुआ। वह वर्ष 1918 में हुए ‘मैनपुरी षडयंत्र’ में भी शामिल थे, जिसमें बिस्मिल और पंडित गेंदालाल दीक्षित को सरकार द्वारा प्रतिबंधित पुस्तकें बेचते हुए पाया गया था।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना

वर्ष 1920 में बिस्मिल ने अन्य स्वतंत्रता सेनानी सचिंद्र नाथ सान्याल, ‘अशफाक उल्ला खान’, जदुगोपाल मुखर्जी के साथ मिलकर ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRA) का गठन किया। बाद में इस संगठन को ‘चंद्रशेखर आज़ाद’, ‘भगत सिंह, ‘शचींद्र नाथ बख्शी’, और ‘जोगेशचंद्र चटर्जी’ जैसे महान क्रांतिकारियों का साथ मिला। इस संगठन का उद्देश्य स्वतंत्र भारत के लिए सशस्त्र क्रांति का आयोजन करना था। 

ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन षड्यंत्र

वर्ष 1925 में काकोरी ट्रेन षड्यंत्र (Kakori Conspiracy) हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की एक बड़ी कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य अपनी गतिविधियों और प्रचार हेतु धन प्राप्त करना था। HRA के सदस्यों का मानना था कि देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने के लिए हथियारों और धन की सख्त जरूरत है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए उन्होंने ‘काकोरी’ में ट्रेन से सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाई। फिर 9 अगस्त, 1925 को शाहजहाँपुर और लखनऊ के बीच चली डाउन ट्रेन को बिस्मिल,चंद्रशेखर आज़ादऔर अशफाक उल्ला खान सहित HRA के सदस्यों ने लूट लिया।

फाँसी की सजा सुनाई गई 

जब ब्रिटिश हुकूमत को काकोरी ट्रेन षड्यंत्र की जानकारी मिली तो उन्होंने कठोर कार्यवाही शुरू कर दी। इसके बाद उन्होंने HRA के कई सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया जिसमें  रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, ‘राजेंद्र लाहिड़ी’ और ‘ठाकुर रोशन सिंह’ समेत कई अन्य स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे। इसके उपरांत ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रत्येक क्रांतिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमा चलाया गया और इस षड्यंत्र को अंग्रेज सरकार के खिलाफ एक सोची समझी साजिश बताया गया। बताया जाता है कि यह क़ानूनी प्रक्रिया 18 महीने चली जिसके बाद बिस्मिल को 19 दिसंबर, 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी दे दी गई। 

जेल में लिखी आत्मकथा 

बिस्मिल ने अपनी फांसी से दो दिन पहले जेल में लगभग 200 पन्नों की अपनी आत्मकथा लिखी थी। वहीं 19 दिसंबर को फांसी के ठीक एक दिन पहले उनकी माता अंतिम मुलाकात के लिए जेल पहुंचीं थीं। तब HRA के सदस्य शिवचरण वर्मा भी बेटा बनकर उनसे मिलने पहुंचे थे। तब अंग्रेज सरकार को चकमा देकर शिवचरण वर्मा बिस्मिल की आत्मकथा को अपने साथ ले गए थे। हालांकि यह आत्मकथा प्रकाशित होने से पहले ही दो बाद जब्त कर ली गई थी। किंतु वर्ष 1988 में इस आत्मकथा का प्रकाशन ‘बनारसी दास चतुर्वेदी’ ने कराया था। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ महान क्रांतिकारी एवं कवि रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय (Ram Prasad Bismil in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

FAQs

राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म कहां हुआ था?

राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर ज़िले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

राम प्रसाद बिस्मिल के पिता का नाम क्या था?

उनके पिता का नाम मुरलीधर था। 

राम प्रसाद बिस्मिल क्यों प्रसिद्ध हैं?

रामप्रसाद बिस्मिल भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रतिभाशाली लेखक, कवि एवं ऐतिहासिक ‘काकोरी षडयंत्र’ के महानायक थे।

राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी कहां दी गई थी?

बिस्मिल को 19 दिसंबर, 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी दी गई थी। 

रामप्रसाद बिस्मिल की माता का नाम क्या था?

उनकी माता का नाम ‘मूलमती’ था।

आशा है कि आपको महान क्रांतिकारी एवं कवि रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय (Ram Prasad Bismil in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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